हेलो दोस्तों, मैं सिड आज फिर एक कहानी लेके हाज़िर हू. सच या झूठ आप डिसाइड करे, और कहानी पढ़ के एंजाय करे. जैसा की आपको पता है, मैं एक नृ हू और फिलहाल इंडिया में ही रह के पढ़ रहा हू.
मेरी हाइट 6’2″ इंच. वेट 76 क्ग है, शकल से मैं बहुत हॅंडसम हू, और अकल से बहुत स्मार्ट हू. आगे मेरी 25 है.
अगर आपने मेरी पिछली कहानी पढ़ी होगी तो आपको पता होगा मैं एक सूब अर्बन टाउन में रह के कॅट एग्ज़ॅम की तैयारी कर रहा हू. तो हुआ कुछ ऐसा है एक शाम मैं दूध लेने गया हुआ था.
बुत अभी तक दूध निकाला नही गया था. तो मैं वही पे खड़ा होके फोन उसे करने लगा. वाहा पे कुछ आंटीस वग़ैरा भी थी. वो लोग आपस में बातें कर रही थी.
कुछ देर में वाहा का मालिक दूध देने लगा सब को, तो मैं एक आंटी के पीछे जेया के खड़ा हो गया, और कुछ देर में मेरा भी नंबर आ गया. मैने दूध लिया और घर आ गया. कुछ ख़ास नही हुआ दोस्तों उस दिन.
ऐसे ही कुछ दिन चलता रहा. वाहा की आंटीस और भाभीएस मुझे अब गौर से देखने लगी. करीब एक वीक के बाद एक आंटी ने आके बोला:
आंटी: किसके यहा रहते हो बेटा?
मैं: ये अनुज जी के यहा आंटी.
आंटी: कौन लगते है वो तुम्हारे?
मैं: मेरे पापा.
आंटी: पर वो तो लंडन में रहते है ना, फॅमिली के साथ.
मैं: जी.
आंटी: तो तुम यहा?
मैं: मैं यहा पढ़ने आया हू आंटी.
आंटी: बुत मैने तो सुना है की लंडन के कॉलेज बेस्ट है.
मैं: जी नही आंटी. बेस्ट तो अपना भारत ही है. बस यहा पे आचे कॉलेजस में बेस्ट स्टूडेंट्स को ही एंट्री मिलती है.
आंटी: हा, ये तो है. तुम किस चीज़ की पढ़ाई कर रहे हो?
मैं: म्बा की तैयारी कर रहा हू. फिलहाल Bटेच कंप्लीट किया हू ित से.
आंटी: ित?
मैं: जी आंटी.
आंटी: पढ़ने में काफ़ी तेज़ होगे.
मैं: जी आंटी, पढ़ना पसंद है मुझे.
ये सब बात हुई और वो चली गयी दूध लेके, और मैं भी अपने घर आ गया. घर आके क्या किया ये नही बतौँगा. उसकी अलग स्टोरी आएगी.
खैर मैं अगले दिन फिर गया दूध लेने, और वो आंटी दिखी, और मुझे देखते ही मेरे पास आई. लग रहा था वो मेरा ही इंतेज़ार कर रही थी.
आंटी: ही, कल तुमने अपना नाम नही बताया.
मैं: मेरा नाम सिद्धार्ट है आंटी.
आंटी: वाह, वैसे मुझे तुमसे एक काम है.
मैं: जी बोलिए.
आंटी: तुम्हे तो पता होगा ये शहर बहुत छ्होटा है, और यहा पे बहुत सारी फेसिलिटीस नही है.
मैं: आंटी आप क्लियर्ली बोलो.
आंटी: बेटा बात ऐसी है की मेरी बेटी का 1स्ट्रीट एअर का एग्ज़ॅम है, और यहा पे आचे टुटीओन टीचर नही है सीनियर क्लासस के. तो क्या तुम मेरी बेटी को टुटीओन पढ़ा दोगे? तुमने तो ित से इंजिनियरिंग की है. क्या तुम मेरी हेल्प करोगे?
मैं: नही आंटी, मैं कोई टीचर नही हू, और ना ही मेरे पास टाइम है. मुझे खुद बहुत पढ़ना रहता है. तो मेरे से नही हो पाएगा.
आंटी: एक घंटा भी नही दे सकते क्या?
मैं: नही आंटी.
आंटी तोड़ा उदास हो गयी.
आंटी: ठीक है, मैने ही ग़लत उमीद लगा ली थी.
मेरे कारण किसी को बुरा फील होता है तो मुझे अछा नही लगता.
मैं: आंटी, नाराज़ ना हो आप. एक काम करो, अपनी बेटी को आप मेरे पास घर ही लेके आओ. मैं भी पढ़ुगा और उसको भी पढ़ा दूँगा. और मुझे कोई पैसे भी नही चाहिए.
आंटी खुश हो गयी
आंटी: पक्का?
मैं: जी.
आंटी: कब से लाउ?
मैं: कल से.
आंटी: कितने बजे?
मैं: शाम में, यहा से जाने के बाद.
आंटी: ओके, अपना फोन नंबर डेडॉ.
