आंटी की चुदाई पसीने में भीग कर

सेक्स स्टोरी अब आयेज-

मैने वनिता आंटी को बालों से खींच कर स्माइल दी, और उनके लिप्स पर किस किया. मैं अब खड़ा हुआ और पंत निकाल कर नंगा हो गया. वनिता आंटी घुटनो पर बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी. कितने दीनो के बाद मुझे लंड चुसवाने का सुख मिल रहा था. वनिता आंटी लॉलिपोप की तरह लंड चूस रही थी. वो लोड्‍ा चूसने की शौकीन लग रही थी.

मैं समझ रहा था की वो बहुत दिन से तड़प रही थी. आप ये समझो की किसी इंसान को बहुत दिन तक भूखा रखा हो, और उनके सामने खाना रखे तो वो कैसे खाता है. सेम ऐसा हाल वनिता आंटी का मेरा लंड चूसने के टाइम था.

मैने अब उनके फेस को पकड़ कर गले तक लोड्‍ा घुसा दिया. वनिता आंटी को साँस लेने में तकलीफ़ होने लगी. मैं बेरहम हो कर उनका मूह छोड़ने लगा. उनके मूह से लार तपाक रही थी, और गूओ… श… गू… श… गू.. जैसी कुछ आवाज़ आ रही थी. उनके मूह से लार तपाक कर उनके बूब्स पर गिर रही थी.

5 मिनिट की चुदाई के बाद मैने उनको छ्चोढा. वो अब ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी. मैने देखा तो मेरे लंड के उपर उनके दांतो के निशान बन गये थे. मेरा लंड तोड़ा च्चिल गया था. मुझे उन पर बहुत गुस्सा आ रहा था, पर मैने अपने आप पर कंट्रोल किया.

मैं (उनको झूठी स्माइल देते हुए): ये क्या किया बेबी, मेरा लंड च्चिल गया.

वनिता आंटी: श सॉरी, लेकिन तुम ना जानवर हो. ऐसा कोई करता है क्या?

मैं (उनको कंधे से पकड़ कर खड़ा किया): आप जिस तरह मेरा लोड्‍ा चूस रही थी, मैं आउट ऑफ कंट्रोल हो गया (उनके माथे पर किस करके). ई आम सॉरी बेबी.

मुझे वनिता आंटी की आँखों में मेरे लिए प्यार दिख रहा था. उनका प्यार में एमोशनल हुआ चेहरा मुझे एक अलग ही सुकून दे रहा था. मैने अब उनकी सारी को निकाल दिया. वो मेरे सामने ब्लॅक पेटिकोट में खड़ी थी. मैने उनके पेटिकोट का नाडा खोल दिया, तो वो सरक कर उनके पैरों में आ गया. वनिता आंटी ने रेड कलर का पनटी पहना था. मैने देखा तो पनटी आयेज से गीली नज़र आ रही थी. उसका मतलब ये था की उनकी छूट झड़ने लगी थी.

मैने अब उनको बेड पर धक्का दिया, और उनकी पनटी खींच कर निकाल ली. उनकी टाँगें मैने खोली, तो मेरे सामने उनकी क्लीन शेव छूट थी. मैने मेरी लाइफ में इतनी प्यासी छूट को नही देखा था. उनकी छूट का पानी मोटी की तरह चमक रहा था.

गोआ में मैं फॉरिनर की खूबसूरत गुलाबी पंखुड़ी जैसी छूट देख चुका था. और मम्मी की छूट तो मेरी ऑल टाइम फॅवुरेट थी. लेकिन वनिता आंटी सावली थी, तो उनकी छूट कैसी होगी वो आप सब समझ गये होंगे. लेकिन मम्मी की माहेरबानी से मुझे असली देसी छूट का सुख मिल रहा था.

