हेलो फ्रेंड्स, मैं प्रीथनका अपनी अगली चुदाई की कहानी लेके हाज़िर हू. उमीद है आप मेरी पिछली स्टोरीस पढ़ रहे होंगे. अगर अभी तक आपने कोई भी सेक्स स्टोरी मिस करी है, तो उनको ज़रूर पढ़े. आज की कहानी शुरू करती हू.
मेरे बारे में तो आप जानते ही है. मैं पुंजब के लुधियाना से हू, और मेरी उमर 23 साल है. फिगर मेरा 34-29-36 है, और लड़के मुझ पर मरते है. लेकिन मैं हर किसी को नही देती.
ये बात कुछ दिन पहले की है. मैं पापा और मम्मी के साथ किसी पार्टी पर गयी थी. वहाँ पापा के कुछ दोस्त भी थे, जिनके साथ मिल कर पापा ने दारू काफ़ी पी ली थी. फिर जब तक हम वापस आने वाले थे, तब तक वो पुर तुंन हो चुके थे. गाड़ी में बैठे हुए भी हमे दर्र लग रहा था, की कहीं पापा गाड़ी थोक ना दे. लेकिन ऐसा हुआ नही, और हम सही-सलामत घर पहुँच गये.
घर आके मैं अपने रूम में चली गयी, और पापा-मम्मी अपने रूम में. अभी कुछ ही मिनिट हुए थे हमे आए को, की मुझे उन दोनो के झगड़ने की आवाज़े आने लगी. फिर मुझे कुछ गिरने की आवाज़ आई, तो मैं जल्दी से उनके रूम की तरफ गयी. देखा तो मम्मी ज़मीन पर बैठी थी, और उनकी आँखों में आँसू थे.
मैं अंदर गयी, और मम्मी को अपने साथ ले आई अपने रूम में. फिर हम वहीं बेड पर सो गये.
मेरे रूम में सिंगल बेड है, और मम्मी-पापा के रूम में डबल. मैने मम्मी को अपने साथ सुला तो लिया, लेकिन मेरे खुद के लिए जगह नही बची. मैं बड़ी मुश्किल से मम्मी के साथ अड्जस्ट कर रही थी, और मुझे नींद नही आ रही थी.
फिर मैने उठ कर देखा, तो मम्मी गहरी नींद में थी. मैने सोचा मैं मम्मी की जगह जेया कर सो जाती हू. फिर मैं मम्मी-पापा के रूम में गयी, और पापा की साइड में जाके सो गयी. पापा एक कोने में सोए थे, और मैं दूसरे कोने में सो गयी.
अभी मुझे नींद आई ही थी, की मुझे अपने बदन पर कुछ महसूस हुआ. मेरी आँख खुली तो देखा पापा मेरी तरफ मूड कर मुझसे चिपके हुए थे. मैने पापा को तोड़ा पीछे करने की कोशिश की, लेकिन नही हुआ.
तभी पापा ने मेरे चुचे पर हाथ डाला, और उसको मसालने लगे. मैने पाजामा त-शर्ट पहने हुए थे, और पापा ने सिर्फ़ पाजामा पहना था. पापा त-शर्ट के उपर से मेरे चुचे को दबा रहे थे.
मैने उनका हाथ पीछे करने की कोशिश कर ही रही थी, की मुझे अपनी गांद पर पापा के लंड की रगड़ान फील होने लगी. पापा पीछे से अपनी गांद आयेज-पीछे करके लंड गांद में दबा रहे थे.
उनके ये सब करने से मैं थोड़ी गरम होने लगी. अब मैं सोचने लगी की उनको रोकू, या जो हो रहा था होने डू? तभी पापा ने अपना हाथ नीचे ले जेया कर मेरे पाजामे में डाल दिया, और पनटी के उपर से मेरी छूट मसालने लगे. वो साथ में मेरी मम्मी का नाम लेने लगे.
उनके मूह से मम्मी का नाम सुन कर मैं समझ गयी की वो मुझे मम्मी समझ रहे थे. मतलब जो कुछ भी होता, मम्मी के साथ होता, मेरे साथ नही. ये सोच कर मैं अपना हाथ पीछे लेके गयी, और पाजामे के उपर से पापा का लंड पकड़ कर दबाने लगी. उनका लंड काफ़ी बड़ा और मोटा था.
