शीला आंटी और उनकी दो बेटियाँ – 1

Sheela Aunty or Unki do Betiya ki chudai यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है। आप इसका पूरा मज़ा उठा सकें इसलिए इसमें कुछ काल्पनिक घटनाएं भी जोड़ी हैं लेकिन पात्र उतने ही हैं। अधिकतर दृश्य ज्यूँ के त्यूं है। बस आप यह समझ लें कि लगभग नब्बे प्रतिशत कहानी सत्य है.

जी हाँ. मैं आज से लगभग दो महीने पहले मुंबई पी एच डी करने के लिए आया था. मैं बीस साल का हूँ और दिखने में इतना खुबसूरत नहीं लेकिन मेरा जिस्म काफी भरा हुआ है. मेरे एक दूर के रिश्ते के चाचा यहाँ रहते हैं. मैं उन्ही के यहाँ रह रहा हूँ. उनके तीन बेडरूम का फ्लैट है बांद्रा में. उनकी पत्नी शीला की उम्र चालीस की है लेकिन बहुत ही खुबसूरत हैं और जिस्म भी अभी तक मजबूत है. उसके स्तनों का उभार जबरदस्त है. उनकी दो बेटियाँ है अंजना और मंजुला. अंजना बीस की है और मंजुला अठारह साल की. दोनों भी अपनी मां की तरह बला की खुबसूरत है. जिस तरह शीला आंटी की खासियत उसके स्तन है; अंजना की टांगें और जांघें बहुत ही सेक्सी है. मंजुला के होंठ तो जैसे नारंगी की फांक है.

अंजना और मंजुला मुझे छुप छुप कर कई बार देखती रहती है और मुस्कुराती रहती है. कभी कभी दोनों अपने जिस्म के हिस्सों को मुझे दिखने का प्रयास भी करती रहती है.. कई बार मैं भी उन्हें देखकर मुस्कुरा उठता हूँ. मैं इन तीनों को हर रोज नजर बचाकर देखता रहता हूँ.

शीला आंटी अपनी उम्र के हिसाब से काफी तजरुबेकार है. एक दिन उसने मेरी चोरी पकड़ ली. मैंने तुरंत नजरें झुका ली. शीला आंटी ने कुछ नहीं कहा. एक दो दिन शांत रहने के बाद मैंने फिर से उन्हें ताकना शुरू कर दिया. एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा पढ़ रहा था. मुझे प्यास लगी तो मैं रसोई में पानी लेने चला गया. शीला आंटी उस वक्त नहाकर बाथरूम से बाहर ही आई थी. उनके कमरे का दरवाजा खुला था. उन्होंने एक तौलिया लपेटा हुआ था. तौलिया उनके स्तनों के आधे भाग को ढंकते हुए शुरू हो रहा था और उनकी जाँघों के उपरी भाग पर ख़त्म हो रहा था. मैं शीला आंटी को देखता ही रह गया. मन ही मन बोला ” कौन कहता है ये चालीस साल की है. ये तो पच्चीस की जवान से भी ज्यादा खुबसूरत और गरम है.” मैं दरवाजे की ओट से शीला आंटी को ललचाई नज़रों से देखने लगा. अचानक शीला आंटी ने अपना चेहर घुमाया और वो मेरे सामने थी और मैं उनके. मैं तैयार नहीं था की खुद को संभालता. शीला आंटी ने मुझे देखते ही अपनी आँखों में गुस्सा भर लिया और बोली ” तुम मानोगे नहीं. तुम्हारी शिकायत तुम्हारे चाचा से करनी पड़ेगी.” मैं घबरा गया. मैं जैसे ही पलता शीला आंटी ने मुझे कहा ” इधर आओ. कहाँ जा रहे हो.” मैं डरते हुए उनके पास गया. मैं जैसे ही उनके करीब पहुंचा उनके स्तनों के उभार ने मुझे भीतर तक हिला दिया. उनके बदन से आ रही खुशबु ने मेरे होश छीन लिए. शीला आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा ” तुम्हें इस तरह से देखना अच्चा लगता है ना. लो अब अच्छे से देख लो.” शीला आंटी ने तौलिया हटा लिया. उनका गदराया जिस्म मेरे सामने थे. उनके भरी भरकम स्तन जैसे अपने पास आने का निमंत्रण दे रहे थे. उनकी भरी हुई कमर जैसे रस टपका रही थी. उनकी मजबूत जांघें और टाँगे जैसे यह कह रही थी कि इंतज़ार किस बात का . किसी मिठाई की तरह खा जाओ. मैं पागल हो गया. शीला ने तौलिये को वापस लपेटा और बोली ” जाओ आज के लिए इतना ही काफी है.” मैं चुपचाप वापस अपने कमरे में आ गया.

