असली सुहागरात दूसरे से मनाई

हैलो..दोस्तो मेरा नाम डॉली है.. यह बात तब की है जब मेरी शादी को हुए 2 महीने हुए थे। मेरे पति लौडान में काम करते थे। मेरी सुहागरात के दिन वो सब नहीं हुआ.. जो मुझे मेरी सहेलियों ने बताया था। या यह कहो कि बस मैं कुंवारी ही रह गई.. मेरे पति मुझे चोदने से पहले ही गिर गए और सो गए।
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शादी के बाद वो 15 दिन ही मेरे साथ रहे.. उसके बाद वो मलेशिया चले गए, बोले- जल्दी ही मेरा वीसा बनवा कर मुझे ले जायेंगे।

शादी के बाद मैं मायके आ गई। मैं घर पर बैठी-बैठी बोर हो जाती थी… तो अपनी दोस्त ललिता के वहाँ चली जाती थी या ससुराल चली जाती थी।

एक दिन और मेरी सहेली ललिता कैफ़े में बैठे थे.. तो उसके भाई का दोस्त भी वहाँ आ गया।
उसका नाम राज था.. वो देखने में बहुत ही स्मार्ट था, मैं उसको देखती ही रह गई।

ललिता ने उससे मेरा परिचय करवाया।
हम दोनों एक-दूसरे को देखते ही रह गए यह बात ललिता ने नोट कर ली।
वो जैसे मेरे मन को भा गया।
मैं जब भी ललिता के घर जाती वो मुझे वहाँ मिल ही जाता था.. उसको देख कर मेरे चेहरे पर एक मुस्कान सी आ जाती थी।
यह बात ललिता समझ रही थी।

एक दिन उसने मुझसे कहा- राज तुझसे दोस्ती करना चाहता है।
मैंने तुरंत हामी भर दी.. ललिता ने मेरा जबाव उस तक पहुँचा दिया।

दूसरे दिन जब हम दोनों कैफ़े में बैठे थे.. तो ललिता ने राज को फोन करके बुला लिया।

जैसे ही राज आया तो ललिता मुझसे बोली- यार मुझे जाना है.. तू राज से बात कर.. मैं अभी 1 घंटे में आती हूँ।
ऐसा कह कर वो चली गई..

हम लोगों ने एक-दूसरे से बात की.. उसके बाद उसने मेरा फ़ोन नंबर ले लिया और वो चला गया।
हमारी फ़ोन पर बात शुरू हो गई.. धीरे-धीरे मैं उसकी तरफ खिंचने लगी। ललिता भी मुझे उसका नाम ले कर छेड़ने लगी थी।
लगभग दस-बारह दिनों में ही हम एक-दूसरे के करीब आ गए थे।

एक दिन मैं और ललिता कैफ़े के केबिन में थे.. जो कि एक प्राइवेट केबिन जैसा था.. जहाँ कोई आता नहीं था। वहाँ राज आ गया। ललिता ने उसको मेरे पास बैठा दिया और बोली- राज जब से तुम इसको मिले हो.. तब से यह बहुत खुश रहती है। मैं इसको ऐसे ही खुश देखना चाहती हूँ।

उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और बोला- आप फिकर मत करो। मैं इसको ऐसे ही खुश रखूँगा..
फिर ललिता बोली- तुम लोग बात करो.. मैं जाती हूँ।
जैसे ही वो गई.. उसने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे होंठों को हल्के से चूम लिया।
मैं कुछ कहती.. इतने मैं तो उसने मेरा हाथ में अपने लौडा पर से छुआ दिया..