मैं अब बेड के किनारे घुटनो पर बैठ गया. मैने वनिता आंटी की टाँगें खोली, और उनकी छूट के पास मूह लेकर गया. वनिता आंटी की छूट से मेरे मॅन को मो लेने वाली गंध आ रही थी. मैने अपनी आँखें बंद करी, और जीभ निकाल कर उसकी छूट को चूसने और चाटने लगा. उस दिन मैने महसूस किया की असली मज़ा तो देसी में है. अब आप इतने टाइम से ये सीरीस पढ़ रहे हो, तो आपको पता है मैं ओरल सेक्स का मास्टर हू. मुझे वनिता आंटी की तड़प को उसके चरम पर लाना था.

मैं उनकी छूट को खोल कर अंदर की लाल दीवारों को चाटने लगा. वो ज़्यादा एग्ज़ाइट होती, तब मैं वहाँ से जीभ हटा कर सिर्फ़ जीभ का उपरी हिस्सा टच करता. जिससे उनकी बॉडी में करेंट दौड़ रहा था. मैं लगातार ऐसे टॉर्चर करने लगा. जब उनसे रहा नही गया, तब उन्होने मेरे मूह को उनकी छूट पर दबा दिया.

वनिता आंटी: ह्म, ओइइ, आह अभी तुम ना बहुत माँझे हुए खिलाड़ी हो. तेरे साथ कुछ नया फील कर रही हू. ऐसा मज़ा तो आज तक किसी के साथ नही आया.

मैं अब एक अछा कुत्ता बन कर उनकी छूट को चाटने लगा. मैं बीच-बीच में उनकी जांघों पर बीते करता. मैने उनकी छूट के आस-पास के हिस्सो में लोवे बीते के निशान बना दिए, और मुझे पता था की गर्मी के सीज़न में उनको वो चुभने वाले थे.

फिर मैं अपनी दो उंगली डाल कर उनकी छूट की टाइटनेस चेक कर रहा था. वनिता आंटी की चुदाई कम हो रही थी ऐसा लग रहा था, पर उनमे मम्मी वाली आग नही थी.

मैं अब खड़ा हुआ, और वनिता आंटी ने मेरा लंड चूसा. उसके बाद मैने चॉक्लेट फ्लेवर कॉंडम पहना. वनिता आंटी ने 2-3 मिनिट फ्लेवर का मज़ा भी लूटा. मैने उनकी छूट पर बहुत सारा थूक लगाया, और लंड अंदर उतार दिया. पहले तो उनका चेहरा दर्द से उभर रहा था. लेकिन जैसे-जैसे मेरे धक्के लगने लगे, उनके चेहरे पर खुशी की लेहायर उठने लगी.

वो मुझे देख कर अब स्माइल देने लगी, और मैं भी ऐसे ही मुस्कुरा कर उनको छोड़ने लगा. हम दोनो बीच-बीच में किस कर रहे थे. वनिता आंटी मेरे से कंफर्टब्ली छुड़वा रही थी.

अब मैं मेरी खराब किस्मत समझू, या फिर मेरी लाइफ में होने वाला एक नया एक्सपीरियेन्स. कुछ टेक्निकल प्राब्लम से होटेल में बिजली चली गयी. रूम का एसी बंद हो गया. धीरे-धीरे रूम का टेंपरेचर हाइ होने वाला था. मेरा और वनिता आंटी का टेंपरेचर तो चुदाई की आग में वैसे भी हाइ था. हम दोनो की बॉडी धीरे-धीरे पसीना छ्चोढ़ रही थी.

पहले तो मेरे माथे पर पसीना आया. मैने देखा तो वनिता आंटी के माता पसीने से गीला हो रहा था. उनके अप्पर लिप्स पर पसीने की बूंदे बन रही थी. वो सावली थी, और उपर से पसीने से भीगा उनका जिस्म उनको और सेडक्टिव बना रहा था.

हम दोनो के पेट पसीने की वजह से आपस में चिपक रहे थे. और वहाँ से छाप छाप वाला साउंड आने लगा. वेल्क्रो वाली फीलिंग आने लगी थी जब हमारे पेट एक-दूसरे से चिपक कर अलग हो रहे थे.

अब हाल ऐसा था की मेरे माथे से पसीना निकल कर उनके बूब्स पर गिर रहा था. मैं अब बेड पर सो गया, और वनिता आंटी को मेरे लंड पर बिता दिया. वनिता आंटी का बॉडी वेट मम्मी से ज़्यादा था, और दोनो पसीने से लथपथ हो गये थे, तो उनसे बॅलेन्स नही बन रहा था.

