निशा की चुदक्कड़ चुचियाँ

nisha ki chudakkad chuchiya थी तो निशा सिर्फ़ 18 साल की, पर ना जाने क्यो उसकी छाती अपनी मा से भी बड़ी थी. हर हफ्ते जब भी वो आईने के सामने खड़ी होती, अपना शर्ट उतारती, उसके मम्मे ब्रा की बॉर्डर के बाहर उभर आते. वो तय नही कर पा रही थी कि उसे अपने मम्मे पसंद थे या नही. कभी कभी, जब वो भीड़ में होती तो अंजान मर्द उसके मम्मे ज़ोर से दबाते और निशा के पैरो के बीच उसकी जवान चूत भीग जाती. लेकिन जब वो कपड़े खरीदने जाती तो जो ड्रेस उसे पसंद आता उसके बटन बंद नही कर पाती थी, उसके मम्मे बटन को दोनो बाजू से खीच कर ड्रेस को तंग बना देते थे. उसका छ्होटा 5फ्ट 2 इंच का कद, उसका 26 इंच का नाज़ुक पेट, 38 इंच की कमर काफ़ी सेक्सी थी, पर उसके मम्मे 16 साल की उमर में ही 38 इंच के हो चुके थे. खैर, मेरी ही ग़लती है – निशा ने सोचा.

उसकी ग़लती कुच्छ इस तरह शुरू हुई….

2 साल पहले की बात है… निशा को स्कूल में संगीत के प्राक्टिज़ के लिए जल्दी जाना था. वो सुबह 6 बजे की बस में जाने वाली थी, पर घर से निकलने में देर हो गयी. वो बस पकड़ने के लिए रास्ते में भाग रही थी. किस्मत से ड्राइवर ने बस को रोका और निशा डबल डेककर के पहले माले पर बैठ गयी. इतनी जल्दी सुबह बस में दो लड़के थे, और कोई नही था. वो हाफ्ते हुए बस की पिच्छली सीट पर बैठ गयी. उनके चेहरों से लग रहा था कि वो लड़के 18-19 साल के थे. शायद वो कॉलेज जा रहे थे? वो दो लड़के अपने आप में बात कर रहे थे, पर जान बूझकर ज़ोर से बात कर रहे था, ताकि निशा सुन सके. एक बोला – साली को देखा रास्ते पर भागते हुए? दूसरा बोला – क्या मम्मे हिल रहे थे ना? इतनी उमर में इतने बड़े बड़े कॅलिंगर?? साली चुदी हुई लगती हैं. फिर दोनो हस पड़े और बोले – चुदने में कितना मज़ा आता होगा ना? चूत में ठोकते ठोकते उसके गुब्बारो को दबा दबा के उसके निपल को ज़ोरो से खिचना चाहिए, जैसे हम तबेले में गाय को को देखते है न ऐसे. यह बोलके वो और भी ज़ोर से हस्ने लगे.

निशा शर्मा रही थी पर उसे यह सुनके मज़ा भी आ रहा था. उसे आज तक किसी लड़के ने उसकी मर्ज़ी से नही च्छुआ था. हा,भीड़ में कभी कभी मर्द उसका फ़ायदा उठाते थे, उसके मम्मे और कमर को भोपु की तरह दबाते थे और गायब हो जाते थे. और निशा के पूरे बदन में सेक्स चढ़ जाता था. पर लड़कियों के स्कूल में पढ़ने के कारण उसका कभी लड़कों से ऐसे पाला नही पड़ा था. उसकी तंग ब्रा में उसके निपल खड़े हो रहे थे और नर्म कपड़ो से गोटियों की तरह खिल रहे थे. निशा ने अपने शर्ट में हाथ डालकर अपने निपल की चींटी काटी. उसी वक्त एक लड़का मुड़ा और मुस्काराया. निशा घभरा गयी और तुरंत अपना हाथ शर्ट से निकल कर खिड़की के बाहर झाकने लगी. वो लड़का ज़ोर से बोला – बेबी, मदद चाहिए क्या?

निशा हंस पड़ी और लड़के की नज़र से नज़र मिलाई, फिर नज़र झुकाई, और अपने दातों तले अपने निचले होन्ट को चबाया.

वो लड़का अब निशा के बगल में बैठ गया और हाथ बढ़ाते बोला – असलम. निशा ने हाथ मिलाया और अपने आप को इंट्रोड्यूस किया और बोली – और आपके दोस्त का नाम? असलम चिढ़ते हुए बोला – दोनो को लोगि क्या? आए माजिद सुना क्या? तेरे को भी पूच्छ रही है! माजिद हसा और अगली सीट पर मुड़कर बैठ गया, ताकि वो निशा को देख सके. माजिद बोला – क्यो बेबी, दो दो चाहिए क्या? निशा अब घबरा गयी. असलम ने निशा की आँखों में घबराहट पढ़ी और अपना एक हाथ उसके पीठ पर रगड़ा और बोला – श्ह्ह…. घबराने की कोई बात नही. कभी किसी लड़के ने ऐसा नही किया क्या? यह कहते हुए असलम ने अपना दूसरा हाथ निशा की छाती पर अच्छी तरह फिराया, ना तो बहुत ज़ोर से, ना तो बहुत नाज़ुक. निशा बोली – हा, भीड़ में मर्द ने हाथ लगाया है, पर इस तरह नही. माजिद ने निशा की एक चूची ज़ोर से दबाते दबाते बोला – अच्छा लगता है बेबी मरद जब चान्स मारते हैं?? निशा शर्मा के मुस्कुराइ. असलम ने उसकी निपल खीची और हस्ते हस्ते बोला – बहुत शरमाती हो जानेमन. हम दोनो के सामने नंगी फूंगी खड़ी होके चूची हिला हिला के नचोगी तब भी शरमाओगी क्या? ह्म्म?? यह कहते हुए माजिद और असलम दोनो ने उसकी एक एक निपल को अपने हाथों में लिया और निपल के सहारे से उसके मम्मे को ढपाधप हिलाने लगे और गाना गाने लगे – चोली में, तबाही है तबाही तबाआआहि.

