Hindi Sex Kahani सरप्राइज

आज आप सब लोगों को मैं अपनी एक महिला मित्र के साथ सेक्स के बारे में बताऊँगा।

वह बहुत ही सेक्सी है। हालाँकि वह एक साँवली रंग की लड़की है, पर है मस्त माल !

उसकी बड़ी-बड़ी आँखें और बहुत ही बड़ी चुदक्कड़ !

ऐसी-ऐसी मुद्रा में चुदाई करवाती है कि जो भी देखे तो दंग रह जाए।

मेरे और उसके साथ घटी एक घटना बता रहा हूँ।

बात उन दिनों की है जब हम लोगों के बी.ए. आखिरी साल की परीक्षा शुरू होने जा रही थी। वो इक्नोमिक्स में कमजोर है, वह मेरे पास पढ़ने आई।

मैंने मजाक मे उससे पूछा- मेरे पढ़ाने की फीस क्या दोगी?

उसने मुझसे कहा- जो तुम सोच नहीं सकते, वो फीस दूँगी मैं !

मैं समझ गया कि अब पढ़ने के साथ-साथ चुदाई की भी पढ़ाई होगी।

उसने रविवार को मुझे अपने घर बुलाया। जब मैं उसके घर पहुँचा तो उसके घर में उसकी मम्मी के अलावा कोई नहीं था। उसने अपनी मम्मी से पढ़ने की बात कही, यह भी बताया कि मैं उसके यहाँ खाना खाऊँगा। साथ ही उसने यह भी कहा कि कल उसका पेपर है तो हम लोग 7-8 घंटे पढ़ाई करेंगे इसलिए खाना खाने के समय तक कोई डिस्टर्ब न करे।

इतना कह कर वह मुझे अपने बेडरूम में ले गई।

फिर उसने जो कहा मैं सुन कर दंग रह गया। उसने कहा- आज हम लोग नंगे हो कर पढ़ेंगे। जो एक प्रश्न याद करके सही तरीके से सुना देगा तो दूसरा उसकी बात मानेगा।

मैंने हामी भर दी पर आशंका जाहिर की कि मम्मी बीच में न आ जाए?

उसने मुझे विश्वास दिलाया कि मम्मी उसकी नहीं आयेगी। जैसा उसने कहा फिर हम दोनों ने अपने पूरे कपड़े उतार दिए। पहला प्रश्न मैंने याद कर लिया तो उसने मुझसे पूछा- तुम्हें मुझसे क्या चाहिए?

मैंने उससे कहा कि वह अपने बदन के तीन हिस्से का नाम गाली वाले शब्दों में ले और उसका उपयोग बताए।

उसने बोला- सबसे पहले मैं चूची पर आती हूँ ! चू्चियाँ बड़ी ही मस्त होती हैं, इन्हें बच्चे से लेकर बूढ़े तक निहारते रहते हैं ! बच्चे इनसे दूध पीते हैं और आशिक इनका मजा लूटते हैं। वे चूचियों को दबाते हैं और इसकी घुंडी को मुँह में एक बच्चे की तरह लेते हैं।

फिर दूसरी चीज है बुर ! बुर आशिक के लिए स्वर्ग के समान जगह होती है वो इसका चाटता है, इसके अन्दर उंगली करता है और फिर अपना लण्ड डाल कर इसे चोदता है। पर मैं तुम्हें इसका एक मजा और दूँगी।

यह कहानी भी पड़े  नौकर ने मेरी माँ की चुदाई की

तीसरी जगह मेरी गाण्ड है। आशिक इसको मारने की फरमाइश करते हैं। अगर तुम भी कहोगे तो मैं तुम्हें भी इसकी सवारी करा दूँगी। फिर हम दोनों अपना प्रश्न याद करने लगे। दूसरी बार भी मैंने पहले अपना प्रश्न याद कर लिया।

वह फिर बोली- अब तुम क्या चाहते हो? अगर चोदना चाहते हो तो मैं लेटी हूँ, आओ और चोदो मुझे !

मैंने कहा- नहीं ! मैं तुझे खड़े होकर पेशाब करते हुए देखना चाहता हूँ।

उसने कहा- ठीक है !

कह कर उसने वहीं जग में रखा काफ़ी सारा पानी पिया और बाथरूम में गई। मुझे अपने सामने करके पेशाब करने लगी।

मैंने कहा- जहाँ से तेरे मूत की धार निकल रही है, वो जगह मुझे ठीक से नहीं दिख रही !

तो उसने अपना एक पांव टॉयलेट सीट पर रखा और दोनों हाथों से अपनी चूत के होंठ खोल कर मूतने लगी।

फिर हम लोग कमरे में आकर अपना प्रश्न याद करने लगे।

इस बार उसने पहले याद करके सुना दिया।

मैंने उससे पूछा- मुझसे क्या करवाना चाहती है?

