तभी लाइट आ गयी। मैं अपना ब्रा का हुक लगाकर ब्लाउज का हुक लगाने लगी और अपना साडी निचे करने लगी। पापा जी अपने लंड को अंडरवियर में डालते हुए बोले। रेखा तुमने बोला नहीं। मैं तो सोचा था सावित्री है। तो मैं बोली आपने मौक़ा ही नहीं दिया। जब मौक़ा मिला तब तक बहुत देर हो चुकी थी आपने सब कुछ कर भी दिया था।
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तो पापा बोले फिर तुमने ब्लाउज का हुक क्यों खोला? और तो गोल गोल घुमा रही थी तुम्हे तो पता था ? मुझे ग़लतफ़हमी हो गयी थी पर तुम्हे से सब कुछ पता था। तो मैं बोलने लगी करती क्या मेरे अंदर की कामुकता जाग गयी थी। जैसे आप गलती कर बैठे वैसे मैं भी गलती कर बैठी।
और फिर बाप बेटी में ऐसे बन गया था सेक्स सम्बन्ध। और पापा ने मुझे मम्मी जानकर चोद दिया।