सारी रात मैं सो नहीं पाया. बार बार शीला आंटी का शारीर मेरे सामने आता रहा. मेरी अंडरवेअर अचानक ही गीला हो गया.

अगले दिन मैं शाम को जब कॉलेज से घर लौटा तो शीला आंटी घर पर अकेली ही थी. अंजना और मंजुला की कॉलेज देर शाम को छुटती है. मैं शीला आंटी से नजरें नहीं मिला पाया और अपने कमरे में आ गया. कुछ ही देर बाद शीला आंटी मेरे कमरे में आई. वो मेरे सामने की कुर्सी पर बैठ गई और मुझे देखकर मुस्कुराने लगी. मैं घबरा उठा. शीला आंटी बोली ” क्या हुआ? इस तरह उदास क्यूँ हो? आज तुम्हरी इच्छा पूरी नहीं हुई इसलिए?” मैं कुछ ना बोल सका और अब तो ज्यादा घबराने लगा. तभी मैंने देखा की शीला आंटी ने अपनी साड़ी के पल्लू की अपने सीने से हटा इया और अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी. कुछ ही पलों में उनके स्तन उनकी चोली में से बाहर झाँकने लगे. मेरी आँखें विश्वास नहीं कर पा रही थी. शीला आंटी ने फिर कहा ” इतना ही देखोगे ! आओ इधर आओ.” मैं घबराते हुए उठा और उनके करीब चला गया. मेरी साँसें तेज चलने लगी. शीला आंटी ने मुझे अपनी चोली के हुक दिखाते हुए कहा ” इन्हें खोलो.” मैंने दोनों हुक खोल दिए. एक बार फिर शीला आंटी के दोनों स्तन मेरे सामने थे. इस बार वो मेरे बहुत ही करीब थे. शीला आंटी मेरे एकदम करीब आ गई और मुझे अपने सीने से लगा लिया. उनके स्तनों के उभार को मैं अब महसूस कर रहा था. मुझे लगा जैसे मैं किसी रबर के गद्दे को दबा रहा हूँ. शीला आंटी ने मुझे करीब दो मिनट तक भींचे रखा. मैं नशे में आ गया. अचनका शीला ने मुझे अपने से अलग करते हुए कहा ” चलो तुम बाहर चले जाओ. अंजू और मंजू आती ही होगी. आज बस इतना ही.” मैं बेकाबू हो गया था लेकिन मेरे पास और कोई दुसरा रास्ता नहीं था. मैं अनमने मन से बाहर आ गया.

रात को खाना खाते वक्त शीला आंटी ने मुझसे नजर मिलते ही एक मुस्कुअराहत फेंकी. मैं समझ गया कि अब रास्ता साफ़ है और कल भी मुझे ये नजारा नसीब होनेवाला है.

अगले दिन मैं जैसे ही कॉलेज से लौटा मैंने देखा कि शीला आंटी मेरे ही कमरे में बैठी हुई है, हम दोनों एक दुसरे को देख मुस्कुरा दिए. शीला आंटी ने मुझे अपने पास आने का इशारा किया और अपनी साड़ी का पल्लू सीने से हटा दिया. मैं समझा गया. मैंने तुरंत ब्लाउस के बटन खोले और फिर चोली के हुक भी खोल दिए. अब शीला आंटी ने मेरी शर्त उतार दी और फिर मेरा बनियान भी उतार दिया. फिर अचानक उन्होंने मुझे अपने सीने ले गा लिया. मैं तो जैसे आज जन्नत में पहुँच गया था. अपनी जिन्दगी में पहली बार किसी औरत के सीने से अपना सीना स्पर्श करने का मौका मिला था. मैंने भी शीला आंटी को कसकर दबा दिया. अब उन्हें भी मजा आने लगा था. हम दोनों मेरे पलंग कि तरफ बढे और शीला ने मुझे पलंग पर गिरा दिया और फिर खुद भी मुझसे लिपट गई. हम दोनों लगभग दस मिनट तक आपस में लिपटे रहे. फिर अंजू मंजू का ख़याल आते ही शीला आंटी अपने कमरे में लौट गई. अब यह सिलसिला रोज चलने लगा. लेकिन सिर्फ उपरी कपडे उतारकर एक दुसरे को गले लगाने तक ही.

