सगी बहनों की रसीली चूत का मजा

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम शेखर है और मुझे भी आप सभी की तरह सेक्सी कहानियाँ पढ़ने में बहुत मज़ा आता है। मैंने अब तक ना जाने कितनी कहानियों के मज़े लिए और आज में अपनी भी एक सच्ची चुदाई की घटना आप सभी को सुनाने आया हूँ। अब में अपना अपने घरवालों का परिचय करवाते हुए इस कहानी को शुरू करता हूँ। दोस्तों में 21 साल का हूँ और मेरे घर में मेरी दो बहन है जिनका नाम श्रेया और सोनल है वो दोनों ही उम्र में मुझसे तीन साल बड़ी है में बचपन से ही अपनी दोनों दीदी के साथ बड़ा ही घुल मिलकर रहता था। हम सभी घर वाले बड़े ही खुले विचारों हंसमुख स्वभाव के लोग है और हम तीनो भाई बहनों के बीच बातें हंसी मजाक हमेशा ही चलता था, लेकिन कभी भी मेरे मन में अपनी गोरी सुंदर जवान बहनों के लिए कोई भी गंदे विचार नहीं आए थे। दोस्तों मेरी सुंदर जवान बहनों को हमारे आसपास रहने वाले लड़के हमेशा अपनी गंदी नजरो से देखा करते थे। वो उनके बड़े आकार के उभरे हुए बूब्स गांड को देखकर अपनी आखें सेका करते थे। उनको यह सब करने में बड़ा मज़ा आता था। यह बात मेरी बहन भी बड़ी अच्छी तरह से जानती समझती थी, क्योंकि उनको अच्छी तरह से पता था कि इस उम्र में उनके साथ यह सब होना स्वभाविक है, इसलिए उनके कोई भी फर्क नहीं पढ़ता। फिर भी वो एकदम कसे हुए कपड़े पहना करती थी, जिसकी वजह से उनके जिस्म का हर एक अंग देखने वाले को अपनी तरफ बड़ा ही आकर्षित करता। एक बार तो में भी उनको देखकर कुछ सोचने पर मजबूर हो जाता, लेकिन फिर अपने रिश्ते के बारे में सोचकर तुरंत पीछे हट जाता।

