सरिता आंटी की चुदाई

हाई दोस्तों, मेरा नाम रोहित हे और मैं किसी के घर में पीजी बन रह कर रह रहा हूँ | मैं जिनके घर में रह रहा हू वो थोड़ी आमिर घर के हे और जो अंकल हे वो बिजनस करते हे और मस्त वाला पैसा कमाते हे | मेरी उम्र २३ हे और ये जब हुआ था तब में १८ साल का था | मैं १७ साल की उम्र से उन्ही के घर में रह रहा हूँ और एक परिवार की तरह बन चूका था | तो ये जा बात हे तब में बारवी में पढता था और मेरा हर दिन का काम आराम से चलता था | अंकल तीन भाई थे और जो सबसे छोटा भाई था उनकी अभी अभी शादी हुई थी | उनकी बीवी का नाम सरिता था और वो इस घर में नही रहते थे वो अलग घर में रहते थे बोले तो इस घर से करीब बीस मिंत की दुरी पे उनका घर था |

मैं जिस घर में रहता था उस घर में मुझे लेके चार लोग रहते थे मैं अंकल आंटी और उनकी एक बेटी थी जो मुझसे एक साल छोटी थी जिसे में बेहेन की तरह मानता था | पर कुछ भी बोलो वो भी बहुत सेक्सी थी |एक दिन आंटी की तबियत शाम के वक्त काफी खराब हो गयी और वो बेहोस होके गिर पड़ी, मैं और वो लड़की (श्रुति) हम दोनों काफी घबरा गए थे | हमने जल्दी से आंटी को हॉस्पिटल तक पंहुचा दिया और डॉक्टर बोले की इनके इलाज के लिए आपको फॉर्म भरना पडेगा क्युकी इनको कुछ बीमारी हे उस बीमारी का नाम में भूल गया बहुत अजीब सा नाम था | मेने अंकल को फोन किया और सब बता दिया और अंकल ने कहा की भर दो सो फिर मेने फॉर्म भर दिया | आंटी का आई सी यु में इलाज चल रहा था और करीब चार घंटे बाद दोसतोर बोले की उनको होश आ गया हे पर आप उनसे अभी नही मिल सकते इतने देर में अंकल भी आ गए थे |

अब हम दोनों को थोड़ी रहत मिली थी | शाम को मैं और श्रुति घर आ गए और अंकल व्वाही रुक गए थे क्युकी डॉक्टर ने कहा था की उन्हें पाँच छह दिन वही रुकना होगा हॉस्पिटल में | अंकल ने अपने भाई को भी ये बात बताई फिर वो बोले की अब तो बच्चो के खाने पीने में तकलीफ होगी फिर उन्होंने अंकल को कहा की वो सरिता को यहाँ भेज देंगे जब तक आंटी ठीक नही हो जाती तब तक के लिए तो अंकल ने भी हाँ कह दी |अगले दिन वो सरिता को लेके हमरे यहाँ आ गए सरिता आंटी ने उसदिन हल्की नीली रंग की साडी पहनी हू थी और एक दम पटाका लग रही थी | उनके होठ तो एक दम आइस क्रीम जेसे लग रहे थे मन कर रहा था की खा जाऊ इतने रसीले लग रहे थे | वो एक दम दिखने में आयशा टाकिया लगती थी | उनके पती पोलिस में थे और उनकी शाम को नाईट ड्यूटी लगती थी तो वो शाम को ६ बजे के बाद ही चले जाते थे और सुबह आके आराम करते थे |