अब सारे दिन शीला आंटी भी मेरे कॉलेज से लौटने का इंतज़ार करती और मैं भी कॉलेज के आखिरी समय में शीला आंटी से मिलने के सपने देखने लग जाता. उधर अंजना और मंजुला भी मुझे अपनी और आकर्षित करने कि बहरापुर कोशिश करने लगी थी. एक दिन तो अंजना ने तो हद ही कर दी. वो नहाने के बाद रात के वक्त सोते वक्त पहनने वाला हाल्फ पन्त पहनकर मेरे कमरे में अपनी कोई किताब खोजने का बहाना करते हुए आ गई. मैं उसे देखते ही एक बार तो अपने होश खो बैठा. उसकी टांगें चमक रही थी. एकदम चिकनी और सपाट. उसने मुझे ललचाने कि कोशिश भी कि लेकिन शीला आंटी का ख़याल आते ही मैंने अपनी नजरें दूसरी तरफ घुमा ली. अंजना गुस्से से कमरे से बाहर निकल गई.

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शीला आंटी के पति एक सप्ताह के लिए अहमदाबाद गए हुए थे. जिस दिन वे अहमदाबाद गए उस दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो देखा कि शीला आंटी कि आँखों में कुछ अलग तरह की चमक थी. मैं समाजः गया की शीला आंटी अब हम दोनों को सवेरे मिलने वाले खली समय के बारे में सोचकर खुश हो रही होगी. मैंने तेजी से अपनी कमीज और बनियान निकला दिया. इसके बाद मैंने शीला आंटी का ब्लाउस खोला और फिर आखिर में चोली. हमेशा की तरह हम दोनों एक दुसरे से लिपट गए. हम दोनों कुछ इस तरह से लिपटे थे कि हमें समय का पता नहीं चला और हम दोनों ही यह भूल गए कि अंजना और मंजुला के आने का समय हो चुका है. आज विशेष रूप से शीला आंटी बेकाबू हो गई थी. मैंने एक दो बार खुद को उनसे अलग करने कि कोशिश भी की लेकिन वो असफल रही. जिस बार का मुझे डर था वो ही हुआ. अंजना लौट आई. वो सीधे मेरे कामे की तरफ ही आई. उसने जैसे ही मेरे कमरे का दरवाजा धीरे से खोला तो वो मुझे और शीला आंटी को इस हालत में एक दुसरे से लिप्त हुआ देखकर हैरान रह गई. शीला आंटी की पीठ दरवाजे की तरफ होने से शीला आंटी को तो कुछ पता नहीं चला लेकिन मेरी नजरें अंजना से मिल गई. अंजना कुछ ना बोली और गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए चली गई. मैंने शीला आंटी को यह बताना सही नहीं समझा. कुछ देर बाद मैंने बड़ी मुश्किल से अपने को शीला आंटी से अलग किया.

रात को खाना खाते वक्त अंजना बार बार मुझे एक कुटिल मुस्कान के साथ देखे जा रही थी. मैं लगातार उससे नजर चुरा रहा था.

जब मैं सोने के लिए अपने कमरे में गया तो कुछ ही देर बाद अंजना मेरे कमरे में दाखिल हुई. अंजना बहुत ही खुले गले का टी शर्ट और जाँघों तक की लम्बाई वाला हाल्फ पैंट पहने हुई थी. मैं उसे इन कपड़ों में देखते ही उसके इरादे को समझ गया. मैं सचेत होकर बैठ गया. अंजना ने मेरे बहुत करीब आकर मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली ” तुम्हारा सीना कुछ ज्यादा ही मुलायम नहीं लग रहा आज!” मैं उसका इशारा समझ गया. अंजना अब मेरे बहुत करीब आ चुकी थी. उसकी साँसें मुझे छूने लगी थी. मैंने उसे दूर जाने के लिए कहा. अंजना ने एक शैतान नजर मुझ पर डाली और बोली ” अगर तुमने मेरा कहा नहीं मन तो मैं पिताजी से सारी बात कह दूंगी.” मैं घबरा गया. अंजना ने धेरे से मेरे शर्त के बटन खोलने शुरू किये. मैं मजबूर था इसलिए कुछ नहीं कर सकता था. उसने मेरा शर्ट उतर दिया और फिर बनियान भी खोल दिया. इससे पहले कि मैं कुछ संभल पता वो मुझे लिपट गई. मैंने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश की लेकिन उसने मुझे बहुत कसकर पकड़ लिया था. अचानक उसने मुझे कुछ इस तरह से धकेला कि हम दोनों पलंग पर गिर गए. मैंने उसे दूर धकेला. अंजना ने अब अपनी हाफ पैंट उतार दी और टी शर्ट को खोलना शुर कर दिया था.