दोस्तों में एक स्टूडेंट हूँ और एक होस्टल में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा था। में अपनी छुट्टियों के समय ही घर आ जाता और कुछ दिन समय बिताकर में वापस चला जाता। यह घटना तब की है जब में कुछ दिनों के लिए अपने घर आया था। मेरी दोनों दीदी हमेशा घर में ही रहती थी और वो भी अपनी पढ़ाई कर रही थी। अपने कॉलेज के समय या किसी काम की वजह से उनका घर से बाहर निकलना होता था। दोस्तों सेक्स मेरी बचपन से ही बहुत बड़ी कमज़ोरी रही है और इसलिए में कोई भी सुंदर लड़की को देखता तब मन ही मन में उसके बारे में बहुत कुछ सोच लेता था। मेरी दोनों बहने बहुत ही सुंदर होने के साथ साथ बड़ी ही हॉट सेक्सी भी थी, इसलिए हर कोई उनका दीवाना हो चुका था, घर में वो ज़्यादातर स्कर्ट और टॉप्स ही पहनती थी। एक दिन शाम को में अपने दोस्त के पास से एक सेक्सी कहानियों की किताब अपने साथ ले आया और दूसरे दिन में उसको अपने कोर्स की किताब के अंदर रखकर चोरीछिपे पढ़ रहा था, जिसकी वजह से कुछ देर में ही मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया और इतने में अचानक से मेरी बड़ी बहन सोनल उस रूम में सफाई करने आ गयी और वो अब नीचे झुककर अपना सफाई का काम करने लगी थी। फिर उसी समय मैंने तुरंत ही किताब को पढ़ना बंद कर दिया और उसी समय ग़लती से मेरी नज़र अपनी बहन के गोरे बड़े आकार के झूलते लटकते हुए बूब्स पर चली गयी। मुझे उसके बूब्स थी थोड़ी सी झलक नजर आ रही थी, जिसको में अपनी चकित नजरों से कुछ देर देखता रहा। वो बड़ा ही मस्त मजेदार द्रश्य था, क्योंकि ऐसा मेरे साथ पहली बार हुआ था, लेकिन कुछ देर के बाद मैंने उस तरफ से अपनी नजर को हटाकर मन ही मन में सोचा कि यह बिल्कुल गलत है, सामने वाली लड़की मेरी बहन है और मुझे उसके बदन के ऊपर अपनी इस गतल नजर को नहीं डालना चाहिए, यह बात सोचकर मैंने अपने आपको शांत किया और फिर में वहाँ से उठकर बाहर चला गया, लेकिन अब मुझे उस पूरी रात को नींद नहीं आ रही थी। अब में ना चाहकर भी बार बार वो द्रश्य अपनी आखों के सामने देखने उसके बारे में सोचने लगा था। में उसके गोरे कामुक जिस्म को देखकर बिल्कुल पागल हो चुका था। में सेक्स की वजह से अपने सभी रिश्ते भूल चुका और उस दिन से में सोनल से सेक्स करने का विचार अपने मन में बनाने लगा था। एक दिन जब में बाथरूम में नहा रहा था तो मैंने देखा कि सोनल की स्कर्ट वहाँ पर पहले से ही रखी हुई थी। मैंने उसको उठा लिया मेरे ऐसा करने की वजह से उसी समय कुछ सेकिंड में मैंने देखा कि सोनल की काले रंग की पेंटी नीचे गिर गयी जिसको देखकर में ख़ुशी से बिल्कुल पागल हो गया, इसलिए मैंने बिना कुछ सोचे समझे सोनल की पेंटी को अपने हाथों में लेकर चूमना शुरू किया।

फिर में कुछ देर लगातार उसको सूंघने में लगा रहा। पेंटी के अंदर से आ रही हल्की चूत की खुशबू की वजह से में धीरे मदहोश होता चला गया और तभी मुझे महसूस हुआ कि उसकी पेंटी थोड़ी सी गरम भी थी, क्योंकि मुझसे पहले सोनल ही नहा रही थी। दोस्तों मुझे तब पहली बार ऐसा करने पर महसूस हुआ कि उसकी पेंटी का स्वाद हल्का सा नमकीन था और फिर मैंने उसकी पेंटी को अपने लंड से रगड़ना शुरू किया और कुछ देर बाद जोश में अपने होश खोकर मैंने उस पेंटी पर अपना वीर्य निकाल दिया और जब मुझे होश आता तो में एकदम से घबरा गया और मन ही मन सोचने लगा कि अब क्या होगा? फिर मैंने अपनी ग़लती को छुपाने के लिए उसकी पेंटी को तुरंत ही धोकर चुपचाप बाहर लाकर धूप में डालकर सूखने दिया और मैंने सोनल से ऐसे ही कह दिया कि जब में नहा रहा था तो वो गलती से नीचे गिर गयी थी, लेकिन उस दिन के बाद जब भी घर में कोई ना होता में सही मौका देखकर सोनल और श्रेया दोनों की पेंटी निकालकर चूमता, सूंघता और कुछ देर बाद मन में उनका विचार करके में मुठ मारने लगता। ऐसा करने में मुझे बड़ा मज़ा आने लगा था। एक दिन रात को मुझसे नहीं रहा गया मुझे बहुत देर तक उनके विचारों की वजह से नींद भी नहीं आ रही थी और इसलिए उस वजह से में हिम्मत करके उसी समय अपने बिस्तर से उठकर सोनल और श्रेया के रूम में चला गया।

