सोनिया की चुदाई की कहानी – 2

मुझे उसके नशीले होंठों कामुक्त निप्पलों़़ सैक्सी नाभी मीठी योर्नी सब का स्वाद पता था। मुझे उसकी पीठ़़ उसके नितम्बों उसके हाथ मेरे ट्टटों पर और मेरा लण्ड पर उसकी कोमल चूत की पकड़। सब का र्स्पश पता था। उसकी सिस्कियां जो संगीत की तरह थी उन पर नाचना आता था। ओह कितना उतेजित करने वाला मेरे लण्ड को चूसना उसकी ज़ुबान का मेरे लण्ड के टोपे पर झूमना उसके मूंह की नर्मी जो मेरे लण्ड को और भी उतेजित कर रही थी कि मैं आपे से बाहर हो कर अपने वीर्य की वर्षा उसके स्तनों हाथाे़ं बांहों योनि पर करने से रुक नहीं पाया। इन सब चीज़ों का ज्ञान मुझे उन पलों में आया जब सोनिया और मैं कस कर आलिंगन कर रहे थे और कामुक्ता के बुखार में विर्सजित हो कर अपनी अन्दर की भावनाआ को प्रकट कर रहे थे। मैंने अपने हाथों को उसके नितम्बों से सरका कर उसके उभरे हुये स्तनों पर रख दिया।

हम अचनक अलग हुये और आंखे खोली। सोनिया ने मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे कार की लाइट में एक हिरण चौंकता है और सिर हिला कर बोली “हम ऐसे नहीं कर सकते”। मैंने बुझे स्वर में कहा “सोनिया हम तैय्यार हैं। हमें अब अगला कदम लेना है।” वोह चीखी “नहीं। हम चुदाई नहीं कर सकते। हमारे सम्बंध दफ्तर के काम के कारण हैं। हम इक्ठ्ठे काम करते हैं।” “ओह सोनिया। तुमने वही अनुभव किया जो मैंने अनुभव किया। मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं सोनिया बिलकुल वैसे ही जैसे तुम्हारी चूत मेरे लण्ड की प्यासी है।” मैं बहुत उतेजित था और मेरी सांस भी फूल रही थी। किसी तरह शब्द मेरे मूंह से निकले “मैं तुम्हारे कपड़े उतारूंगा और तुम मेरे। तुम मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेने को तत्पर हो। तुम मेरे बड़े लोड़े को अपने मूंह में ले कर इसका स्वाद लेने का इन्तज़ार नहीं कर सकती। मुझे पता है कि अभी जो चुम्मा लिया था वह चुदाई से कम नहीं था। हमने चुदाई तो कर ली है बस अब फिर से करनी है।” उसने सिर हिला कर कहा “नहीं।” “तुम मेरी जान हो और मैं तुम्हारा ग्ा़ुलाम।” वह चुपचाप मेरी तरफ देखती रहै।

“सोनिया”

मैं उसकी तरफ बढ़ा “यह हमारे बस में नहीं है। और कोई रास्ता भी नहीं है। मुझे तुम्हारी बहुत ज़रूरत है और तुम्हें मेरी। जब हम कर नहीं लेते तुम मेरे बारे में सोचती रहोगी। तुम करना चाहती हो।” मैं सोनिया को अपनी बांहों में लेने के लिये और उसका चुम्म लेने के लिये आगे बढ़ा “तुम्हें यह चहिये। तुम्हें दुनिया में इस पल इससे ज़्यादा और कुछ नहीं चाहिये।” वह झटक कर अचानक अलग हो गयी और कस के मेरे गाल पर एक थप्पड़ मारा। “नहीं” वह चिल्लाई। “मैं ऑफिस का तुम्हारा एक किस्सा नहीं बनना चाहती। मुझे तुम्हारा लौडा नहीं चाहिये।” अब वह गुस्से से लाल हो गई थी। “मुझे तुम्हारी कोई ज़रूरत नहीं है। एक दिन मेरा भी शौहर होगा जे मेरी चूत की चुदाई करेगा। मैं उसका इन्तज़ार कर सकती हूं। जब वोह चाहेगा मैं उसका लण्ड भी चूसूंगी। और तुम्हारी बीवी भी तो है। तुम एक अय्याश हरामज़ादे हो।”

