सेक्स कहानी सिलसला चुदाई का

silsala chudai ka दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहते हैं के 2 चीज़ें इंसान चाहे जितनी कोशिश करे, कभी च्छूपा नही सकता. पहली चीज़ है वेस्ट, शिट, क्रॅप और दूसरी चीज़ होती है झूठ. और वजह दोनो के पिछे एक ही है, दोनो चीज़ें बदबू मारती हैं. कोई भी इस बदबू को ज़्यादा वक़्त तक छुपा कर नही रख सकता और अगर ऐसा करने की कोशिश करे, तो वो बदबू एक लंबे अरसे तक खुद ही सूंघनी पड़ती है. इंसान एक झूठ बोलता है, फिर उसे छुपाने के लिए दूसरा झूठ, फिर तीसरा और झूठ बोलने का ऐसा सिलसिला शुरू हो जाता है जिससे निजात सिर्फ़ सच बोलकर ही पाई जा सकती है, पर कभी कभी ऐसा करने के लिए भी बहुत देर हो चुकी होती है.

एक ऐसा ही खेल किस्मत ने मेरे साथ भी खेला. 10 साल पहले एक मनहूस रात को मैने एक ग़लती की और सबकी नज़र से उसको छुपा तो लिया पर फिर मेरी अपनी करतूत मेरे सामने इस तरीके से आ खड़ी हुई के मैं चाह कर भी कुच्छ कर नही सकता था. उस रात की मेरी ग़लती ने एक ऐसा अटूट सिलसिला शुरू कर दिया था जिसे मैं लाख कोशिशों के बाद भी रोक नही पा रहा था.
क्या करूँ, क्या ना करूँ, सर पकड़े आँखें बंद किए बैठा यही सोच रहा था के दीवार पर टन्गि पुराने ज़माने की घड़ी ने ग्यारह बजाए और घंटे की आवाज़ पूरे घर में गूंजने लगी.

“वक़्त हो चुका है” मैने दिल ही दिल में सोचा

“इतने ध्यान से क्या सोच रहे हो?” उसकी मीठी सुरीली आवाज़ मेरे कान में पड़ी

सर उठाकर मैने अपनी आँखें खोली और उसकी तरफ देखा. वो मेरे सामने बैठी मुस्कुरा रही थी.

“सर में दर्द है? दबा दूं?” अपने उसी फिकर करने वाले अंदाज़ में उसने प्यार से पुछा. मैने मुस्कुराते हुए इनकार में गर्दन हिला दी.

हम दोनो मेरे मनाली के पास ही एक छ्होटे से हिल स्टेशन में बने घर में बैठे थे. ये बंगलो मैने 12 साल पहले खरीदा था और अक्सर यहाँ आता रहता था. आसमान में चाँद पूरे नूर पर था और हम दोनो बड़ी सी बाल्कनी में लगी हुई डिन्नर टेबल पर बैठे थे.

“खाना ठंडा हो रहा है जान” उसने प्लेट मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा “खा लो. खीर फिर से ठंडी हो गयी है, मैं गरम कर लाऊँ”

“नही रहने दो” मैने कहा “मुझे ठंडी ही पसंद है”

खीर, दिल ही दिल में मैं सोच रहा था, हमेशा की तरह.

पिच्छले 10 साल में वक़्त ने उसको ज़रा भी नही बदला था. वो आज भी वैसी थी. लंबे घने काले बाल, तीखे नैन नक्श, गोरा रंग, भारी भारी चूचियाँ, लंबा कद. आज भी किसी 20-22 साल की लड़की की तरह प्यार लफ्ज़ में कितना भरोसा रखती थी. वो सब कुच्छ थी जो एक मर्द को चाहिए होता है पर पता नही मुझे उससे ज़्यादा और क्या चाहिए था.

मैने एक हाथ से अपने कोट की पॉकेट चेक की. उम्मीद के मुताबिक ही मेरी .45 रिवॉलव मेरी जेब में थी. लोडेड.