फिर मैंने देखा कि वो दोनों लेटी हुई थी और फिर में धीरे से आगे बढ़ते हुए गहरी नींद में सोती हुई सोनल के पास जाकर पहले कुछ देर गोरी भरी हुई जांघो को अपनी चकित नजरों से देखता रहा। उसके बाद में उसकी स्कर्ट को धीरे धीरे उठाने की कोशिश करने लगा। अभी मैंने यह काम करना ही शुरू किया था कि इतने में श्रेया अपनी नींद से जाग गयी और उसने मुझे देख लिया। मेरा एक हाथ उस समय सोनल की स्कर्ट में अंदर घुसा हुआ था और वो यह सब अपनी आखों से देखकर बिल्कुल हैरान हो गयी और उसने मेरी इस हरकत की वजह से बिल्कुल चकित होते हुए अब गुस्से से उसने मुझसे डांटकर वहाँ से उसी समय बाहर निकल जाने के लिए कहा और में अपने मुहं को नीचे लटकाकर तुरंत ही बाहर आ गया। मेरा सारा जोश एक ही बार में ठंडा हो गया और में अपनी गलती के बारे में मन ही मन सोचने लगा था। फिर दूसरे दिन में अपनी बहनों से शरम की वजह से इधर उधर छुपता रहा और उनसे नजर मिलाने की मेरी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हो रही थी और करीब दस बजे श्रेया ने मुझे अपने पास बुला लिया। उस समय कमरे में बस हम दोनों ही थे। अब उसने मुझसे कहा कि वो यह सभी बातें मेरे पापा, मम्मी को बता देगी और वो गुस्से से बोली कि तुम रात को क्या कर रहे थे और तुम अपनी बहन को अपनी बीवी बनाने की बात सोच भी कैसे सकते हो, क्यों तुम्हारा दिमाग़ तो ठीक है या नहीं? अब मैंने मौके की नजाकत को समझकर तुरंत ही उसके सामने उसके हाथ पैर जोड़कर अपनी दीदी से माफी माँगी कि दोबारा ऐसी गलती कभी नहीं होगी और उससे यह बात किसी को भी बताने से मना किया। उसके बाद में अपने कमरे में चला गया।

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दोस्तों उस दिन के बाद से मेरी बहन सोनल ने भी मुझसे बात करने बिल्कुल छोड़ ही दिया था, जिसकी वजह से बड़ा चिंतित डरा हुआ रहने लगा था। मेरा किसी भी काम को करने में मन नहीं लगता था और फिर ऐसे ही दो तीन दिन निकल गये। मुझे पता ही नहीं चला और उस घटना की वजह से में बिल्कुल भूल ही गया था कि मैंने अपनी एक सेक्सी कहानियों की किताब अपने सेल्फ़ पर रखी हुई थी। एक दिन कुछ सामान ढूढ़ते समय उस किताब को गलती से श्रेया ने देख लिया और वो उस किताब को अपने साथ लेकर चली गई। उसको कहीं उसने उचित जगह पर छुपाकर रख दिया। फिर उसके दूसरी रात को में अपने कमरे से उठकर बाथरूम की तरफ जा रहा था तो देर रात का समय था और घर के सभी लोग मेरे हिसाब से सो चुके थे।

फिर मेरे मन में उसी समय एक दोबारा गंदा विचार आया और मैंने सोचा कि एक बार में उनको सोते हुए देख तो सकता हूँ जिसकी वजह से में अपनी बहनों के कमरे की खिड़की से अंदर झांककर देखने लगा, लेकिन उसके बाद तो मेरे होश बिल्कुल उड़ गए क्योंकि मैंने देखा कि मेरी वही सती सावित्री बनी बहनें सोनल और श्रेया दोनों ही मेरी उस किताब को बड़े मज़े से पढ़ रही थी। फिर में अब थोड़ी सी हिम्मत करके अचानक उनके रूम में चला गया और उसके बाद मैंने देखा कि श्रेया उस समय अपनी उंगली को अपनी चूत पर रगड़ रही थी और मेरी दूसरी बहन अपने बूब्स को धीरे से सहला रही थी, जिसका मतलब साफ था कि वो दोनों जोश में आ चुकी थी, लेकिन उन दोनों को यह भी पता नहीं चला कि मैंने उनको यह सब करते हुए अपनी आखों से देख लिया है और में कुछ देर देखकर वहाँ से वापस दबे पैर बाहर आकर बाथरूम में जाकर उनके नाम की मुठ मारकर अपने कमरे में वापस आ गया।