मैं उसके गुस्से से दंग रह गया। क्या मैंने उसकी उतेजित अवस्था को गलत समझा था। क्या उसका पैंट के ऊपर से लण्ड का छूना उसकी मुस्कानाे़ं उसकी चुलबुलेपन को गलत पढ़ा था। क्या मैं इतना गया गुज़रा हूंऋ वह ऐसे झूठ क्यों बोल रही हैऋ क्या मैं पागल हो गया हूंऋ सोनिया कमरे में आगे पीछे घूमने लगी और वैसे ही जोर जोर से बोलने लगी ” और यह प्यार व्यार तकदीर सच्ची मोहब्बत। यह सब जो तुम कह रहे हो कहीं नहीं मिलते। मेरे पास प्यार है और मुझे यह किसी साथ में काम करने वाले से एक अशलील किस्से के रूप में नहीं चाहिये। मेरे से ऐसी बातें न करो।” मेरे दिल में तूफान चल रहा था। मेरा सिर चक्कर खा रहा था और मैं बाथरूम की तरफ भागा। लम्बी सांसे ले कर और मुॅह पर पानी फेंक कर मैंने अपनी दिल की तेज़ रफ्तार को कम किया। फिर मैं वपिस रूम में आ कर बैड पर लेट गया। एक टक छत को देखता रहा। मेरा दिमाग उबल रहा था। मैंने अपने दफ्तर का सबसे अच्छा दोस्त तो खो ही दिया था। और यदि वह इस बारे में हमारे मैनेजर से कह देती है तो शायद नौकरी भी। और बात अगर घर तक पहुंच जाती है तो शादी का भी क्या कहना। लगता है कि मैं पागल हो रहा हूं। मैंने अपना सर तकिये पर रखा और रोने वाला हो गया। मैंने अपने आप से कहा “अनिल इस बार तो अपनी चुदा ली है।” शायद मेरी आंख कुछ पलों के लिये लग गयी क्योंकि जब होश आया तो मेरी गालें गीली थीं। किसी ने पुकारा “अनिल”।

मैंने अपनी गालें पोंछी और बोला “क्या”।

“अनिल मेरी तरफ देख सकते हो”

मैंने सिर हिला कर नहीं का इशारा किया। मेरे कंधों पर हाथ रख कर बोली “आई एम सॉरी अनिल। मैंने सब गलत बोला था। मेरे पास मेरा कुंवारापन है और तुम्हारे पास तुम्हारी बीवी और”

“सॉरी” मैंने कहा।

“नहीं सॉरी तो मुझे कहना चाहिये। मैं तुमसे प्यार करना चाहती हूं। मैं तुमसे लिपटना चाहती हूं। तभी तो जब से मुलाकात हुयी है मैं तुम्हारे से फ्र्लट करती रही हूं। मैं तुम्हें इस लिये एक दोस्त की तरह खोना नहीं चाहती कि हम प्रेमी बन गये हैं।” “यह तो सबसे बड़ा झूठ है। प्रेमी दोस्त भी तो होते हैं” मैंने कहा। मैंने सिर घुमाया परन्तु अपनी नज़रें ज़मीन पर टिकाये रखीं। “अनिल मैं सच में सॉरी हूं” उसने कहा। “पर मैं इस से डरती हूं। तुम्हारा मनोभाव मुझे डराता है। मेरा तुम्हारे लिये मनोभाव भी मुझे डराता है। मेरा तुमसे प्यार करने का इतना मन कर रहा है कि मैं ख़ुद डर रही हूं। अनिल अगर तुम मेरे से प्यार करना चाहते हो तो मैं भी तैय्यार हूं। बस मुझे यह सिखाओ कि मैं इससे डरूं ना।” “क्या मैं तुम पर विश्वस कर सकता हूं” मैंने अपनी सुरक्षा के लिये कहा। “तुम भी मेरे जितने डरे हुये हो।”

सोनिया ने मेरे कंधे पकड़ कर मुझे कुरसी पर वापिस बिठाया और मेरे गाल पर चुम्मा लिया। फिर हल्के से मेरे कान में फुसफसाई “अनिल आई लव यू।” “आई लव यू सोनिया” मैंने कहा। हमने एक दूसरे को चूमना शुरू किया। यह चुम्मियां गहरी और देर की थी जबकि पहले की उतावलेपन की थी। यह मदभरी थीं जबकि पहले की कामनावस्त थीं। हमारी जीभें आपस में नाच रहीं थी। जैसे समुद्र के तट पर रेता ज्वार भाटे से खिसकती है। जैसे हवा में वृक्ष के पते लहराते हैं। सोनिया कुर्सी के पीछे से आगे आई और मेरी बांहों के सहारे मेरी गोद में बैठ गयी।