मैं अब समझ गया था कि उससे बच पाना मुश्किल है. मैंने सोचा इससे अच्छा मौका अब नहीं मिलने वाला कि हुस्न का दरिया मेरे सामने आकर खुद मुझे डूबने को कह रहा है. मैंने अब अंजना को कसकर पकड़ लिया और उसके सीने से अपने सीने को लगा दिया. अंजना ने भी वापस इसी अंदाज में जवाब दिया. मैं और अंजना अब उसी मुद्रा में थे जिस तरह अंजना ने मुझे शीला आंटी के साथ देखा था. अब अंजना ने अपने होठों को मेरे होठों के बहुत करीब लाकर एक लम्बी सांस छोड़ी. मुझ पर जैसे एक नशा छा गया. मैंने अचानक अपने होंठ अंजना के होंठ पर रख दिए. अंजना ने मेरे होठों को चूम लिया. हम दोनों के शारीर में एक बिजली कि लहर जैसे दौड़ गई क्योंकि हम दोनों के लिए इस तरह के चुम्बन का यह पहला ही मौका था. हम दोनों को ऐसा लगा जैसे एक साथ ढेर सारी शक्कर की मिठास एक साथ मुंह में घुल गई हो. हम दोनों लगभग पांच मिनट तक एक दुसरे के होठों को चूमते रहे. अब मैंने अंजना को पलंग पर सीधा लिटा दिया और मेरी मनपसंद उसकी चिकनी टांगों और जांघों को बेतहाशा चूमने लगा. अंजना को यह बहुत ही पसंद आ रहा था. वो बार बार मुझे अपनी जांघें चूमने को कहती रही और मैं उसे चूमता रहा.

अंजना ने इसके बाद मुझे अपनी तरफ खींचा और मुझे अपने स्तनों को चूमने को कहा. मैंने शीला के आंटी के स्तनों को बहुत करी से देखा था लेकिन कभी चूमा नहीं था. अब मुझे पहली बार किसी के स्तनों को चूमने का मौका मिल रहा था. मैंने उसके दोनों स्तनों को चूमा. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी मलाई के सागर में तैर रहा हूँ. अंजना को तो ऐसा लगा जैसे वो बादलों में उड़ रही हो. अब अंजना ने मुझे जगह जगह चूमना शुरू किया. हम दोनों इसी तरह लगभग आधी रात तक एक दुसरे को चूमना जारी रखा. इसके बाद अंजना ने यह कहते हुए कि मंजुला को कोई शक ना हो जाए; अपने कपडे पहने और अपने कमरे में चली गई. मैं अपनी किस्मत पर खुश हो रहा था.

अगली सुबह जहाँ एक तरफ मैं और शीला आंटी एक दुसरे को शरारती नज़रों से देख कर हंस रहे थे वहीँ अंजना और मैं भी इसी तरह मुस्कुरा रहे थे. अब मैं मंजुला की तरफ अपनी नजर गड़ा रहा था कि यह मुझे कब मिलेगी. लेकिन अब मुझे यह विश्वास हो चला था कि बहुत जल्दी मंजुला भी मेरी बाहों में आने वाली है.