मैं जहा रह रहा था उस घर में तीन फ्लोर हे सबसे निचे वाला तो ऐसे ही था जहा डिन्नर करते थे सब मिलके बोले तो सबसे निचे में कोई क्रम नही था एक था पर वो स्टोर रूम था, फस्ट फ्लोर में अंकल आंटी और श्रुति रहती थी दो कमरे थे एक में अंकल आंटी और दूसरे में श्रुति रहती थी | दूसरे फ्लोर में एक कमरा था जिसमे डबल बेड था उसमे में रहता था और तीसरे फ्लोर में कोई नही रहता था वो गेस्ट के लिए था | पाँच दिन बाद आंटी वापस आ गयी तो आंटी को अपने रूम में रहने दिया | रात के खाने के वक्त तक हम सब निचे रहते थे और क्युकी सरिता के पती अंकल से छोटे थे इसीलिए सरिता आंटी अंकल के सामने नही जाती थी |सरिता आंटी बोली की वो उपर के कमरे में सो जायेगी बोले तो मेरे साथ |

मेरा लंड फनफना उठा उस वक्त और में चुदाई के सपनो में खो गया था | उस समय गर्मी का मोसुम था जिसके कारण हम सब रात को ऐसी चला के सोते थे और फिर आधी रात को ठण्ड लग जाती थी इसीलिए हम साथ में चद्दर भी रखते थे | रात को हम दोनों साथ में ही सोये थे एक ही बिस्तर जो था पर हम दोनों ने चद्दर अलग अलग ली थी | उस रात सरिता आंटी ने सूट सलवार पहना हुआ था | वो बिस्तर पे लेटते ही टपक से सो गयी पर मैं उन्हें देखता रह गया और पता नही काब आँख लग गयी और सीधा सुबह आँख खुली तो देखा की सामने सरिता आंटी अपनी चुचिया चमका रही हे और मुझे उठा रही हे, सुब्ब उठते उठते मेरा लंड खड़ा हो गया | मैं फ्रेश हो गया और निचे जब गया तो पता चला की अंकल काम से एक महीने के लिए बाहर जा रहे थे | सुबह १० बजे के आस पास सरिता आंटी के पती भी आ गए और सरिता आंटी अपना सब का निपटा के उनके पास चली जाती थी |

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सुबह में निचे रहता था इसीलिए वो और उनके पती दोनों मेरे कमरे में रहते थे और सुबह सरिता आंटी के पती आके मेरे कमरे में सोते थे और आंटी उन्ही के पास चली जाती थी |अब यह हर रोज क काम हो गया था अंकल सुबह आके मेरे कमरे में चले जाते थे और थोड़ी देर के बाद सरिता आंटी भी चली जाती थी | एक दिन में उपर कुछ काम से गया तो मुझे कुछ आवाज़ आ रही थी मेरे कमरे से तो मेने ध्यन से सुना तो वो सरिता आंटी की आवाज़ थी और वो सिसकिय भर रही थी और कह रही थी चोदो चोदो और चोदो मुझे फाड़ दो मेरी चुत को |

तब मुझे समझ आया की उनके आने के बाद आंटी क्यों उनके कमरे में चली जाती थी और दो तीन घंटो के बाद ही निकल के आती थी | रात को फिरसे मैं अपने कमरे में गया और जब सरिता आंटी सो गयी तो मैं उनके बालो से खेलने लगा और खेलते खेलते में सो गया | ऐसे ही चलते चलते दो दिन बीत गए अंकल डेली सुबह सरिता आंटी की चुदाई करते और रात को सरिता आंटी आराम फरमाती | उनकी चुदाई सुनने के बाद मैं अब रात को उनके चुचो पे बड़ी हिम्मत कर के हाथ रख दिया और हल्के हल्के से मसलने लगा | बहुत देर मसलने के बाद में मुठ मर के सो जाता और अब ये रोज का काम हो गया था | सरिता आंटी ने अब तक मुझे मसलने के लिए कुछ नही कहा तो मेरी हिम्मत और बड गयी और में अगले दिन से कस कस के दबाने लग गया तो वो एक दम से उठ गयी और मेरी तरफ मुह कर के सो गयी | मुझे लगा अब मेरी गांड हे पर वो कुछ नही बोली और सो गयी |