पापा ने मेरी पनटी में हाथ डाल लिया, और मेरी छूट का दाना रगड़ने लगे. कुछ देर ऐसा ही चलता रहा. मेरी छूट पूरी तरह गीली हो चुकी थी. फिर पापा ने अपना पाजामा और अंडरवेर नीचे किया, और लंड बाहर निकाल लिया. फिर वो मेरा पाजामा भी नीचे करने लगे. मैने अपना पाजामा और पनटी उतारने में उनकी मदद की.
अब उनका बड़ा सा लंड मेरी नंगी गांद पर रग़ाद खा रहा था, जो मुझे और गरम कर रहा था. फिर पापा ने मेरी एक टाँग उठाई, और उसको पीछे मोड़ कर अपनी टाँगों के उपर रख दी. इससे उनका लंड और मेरी छूट करीब आ गये. अब पापा ने अपना लंड अपने हाथ में लिया, और उसको मेरी छूट पे रगड़ने लगे.
मैं आ आ कर रही थी, लेकिन आवाज़ कम ही थी, ताकि वो जाग ना जाए, और उनको ये ना पता चला की मैं उनकी पत्नी नही बेटी थी. फिर पापा ने लंड छूट के मूह पर रख कर धक्का मारा. उनका आधा लंड फिसलता हुआ मेरी छूट में चला गया, और हम दोनो ने मूह से आ निकल गयी.
पापा ने मेरी टाँग को पकड़ा, और लंड अंदर-बाहर करने लगे. धीरे-धीरे उनका पूरा लंड अंदर-बाहर होने लगा, और मुझे इस चुदाई में बहुत मज़ा आने लगा. मैं ज़ोर-ज़ोर से आहें भरना चाहती थी, लेकिन धीमी आवाज़ से ही काम चला रही थी.
छूट चुदाई के साथ पापा मेरी त-शर्ट उठा कर मेरी पीठ पर किस भी कर रहे थे. वो मेरी पीठ चाट रहे थे, और उस पर दाँत भी काट रहे थे. नीचे से उनका लंड मेरी छूट को बहुत ज़्यादा सुख दे रहा था. छूट के पानी की वजह से छाप छाप की आवाज़े निकल रही थी.
कुछ देर पापा ने मुझे उसी पोज़िशन में छोड़ा. फिर लंड निकाल कर वो सीधे लेट गये, और मुझे अपनी तरफ खींचने लगे. मैं समझ गयी की वो मुझे अपने उपर चढ़ना चाहते थे. फिर मैने पीछे मूड कर देखा, तो उनकी आँखें बंद थी.
मैं फिर घूम कर उनके उपर आ गयी, और उनके लंड को अपनी छूट में ले लिया. अब मैं पापा के लंड को अपनी छूट से छोड़ने लगी, और उनके उपर उछालने लगी. मैने अपनी त-शर्ट भी उतार दी, और उनके हाथ अपने चुचो पर रख दिए. पापा मेरे चुचे दबाते हुए नीचे से मेरी छूट चुदाई कर रहे थे. उनकी आँखें अभी भी बंद थी, और वो मम्मी का नाम ले रहे थे.
फिर मैं अपनी गांद ज़ोर-ज़ोर से उनके लंड पर मारने लगी. मेरा निकालने वाला था, और मैं बढ़िया सा ऑर्गॅज़म चाहती थी. पापा भी मेरे चूतड़ दबा कर उपर-नीचे होने में सपोर्ट कर रहे थे. तकरीबन 5 मिनिट मैं फुल स्पीड पर पापा के लंड पर कूदी.
फिर मुझे अपनी छूट में पापा का गरम-गरम माल महसूस हुआ. मेरा पानी भी साथ ही निकल गया, और मुझे चरमसुख की प्राप्ति हुई. उसके बाद मैं उनके उपर से उतार कर नंगी ही उनके साथ सो गयी. सुबा जल्दी उठ कर मैने कपड़े पहने, और अपने कमरे में आ गयी. किसी को कुछ पता नही चला.