मैं हैरान रह गई और वहाँ से चली गई लेकिन मेरे आँखों के सामने उसका चेहरा घूमने लगा।
लेकिन तभी मुझे मेरे पति की याद आ गई.. मैं उनसे धोखा नहीं करना चाहती थी।

फिर राज ने मुझे फ़ोन किया.. उसका नंबर देखते ही मुझे फिर से पता नहीं क्या हो गया।
मैंने फोन उठाया तो उसने सीधा बोला- आई लव यू..
मेरे मुँह से भी निकल गया- आई लव यू टू..
फिर तो वो बहुत खुश हो गया और मेरी तारीफ़ करने लगा कि मेरा साइज़ बहुत मस्त है.. मेरे मम्मे बहुत मस्त हैं।
मेरा साईज उस समय 34-28-36 का था।

उसने मुझसे कहा- तुम मुझे किस करो।
मैंने मना कर दिया तो बोला- अरे फोन पर तो चुम्मा दे दो।
मैंने उसको ‘पुच्च…’ की आवाज निकाल कर किस दे दिया..
उसके बाद से हम रोज सेक्स पर भी बात करने लगे।

मैं अन्दर से सुलगने लगी.. लेकिन अपने पति के बारे में सोच कर आगे नहीं बढ़ रही थी। वो कई बार मुझसे रात को मिलने की जिद करता था। मेरा भी खूब मन करता था.. पर मैं मना कर देती थी, मैं अपने पति को धोखा नहीं देना चाहती थी।

इस बात के बारे में ललिता को मैंने बता दिया तो उसने कहा- जो तेरी इच्छा हो वो तू कर।

हम लोग मिलते थे.. तो वो मुझे किस भी करता था और सेक्स की मांग करता था.. बात यह थी कि मैं रात को बाहर नहीं जा सकती थी इसलिए वो संभव नहीं था।

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मेरी शादी को लगभग दो महीने होने वाले थे.. तभी ललिता ने बताया कि उसकी बहन और उसके भाई की शादी फिक्स हो गई और उसने मेरे घरवालों से बात कर ली कि मैं 7 दिन के लिए उसके वहाँ रहूँगी।

इस बात के बारे में मैंने राज को बताया तो वो बहुत खुश हुआ। ललिता की बहन की शादी से एक दिन पहले महिला संगीत को उसने मुझे मना लिया कि मैं उसके साथ रात को खाने पर उसके घर आऊँ।

मैं तैयार हो गई.. क्योंकि घर पर उसका परिवार होगा.. महिला संगीत रात को 8 से 11 बजे तक था। उसके बाद मेहंदी और बाकी की रस्में थीं..

मैंने काली साड़ी पहनी.. इसमें में बहुत ही मस्त लग रही थी।
मैंने ललिता को बताया- मैं राज के साथ उसके घर जा रही हूँ.. डिनर पर.. दस बजे तक आ जाऊँगी।
तो वो बोली- जानेमन मत जा.. वरना तू सुबह तक भी नहीं आ पाएगी।
मैंने पूछा- क्यों?
तो वो बोली- आज वो तेरे साथ सुहागरात मनाने वाला है.. आज वो तुझे रात भर जम कर चोदेगा.. आज रात वो अपनी इच्छा पूरी करके ही रहेगा।
मैंने कहा- नहीं यार.. उसके घर पर उसका पूरा परिवार है.. ऐसा कुछ नहीं होगा।

तो ललिता बोली- मेरी जान उसका परिवार तो अभी यहाँ आने वाला है.. और 4 दिन तक यहीं रहेगा और वैसे भी तू आज बहुत सुंदर लग रही है.. वो आज तुझे नहीं छोड़ेगा।
मैंने कहा- वैसे तो ऐसा होगा नहीं.. फिर भी अगर हो ही गया.. तो फिर हो जाने दे.. देखा जाएगा।
तो ललिता बोली- ठीक है मेरी जान.. मतलब यह कि आज तेरा पूरा मन हो गया है कि आज तो अपना सब कुछ उसको देकर ही रहेगी..
मैं बोली- यार बेचारे को बहुत तरसा दिया है.. अब आज मौका मिला है तो कर लेने दो.. उसकी मुराद पूरी..