अब मैं सुबह उनसे जल्दी उठा और मेरी उस समय हिम्मत नही हो रही थी की में उनसे नज़रे मिलाऊ | ऐसे ही दिन कट गए और चार दिन के बाद जब मुझे पता चला की सरिता आंटी ने किसी को कुछ नही बताया तो मेरी हिम्मत और बड गयी | उस रात मैं उनके मम्मे को फिर से मसलना शुरू कर दिया और उनके बालो को सहलाता रह गया और जब उन्होंने कुछ विरोध नही किया तो मेने उनके गाल पे किस कर दिया और फिर मुठ मार्के सो गया | अगले दिन पता चला की उनके पती को दो हफ्तों के लिए कही पे ड्यूटी से बाहर जाना हे ये सुन के तो मेरे लंड ने सलामी ठोकना शुरू कर दिया | उसदिन सरिता आंटी हर रोज के मुकाबले जादा देर चुदी थी |

दोपहर को मैं उनको छोड़ने गया और शाम को लोटा मैं और फिर निचे कुछ काम था और खा पी के एक ही बार में मैं उपर गया | उपर जाके देखा तो आंटी पहले से सो चुकी थी और उनकी नाइटी उनके घुटनों के उपर थी | उन्हें देख के ऐसा लग रहा था जेसे वो चुदने के लिए ही बनी हो, उन्हें देख के मेरे अंदर फिरसे शैतान जाग उठा और मैं बिस्तर पे कूद पड़ा |मै आज हर दिन से जादा कस कस के दबा रहा था उनके चूचो को और फिर कुछ देर के बाद वो सिसकिय भरने लगी तो मैं उनके उपर लेट गया और उनके होठो को चूसने लगा |

अचानक उन्होंने अपनी आँखे खोल दी और मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी तो मेने उन्हें और कस के पकड़ लिया और उन्हें हिलने का मोका भी नही दिया तो वो थोड़े देर के बड मेरा साथ देने लगी और मेने महसूस किया की उनकी छाती पहले से जादा फुल चुकी थी | जब मेने उनके होठो के उपर से अपने होठ हटा लिए तो मुझपे चिल्लाने लग गयी की रुक जा तेरे अंकल से तेरी शिकायत करूंगी | मेने बोला सरिता आंटी मैं आपको बहुत पसंद करता हु और मुझे ये भी पता हें की आप भी मुझे पसंद करती हो | और वेसे भी अगर आपको मुझसे अभी तकलीफ हो रही हें तो उसदिन जब आपने मुझे देख लिया था की मै आपके चूचो को दबा रहा था तो आपने तब शिकायत क्यों नही की ? इतना सुनने के बाद उनका मुह बन गया और वो उठ के बैठ गयी, मैं भी बैठ गया और उनके चूचो के साथ खेलने लगा और उनके चेहरे को चूम रहा था मै |

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वो बोली तेरे अंकल का इतना छोटा हें की मेरी प्यास ही नही बुझ पाती ठीक से हमेशा मुझे लगता हें की और करना था पर तेरे अंकल कुछ नही कर पाते |मेने उनकी नाइटी उतार दी और फिर उनके चूचो के साथ खेलने लगा और वो मेरी चड्डी मै हाथ डाल के मेरे लंड को सहला रही थी | सहलाते सहलाते वो बोली अरे तेरा लंड तो अभी से इतना बड़ा हें आगे जाके पूरा खम्बा बन जायेगा ये, इतना तो तेरे अंकल का भी नही हें | मैं अब उनकी बातें नही सुन रहा था बल्कि अपने काम पे ध्यन दे रहा था | मैं उनके चूचो को चूस रहा था और उनकी पैंटी के अंदर हाथ डाल के उनकी चुत मै ऊँगली डाल रहा था | दो मिनट मै उनकी चुत ने पानी छोड़ दिया और अब वो चुदाई के लिए तडपने लगी और बार बार बोल रही थी की जल्दी से मेरी प्यास बुझा दो मैं बहुत आधी अधूरी प्यासी हु जल्दी से कर दो |