खाना ख़तम करके उसने प्लेट्स हटाई और अंदर किचन में रख कर आ गयी. आते आते उसने म्यूज़िक सिस्टम पर एक स्लो रोमॅंटिक ट्यून लगा दी और वॉल्यूम इतना कर दिया के हमें बाहर तक आवाज़ आए.

“कम डॅन्स विथ मी” आते हुए उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया.

“बट वी जस्ट एट” मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया

“सो? कम ऑन” मेरा हाथ पकड़ कर उसने खींचा. मैं जानता था के वो ऐसा करेगी इसलिए उसके कोशिश करने से पहले ही उठ कर खड़ा हो गया.

“हॅव यू रियली, लव्ड ए वुमन ……” ब्रयान आडम्स की आवाज़ आ रही थी और हम दोनो के जिस्म एक दूसरे से सटे हुए, बहुत करीब, धीरे धीरे म्यूज़िक के साथ हिल रहे थे. उसके दोनो हाथ मेरे कंधे पर थे और मेरे उसकी कमर पर. मेरे कंधे पर रखे उसके चेहरे की साँस की गर्मी मैं अपनी गर्दन पर महसूस कर रहा था, और हर साँस के साथ उपेर नीचे होती उसकी चूचियों को अपने सीने पर महसूस कर रहा था.

घर के अंदर घड़ी ने 12 बजाए. मैं जानता था के अब वो क्या कहेगी.

“लेट्स गो टू दा बेडरूम. मेक लव टू मी. आइ वॉंट टू सेलेब्रेट और आनिवर्सयरी विथ यू इनसाइड मी” कहते हुए वो हल्की सी उपेर को उठी और अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए.

कुच्छ पल बाद हम दोनो बेडरूम में खड़े एक दूसरे से लिपटे हुए थे.

“तुम्हारे बाल सफेद हो रहे हैं” धीरे से उसने मेरे कान में कहा “जवानी में बुड्ढे हो रहे हो. आइ होप के बेड पर अब भी पर्फॉर्म कर सकते हो”

कहकर वो धीरे से हँसी, वही प्यारी सी हँसी की आवाज़.

एक मर्द को और क्या चाहिए हो सकता है जो इसमें नही, मैने दिल ही दिल में सोचा.

“हॅव यू रियली लव्ड ए वुमन” ब्रयान आडम्स के गाने की आवाज़ फिर आई और मैं सोचने पर मजबूर हो गया के डिड आइ रियली लव हर?

उसने अपनी दोनो बाहें मेरे गले में डाल दो. शी लाइक्ड दा स्ट्रॉंग प्ले ऑफ माइ मसल्स.

“लव मी, जान,” उसने धीरे से मेरे कान में कहा.जैसे के वो जानती हो के मैं क्या सुनना चाह रहा हूँ. यही वो लाइन थी जो उसने मुझसे 10 साल पहले कही थी और उसके बाद हर साल कहती आ रही थी पर मैं क्यूँ कभी उसको प्यार ना कर सका, ये मुझे कभी समझ नही आया.

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मैने उसे अपनी बाहों में उठाया और बेड पर गिरा दिया. शी सॅट देर स्माइलिंग अप अट मी. शी वाज़ ब्यूटिफुल, एलिगेंट, ग्रेस्फुल, जेंटल, काइंड आंड हॉट, ऑल अट दा सेम टाइम, एवेरितिंग आइ कुड वॉंट इन ए वाइफ.

“तो इसके अलावा और क्या चाहिए मुझे?” मैने दिल ही दिल में सोचा और मेरा ध्यान कोट की जेब में रखी रेवोल्वेर पर गया.

मैने अपना कोट उतारकर एक तरफ रखा और अपनी ज़िप नीचे की. मेरा खड़ा हुआ लंड फ़ौरन ही बाहर आ गया.

वो मेरा इशारा अच्छी तरह समझती थी. आख़िर ये पहली बार तो नही था के हम एक दूसरे से प्यार कर रहे थे. मुस्कुराती हुई वो उठकर अपने घुटनो पर बैठ गयी, अदा से अपनी ज़ुलफ को लहराते हुए एक तरफ किया और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा.