मैंने मजाक करते हुए कहा तो ललिता बोली- फिर जा.. तेरी मर्जी.. अपना ख़याल रखना।

मैं वहाँ से निकल पड़ी.. राज की गाड़ी में जैसे ही बैठी.. तो राज बोला- आज तो तुम क़यामत लग रही हो.. बहुत ही खूबसूरत।
मैं मुस्कुरा दी।

हम दोनों उसके घर पहुँचे.. सबने खाना खाया और उसके परिवार वाले ललिता के घर को जाने लगे।
तो राज बोला- अम्मी मैं डॉली को लेकर आ जाऊँगा.. आप गाड़ी भेज देना।

वो लोग चले गए और घर पर सिर्फ मैं और राज रह गए थे।
मुझे लगने लगा कि ललिता सही कह रही थी.. मन तो मेरा भी बहकने को था.. पर अपने पति का ख़याल मुझे बहकने नहीं दे रहा था।

राज मुझे अपने कमरे में ले गया कमरे में अँधेरा था.. जैसे ही उसने लाइट जलाई.. तो पूरा कमरा फूलों से सजा हुआ था.. जैसे सुहागरात की सेज सजी हो।
मैंने पूछा- राज.. यह क्या है?
तो वो बोला- डार्लिंग आज हमारी सुहागरात है।

ललिता ने सही कहा था। मेरा मन भी मुझे अब धोखा देने लगा था। मैं कुछ कहती.. उससे पहले राज ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मुझे चूमने लगा।

मेरे नाजुक से ठोस मम्मे दबाने लगा.. मैं गर्म होने लगी थी और मेरा मन भी फिसलने लगा.. लेकिन मैंने खुद को संभाला और राज को मना किया- मैं यह नहीं करूँगी।

राज मुझे समझाने लगा.. पर मैं नहीं मानी.. तो उसने कहा- ठीक है.. हम चुदाई नहीं करेंगे.. जब तुम कहोगी.. तभी करेंगे.. पर आज बहुत दिनों के बाद मौका मिला है.. थोड़ा प्यार तो करने दो। आज अपनी इन मस्त-मस्त चूचियों के दीदार तो करा दो। मैं वादा करता हूँ कि जब तक तुम नहीं कहोगी.. मैं तुमको चोदने की कोशिश भी नहीं करूँगा। बस एक बार अपने सन्तरे तो दिखा दो।

मैं उसकी बातों में आ गई और मैंने अपना ब्लाउज और ब्रा उतार दिया। ब्रा उतारते ही मैंने अपनी मम्मे हाथ से ढक लीं।
राज बोला- अब पूरे दीदार करवा दो यार..
तो मैंने अपने हाथ हटा लिए.. राज उनको देखता रह गया और उसने उनको छूने के इजाजत मांगी। मैंने मना किया.. पर वो नहीं माना और उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरी मम्मे मसलने लगा।

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पहली बार कोई अजनबी मेरे नंगे बदन को इस तरह से मसल रहा था। जैसे ही उसने मुझे छुआ.. मेरी ‘आह..’ निकल गई। बस उसने भांप लिया और वो धीरे-धीरे मेरी मम्मे दबाने लगा।

अब तो मैं मदहोश होने लगी.. वो मेरे बदन के साथ चिपक गया और मुझे चूमते हुए.. मेरे मम्मे दबाते हुए.. उसने धीरे से उसने मेरे पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया।
मुझे तब पता चला जब मेरी साड़ी नीचे सरक गई। फिर उसने मुझे सँभलने नहीं दिया। उसने मेरे कान के नीचे से चूमते हुए मुझे उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे चूचों को चूसने लगा और दबाने लगा।

मैं अपने होश खोने लगी थी.. मेरी ‘आहें..’ निकलने लगी थीं.. मेरी चुनमुनियाँ से पानी निकलने लगा था। मैं अब पूरी तरह से उसके बस में थी।
तभी उसने अपना हाथ मेरी पैन्टी के अन्दर डाल दिया और मेरी चुनमुनियाँ को सहलाने लगा।

मेरी चुनमुनियाँ पर उसका हाथ लगते ही मैंने अपने होश पूरे खो दिए, मैं भूल गई कि मैं शादीशुदा हूँ और मैंने राज को अपनी बांहों में भर लिया और उसको बोली- प्लीज..ज..ज… राज अब मत तड़पाओ न.. कुछ करो ना..
वो बोला- क्या करूँ?
मैंने कहा- चोदो मुझे..
वो बोला- मुझे अपनी चुनमुनियाँ के दीदार तो करवाओ..
मैंने कहा- अँधेरा करो.. मुझे शर्म आ रही है।

