पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की कैसे आयुष ने मेरी दीदी को टास्क दिया था, और वो कैसे पूरा करती है. अब आयेज-
डेलिवरी बॉय के जाने के बाद जो खाना ऑर्डर किए थे, वो खाने लगते है. खाते हुए ही आयुष दीदी को कभी किस कर रहा था, तो कभी बूब्स दबा रहा था. ताकि दीदी इतनी देर में जो ठंडी हुई थी, फिरसे जोश में आ जाए.
अब टाइम भी बहुत हो गया था, और वापस घर भी जाना था. तो जल्दी से खा करके चुदाई के लिए दीदी को आयुष और उसका दोस्त आचे से मसालने और दबाने लगते है. अब दीदी फिर धीरे-धीरे जोश में आने लगती है. आयुष ने अपना लंड निकाला और दीदी को चाटने और चूसने को बोला.
आयुष: इसको चूस साली रॅंड, और खड़ा कर दे चूस करके.
दीदी घोड़ी बन जाती है बेड पे ही, और आयुष का लंड मूह में ले करके चूसने लगती है. अब दीदी की गांद और छूट पीछे से पुर खुली हुई थी, जैसे आमंत्रित कर रही हो किसी को अपनी तरफ.
यही मौका देख करके आयुष का दोस्त पीछे गया, और बेड पे उल्टा लेट करके दीदी की छूट में अपना मूह लगा दिया. दीदी जैसे पागल हो गयी, आयुष के दोस्त का मूह छूट पे ले करके, और धीरे-धीरे हिलने लगी, और मज़ा करने लगी.
तीनो जोश में आ गये थे. आयुष अब दीदी का मूह पकड़ के ज़ोर-ज़ोर से मूह को ही छोड़ने लगा था. और उसका दोस्त भी छूट और गांद चाट-चाट के लाल कर दिया था. अब आयुष का लंड एक-दूं खड़ा था. बस उसे छूट में जाने का रास्ता चाहिए था. तो उसके अपने दोस्त को इशारा किया.
अब आयुष दीदी को घोड़ी बना कर के उसके पीछे गया, और उसकी छूट पे अपना लंड रख के छूट सहलाने लगा. आयुष का दोस्त अब आयेज आ गया था. उसका आयुष से भी बड़ा लंड दीदी के सामने था. दीदी फिरसे आयुष के दोस्त की आँखों में देखी, जैसे कुछ पूच रही हो.
आयुष का दोस्त आयेज की तरफ बढ़ा और लंड मूह के पास ले गया. दीदी भी अब बिना कुछ सोचे लंड को मूह में ली, और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी. अब आयुष का दोस्त भी धक्के देना शुरू कर दिया था. आयुष पीछे से छूट छोड़ रहा था, और उसका दोस्त आयेज से मूह छोड़ रहा था.
दोनो में से जब एक आयेज से धक्का मार रहा था, तो दीदी पीछे जाती, और लंड घाप से छूट में पूरा समा जाता. फिर पीछे से धक्का मारता तो आयेज आते ही मूह में लंड पूरा घुस जाता. दीदी को भी ऐसी चुदाई करवा के बहुत मज़ा आ रहा था.
अब आयुष का आने वाला था, तो वो और थोड़ी देर रोकने को सोचा, और इसलिए छूट से लंड बाहर निकाल लिया. अब आयुष का दोस्त पीछे गया, और छूट में अपना लंड डाल करके चुदाई करने लगा.
आयुष का दोस्त तो बेरहमी से छोड़े जेया रहा था. वो लगातार चुदाई करता गया, और आयुष की तरह रुक नही रहा था. दीदी का हालत खराब थी. लगातार इतने ज़ोर से धक्के सहन करना वो भी इतनी देर तक. दीदी घोड़ी बनी थी, लेकिन ज़ोर से धक्को के चलते बेड पे ही गिर गयी. लेकिन आयुष का दोस्त अभी भी छूट से लंड नही निकाला था, और लगातार वैसे ही बेड पे दबा के छोड़ता रहा.
अब दीदी झटपटा रही थी. तोड़ा आराम चाह रही थी. लेकिन आयुष का दोस्त दीदी को पूरी तरह से बेड पे पटक के दबा दिया था. ताकि साली हिल भी ना सके, और चुदाई करता जेया रहा था. इतनी भयंकर चुदाई देख करके आयुष भी पागल हो गया, और वो जल्दी से आया, और अपना लंड दीदी के मूह में घुसा दिया.
अब वो भी बिना परवाह किए मूह को छोड़ने लगा बेरेहमी से. अब दीदी चिल्ला भी नही सकती थी, और हिल भी नही पा रही थी. दोनो तरफ से उसको आयुष और उसका दोस्त दबाए हुए थे, और छोड़े जेया रहे थे. इतनी ताबड़तोड़ चुदाई के बाद दीदी 4 बार झाड़ चुकी थी. लेकिन आयुष का दोस्त रुकने का नाम नही ले रहा था.
आज दीदी की छूट की खुजली लग रहा था की मिटा के ही छ्चोढेगा. दीदी के 4 बार झड़ने के बाद तब जेया करके आयुष और उसका दोस्त एक साथ झाड़ गये. आयुष दीदी के मूह को छोड़ते हुए मूह में झाड़ गया. और उसका दोस्त छूट में. फिर उसका दोस्त दीदी के उपर ही गिर गया.
दीदी के शरीर में अब इतनी भी जान नही बची थी. वो बेड से उठी ही नही. फिर आयुष का दोस्त उठा, और आयुष दीदी को उठाया. उसकी हालत खराब थी. गांद और चुचि लाल पड़े हुए थे. तोड़ा उसको पानी पिलाया, और फिर थोड़ी देर आराम करने के बाद दीदी तोड़ा होश में आई.
इतनी ख़तरनाक चुदाई आज पहली बार देखी थी. कैसे मर्द एक औरत को रग़ाद देता है, अगर उस टाइप का मर्द मिल जाए तो.
फिर थोड़ी देर के बाद दीदी रिलॅक्स हो गयी क्यूंकी उसकी ये पहली चुदाई तो थी नही. वो चुदाई की एक्सपर्ट तो थी, लेकिन ऐसी चुदाई उसकी पहली बार आज हुई थी.
इसलिए उसको नॉर्मल होने में ज़्यादा देर नही लगी. फिर फेस धो करके, बाल वग़ैरा सही करके वो कपड़े पहनी, और आयुष और उसके दोस्त के साथ निकल गयी होटेल से. अब आयुष ब्रजेश के रूम पे ले करके गया. वाहा देखा तो रानी और ब्रजेश दोनो बातें कर रहे थे. यानी उनकी चुदाई कंप्लीट हो गयी थी, और वो दीदी के आने का ही वेट कर रहे थे.
आयुष: क्या ब्रजेश भाई. कुछ छ्चोढा या नही?
ब्रजेश: सेयेल तू उसका हाल देख सुष्मिता का. क्या बना के लाया है, और मेरे से पूच रहा है कुछ छ्चोढा या नही.
और सभी हासणे लगे. फिर वो दीदी और रानी को बस स्टेशन तक ले गये और उसके गाओं की बस पे बिता दिए, और सब एक-दूसरे को बाइ बोल कर के विदा किया.
आपको ये कहानी कैसी लग रही है, आप अपना ओपीनियन ज़रूर देना. मेरे से बात करने के लिए मेरी ई’द
इस्पे आप मेसेज कर सकते है. और अगर कुछ शेर करना है तो कर सकते है. तब तक के लिए धन्यवाद.