हमने अपनी सांसे खींची और फिर से चुम्मियां लेनी शुरू कर दीं होठों को चिपका कर। मैंने अपने जूतों को झटके से उतारा और उसकी एक सैंडल उतारी। मुझे दूसरी सैंडल गिरने की आवाज़ आई और एहसास किया कि सोनिया मेरी बैल्ट खींच रही है। वह मुस्कराई मेरी बैल्ट खोली और पेंट का उपर का बटन खोल दिया। मैंने उसकी पीठ पर हाथ ले जा कर एक हाथ से कमीज़ के हुक खोलने शुरू किये और दूसरे हाथ से उसके गोल गोल रसभरे मम्मों पर रख कर उन्हें परखने लगा। सोनिया ने अपना हाथ मेरी पैंट में घुसा कर मेरे लिंग को सहलाना शुरू कर दिया। उसकी हाथ की गर्मी से मेरा लन्ड तनना शुरू हो गया। “ऊॅह कितना बड़ा है” उसने कहा हैरानगी की एक्टिन्ग करके। अपना मूंह को गोल आकार का कर के अपने होंठों से चटकारे मार के वह मुस्कराई। ज़ुबान को अपने होंठों पर बड़े सैक्सी तरह से फेरा। मैंने अपने हाथ उसकी कमर पर रखे और आहिस्ता से उसकी कमीज़ को ब्रा में कसे मम्मों के उपर से खिस्काई। मैंने उसे अपने सीने से चिपका कर ब्रा के हुक खोले। ब्रा उतारने के लिये वह पीछे हुई और अपनी बांहों को उपर उठाया। ब्रा उसके उभरे मुलायम मम्मों पर अटकी हुयी थी।

“उतारो” उसने मुझे कहा। मैंने उसकी बांहों के उपर से स्ट्रैपों को खिसकाया और ब्रा साथ में उतर आई। उसके मम्मे बहुत सुन्दर भरे नर्म पर मज़बूत थे। मेरी आंखों के सामने सुन्दरतम गोले झूम रहे थे और उन गोलों पर प्यारे प्यारे निप्पल खड़े थे और निप्पलों के आस पास हल्के भूरे गुलाबी उभरे हुये स्तन परीवेश जैसे कि चूसने के लिये उतावले हो रहें हों। मैंने सोनिया की ठोड़ी को चूमा फिर उसकी गरदन को चाटा और हल्के से उसके निप्पलों का चुम्मा लिया। पहले बांये वाले को फिर दांये को। उसने मेरी कमीज़ की बटनों की तरफ हाथ बढ़ाया पर मैंने उसे रोका और कहा “पहले ऐसे ही मज़ा लेते हैं। हमें समय की कोई कमी नहीं है।” मैंने उसे खड़ा हो कर घूमने के लिये कहा जिस से उसकी पीठ मेरी तरफ हो गयी। फिर नटखट तरीके से उसकी सलवार के कपड़े को नितम्बों के बीच फसा कर ऊपर से नीचे तक सहलाया। “ऐ” वह बोली और जब मैंने उसे अपनी तरफ खींचा तो अचानक मेरी गोद में बैठ गयी। मैंने उसके कूल्हों को रास्ता देते हुये इस तरह से बैठाया कि मेरा लन्ड उसके नर्म नितम्बों के बीच फस गया। वह समझ गयी और मुड़ कर मेरा एक जबरदस्त चुम्मा लिया।