अगले दिन अब मैं शीला आंटी और अंजना दोनों से मिलने के लिए बेताब हो रहा था. सवेरे जब मैं कोलेगे जाने के लिए तैयार हो रहा था तो अंजना मेरे कमरे में आ गई. उसें आते ही मेरे होंठ चूम लिए और भाग गई. मैं सवेरे सवेरे ही उत्तेजित हो गया.शाम को कॉलेज से आते ही शीला आंटी से सामना हो गया. आज शीला आंटी खुद के कमरे में मुझे ले गई. कुछ ही पलों में हम दोनों ने अपने ऊपर के कपडे खोल दिए और हमेशा कि तरह एक दुसरे से चिपट गए. अंजना के साथ अपने होठों के चुम्बन कि याद आते ही मैनुतावाला हो गया और मैंने शीला आंटी के होठों कि तरफ ललचाई नजर से देखा. शीला आंटी के होंठ कुछ सांवले रंग के थे लेकिन काफी रसभरे लग रहे थे. मैंने अब बेहिचक होकर अपने होंठ उनकी तरफ बाधा दिए और बहुत धीरे से उनके होंठो को सिर्फ छु लिया. शीला आंटी शायद इसी पल का इंतज़ार कर रही थी. उन्होंने तुरन्त जोरों से मेरे होठों को अपने होठों से भींच लिया और मेरे होठों से रस खींचने लगी. मेरा बदन सरसरा उठा. शीला आंटी ने अब बेतहाशा मेरे होठों को चुसना शुरू कर दिया था. काफी मेहनत के बाद ही में शीला आंटी के होठों से रस चूस सका. मैं एकदम बेकाबू हो गया. शीला आंटी ने मुझे अब पलंग पर लेटने के लिए कहा और वो भी लेटकर मुझे लिपट गई. अब हम एक दुसरे के गालों; होठों और गर्दन के सभी हिस्सों को चूम रहे थे. आज मुझे अंजना का डर नहीं सता रहा था. शीला आंटी भी चूँकि बेकाबू हो चुकी थी इसलिए उसे भी समय का कुछ ध्यान नहीं रहा हौर हम दोनों काफी देर तक एक दुसरे से लिपटे रहे और पागलों की तरह एक दुसरे को यहाँ वहां चूमते रहे. इसी बीच अंजना भी आ चुकी थी और हम दोनों को बाहर से चोरी छुपे देख रही थी. लगभग एक घंटे के बाद जब हम दोनों को ही संतुष्टि महसूस हुई तो हम दोनों एक दुसरे से अलग हो गए और मैं अपने कमरे में लौट आया. शीला आंटी ने जल्दी जल्दी कपडे पहने और ड्राइंग रूम में आ गई.

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अंजना मेरे कमरे में आई और बोली ” आज तो तुमने बहु जोरदार चुम्बन लिए हैं दोस्त. आओ मैं भी तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही हूँ.” यह कहकर उसने तुरंत मुझे गालों और गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया. मैंने भी उसी तरह से जवाब दिया. फिर हमने इक दुसरे के होंठ चुसे और सावधानी से दूर हो गए.

अब रात का इंतज़ार था. अंजना रात को एक किताब लेकर कुछ पूछने के बहान एमेरे कमरे में आ गई. कुछ ही देर बाद जब हम दोनों को यह विश्वास हो गया कि मजुला सो गई है तो हम दोनों बिस्तर में गुस गए और एक चद्दर ओढ़ ली और अपना काम शुरू कर दिया. लगभग आधे घंटे तक हम दोनों ने एक दूसरे को खूब चूमा और फिर अंजना अपने कमरे में लौट गई.

अगले दिन अंजना और मंजुला अपनी किसी सहेली के जनम दिन कि पार्टी में कॉलेज से सीधे ही जानेवाली थी और रात को ही लोटने वाली थी. इसलिए शाम से लेकर रात तक मैं और शीला आंटी अकेले ही रहनेवाले थे औए मैं यही सोचकर रोमांचित हो रहा था. सच कहूँ तो अब मुझे सारा सारा दिन शीला आंटी का उभरा हुआ सीना अपनी आँखों के सामने घूमता हुआ दिखाई देता था.