मैने नंबर दे दिया, और आंटी चली गयी. अगले दिन मैं दूध लेने गया, आंटी दिखी और बोली-
आंटी: मैं आती हू अभी अपनी बेटी को लेके तुम्हारे घर. मैने बोला: ठीक है आंटी.
मैं घर आ गया और फोन चला रहा था. तभी बेल बाजी. गाते खोला तो सामने आंटी और उनके पीछे उनकी बेटी. मैने उसपे गौर नही किया, और अंदर बिताया सोफे पे. आंटी इधर-उधर देखने लगी, और फिर बोली-
आंटी: अकेले रहते हो?
मैं: जी.
आंटी: मैं डेली तो नही रुक पौँगी यहा. कोई दिक्कत तो नही होगा सुहानी को?
मैं: हवा और पानी मिल जाएगा आंटी यहा. 2-3 घंटे के लिए वो सफिशियेंट होना चाहिए.
वो लड़की मेरी बात सुन के मुस्कुरा दी.
आंटी: नही, मतलब तुम अकेले लड़के हो.
मैं: आंटी मैने आपकी प्राब्लम समझने में हेल्प की. और मेरे ही कॅरक्टर पे शक?
आंटी: एक बेटी की मा हू, दर्र तो लगता ही है.
मैं: नही दारिय आंटी, बेहन है ये मेरी.
आंटी: हा, ये अछा बोला तुमने.
मैं: छाई पिएंगी आप?
आंटी: नही तकलीफ़ मत उठाओ.
मैं: तकलीक क्या है? मेहमान को तो छाई-पानी के पूछा ही जाता है.
आंटी: ठीक है, बना लो.
मैं 2 कप छाई बनता हू. मैने उस लड़की से पूछा भी नही की तुम पियोगी या नही?ग़ज़ब चूतिया हू मैं. खैर आंटी छाई पी रही थी, और मैं भी उसकी बुक्स में चॅप्टर्स देख रहा था.
मैने बोला: हो जाएगा आंटी.
आंटी: पक्का?
मैं: जी, बुत अब आपको जाना पड़ेगा. क्यूंकी आप यहा रहेंगी तो मुझे अकवर्ड लगेगा.
आंटी: हा मैं जेया रही हू. बुत इसके लौटने के टाइम रात हो जाएगी, तो क्या तुम प्लीज़ इसको घर तक छ्चोढ़ दोगे?
मैं: बेहन बोला हू इसको, तो फ़र्ज़ होगा ये मेरा.
आंटी फिर चली गयी. फिर मैने उस लड़की से पूछा-
मैं: तुम्हारा नाम क्या है?
वो: मम्मी बोली थी नाम तो नही सुना आपने.
मैं: नही, ध्यान नही दिया.
वो: ह्म, ध्यान देते तो बेहन नही बोलते.
मैं: क्या?
वो: कुछ नही. मेरा नाम सुहानी है, और आपका?
मैं: सिड.
वो: नृ हो?
मैं: ह्म
सुहानी: कों सी ित में गये थे?
मैं: रूरकी
सुहानी: कों सा कोर्स?
मैं: कंप्यूटर साइन्स.
सुहानी: जॉब कू नही लिया?
मैं: मेरा इंटरव्यू लेने आई हो?
सुहानी: हा.
मैं: मेद्स खोलो और पढ़ना स्टार्ट करो, जहा पे प्राब्लम होगी, मुझसे पूछना.
सुहानी: तुम पढ़ा लोगे?
मैं: नैन सब पढ़ा लूँगा.
सुहानी: मेरे लिए छाई तो नही बना पाए.
मैं: बच्ची को छाई नही पीनी चाहिए.
सुहानी: ओह हेलो, हो तो तुम नृ. बुत तुम्हारी सोच इंडियन है.
मैं: ये इंडियन सोच बहुत अची है. इसमे फिकर है.
सुहानी: मुझे बेहन क्यूँ बोला?
मैं: तुम्हारी मम्मी का दिल हल्का करने के लिए.
सुहानी: मतलब मानते नही हो ना?
मैं: मान लूँगा कुछ टाइम में.
सुहानी: जी नही.
मैं: बाय्फ्रेंड नही है तुम्हारा?
सुहानी: है. तुम्हारी है गर्लफ्रेंड?
मैं: नही, मुझे प्यार पे भरोसा नही है.
सुहानी: क्यूँ?
मैं: बुक निकाल के पढ़ो. सवाल जवाब बुक से करना. मेरी पर्सनल लाइफ से नही.
सुहानी: योउ’रे रूड.
मैं: नोप, बस मैं तुम्हारे इतना फ्रॅंक नही हू.
सुहानी: क्यूँ?
मैं: अर्रे पढ़ो.
सुहानी: ठीक है.
वो कुछ देर पढ़ती है, और फिर मैं उसको घर छ्चोढ़ आता हू, जहा उसकी मम्मी मुझे अंदर बुला के खाना खिला देती है, और उसके बारे में पूछती है की पढ़ाई में वो कैसी थी, और ये वो.
फिर मैं घर लौट आता हू.
स्टोरी कंटिन्यू रहेगी.