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मेरे हाथ उसके मम्मों पर गये और मैंने उनसे खेलना शुरू किया। मैंने उन प्यारे प्यारे मम्मों को मला गुदगुदी की मालिश की दबाया और निप्पलों को अंगुठे व अगुली के बीच चुटकी काटी। मम्मों को उठाया और नर्म मुलायम पेट पर हाथ फेरा। उसे यह सब बहुत अच्छा लग रहा था और इसका सबूत था उसकी सिस्कियां और उसका निढाल तरीके से लेटना। अपने चूतड़ों का मेरे लन्ड पर रगड़ना। मैं भी उसकी प्यारी देह को छाती से जांघों तक और कंधे से हथेलियों तक सहला रहा था पर मैंने जान बूझ कर उसकी लातों के बीच हाथ नहीं लगाया। मैंने फैसला कर लिया था कि मैं सोनिया की चूत को तब तक नहीं हाथ लगाऊंगा जब तक वह इसकी विनती नहीं करती या कम से कम जब तक उसका पानी नहीं छूटता। सोनिया के प्यारे मम्मों के साथ खेलने के बाद मैंने उसे घूम कर बैठने को कहा। उसने अपनी लातें चौड़ी की और मेरी लातों को बीच में ले कर वापिस मेरी गोद में बैठ गयी।

उसके कूल्हे मेरी जांघों पर आराम कर रहे थे। उसने जल्दी से मेरी कमीज़ के बटन कोलने शुरू किये और मेरे कंधों से खिसका कर उतार दी। सोनिया ने मेरी छाती पर हाथ फेरने शुरू किये और मेरे निप्पलों की च्यूंटी काटी। हंसते हुये बोली “जो तुमने किया वही तो कर रही हूं”। मेरी छाती और पेट की मालिश करते हुये मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरे पत्थर जैसे सख्त लन्ड को बार बार छू रही थी। साथ में बीच बीच में मेरी गर्दन और कनपटी की चुम्मियां ले रही थी। मैंने अपनी बंाहें उसके पीछे ले जा कर उसके नर्म नर्म नितम्बों को दबाया जैसे आड़ूआ को नर्म कर रहा हूं। मैंने उसके कूल्हों के बीच अपना हाथ किसकाया और दरार को ऊपर नीचे सहलाने लगा। वह जैसे नशे में कांपने लगी और मेरे कभी दांयें कभी बांये निप्पल को चूसने व हल्के से काटने लगी।

उसने मेरा ज़िप नीचे खिसकाया और मेरे लन्ड को अन्डरवीयर के ऊपर से सहलाना शुरू किया। मैंने उसकी पीठ के सहारे उसे उठाया और उसके मम्मों को एक भूखे आदमी की तरह चूसने लगा। बीच बीच में निप्पलों को चाटता था या प्यार से दांतों के बीच काटता था। मैैं हस रहा था और वह सी सी की आवाज़ें कर रही थी। अचनक मैंने जब जोर से मम्मों को मसला तो बोली “हाय इतनी जोर से नहीं। गुदगुदी होती है।” मैं एक सेकन्ड के लिये रूका और फिर से उसके मम्मों और निप्पलों को ज़ुबान से छेड़ छाड़ करने लगा। “हॉ इनको प्यार से चूसो। क्या तुम दोनें निप्पलों को मूंह में ले सकते होऋ” यह एक ऐसा चैलेन्ज था जो मैं कैसे जाने देता। मैने उसके दोनें बुब्बों को हाथ में लिया और दोनों निप्पलों को साथ साथ चूसना शुरू कर दिया। वह इतनी उतेजित हो गयी कि सी सी करके उसकी चूत मेरे लन्ड पर धक्के लगने लगी। “क्या तुम्हारे निप्पलों का तुम्हारी चूत के साथ सीधा कन्नेक्शन है” मैंने पूछा। “हां मेरी जान” उसने कहा “पर इस बात पर निर्भर करता है कि निप्पल के साथ प्यार कैसे किया जाता है। तुम्हारी ज़ुबान ते बिजली के करंट की तरह मेरे मम्मे और पुसी में खुजली मचा रही है। प्लीज़ मुझे चूत शब्द से शर्म आती है। इसे पुसी कहिये ना।” मैं अचानक रूक गया। हम दोनों की सांसे फूली हुई थी। समय आ गया था।

