शादी से पहले मेरी सुहागरात
(Shadi Se Pahle Meri Suhagraat)
ज़्यादातर मेल लड़कों के थे और लगभग सभी मुझसे sexy kahaniya दोस्ती करना चाहते है या सच कहूँ तो सब मुझे चोदना चाहते हैं।
कई ने अपने लंड की फोटो भेजी और कई ने अपने मोबाईल नम्बर… शायद उनकी भी कोई गलती नहीं है क्योंकि हर लंड को एक चूत और हर चूत को एक लंड की ज़रूरत होती ही है।
इसे कोई कैसे पूरी करता है, यह उस पर निर्भर करता है।
आप सभी जानना चाहते हैं कि वो कौन था जिसने मुझे ऑफ़िस में अपनी चूत में मार्कर घुसा कर हस्तमैथुन करते हुए देख लिया था।
फिर आगे क्या हुआ।
उसके बाद हुआ यूँ कि उस दिन जब बिल्कुल शांत होने के बाद मैं एडमिन ब्लॉक में गई तो देखा वहाँ मानव सर बैठे चाय पी रहे थे।
उन्होंने मुझे देखा तो हाथ से अपने केबिन में आने का इशारा किया।
मैं उनके केबिन में जाकर कुर्सी पर बैठ गई।
मानव सर के बारे में बता दूँ, वो हमारे कॉरपोरेट ऑफिस में पर्चेस मैनेजर हैं जो कभी कभी ही इधर आते हैं। हँसमुख किस्म के व्यक्ति हैं हमेशा मज़ाक के मूड में रहते हैं जब भी वो आते हैं काफी लड़कियां उनके आस पास मंडराती रहती हैं।
मैं सामान्य रूप से उनके ऑफिस में जाकर बैठ गई और उनसे इधर-उधर की बातें करने लगी।
फिर उन्होंने पूछा- इतिहास साफ कर दिया या नहीं?
मैं समझी नहीं कि वो क्या कह रहे हैं।
मैंने पूछा- क्या सर?
सर- मैं पूछ रहा हूँ इन्टरनेट से हिस्ट्री क्लियर कर दी या नहीं?
मैं सकपका गई और सोचने लगी कि सर यह क्या पूछ रहे हैं?
अब मैं समझ गई थी कि शीशे के उस पार ये थे जिसने मुझे वो सब करते देखा है।
फिर भी मैंने पूछा- क्यों सर, हिस्ट्री क्लियर करना ज़रूरी है क्या?
वो बोले- ऐसे तो कोई ज़रूरी नहीं हैं लेकिन हमारे सारे कप्यूटर नेटवर्किंग में हैं और आई टी विभाग वाले किसी का भी कंप्यूटर चेक कर लेते हैं ऐसे में अगर उन्होंने यह देख लिया कि तुम नेट पर क्या कर रही थी तो शायद तुम्हारे लिए मुश्किल हो सकती है।
अब बिल्कुल पक्का हो चुका था कि ये सब देख चुके हैं। मैं उनके सामने बैठी शर्म से पानी पानी हो रही थी, समझ में नहीं आ रहा था कि यहाँ बैठी रहूँ, अपने ऑफिस में जाऊँ या घर भाग जाऊँ।
अजीब सी हालत हो गई थी।
वो मेरी स्थिति समझ चुके थे, उन्होंने कहा- परेशान मत हो, कुछ ऐसा नहीं हुआ जो तुमने बाकी लोगों से अलग किया है। सब करते हैं, तुम बस अपना पी. सी. ठीक से बंद करो और घर जाकर आराम करो, बाकी सारी बातें दिमाग से निकाल दो।
मैं घर आ गई और सोने की कोशिश करने लगी, लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी।
अब मेरे दिमाग में मेरी ब्लू फिल्म चल रही थी जिसमें मैं मूवी देखकर चूत में उंगली कर रही हूँ और शीशे के पीछे मानव सर मुझे उंगली करते देखकर अपना लंड हिला रहे हैं।
खैर रात को किसी तरह नींद आ गई।
अगले दिन मैं बाकी दिनों की तरह ऑफिस गई और मेन गेट पर ही मानव सर मिले और अपने जाने पहचाने अंदाज़ में मुझे गुड मॉर्निंग विश किया।
वो कभी इस बात का इंतज़ार नहीं करते कि उनका कोई जूनियर उनको विश करेगा, वो खुद ही सबको विश कर देते हैं लेकिन आज उनके विश करने में कुछ अलग बात थी।
उनकी मुस्कान आज कुछ शरारती लग रही थी, उनकी आँखों में एक अलग सी चमक थी।
मैंने उसे देखकर भी अनदेखा कर दिया और ऑफिस आकर अपने काम में लग गई।
उसी दिन शाम को फिर मानव सर हेड ऑफिस वापस चले गए।
मैं खुश थी कि किसी को कुछ पता नहीं चला और जिसे पता है उसने मेरा कोई फायदा उठाने की कोशिश भी नहीं की और अब चले भी गए।
मेरी ज़िन्दगी उसी तरह चल रही थी।
मैं अब भी ऑफिस में कभी-कभी मौका मिलने पर ब्लू फिल्म देखती और उंगली कर लेती थी।
एक दिन इसी तरह अपने आप में मस्त, मूवी देख रही थी और चूत सहला रही थी।
मेरे ऑफिस के फोन की घंटी बजी, फोन उठाकर मैंने हेलो बोला।
उधर से आवाज़ आई- हेलो आशा- मानव हियर, क्या चल रहा है?
मैंने खुद को सँभालते हुए कहा- कुछ नहीं सर, बस ऑफिस का काम।
वो बोले- झूठ मत बोलो यार, तुम्हारी विंडो मेरे सामने है। मुझे पता है कि तुम क्या कर रही हो। अब तुम बताओ क्या कर रही हो?
मैं समझ गई अब कुछ छुपाना मुमकिन नहीं है तो बोल दिया- मूवी देख रही हूँ सर।
सर- और क्या कर रही हो?
मैं- और क्या मतलब?
मैंने अनजान बनते हुए पूछा।