शाम को घर आते ही मैं शीला आंटी के कमरे में गया. शीला आंटी ने एक मुस्कान से मेरा स्वागत किया और मुझे अपनी बाहों में भर लिया. मैंने हमेशा कि तरह शीला आंटी के उपरी कपडे उतार दिए और फिर शीला आंटी ने मेरे उपरी कपडे खोल दिए. मैं जैसे ही उनकी तरफ बाधा शीला आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने पेटीकोट के नाड़े की तरफ ले गई और मुस्कुराने लगी. मैंने पेटीकोट का नाडा भी खोल दिया. शीला आंटी मेरा हाफ पैंट खोलने में लग गई. अब मेरे दिल की धडकनें बढ़ने लगी. मैंने देखा कि शीला आंटी ने इसके बाद मेरा अंडरवेअर खींचकर नीचे लेकर खोल दिया और मरे हाथ से अपना अंडर वेअर छुआ दिया. मैंने उनका अंडरवेअर भी खोल दिया. अब हम दोनों पूरी तरह निर्वस्त्र एक दूसरे के सामने खड़े थे. मैंने शीला आंटी को पहली बार निर्वस्त्र देखा था. उनका एक एक अंग गदराया हुआ था और हर अंग से रस टपक रहा था. शीला आंटी ने मुझे अपनी तरफ खींचा और लिप्त लिया. मेरा पूरा शरीर कांपने लगा. हम दोनों ने धीरे धीरे हमेशा कि तरह एक दूजे को चूमना शुरू किया. कुछ देर बाद एक दूजे को होठों को खूब चूसा. शीला पीछे मुड़ी और मैंने उनकी पीठ को भी चूमा. अब शीला आंटी ने अपनी एक टांग उठाई और कुर्सी पर रखकर खड़ी हो गई. मैंने उनकी जांघ को जब चूमा तो शीला आंटी के मुंह से सिसकी निकल गई. मैं बेतहाशा उनकी जांघ को अह यह. शीला आंटी एक झटके से मुझे पकड़ पलंग की तरफ ले गई और हम दोनों पलंग पर लेट गए और लिपट गए.
काफी देर तक हम एक दूसरे से युहीं लिपटे चूमते रहे और बीच बीच में समझ दूजे के होठों का रस भी पीते रहे. अब मुझ पर बहुत नशा छा गया था लेकिन शीला आंटी सामान्य नजर आ रही हती. ये शायद उनकी उमर और अनुभव का असर था. तभी शीला आंटी ने तकिये के नीचे हाथ डाला और एक पैकेट निकाला. मैंने देखा वो कंडोम था. शीला आंटी ने उसे मेरे ताने हुए गुप्तांग पर चढ़ा दिया. मेरी घबराहट अब चरम सीमा पर थी. मेरी जिन्दगी में ये पहली बार होने जा रहा था. अब शीला आंटी ने अपनी दोनों टांगो को अंग्रेजी के वी टी तरह फैलाया और मुझे अपनी तरफ खींचा. अब मेरे शरीर का निचला हिस्सा शीला आंटी के उस वी के बीच में जा चुका था. अगले ही पल मुझे बहुत ही गुदगुदी जगह पर मेरे गुप्तांग के स्पर्श हो जाने का अहसास हुआ. शीला आंटी ने अपना एक हाथ उस स्थान पर ले गई और मेरे गुप्तांग को पकड़ लिया औए थोडा आगे की तरफ ले जाकर थोडा जोर लगाया. मुझे अचानक ही ऐसा लगा जैसे मेरा गुप्तांग किसी छेद में घुस रहा है. वो शीला आंटी का गुप्तांग था जिसमे मेरा गुप्तांग अब पूरी तरह से समां चुका था. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी रस से भरे तालाब में कूद गया हूँ. शीला आंटी ने मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा और बोली ” बहुत अच्छा लग रहा है ना. मुझे भी एक लम्बे अरसे के बाद बहुत मजा आया है.” फिर उन्होंने मुझे पीठ से दबा दिया और मुझे उपर नीचे करने लगी. मुझे एक अलग तरह का आनंद आने लगा और फिर मैं अपने आप ही जोर लगा लगाकर अपने गुप्तांग को शीला आंटी के गुप्तांग में और अन्दर की तरफ ले जाने लगा. फिर मैंने अपने गुप्तांग को पूरी तरह बाहर निकाला और फिर अन्दर डाला. अब लगातार मैं ऐसा करता रहा और शीला आंटी के मुंह से हरबार सिसकी और आह आह की आवाजें आती रही. शीला आंटी थोड़ी थोड़ी देर के बाद ही मुझे रोक देती और कुछ ठहरकर मुझे करने को कहती. मेरा पहला मौका था लेकिन मैंने शीला आंटी के साथ यह सम्भोग लगभग आधे घंटे तक जारी रखा. अब शीला आंटी ने मेरे दोनों होठों को इतनी जोर से चूसा कि मैं सब कुछ भूल गया और इतना जोर लगाया कि कुछ ऐसा महसूस हुआ कि मेरा गुप्तांग शीला आंटी के गुप्तांग कि आखिरी गहराई तक पहुँच गया है. अब मुझे ऐसा लग रहा था कि शीला आंटी के गुप्तांग में बहुत नमी हो गई और मेरा गुप्तांग उस नमी से पूरी तरह भीग चुका है. अचानक ह शीला आंटी ने मुझे जोर से अपने सीने से दबा दिया. उनके बड़े बड़े स्तनों के गुदगुदे दबाव , मेरे और इनके होठों के रसों के आपसी मिलन और एक दूसरे से पूरी तरह से चिपटा होने का यह परिणाम निकाला कि मेरे गुप्तांग से एकदम ही कुछ बहने लगा.

क्रमशः….



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