चुपचाप हम उठे और मैंने उसकी सलवार को नीचे खींचा। मेरे हाथ उसके गोल स्लिम चूतड़ों पर गये और मैंने उनकी नर्मी का मज़ा लिया। मैने उसे कमर से झुकाया और पहले दांयी गोलाई को चूमा और फिर बांयी को। मेरे हाथ उसकी लटकती चुचियों के साथ खेल रहे थे। उस समय में उसने मेरी पैन्ट उतार दी। फिर मेरे अन्डरवीयर के ऊपर से मेरे लन्ड पर झपटा मारा और ऐसे पकड़ा जैसे उसे इससे अत्यंत मजा मिल रहा हो। पर ज़्यादा देर न कर के उसने मेरे अन्डरवीयर को नीचे करके उतार दिया। मेरा लन्ड बाहर निकल कर तन्ना कर उसकी तरफ फ़ूंकार मारने लगा। मैं सीधा खड़ा हो गया। सोनिया ने ऊपर देखा और लन्ड को लटकते देख कर उसके सिरे को अंगुली से छूआ और र्वीय के कतरे को अंगुली पर ले कर उसे ज़ुबान से चखा।

“म्म्म्म्म्म्म। स्वाद भी अच्छा है। कितना मोटा और लम्बा लन्ड है” उसने कहा। सोनिया घुटनों के बल मेरी लातों के बीच बैठ गयी मेरी तरफ देख कर मुस्कराई और बोली “मैं इसको इतना प्यार करूंगी कि आप को जन्नत का मज़ा आ जायेगा। इतना टेस्टी है कि मैं लगातार इसे चूसती रहूंगी।” उसने मेरे लन्ड को नीचे से ऊपर तक अपनी ज़ुबान के साथ चाटा फिर अपनी ज़ुबान को टोपे पर घुमाया। फिर उसे अपने मूंह में ले कर अपने सुन्दर होंठों से लपेट लिया। उसके गीले मूंह का र्स्पश सचमुच जन्नत के बराबर था। सोनिया ने अपने हाथ मेरे चूतड़ों पर रख कर उन्हें दबाया और मेरे नितम्बों को स्थिर रख कर अपना मूंह मेरे लन्ड पर ऊपर नीचे खिसकाने लगी।

“अनिल मुझे तुम्हारे लन्ड के सिरे से र्वीय का स्वाद आ रहा है” वह बोली मेरे लन्ड को चाटते हुये। मैंने उसके बाल सहलाते हुये कहा “सोनिया डार्लिंग कैसा लग रहा है।” मुझे तुम्हारा लन्ड बहुत प्यारा लग रहा है। उसका स्वाद और स्पर्श अन्दर बाहर जाते हुये बहुत सेक्सी लग रहा है। यह मुझे बहुत उतेजित कर रहा है।” मेरी पुसी बिलकुल गीली हो गयी है।” सोनिया ने मेरा लन्ड अपने मीठे होंठों के बीच फिसलाया। वही अधर जिन्हें मैं कुछ देर पहले चूम रहा था। जैसे ही उसका मूंह मेरे लन्ड पर ऊपर नीचे होना शुरू हुआ मैंने उसके मूंह को चोदना शुरू कर दिया। उसने प्रोत्सहन देने कए लिये मेरे चूतड़ों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा। मैंने और गहरे धक्के लगाने शुरू किये और मुझे लगा जैसे मेरा लन्ड उसके गले तक पहुंच रहा है। वह उतेजना में मेरा मीट खा रही थी और मेरी जांघों और अन्डकोशों को सहला रही थी। “मैं इन अन्डों को खा जाउंगी। इनको चूसने से मेरी पुसी की खुजली और भी बढ़ती है।” सोनिया को सचमुच लन्ड चूसना बहुत अच्छी तरह आता था और कुछ ही देर में मेरी तोप शूट करने को तय्यार थी। “ओहहहह मैं छूटने वाला हूं। मेरा लन्ड पिचकारी चलाने के लिये तैय्यार है।”

“म्म्म्म्म्म्म्फ्फ”

सोनिया ने अपने होंठों और ज़ुबान की क्रिया तेज़ कर दी। एक हाथ मेरे अन्डों के साथ खेल रहा था और दूसरा मेरे चूतड़ों को खींच रहा था जब मेरा लौड़ा उसके मूंह में पूरा धसा हुआ था।

“ओह सोनिया। हां। मेरा निकल रहा।।।।। बहुत ज़्यादा निकलेगा।।।।।।।।”