“उम्म, हा,” मेरे मुँह से निकल पड़ा. उसके हाथ कितने ठंडे थे. एक नज़र मैने ए.सी. टेंपरेचर पर डाली.

“यू आर सो हार्ड,” उसने कहा, और मुस्कुराते हुए मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. हर टंग रेस्ड अराउंड थेथिcक टिप ऑफ माइ लंड अंटिल शी वाज़ लिटरली ड्रूलिंग. वो कभी दूसरी लड़कियों की तरह आराम से नही चूस्ति थी, सीधा लंड मुँह में लेते ही ऐसे चूसने लगती थी के मुझे लगता था के उसके मुँह में ही छूट जाऊँगा. आनंद की एक अजीब सी लहर मेरे पूरे शरीर में दौड़ गयी. मेरा लंड बेन्तेहाँ गरम हो चुका था और उसकी ठंडी गीली जीभ का टच एक अजीब सी उत्तेजना पैदा कर रहा था. खड़े खड़े मेरे पावं काँपने लगे और वो इशारा समझ गयी. वो लंड और भी तेज़ी से चूसने लगी. कभी मुँह में लेती तो कभी अपने होंठ लंड पर फिराने लगती.

आंड देन हर फिंगर्स रीच्ड आउट आंड फाउंड माइ बॉल्स. शी लाइट्ली करेस्ड देम, फोंदलिंगथें आंड प्लेयिंग वित देम और इसने जैसे मेरे दिल-ओ-दिमाग़ में एक जादू सा पैदा कर दिया. जिस तरह से मेरा लंड उसके मुँह में झटके खा रहा था, उससे मुझे पूरा यकीन था के वो भी समझ चुकी थी के मुझे कितना मज़ा आ रहा था. मैने अपने दोनो हाथों से उसके सर को पकड़े और अपने पेट की तरफ खींची लिया. मेरा पूरा लंड उसके मुँह गले तक उतार गया.

शी गॅस्प्ड, फीलिंग दा ब्लंट टिप ऑफ माइ कॉक बाउन्स ऑफ दा रूफ ऑफ हर माउत. शी स्वॉलोड हार्ड आंड देन माइ प्रिक रेस्ड पास्ट हर टॉन्सिल्स.
मेरा खड़ा लंड उसके गले के अंदर तक उतर चुका था. एक पल के लिए उसने पिछे हटने की कोशिश की, शायद उसका दम घुटने लगा था, पर फिर वो धीरे से शांत हो गयी और लंड के निचले हिस्से पर अपनी जीभ फिराने लगी.
कुच्छ पल बाद वो पिछे को हुई और लंड मुँह से निकाल कर लंबी लंबी साँस लेने लगी. देन शी टेन्स्ड हर जॉस और दांतो से मेरे लंड पर काटा. जिसमें मुझे तकलीफ़ होनी चाहिए थी उसमें भी मुझे मज़ा ही आया. आइ ग्रोंड. आंड शी इमीडीयेट्ली सक्ड इट बॅक इन हर माउत.

“… निकलने वाला है मेरा! बस करो, बस नही तो मुँह में ही निकल जाएगा! प्लीज़!”

उसने लंड मुँह से निकाला और पिछे को होकर बैठ गयी. मैने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ना चाहा पर वो तेज़ी के साथ पिछे होते हुए आराम से लेट गयी और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी.

मैने अपनी पेंट के बटन खोले और उसको उतार कर पूरी तरह नंगा हो गया. मुझे देखते हुए उसने भी अपने गाउन के स्ट्रॅप्स अपने शोल्डर्स से खिसकाये और लेटे लेटे ही गाउन सरका कर अपने घुटनो से नीचे कर दिया.

हमेशा की तरह वो नीचे से नंगी थी. गाउन के नीचे कुच्छ भी नही था.

“फक मी नाउ” उसने अपनी बाहें मेरी तरफ फेलाइ “लव मूव, चोदो मुझे”

वो अच्छी तरह जानती थी के मुझे बिस्तर पर इस तरह की बातें कितना एग्ज़ाइट करती थी और वो इनका इस्तेमाल करना भी बखूबी जानती थी. बिस्तर पर चढ़ता हुआ मैं उसके करीब पहुँचा.