दोस्तों अब में पलंग पर लेटे हुए पूरी रात उन दोनों के बारे में सोचकर ना जाने कैसे कैसे विचार बनाता रहा, लेकिन अब मैंने सोच ही लिया था कि कैसे भी करके मुझे उनके साथ अब कुछ करना ही पड़ेगा। अब मेरे पास भी उनको दबाने के लिए कुछ सबूत सच्ची बातें उनकी हरकतों के बारे में मुझे पता चल चुका था। फिर दूसरे दिन मेरे पास अपने मन की उस बात को आगे बढ़ाने का एक अच्छा मौका था क्योंकि घर उस समय पूरा दिन मेरी मम्मी कहीं बाहर थी और वो शाम से पहले वापस नहीं आने वाली थी, लेकिन मेरा मन तो पूरी तरह से सोनल की चूत के नशे में पागल हो चुका था। फिर मैंने श्रेया से रात को उसके कमरे में हो रहे उस काम के बारे में पूछा वो शरमा गयी और तभी मैंने उससे कहा कि तुमने उस दिन मुझे मेरी छोटी सी बात के लिए इतना सब कहा और मुझे डराया और तुम दोनों के बीच रात में यह सब चलता है। फिर वो कहने लगी कि तुमने एकदम गलत काम किया था, क्योंकि हम लोग भाई बहन है और हम आपस में यह सब नहीं कर सकते है, यह बात अगर किसी को पता चले तो हमारे घर के साथ हमारी भी बड़ी बेज्जती होगी। फिर मैंने अपनी बात रखने के लिए उससे कहा, लेकिन उससे पहले हम एक जवान लड़का और लड़की है और वैसे भी उम्र के साथ साथ हम सभी में बदलाव आने लगता है और उसी वजह से मैंने अपने होश खोकर वो काम किया में पागल हो चुका था और तुमने मुझे प्यार से समझाने की जगह मेरे साथ ऐसा गंदा व्यहवार करना शुरू किया और फिर वो मेरी बातें सुनकर चुपचाप वहाँ से चली गयी।

फिर उसी रात को मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके सोनल से जाकर कह दिया कि मुझे तुम्हारी पेंटी चाहिए, तब उसने मुझसे कहा कि तुम बहुत अच्छी तरह से जानते हो कि में अपनी पेंटी कहाँ रखती हूँ और तुम मेरी पेंटी के साथ क्या करते हो, वो भी मुझे अब पता है, तुम्हे उसकी क्यों जरूरत है में सब कुछ समझती हूँ? अब मैंने उसका वो जवाब सुनकर मन ही मन खुश होकर उससे कहा कि रखी हुई पेंटी मुझे नहीं चाहिए मुझे तो जो तुमने अभी पहनी हुई है वो वाली चाहिए, तुम मुझे अभी उतारकर दो। फिर उसने चकित होकर मुझसे कहा कि यह कभी नहीं हो सकता, में अभी यह सब कुछ पापा, मम्मी को फोन करके बताने जा रही हूँ। मैंने उसको डराते हुए कहा कि अगर तुमने ऐसा कुछ भी किया तो में तुम्हारी वो रात वाली हरकते भी उनको बता दूंगा और उन किताबो को भी उनके सामने लाकर कह दूंगा कि यह सब देखकर तुम वो सब काम करती हो, उनको यह सभी सबूत देखकर मेरे ऊपर पूरा पूरा विश्वास हो जाएगा।

