थोड़ा थूक लगाया और लन्ड ‘आअ.. आह..’ की आवाज के साथ अन्दर घुस गया।
उसकी तेज चीख ‘न्न्नहीं..’ की आवाज के साथ चूत से खून बाहर निकल पड़ा।
मैं थोड़ा रुका.. फिर डाल दिया और फिर रुका।
कुछ देर सटासट अन्दर-बाहर किया.. चिकनाई हो गई, तो पोजीशन बदली और ‘वीमेन ऑन टॉप’ की स्थिति में हो गए।
वो ऊपर से गांड उछाल कर लंड ले रही थी और 13 साल बाद इस इमारत में फिर से भूकंप आने को था।
वर्षों से बंद पड़ी आकाशवाणी में फिर से चुदाई कार्यक्रम चल रहा था और ‘फ्च.. फ़चफ्च..’ का संगीत गूँज रहा था। लिरिक नव्या के थे और संगीत की थाप मेरी थी।
कुछ मिनट बाद हम दोनों फिर से झड़ गए। चुदाई के बाद मैंने उसको मेरी जुराबें दीं.. क्योंकि उसकी चूत पर खून के छींटे लगे हुए थे।
सफाई के बाद कपड़े पहने और घर को रवाना हो चले।
रास्ते में मैंने उसको मजाक में बोल दिया- नव्या.. तुम्हारा पता नहीं.. पर मेरे तो आ गए अच्छे दिन!
नव्या नाराज हो गई।
फिर ना कोई मैसेज न कोई टोन.. ना कोई मिसकॉल.. न कोई फोन।
तीन महीने बाद एग्जाम, फिजिकल और मेडिकल में पास हो जाने पर उसने बोला- युग.. सच्ची यार अच्छे दिन आ गए।
आपकी मेल के इन्तजार में आपका युग।