उसने अपनी टांगे धीरे से फेलाइ और हवा में उपेर को उठा ली.

“मेरी चूत को तुम्हारे लंड का इंतेज़ार है. आ जाओ. चोदो मुझे”

ये मेरे लिए बहुत से कहीं ज़्यादा था. मेरा लंड पूरे जोश में आ गया और मैं फ़ौरन उसकी टाँगो के बीच आ गया. लंड हाथ से पकड़ कर उसकी चूत पर रखा.

“गेट इन …. इन वन शॉट …” उसने नीचे से अपनी गांद उपेर को उठाई.
मैने ज़ोर से धक्का मारा और मेरा लंड उसकी गीली चूत में अंदर तक धस गया.

“आआअहह” वो चिल्लाई “भर दो मुझे …. पूरी को भर दो”

लंड उसकी चूत में अंदर तक घुसा कर मैं उसके उपेर झुका और उसके होंठ को चूमा पर उसने मेरे बाल पकड़ते हुए मेरे सर को नीचे अपनी चूचियो की तरफ धकेल दिया,

“सक देम” किसी शेरनी की तरफ वो चिल्लाई “चूसो इन्हें, काटो, मस्लो. सक दा लाइफ आउट ऑफ देम”

मैने उसका निपल अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मेरे बालों को पकड़े वो जैसे अपनी पूरी चूची मेरे मुँह में घुसाने की कोशिश कर रही थी.

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“आआअहह” वो चिल्लाई और नीचे से अपनी गांद हिलाते हुए लंड अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगी “चोदो मुझे जान … जी भरके चोदो …. आज आनिवर्सयरी पर बोलो क्या चाहिए तुम्हें?”

मैं जानता था के अब वो क्या कहने वाली थी.

“बोलो क्या करना चाहते हो? मैं सब करूँगी आज की रात. तुम मेरी गांद मारना चाहते हो ना? आइ विल गिव यू माइ गांद. टेल मी व्हाट एल्स डू यू वॉंट लवर?”

मैं दिल ही दिल में मुस्कुरा उठा. वो हमेशा यही कहती थी पर ऐसा करने की नौबत आई नही थी.

“फक मीईईई” मैने हल्के से लंड बाहर खींचा तो वो फिर चिल्लाई
तभी बाहर लगी घड़ी में 1 बजा.

“लेट्स काउंट दा शॉट्स” वो फ़ौरन बोली “लेट्स सी इफ़ यू आर केपबल ऑफ 10,000 शॉट्स इन माइ चूत. बोलो है दम?”

मैने उसकी तरफ देखा और उसकी दोनो चूचियो को पकड़ कर नीचे से धक्के लगाने लगा. वो मेरे हर धक्के को गिन रही थी.

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उस पूरी रात मैं उसको जानवरो की तरह चोद्ता रहा और वो ही हमेशा की तरह बिस्तर पर लगातार मेरा मुक़ाबला करती रही. थक कर हम दोनो बिसर पर लुढ़क गये और वो मेरी बाहों में आराम से लेट गयी.

“कुच्छ सुनाऊं? ” धीरे से वो मेरे कानो में बोली. मतलब मैं समझता था. उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और उसके होंठ चूम लिए.

“सूनाओ” मैने कहा और वो एक ग़ज़ल सुनाने लगी.

यूँ ना मिल हमसे, खफा हो जैसे,
साथ चल, मौज-ए-सबा हो जैसे.

लोग यूँ देख कर हंस देते हैं,
तूने मुझे भुला दिया हो जैसे,

इश्क़ को शर्क की हद तक ना बढ़ा,
यूँ ना मिल हमसे, खुदा हो जैसे.

मौत आई भी तो इस नाज़ के साथ,
मुझे कोई एहसान किया हो जैसे.

हिचकियाँ रात भर आती रही,
तुमने मुझे याद किया हो जैसे.

ज़िंदगी गुज़र रही है इस तरह,
बिना जुर्म कोई सज़ा हो जैसे.

बाहर घड़ी 5 बजा रही थी.