तो उसने कहा- जो मैं चाहती हूँ वह पूरा करोगे या नहीं?

मैंने कहा- बिल्कुल करूँगा ! जब तुमने वादा पूरा किया तो मैं भी करूँगा।

फिर उसने वही पानी वाला जग उठा कर कहा- अब तुम पेशाब इस जग में करो।

मुझे बड़ा अजीब लगा लेकिन शर्त के कारण मैं उसको मना नहीं कर पाया।

उसने जग अपने एक हाथ में पकड़ा, दूसरे हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ा और मैं उस जग में पेशाब करने लगा।

जब मैं पेशाब कर चुका तो उसने जग एक किनारे रख दिया।

मैंने उससे पूछा- तूनेने पेशाब से भरा जग क्यों रखा है?

तो उसने कहा- कोई प्रश्न नहीं।

आधे घंटे के बाद उसको फिर पेशाब लगी और वह भी उसी जग में पेशाब करने लगी।

फिर हम लोगों ने अपना पाठ याद किया तभी उसकी मम्मी ने खाने के लिए आवाज लगाई।

हम लोग अपने कपड़े पहन कर खाने के लिए चल दिए।

खाना खाने के बाद हम लोग वापस कमरे में आकर पढ़ने लगे। करीब एक घंटे के बाद वह वोदका की बोतल व दो गिलास लेकर आई। उसने वोदका से दो पैग बनाए और एक मेरे सामने रख दिया।

जब मैंने उससे वोदका में लिमका मिलाने के लिए कहा तो वह उठी और वही जग लेकर आई और उसको वोदका के गिलास में मिला कर बोली- आज शराब इसके साथ पी जाएगी।

यह कहानी भी पड़े  डॉक्टर रश्मि की चालाकी -1

मैं हैरान हो गया।

मैंने उससे पूछा- यह क्या बात हुई?

तो उसने कहा- यही सरप्राइज है।

हम लोगों ने पूरी वोदका की बोतल उसी से खाली कर दी।

फिर हम लोगों की रति क्रिया की बारी थी। मैं उसकी चूत चाटने लगा तो वह सिसकारी लेकर धीरे-धीरे मस्त हो रही थी।

फिर वह बैठ कर मेरे जाँघ, लण्ड चाटने लगी। लण्ड चूसते-चूसते वह पीछे होकर मेरी गाण्ड को भी चाटने लगी।

पंद्रह मिनट चाटने के बाद वह खड़ी हुई और अपनी गाण्ड अपने दोनों हाथों से फैला कर चाटने के लिए कहा।

मुझे भी बड़ा मजा आया। धीरे से वह पलटी और मेरे मुँह को अपने बुर में सटा कर चुसवाने लगी और वह मेरे मुँह में झड़ने लगी। लेकिन यह उसका रज नहीं था, वह धीरे-धीरे अपना मूत मेरे मुँह में डाल रही थी। मैं अपना मुँह हटाने की कोशिश कर रहा था पर वह जब तक पूरी मूत करके खाली नहीं हो गई, उसने अपनी बुर से मेरा मुँह हटाया नहीं।

फिर खड़े होकर हम दोनों एक दूसरे के मुँह को चूम रहे थे। इधर मेरे लण्ड की हालत खराब हो रही थी।

मैंने उसे उठाकर बिस्तर में पटक दिया और उस पर चढ़कर अपना लण्ड उसकी चूत के मुहाने रखकर एक जोर का धक्का दिया और उसे चोदने लगा।

वह चिल्ला-चिल्ला कर कह रही थी- आज तुझे मैंने सरप्राइज दे दिया। अब चोद मेरे राजा मुझे चोद। मेरे बुर को चोद। मेरी गाण्ड मार ! मेरे मुँह को चोद या मेरी चूची को चोद। सब तेरा है।

मैं उसे बुरी तरह चोद रहा था।

फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी बुर में लण्ड डाल दिया। उसकी गाण्ड फूल की तरह खिल रही थी, फिर मैंने उसकी गाण्ड में थूक लगा कर उंगली उसकी गाण्ड में घुसा दी।

पंद्रह मिनट चोदने के बाद मैंने अपना लण्ड निकाल कर उसकी गाण्ड में डाल दिया।

पहले वह चिल्लाई, फिर मेरी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी और कहने लगी- आज का दिन तुम कभी नहीं भूलोगे।

मैंने भी यही कहा- आज तुमने मुझे एक नहीं, दो बार मूत का स्वाद चखाया है, कल मैं तुझे अपने लण्ड का पानी पिलाऊँगा।

इतना कह कर मैंने अपना लण्ड निकाला और उसके मुँह में डाल दिया। उसने पूरे शौक से मेरे वीर्य पी लिया।



error: Content is protected !!