मेरी तोप चली। मैंने र्वीय की पिचकारी उसके मूंह और गले में चलायी। उसने मेरे गन्ने को और चूसा और मेरे सारे रस को पीती रही। एक हाथ से मेरे अन्डों को सहलाती रही जैसे उनको निचोड़ कर खाली कर रही हो। जैसे वह चूसती जा रही थी मेरा लन्ड सैन्सिटिव हो गया परन्तु उसके गर्म और गीले मूंह में तन्नाया रहा। मैं आराम करने को पीछे हुआ अपने माथे से पसीना पौंछा। “सोनिया तुमने तो सचमुच जन्नत दिखा दी है। मैं हैरान हूं कि तुम इतनी अच्छी कॉक सकर हो। मैं तुम्हारी बड़ाई कर रहा हूं। तुम्हारा मूंह इतना काबिल होगा यह तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था।” उसने गन्ने को और टोपे को फिर चाटा मुझे देख कर मुस्कराई और बोली “मैंने पहली बार किया है। अनिल अब मेरी पुसी का कुछ करो। तुम्हारे लिये बिलकुल गीली है।” मैंने उसे बिस्तर पर लेटाया और चुम्मियां लेते हुये उसके होंठों से लातों के बीच उसके सैक्सीपन का स्वाद लेते हुये पहुंचा। मुझे उसकी उतेजना की खुशबू आ रही थी। जैसे ही मैंने अपने होंठ उसकी चुत के उभार पर रखे तो वह बोली “यह क्या कर रहे हो। पुसी तो गन्दी जगह होती है।”

मैंने कहा “नहीं। यह तो स्वर्ग जैसी है। देखो मेरे लिये कितनी गीली है। मैं इसका जितना रस पीना चाहूं पियूगा।” मैंने पुसी को चाट कर कहा “तुम्हारी चूत का शहद कितना मीठा है।” सोनिया कराही मेरा लन्ड पकड़ा बिना मेरे मूंह को हटाये घूमी और लन्ड को फिर मूंह में ले लिया। उसकी झांटों के बीच चूत के गुलाबी सूजे होंठ साफ दिख रहे थे। मैं उन्हें निहार कर और उतेजित हो रहा था। मैंने फिर चाटना शुरू कर दिया। उसकी सिस्कियंा और तेज़ हो गयी। मैंने उसकी लातों को उठा कर उसके कंधे की तरफ मोड़ा। उसकी चूत की पंखुड़ियां गुलाब के फूल की तरह फैल गयी जैसे मुझे अमृतपान के लिये आमन्त्रित कर रही हों। मैंने भी निश्चय कर लिया कि मैं सोनिया को उस र्चम सीमा तक पहुंचाउंगा जिसे उसने कभी पहले पार नहीं किया हो।

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मैंने उसकी चूत की दरार के दोनों तरफ अपने अंगूठे रखे और पंखुड़ियों को खोला। जैसे मैं अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ा तो मैंने देखा कि सोनिया मेरे उ ेशय के लिये बिलकुल तैय्यार थी। गीलपन उसके शहद छोड़ने वाले सुराख से निकल कर सुराख के नीचे इकठ्ठा हो गया था। उसकी उतेजना की गंध मेरे नाक तक पहंुची और मैं अधिक इंतज़ार नहीं कर पा रहा था। मैंने अपना मूंह उसकी चूत पर रखा और उसके प्यार के रस को पीना शुरू कर दिया। मैंने उसकी पुसी के पट खोल कर अपनी ज़ुबान उस की चूत में घुसा दी। पुसी बहुत रसभरी थी।

“वाह क्या स््वाद है” मैंने कहा। मेरी टिप्पनी कोई इतनी खास नहीं थी पर मैं र्शत लगाने को तैय्यार हूं कि कोई एक खूबसूरत लड़की का स्वाद लेते हुये कोई मज़ेदार बात नहीं कर सकता खासकर जब वही लड़की अपनी प्रतिभाशाली ज़ुबान और होंठ आप के लन्ड पर चला रही हो। उसने अचानक मेरे लन्ड को छोड़ा और छटपटाने लगी। उसका जिस्म ऊपर नीचे जाने लगा जिस से मेरी ज़ुबान उसकी क्लिटोरी पर रगड़ने लगी। उसकी यह हरकत और भी तेज़ होने लगी और मेरी ज़ुबान उसकी रसभरी चूत में फिसल कर जाने लगी। अब तक चूत उतेजना से और भी चौड़ी हो गयी थी। “मेरी पुसी को टंग फक करो। अपनी ज़ुबान अन्दर बाहर डालो” उसने कहा। मैंने उसे निराश नहीं किया। मैंने उसकी प्यारी लातों को और पीछे किया कि वह अब उसके कंधों तक पहुंच गयी थी। फिर उसके हाथों को पकड़ कर उसके चूतड़ों पर लाया और कहा “अपनी चूत को मेरी ज़ुबान के लिये खोले।” उसने वही किया। मैंने अपने हाथों में उसकी चूचियां पकड़ी और उसके निप्पलों को चुटकी मार कर उसकी उभरी उतेजित चूत में अपनी ज़ुबान को आरी की तरह चलाना शुरू कर दिया। “ऊऊऊऊऊ हाय मां उफ। और करो। खा जाओ मेरी पुसी को। मेरै पुसी बस आपके प्यार के लिये बनी है। ज़ालिम और मत तड़पाओ। और चूसो। टंग फक करो।”

