स्कूल वाली दोस्त को चोदा

Hindi Sex Stories दोस्तो, मैं दीपक, सोनीपत, हरियाणा से एक बार फिर आपकी सेवा में हाजिर हूँ।
मेरी कहानियाँ पढ़कर बहुत सी मेल आई, जिनमें एक मेल विकास ने भेजी हुई थी।
उसने मुझे अपनी कहानी भेजने के लिए रिक्वेस्ट की।

तो अब विकास की कहानी उसकी जुबानी

दोस्तो, मेरा नाम विकास है (बदला हुआ नाम) और मैं चंडीगढ़ में रहता हूँ।
मैं दिखने में थोड़ा सांवला हूँ, मेरी हाइट 5’11” है…मेरी पर्सनेलिटी भी एकदम मस्त है।

मुझ सेक्स की भूख करीब कई साल पहले से लगी और कभी जब बहुत ज्यादा मन करता तो रंडियों के पास चला जाता या फिर हाथ से हिलाकर शांत हो जाता था।

मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ 4 साल से पढ़ रहा हूँ, बहुत मज़ा आता है आप सबकी कहानियाँ पढ़ कर!

सोचा, मैं भी आज अपनी एक कहानी लिखूँ।

बात आज से दो महीने पहले की है। मेरी एक दोस्त थी, जो मेरे ही साथ 12 में पढ़ती थी, उसका नाम निधि था।

उसक परिवार चंडीगढ़ से जाकर अम्बाला रहने लग गया तो उसने मुझे एक दिन अपने घर मिलने के लिए बुलाया।
उसके मम्मी पापा तो मुझे स्कूल से ही जानते थे तो मैं भी एक दिन अम्बाला के लिए निकल पड़ा और एक घण्टे में मैं अम्बाला पहुँच गया।

उसके घर पहुंचने के बाद उसने मुझे अपने मम्मी पापा और अपने छोटे भाई से मिलाया और बैठकर बात करने लगे।
उसके बाद हम सबने खाना खाया और कुछ देर बाद मैंने जाने की इजाजत मांगी तो घर वालों ने बोला- आज यहीं रुक जाओ, कल चले जाना।

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तो मैं भी मान गया और वहीं रुक गया।

उसके बाद हम दोनों और उसका छोटा भाई शाम को एक पार्क में घूमने के लिए चले गए।
पार्क में वैसे कुछ ज्यादा भीड़ नही थी, तो हम झूला झूलने लगे।

पहले मैं बैठा, थोड़ी देर झूला झूला। उसके बाद उसका भाई साथ वाले झूले में चला गया।
फिर मैंने बोला- अब तुम बैठो!

वो जैसे ही बैठने के लिए झुकी तो एकदम से उसका पैर फिसल गया और गिर गई।
मैंने उसको उठाया तो मेरा एक हाथ उसके मम्मों पर लग गया, मैंने जानबूझ कर उसको दबा दिया।

एक अजीब सा एहसास पूरे शरीर में दौड़ गया और शायद वो भी इस एहसास को समझ गई।
फिर हम घर चले गए।

शाम को उसने घर जाने के बाद बोला कि मेरे पैर में थोड़ा दर्द हो रहा है, क्या तुम दबा सकते हो?

मैंने भी हाँ में सिर हिलाया और पैर दबाने लग गया।
पैर का एहसास पाकर मुझे कुछ होने लग गया।

मैंने धीरे धीरे हाथ उसके जाँघों में लगाया तो वो आंखें बंद करके बोलने लगी- प्लीज हाथ हटा लो।
मैं समझ चुका था आग वहाँ भी लगी है।

फिर मैं उसके कमरे से बाहर आकर हाल में बैठ कर टीवी देखने लग गया।

रात को हम सबने मिलकर खाना खाया तो उसके बाद उसकी मम्मी ने बोला- तुम रोहन के कमरे में सो जाना।
तो मैंने भी हाँ बोल दिया।
उसके माँ पापा अपने कमरे में सोने चले गए और निधि अपने कमरे में।

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जैसे ही मैं सोने वाला था तो निधि का मेरे फ़ोन पर मैसेज आया- क्या कर रहे हो?
मैंने रिप्लाई करके बोला- कुछ नहीं, बस वैसे ही लेटा हुआ हूँ।

उसने अपने भाई के बारे में पूछा- रोहन सो गया है?
मैंने बोला- हाँ जी सो गया है।

फिर कहने लगी कि मुझे नींद नही आ रही, मेरे कमरे में आ जाओ।
मैंने बोला- थोड़ा डर लग रहा है कि कहीं मम्मी पापा न उठ जाएँ?
उसने बोला- नहीं उठेंगे, क्योंकि वो जल्दी सो जाते हैं। वैसे भी पापा को कल किसी काम से गुड़गांव जाना है।

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