इतना बोलते बोलते उन्होंने मेरी चड्डी उतार दी और फिर मेरे लंड को पकड़ के मुठ मार दी और मै झड़ गया | फिर मै उनके उपर लेट गया और उनकी चुत चाटने लगा और मेरा लंड वो चूसने लगी | जेसे ही मेरा लंड उनके होठो को छुआ मेरे लंड मै फिरसे नई जान आ गयी और एक दम से तन गया | अब मैं उनकी चुत को चाट चाट के उनकी प्यास बड़ा रहा था और अब वो एक दम प्यासी ओरत बन चुकी थी और वो चुदने के लिए तडप रही थी |मेने अपने आप को एक दम ठीक किया उनकी टांगो को खोल दिया और अपना लंड उनकी चुत पे बराबर सेट किया और धक्का दिया तो मेरा आधा लंड ही अंदर गया था और आधा बाकि था | मेरे आधे लंड मै ही उनकी सिसकिय चालू हो चुकी थी और उनकी सिसकिय रुकने का नाम ही नही ले रही थी, मेने फिरसे एक और झटका दिया और मेरा पूरा लंड उनकी बच्चेदानी को छू दिया | अब मैं हल्के हल्के धक्के देने लगा और वो सिसकिय पे सिसकिय भरने लगी थी | उनकी चुत न जादा ढीली थी और न ही जादा कसी हुई इसीलिए मुझे और उन्हें हम दोनों को मज़ा आ रहा था | कुछ देर के बाद वो अपनी गांड उठाना शुरू कर दी और गांड उठा उठा के चुदने लगी |

मेने अपनी गति बड़ा दी और सरिता सिर्फ अब अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ह्म्म्म और चोदो और चोदो मुझे अह्ह्ह्ह किये जा रही थी | पंद्रह मिनट के जबरदस्त चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था और मेरे झड़ने से पहले ह वो दो बार झड़ चुकी थी | मेरा अब अंतिम समय आ चूका था तो मेने पूछा की कहा निकालू तो वो बोली अंदर ही रहने दो | मेने फिर अपनी गति और बड़ा दी और दस धक्को के बाद मैं उनकी चुत मै ही झड़ गया और मेरे साथ वो भी झड़ गयी | मेरा लंड उन्ही के चुत मै सिकुड़ गया और छोटा हो गया |

सरिता की चुत से अब भी पानी निकल रहा था और बिस्तर बहुत गिला हो चूका था तो हमने उठ के बिस्तर बदल दिया |हम दोनों ऐसे ही नंगे एक दुसरे से लिप्त के सोये हुए थे और ऐसे ही सो गये | सूबा सरिता आंटी ने मुझे किस कर के उठाया और नाइटी पेहेन के निचे चली गयी और फिर मैं भी उठ कर तैयार हो गया और निचे नास्ता किया | अब मैं उन्हें पुरे दिन अकेले मै छेड़ता रहता और रात को हम चुदाई करते, इसी तरह ८ रात और ७ दिन केसे निकल गये कुछ पता ही नही चला और उसके अगले दिन उनके पाती आ गये |

उनके आने के बाद वो सीधे मेरे कमरे मै चले गये और सीता आंटी भी चली गयी और फिर शाम को वो दोनों निचे उतरे | आंटी का चेहरा देख के लग रहा था की कम से कम चार बार गेम तो खेला होगा पर आंटी का चेहरा उतरा हुआ था फिर मैं समझ गया की आंटी को ख़ुशी नही हुई उनके साथ चुदाई के बाद | अब तो घर मै कमाल हो रहा था दिन मै अंकल पेलते और रात को मै पेलता | हम दोनों को आंटी झेल लेटी थी क्युकी दिन मै उनके संतुष्टि नही होती थी इसीलिए | एक महीने के बाद सरिता आंटी और अंकल दोनों अपने घर चले गये और मैं फिरसे पहले की तरह हो गया |

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