मैने उनके हाथ पकड़ लिए, और उनको उपर-नीचे होने में हेल्प कर रहा था. मैं समझ गया था की वनिता आंटी पहले मोटी थी, तो वो कभी ऐसे बैठ कर अपनी चुदाई नही करवाई होंगी. कुछ मिनिट में मेरा हाथ दर्द करने लगा, तो मैने उनको नीचे उतार दिया. ये बिजली चले जाने से मेरा मूड खराब हो गया था.

साला इतने दीनो के बाद छोड़ने मिल रहा था, और उपर से वनिता आंटी से ये मेरा पहली बार था.

मैने वनिता आंटी की तरफ देखा, तो वो मुझे स्माइल के साथ देख रही थी. वो खुद समझ रही थी की हम दोनो गर्मी से परेशन हो रहे थे. मुझे उनके फेस पर मेरे से एक उम्मीद नज़र आ रही थी. मैने अब गर्मी को इग्नोर करके उसको एंजाय करना शुरू कर दिया.

मैं वनिता आंटी से लिपट गया, हम दोनो का जिस्म ग्लू की तरह चिपक गया था. मैं उनके अप्पर लिप्स पर बनी पसीने की बूँदो की परवाह किए बिना उनके लिप्स पर किस करने लगा. मुझे तोड़ा खारापन महसूस हो रहा था. लेकिन हम दोनो सिचुयेशन से ज़्यादा हमारी कंपनी एंजाय कर रहे थे.

पूरा रूम हमारे पसीने की गंध से महक रहा था. ये सब चीज़ हम दोनो को और एक्शिटे कर रही थी. हम दोनो खड़े हुए, और मैं उनके पीछे जेया कर उनको डॉगी स्टाइल में छोड़ने लगा. दोनो के जिस्म से गिरने वाली पसीने की बूंदे अब फ्लोर पर गिर रही थी. हम दोनो को ऐसा लग रहा था की हम जिम में कार्दीओ कर रहे थे.

हमारी चुदाई गर्मी को भूल कर चरम पर आ गयी थी. तब बिजली आ गयी, और रूम का एसी स्टार्ट हो गया. दोस्तों इतने पसीने से भीगने के बाद एसी की हवा ह्यूम जन्नत फील करवा रही थी. मैने अब कॉंडम निकाल कर वनिता आंटी के मूह में लंड दिया, और उन्होने मुझे बहुत अछा ब्लोवजोब दिया. उसके बाद वो मेरा स्पर्म चाट गयी.

चुदाई के दौरान हम दोनो ने कुछ बात नही किया थी. हम दोनो नंगे बातरूम में गये, और मैने शवर चालू किया. तब उसमे भी गरम पानी आने लगा.

मैं: आज किस्मत ही खराब है, गर्मी से मॅर रहे है. देखो यहाँ भी गरम पानी आ रहा है.

वनिता आंटी (मेरे पास आ कर मेरे लिप्स पर किस करके): किस्मत खराब होती तो हम दोनो यहाँ नही मिलते.

उसके बाद शवर में मस्त ठंडा पानी आने लगा. मैं वनिता आंटी को स्मूच करते हुए ठंडे पानी का मज़ा लेने लगा. पानी में भीगने से वनिता आंटी के निपल खड़े हो गये. मैने उनके जिस्म को आचे से चूसा और छाता. वहाँ बातरूम में हमने एक और रौंद चुदाई करी. उसके बाद वो उनके घर चली गयी, और मैं ऑफीस चला गया.

नेक्स्ट दे मैने देखा की वनिता आंटी से सेक्स के दौरान मैने जो गले पर निशान बनवाए थे, वो सब डार्क हो गये थे. मैं जिम से घर आया, तब मम्मी मेरे रूम में झाड़ू लगा रही थी. मैने अपना त-शर्ट निकली, तब मम्मी को मेरे गले और चेस्ट पर बने लोवे बीते के निशान दिख गये.