अब वो मेरे मुहं से यह सभी बातें सुनकर डर गयी और उसी समय उसने तुरंत ही खड़े होकर अपनी स्कर्ट के अंदर अपने दोनों हाथों को डालकर अपनी पेंटी को नीचे कर दिया। फिर उसके बाद वो पेंटी अब मेरे हाथ में थी और में उसकी उतरी हुई गरम पेंटी को अपने साथ लेकर अपने कमरे में सोने चला गया मैंने तुरंत ही दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और उसको बड़े मज़े से चूमते हुए जोश में आकर मैंने उसको अपने लंड के ऊपर रखकर मुठ मारना शुरू किया कुछ देर बाद अपना पूरा वीर्य पेंटी के अंदर निकालकर अपने लंड को शांत करके में ना जाने कब वैसे ही सो गया और दूसरे दिन सुबह उठा और अब तो ऐसे सभी काम में बिना किसी डर के करने लगा। मुझे अपनी बहनों की तरफ से कोई भी चिंता नहीं थी। में हर कभी उनकी पेंटी को उतरवाकर उसमे अपना वीर्य निकालकर उनको देकर अपने दूसरे काम को करने लगता। दोस्तों, लेकिन इतने दिनों तक यह काम करने के बाद अब मेरा मन कुछ अलग हटकर करना चाहता था, इसलिए में किसी अच्छे मौके की तलाश में हमेशा रहने लगा था और एक दिन मुझे मेरी अच्छी किस्मत से एक मौका मिल ही गया, क्योंकि उस दिन मेरे पापा और मम्मी हमारे किसी रिश्तेदार की शादी में शामिल होने दो दिन के लिए हमारे गाँव चले गये।

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फिर उस रात को में बिना डर ना किसी संकोच के में सीधा सोनल के रूम में चला गया और मैंने आज उनके साथ सब कुछ करने की बात अपने मन में सोच रखी थी। मैंने जल्दी से अपना पांच इंच का लंड पेंट से बाहर निकाल दिया और उसके बाद में एकदम नंगा होकर उन दोनों के सामने बैठ गया। तो मेरी इस हरकत की वजह से शरमाकर श्रेया वहाँ से उठकर तुरंत ही बाहर चली गई, लेकिन मेरी नजरे तो बस सोनल पर ही अटकी हुई थी और अब मैंने सोनल से कहा कि मैंने आज तक कोई जवान लड़की को नंगी नहीं देखा, मैंने केवल इंटरनेट और किताबों में ही यह सब देखा है, आज शायद मुझे यह मौका मिल जाए? मैंने देखा कि सोनल बार बार मेरे मोटे लंबे लंड को ही अपनी चकित नजरों से देख रही थी। मेरा इतना दमदार अच्छे आकार का लंड भी शायद उसने पहली बार देखा था, इसलिए उसके साथ ऐसा हो रहा था। अब मैंने सही मौका देखकर पास आकर धीरे धीरे उसके टॉप को उतार दिया। तब मुझे पता चला कि उसने सफेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी और उसके वो बूब्स आकार में 34 इंच के होंगे।

अब में उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को छूकर महसूस करने लगा। फिर कुछ देर बाद उसके मुहं से आह्ह्ह उह्ह्ह आउच की आवाज़ निकलने लगी। वो बड़ी मादक लग रही थी, जिसकी वजह से मेरा जोश अब पहले से ज्यादा बढ़ गया। अब मैंने बिना देर किए मौके का फायदा उठाकर उसकी ब्रा को उतारकर देखा बूब्स झट से मेरे सामने आकर खुली हवा में साँस लेने लगे, एकदम गोरे गोलमटोल बूब्स के ऊपर उसकी उठी हुई निप्पल को देखकर में अपने होश खो बैठा। फिर तुंरत ही मैंने उसके गुलाबी रंग के निप्पल को अपने मुहं में लेकर चूसना सहलना शुरू किया और ऐसा करने से हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था, करीब दस मिनट तक उसके दोनों बूब्स को बारी बारी से में दबाता और चूसता भी रहा जिसकी वजह से उसके बूब्स पूरे लाल हो गये थे और वो जोश में आकर सिसकियाँ लेते हुए अपनी चुदाई के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी। अब मैंने उस समय की नज़ाकत को देखते हुए तुरंत ही उसकी स्कर्ट को खोल दिया, जिसकी वजह से मुझे उसकी गुलाबी रंग की सिल्क वाली पेंटी साफ साफ नज़र आने लगी थी और उसके अंदर उसकी वो उभरी हुई कुंवारी चूत भी मुझे अपनी तरफ आकर्षित करने लगी।