“यू वाना सी दा सन राइज़?” मैने उससे पुछा तो किसी छ्होटी बच्ची की तरह उसने फ़ौरन हां में सर हिला दिया.

“कम” कह कर मैं बिस्तर से उठा और वो भी मेरे पिछे पिछे ही उठ गयी.

तैयार होकर हम दोनो घर से निकले और थोड़ी देर चल कर एक पहाड़ की आखरी छ्होर पर पहुँचे. मेरा घर जहाँ बना हुआ था वहाँ दूर दूर तक कोई और घर नही था. बस सुनसान सड़क के किनारे एक पहाड़ के उपेर बना छ्होटा सा कॉटेज.

उसका हाथ पकड़े मैं पहाड़ की किनारे पर आकर खड़ा हो गया. हम दोनो के आगे अब एक गहरी खाई थी पर उसकी तरफ ना ध्यान उसका था, ना मेरा. सामने आसमान पर चाँद अब भी पूरा था और हल्की हल्की सूरज की लाली भी फेलनी शुरू हो गयी थी. ये एक ऐसा नज़ारा था जब आसमान पर रात का चाँद और सुबह का सूरज, दोनो एक साथ देखे जा सकते थे.

वो मुस्कुराते हुए पूरी दुनिया से बेख़बर सामने आसमान की और देख रही थी. मैं 2 कदम पिछे को हुआ और अपनी जेब पर हाथ रखा. ऱेवोल्वेर अब भी मौजूद थी.

मैं जेब में हाथ डाला और रेवोल्वेर बाहर निकाली.

“वक़्त हो चुका है” आसमान में उगते सूरज की तरफ देखते हुए मैने सोचा.

“सॉरी जान” एक नज़र उसपर डालते हुए मैं ज़ोर से बोला.

वो मेरी तरफ पलटी.

मेरी अंगुली ने रेवोल्वेर का लीवर खींचा.

हवा में गोली की आवाज़ गूँजी.

ऱेवोल्वेर से निकली गोली उसके माथे पर लगी और उसका खूबसूरत चेहरा बिगड़ गया.

पीछे को झटका खाते हुए वो लड़खड़ाई और खाई में जा गिरी.

कुच्छ देर तक वहीं खड़ा मैं लंबी साँस लेकर अपने आपको शांत करता रहा. जब धड़कन काबू में आ गयी तो मैने आगे बढ़कर खाई में झाँका.

नीचे पत्थर तो नज़र आ रहे थे पर उसकी लाश का कहीं नाम-ओ-निशान नही था. वो तो जैसे गिरते हुए कहीं हवा में ही गायब हो गयी थी.
मैने अपने हाथ की तरफ देखा. ऱेवोल्वेर भी मेरे हाथ से गायब हो चुकी थी.

“मौत आई भी तो इस नाज़ के साथ,
मुझपे कोई एहसान किया हो जैसे”

मुझे उसके कहे बोल याद आए और मैं पलट कर वापिस कॉटेज की तरफ चल पड़ा जहाँ पहुँच कर मुझे हर चीज़ फिर वैसे ही करनी थी जैसे की वो 10 साल पहले उस रात थी जब मैने उसका खून किया था.

पर क्या सच में मैं उसे मार पाया था? वो हर साल इसी रात फिर जाने कहाँ से लौट आती थी, जाने कैसे लौट आती थी और ये रात ठीक उसी तरह चलती थी जैसे की 10 साल पहले चली थी.

वो खाना बनती थी, हम खाते थे, एक दूसरे को प्यार करते थे, सन्राइज़ देखने आते थे और मैं हर सुबह उसका खून करता था. हर साल इसी रात वो जैसे अपनी मौत की कहानी दोहराने फिर चली आती थी. एक ऐसा सिलसिला जो ख़तम होने का नाम ही नही ले रहा था. एक ऐसी ग़लती जो कि तो मैने 10 साल पहले थी पर अब हर साल करनी पड़ रही थी.

“ज़िंदगी गुज़र रही है इस तरह
बिना जुर्म कोई सज़ा हो जैसे.”
दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त



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