मम्मी झाड़ू लगते हुए मेरे करीब आई और उन्होने वो निशान ध्यान से देखे. मैने ऐसा रिक्ट कर रहा था की मैं जानता नही हू की वो मुझे देख रही थी.

मैं शवर लेकर ब्रेकफास्ट करने किचन में गया, तब मैने देखा की मम्मी का मूह उतरा हुआ था. वो समझ गयी थी की मैं किसी और से मज़े करके आया था. पिछले कुछ दीनो से मैने उनकी तरफ देखना भी बंद कर दिया था. मम्मी को मेरी तरफ से किसी प्रकार का अटेन्षन नही मिल रहा था. इस बात से वो फ्रस्टरेटेड हो रही थी.

मम्मी के माइंड में अब ये चल रहा था की मेरा किसी के साथ चक्कर चल रहा था. लेकिन उनको ये नही पता था की उनकी सहेली अब उनके बेटे के साथ चुड चुकी थी.

यहाँ मैने वनिता आंटी से मेरा रिश्ता स्ट्रॉंग कर दिया था. वनिता आंटी अब मेरे से सारी बातें शेर करने लगी. मेरा और मम्मी का होटेल फिक्स हो गया था. वो वहाँ अंकित के साथ जाती और मैं वनिता आंटी को लेकर जाता. और मैने फिर पता कर लिया की मुझे और मम्मी को सेम रूम प्रवाइड किया जाता था.

मेरी ये सोच कर एग्ज़ाइट्मेंट बढ़ जाती थी, की जिस बिस्तर पर मैं वनिता आंटी को छोड़ रहा था, उसी बिस्तर पर मेरी मम्मी किसी और से चुड्ती थी.

लेकिन मुझे इस बात का यकीन था की मम्मी कभी भी एक लंड से संतुष्ट नही होंगी. अंकित से एक ना एक दिन बोर होने वाली थी. और मैने जैसा सोचा वैसा ही हुआ. मम्मी का अब अंकित पर इंटेरेस्ट कम हो गया. मैं मम्मी की छत और कॉल मॉनिटर करके समझ रहा था की अब मम्मी अंकित पर दबाव बना रही थी की वो उसकी डटे तरुण से फिक्स करे.

अंकित हमेशा मम्मी को बेबी, जानू, लोवे योउ करके मानने की कोशिश कर रहा था. पर जो औरत अपने बेटे की नही हुई, वो किसी और की कैसे होने वाली थी? अंकित की चाल बहुत दिन नही चली, और मम्मी ने उससे बात करना कम कर दिया.

मैने भी वनिता आंटी पर मेरा कंट्रोल जमा दिया था. वो मुझे सेक्सी ब्रा-पनटी और निघट्य में अपनी फोटोस शेर कर रही थी. कभी-कभी वो न्यूड्स भेजती. मैं सेफ्टी के लिए वो सब स्टोर करने लगा. मम्मी से बदला लेने के चक्कर में मैने उनको बहुत मज़े दिए. मैने उनको मसाज दिया, उनकी गांद की चुदाई की.

कभी कभी हम सेक्स में इतने वाइल्ड होते की मैं उनको रंडी, च्चिनाल, वैश्या, कुटिया जैसे वर्ड्स बोलता. वो भी एंजाय करती और मुझे हमेशा ये कहती की मेरा उनको ऐसे डॉमिनेट करके छोड़ना अछा लगता था. मैं कभी-कभी कॉल पर उनको गंदी गालियाँ सुनता. उन पर ऐसे गुस्सा करता की वो सच में मेरी रंडी हो. और वो हमेशा कहती की मैं तुम्हारी रंडी हू.

मैं बाद में उनको मेरे बिहेवियर की वजह से सॉरी बोलता. मुझे पसंद नही है किसी औरत की इन्सल्ट करना. मम्मी का गुस्सा कहीं ना कहीं वनिता आंटी पर उतार रहा था. लेकिन उनकी हरकत भी ऐसी थी की मैं ना चाहते हुए उन पर गुस्सा करने, और गाली बोलने पर मजबूर हो जाता.

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