वह बिलकुल झड़ने की अवस्था में थी और जोर जेर से ऊपर धक्के लगा रही थी। मैंने अपनी ज़ुबान उसकी चूत को नीचे से ऊपर तक फिराया। जैसे मैं ऊपर की तरफ पंहुचा मेरी ज़ुबान ने उसकी क्लिटोरी जो तन के खड़ी थी को सहलाया तो उसने बहुत जोर से हाय की और उसकी देह एकदम ऊपर उठी। मैंने अपनी ज़ुबान उसकी क्लिटोरी पर रख कर अपना सिर जोर से हिलाया। फिर मैंने क्लिटोरी को होंठों के बीच भीच कर अपनी एक अॅगुली उसकी चूत में घुसाई। धीरे धीरे अंगुली को अन्दर बाहर करने लगा ताकि और भी किसी चीज़ के लिये तैय्यार कर सकूं। उसने उतेजित आवज़ में कहा “हां अनिल मेरी पुसी को फिन्गर फक करो। मेरी पुसी लगतार झड़ना चाहती है।” मैंने सोनिया की ज़ायकेदार क्लिटोरी को चाटता रहा उसके स्वाद भरे चूत रस को पीता रहा और अपनी अगुली को उसकी चूत में चलाता रहा।

फिर मैंने उसके गर्म गर्म दरार में एक और अंगुली घुसाई और दो अंगुलियों से फक करना शरू कर दिया। सोनिया जोर से कहराई और अपने मम्मों को दबाया अपने निप्पलों को खींचों और अपने दूध भरे बुब्बों को मसलने लगी। उसकी देह ने झटके खाने शुरू कर दिये और साथ में अपनी चूत को मेरी ज़ुबान पर रगड़ने लगी। सोनिया ने अपनी लातें मेरे सिर पर लपेट लीं और कहरा कर बोली ” मेरी पुसी और बदन को आग लगी है। ओह अनिल। हाय अनिल। चूसो। मेरी पुसी चूसो। मेरी गीली पुसी को और चूसो। मेरी चूत को खा जाओ।” उसके चूतड़ झटके खाने लगे और अपनी चूत को मेरे दांतों के साथ रगड़ने लगी। उसने उतेजन में बोला “मेरे जानू मेरी चूत और चूसो। ओह हां। बहुत अच्छा ल्ग रहा है। और अंगुलियां डालो।” मैंने एक और अंगुली डाली और तीन अंगुलियों से चोदना चालू कर दिया।

“चाटते रहो। मुझे कुछ हो रहा है। एक तूफान पैदा हो रहा है। मैं आई। मैं आई। हाय रब्बों कितना मज़ा आ रहा है। मेरा निकल रहा है। चाटो। पुसी को चूसो। चूसते रहो। मेरी चूत में आग रग रही है। इसे बुझओ। ओह अनिल अपनी अंगुलियां और तेज़ चलाओ। दूसरे हाथ से मेरे चूतड़ दबाओ। उउउह । और। और।” सोनिया के शरीर ने एक जबरदस्त झटका लिया और वह निढाल हो गयी। मैं उसकी चूत चाटता रहा और उसके स्वादिश्ट रसों को पीता रहा। वह धीरे धीरे झटके लेती रही और मेरे नाम को पुकारती रही। इतने समय उसकी लाता ने मेरे सिर को अपनी कैद में रखा और मेरा मूंह उसकी चूत के साथ चिपका रहा। जब उसे वापिस होश आया तो बोली “अनिलें मेरे जानू। तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी। मुझे पता है कि तुम चूसते ही नहीं चोदते भी बहुत अच्छी तरह से।” मेरा लन्ड फुन्कारे मार रहा था। जिस शहद भरी दरार को मैं इतने प्यार से चाट रहा था अब वह उसमें घुसना चाहता था। मैंने कहा “यह तो केवल शुरूआत है।” “क्या तुम अपना गर्म गर्म लोड़ा मेरी पुसी में डालोगे। मेरी पुसी तुम्हारे लिये जूस से भरी हुयी है। जल्दी से अपना लोड़ा मेरी पुसी में डालो” उसने मांग की। मैं उठा और सोनिया को खड़ा कर के उसे चूमना शुरू किया। अपने शरीरों को रगड़ रगड़ कर उतेजना की एक और सीमा पार की। फिर मैंने उसके हल्के शरीर को उठाया और सीधे करके बिस्तर पर लिटा दिया।