उसने लाइट बंद की और अपने कपड़े उतार कर मेरे पास आ गया। उसने मेरी पैन्टी उतारी और उतारते ही नाईट लैंप जला दिया।
मैंने अपना मुँह छुपा लिया.. जैसे ही मैंने मुँह छुपाया.. उसने अपना लौडा मेरे हाथ में दे दिया। उसका लौडा देख कर मैं डर गई.. 6 से 7 इंच लंबा और बहुत मोटा था।
मैंने उसको बोला- राज यह तो बहुत मोटा है.. अन्दर कैसे जाएगा?
तो वो बोला- मेरी जान यह अन्दर भी जाएगा और तुमको जन्नत की सैर करवा कर आएगा..

फिर उसने मेरी चुनमुनियाँ पर अपनी जीभ रख दी.. मैं तड़प उठी, वो मेरी चुनमुनियाँ चाटने लगा, मैं ‘आहें..’ भरने लगी।
थोड़ी देर में मैं तड़पने लगी और बोली- राज.. प्लीज.. मत करो ऐसा.. अब चोद भी दो..

राज बोला- जानेमन इतनी शानदार चुनमुनियाँ.. तू तो एकदम फ्रेश माल है.. बेवकूफ़ है तेरा पति.. जो इतना मस्त माल छोड़ कर लौडान चला गया। मेरी जान तुमको थोड़ा दर्द होगा.. लेकिन फिर मजा खूब आएगा। अब तुम तैयार हो जाओ।

फिर उसने अपने लौडा में तेल लगाया और मेरी चुनमुनियाँ में धीरे से अपने लौडा को रखते हुए एक जोर से झटका दिया।
उसका आधा लौडा मेरी चुनमुनियाँ में घुस गया।
मैं जोर से चिल्ला उठी।

मैंने राज को धकेलने का प्रयास किया.. पर वो मुझसे वजन में इतना भारी था कि मैं उसको हिला भी नहीं पाई और छटपटा कर रह गई।
मैंने उससे विनती की- मुझे छोड़ दे..

पर वो नहीं माना और मुझे चूमने लगा और मेरे निप्पलों को चूसने लगा। करीब 5-10 मिनट के बाद उसने धीरे-धीरे अपने लौड़े को मेरी चुनमुनियाँ में अन्दर-बाहर करना शुरू किया।
फिर मुझे आनन्द की अनुभूति होने लगी और मैं भी उसको सहयोग देने लगी।

फिर तो मेरी आवाजें पूरे कमरे में गूंजने लगीं। लगभग 10 मिनट तक हमारी चुदाई चली। उसके बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए।
मैं उसकी बांहों में ही थोड़ी देर लेटी रही..
हमने टाइम देखा तो 10 बज रहे थे.. तभी ललिता का फ़ोन आ गया- हैलो.. डॉली.. तू कहाँ हैं? इधर कब पहुँच रही है?

‘यार ललिता.. राज के साथ हूँ.. मुझे बहुत नींद आ रही है.. अब कल सुबह ही आऊँगी..’
‘कहीं राज ने तुझे खा तो नहीं लिया.. माल बन कर गई थी न.. उसके घर..’
‘हाँ यार.. खा लिया उसने..’
‘मैंने तुझसे कहा ही था कि ऐसा होगा.. पर तुम नहीं मानी.. अब तो तुम सुबह ही आ पाओगी..’
‘हाँ..’
‘ओके.. खूब मस्ती करो.. बाय… गुड नाईट..’

फोन रखते ही राज ने मुझसे बोला- वास्तव में.. तुम बहुत मस्त चीज हो.. आज मैं तुमको रात भर सोने नहीं दूँगा।
फिर हम दोनों ने रात भर चुदाई की.. रात भर में उसने मुझे कई बार चोदा।



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