फिर मैंने झट से उसकी पेंटी को भी खोल दिया और तब मेरी आखों के सामने बड़ा ही मस्त चकित कर देने वाला द्रश्य था, जिसको देखकर मेरे माथे से पसीना आने लगा, क्योंकि पहली बार में किसी की चूत, बूब्स गोरा जिस्म वो भी बिना कपड़ो के देख रहा था और उसकी वजह से मेरे शरीर का पारा चड़ चुका था। मुझे अब गरमी भी लगने लगी थी। दोस्तों मैंने देखा कि उसकी चूत बिल्कुल साफ थी और उसके ऊपर एक भी बाल नहीं था। में पागल होकर जानवरों की तरह उसकी चूत को चूमने लगा और कुछ देर बाद अपनी जीभ से चाटने भी लगा था, जिसकी वजह से वो आहह ऊफ्फ्फ उम्मह बस करो बार बार कहने लगी, लेकिन में तो अब किसी के भी कहने से रुकने वाला नहीं था और मैंने उसको बेड के साइड में बैठाकर दोनों हाथों से उसकी जांघो को पूरा फैलाकर चूत के होंठो पर अपने मुहं को उसकी चूत के होंठो पर लगाकर चूत का रस पीने लगा। में उसको किसी रसीले आम की तरह चूसता रहा, जिसकी वजह से मुझे बड़ा मस्त मज़ा आ रहा था, कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी और बोली अब देर मत करो, जल्दी से अंदर डाल दो मुझसे अब रुका नहीं जाता। फिर मैंने जल्द से अपनी पेंट से कंडोम निकालकर लंड पर लगा लिया और उसके बाद में उसके ऊपर चड़ गया। मैंने अपने एक हाथ से लंड को पकड़कर उसकी चूत के मुहं पर रखकर धक्का देते हुए अंदर डालने लगा। फिर वो आह्ह्ह आईईईइ ऊऊउउहह आआहह करने लगी और मेरे तीन जोरदार धक्को में लंड पूरा उसकी चूत के अंदर चला गया।

फिर में तेज तेज धक्के लगाने और उसके बाद करीब पांच मिनट तक उसको वैसे ही धक्के देकर मैंने चोदा और अब वो भी जोश में आकर अपनी गांड को उठा उठाकर मेरा साथ देने लगी। फिर में झड़ गया और फिर कुछ देर बाद मैंने उसके बूब्स के मज़े लेने के बाद जब मेरा लंड छोटा हुआ उसको बाहर निकाल लिया। उसके बाद उस कमरे से सीधा में कपड़े पहनकर बाथरूम में चला गया और उसके बाद नहाकर अपने कपड़े पहनकर में कुछ घंटो के लिए घर से बाहर चला गया। दोस्तों सच कहूँ तो में उस दिन अपनी पहली चुदाई के मज़े लेकर बड़ा खुश था। फिर कुछ दिन अपने घर वालों के साथ रहने बाद में वापस अपने होस्टल चला गया, लेकिन उसके बाद से जब भी हम तीनों घर में अकेले रहते तो में सही मौका देखकर उनके साथ चुदाई का खेल खेलकर मज़े लेता। उन्होंने मेरे साथ उनकी चुदाई का अब बिल्कुल भी विरोध करना एकदम बंद कर दिया था और में हमेशा उनको कंडोम लगाकर ही चुदाई का मज़ा देता, जिसकी वजह से ना उनको कोई दुःख और ना मेरे सामने कोई परेशानी थी। दोस्तों यह थी मेरी एक सच्ची चुदाई की कहानी जिसमे मैंने अपनी बहनों के साथ मज़े लिए में उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी आप सभी को जरुर पसंद आएगी ।।



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