“क्या करने की तैय्यारी हो रही है” उसने मुस्कराते हुये पूछा।

“आराम से लेटो सोनिया। अब फक करने का समय आ गया है। मैं अब तुम्हें चोदूंगा।” सोनिया ने जल्दी से हां की और अपनी गर्म गर्म छोटी देह को उछालने लगी। उसकी चूत कारोड़ों की लग रही थी। “अनिल मैं तुम्हारे इस बड़े लौड़े से चुदवाने की और इन्तज़ार नहीं कर सकती।” वह मुस्कराई और बोली “आहिस्ता शुरू करना। मेरी पुसी अभी कोरी तक कोरी है। इसे पहले चौड़ी करो। इसे अच्छी तरह गीली कर दो ताकि जब तुम अपना घोड़े का लन्ड इसमें डालोगे तो यह फट ना जाये।” उसने अपने छोटे छोटे हाथों में मेरा लन्ड पकड़ा और जैसे मैं उसकी तरफ झुका उस ने मेरे लन्ड को अपनी चूत की दिशा में लगाया। कराह कर बोली “आहिस्ता आहिस्ता। मेरी चूत को तुम्हारेे बड़े डन्डे की आदत पड़ने दो।

बाद में जितनी जेर से चोदना हो चोदना।” मेरे लन्ड के सिरे ने उसकी गर्म और गीली सुरंग को छुआ। मेरा तो मन कर रहा था कि एक ही धक्के में अपने ७ इन्च अन्दर घुसा दूं पर उसके हाथ ने याद दिलाया कि उसने आहिस्ता करने की मांग की थी। जब हमारे लिंग छुये तो वह कराही। जैसे मैंने अपना लन्ड उसकी गर्म चूत में थोड़ा डाला उसने अपने चूतड़ उछाले और मेरा लौड़ा उसकी मक्खन सी चूत में अन्दर तक घुस गया हमारी झंाटे एक दूसरे में मिल गयी और मेरा अन्डकोश उसके चूतड़ों के साथ टकराया। उसकी टाइट चूत ने मेरे लन्ड को अपने में भींच लिया और इलस्टिक की तरह चौड़ी हो गयी।

मैंने आहिस्ता आहिस्ता वपिस धक्के लगाने शुरू किये। हर धक्के के साथ सोनिया ने वापिस जवाबी धक्का दिया। कुछ देर में जब उसकी पुसी को मेरे लन्ड की आदत हो गयी तो वह और जोर के धक्के वापिस देने शुरू किये जिस से मेरा लन्ड और अन्दर घुसने लगा। मेरे टट्टे उसके चूतड़ों के साथ और जोर से टकराने लगे। वह कराही “मुझे और जोर से फक करो। मेरी पुसी तुम्हारे लन्ड से मरवाना चाहती है।” उसने अपनी बांहों का हार मेरे गले में डाल कर कहा ” अनिल मुझे जानवर की तरह चोदो।” मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ कर और तेज़ और जोरदार धक्के लगाये। “मुझे फक करो अनिल। मुझे जी भर कर चोदो” वह बार बार कह रही थी। आखिर मेरे से रहा नहीं गया और मैं चिल्लाया “सोनिया मैं झड़ रहा हूं।” उसने मुस्करा कर कहा “हां मेरी जान झड़ाे़ पर मेरी पुसी में नहीं। अपना लोड़ा निकालो। मैं तुम्हारा रस पीना चाहती हूं।”



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