तो ऐसे शुरू हुआ निशा के मम्मो का रोज़ मालिश. वो असलम और माजिद को सुबह मिलती, और कभी कभी शाम को. कभी पार्क में एक कोने में माली की झोपड़ी के पीछे, दोनो उसका शर्ट खोलकर उसके मम्मो को अच्छी तरह दबाते, रगड़ते, किस करते, चूस्ते, काटते, खेलते – 2 साल तक चलता रहा यह खेल. 32 इंच की छाती अब 2 साल बाद 38 इंच की हो चुकी थी. उसका कप साइज़ सी से अब एफ तक पहुच चुका था. अब वह कॉलेज जाने लगी – उसी कॉलेज में जिसमे असलम और माजिद लगातार 4 साल तक फैल होते रहे थे. अब वह फाइनल में थे, और निशा पहले साल में.

आज तो निशा 16 साल की है. उसकी चूत अब तक कुँवारी है. हा, जब भी असलम और माजिद उसके मम्मों के साथ मस्ती करते है, तो उसकी चूत में से पानी छ्छूटता है, पर इसके अलावा निशा को तो यह भी नही मालूम कि लड़की और औरत के बीच अंतर क्या है. उसे तो यह भी नही मालूम कि चुदाई किसे कहते है. जब भी उसके दो दोस्त उसके बदन से खेलते तो उसे कहते – साली एक दिन ऐसे चुदवाउँगा की याद रखेगी. पर ना जाने क्यो निशा ने उन्हे या किसी को भी नही पूछा कि इसका मतलब क्या हैं?

कॉलेज का पहला दिन… निशा का दिल ज़ोर से धड़क रहा था. वो पहले कभी लड़कों के साथ एक ही क्लास में नही बैठी थी. आज उसका पहला दिन था. निशा ने सोचा – क्या मुझे माजिद और असलम जैसे और दोस्त भी मिलेगे? क्या वो भी मेरी चूचियो के साथ ऐसे ही खेलेगे? कितनी नादान थी निशा!! उसे क्या मालूम था कि अभी तो शुरुआत भी नही हुई थी – उसे क्या मालूम था कि सिर्फ़ दो महीनो में वो पूरी तरह रंडी बन जाएगी और उसके गांद का छेद उसके चूत के छेद से भी बड़ा हो जाएगा. अरे, उसे तो यह भी नही मालूम था कि चुदाई कहते किसे हैं! बस, 1 हफ़्ता और… उसे मालूम हो जाएगा की सेक्स सिर्फ़ मम्मो के साथ ख़तम नही होता. मम्मो की दबाई तो शुरुआत हैं उसके पूरे बदन की बर्बादी की.

असलम और माजिद प्रोफ.अर्जुन बिलास की कॅबिन में बैठे थे. थे तो अर्जुन साहब प्रोफेसर, पर असल में, कॉलेज के बाहर उनके कई तालुकात थे – बंबई के कई आलीशान कोठे उनकी मेहेरबानी से चलते थे. बंबई के अंडरवर्ल्ड और नेता सब अर्जुन बिलास से ही नई लड़कियों की सप्लाइ लेते थे. इस सप्लाइ के बिज़्नेस में अर्जुन ने काफ़ी करोड़ो रुपये कमाए थे, अलीबाग में बड़ा बांग्ला, बंबई में बड़ा घर, आलीशान गाड़ी… और हर रात नई लड़की. असलम और माजिद प्रोफ अर्जुन के चहेते थे, और क्यों ना हो? ज़्यादातर लड़कियाँ भी तो वह ही लाते थे. लेकिन पिच्छले 2 सालों से कुँवारी लड़कियों की सप्लाइ बंद हो चुकी थी. जिसे भी असलम-माजिद लाते प्रोफेसर के पास, वो सारी की सारी पहले बर्बाद हो चुकी थी. अर्जुन फिर भी उन लड़कियों को चोद्ता, अपने दोस्तों से बाट्ता, लेकिन नवेली लड़की के लिए उसका लंड बरसों से तरस रहा था.

निशा की तस्वीर देख कर ही अर्जुन का लॉडा अपनी पॅंट में खड़ा हो गया.

सौ टक्का शुद्ध है लड़की – असलम बोला. अर्जुन को यकीन नही हो रहा था!

छाती तो देखो उसकी? – अर्जुन बोला – कैसे कह सकते हो किसी से चुदी नही हैं?

अरे सर, एक काम करो ना, उसको चख लो पहले, अगर चूत फूटकर खूनी नही हुई तो मत देना ना पैसे! हम कहा भागे जा रहे हैं? हम इस लड़की के साथ 2 साल से खेल रहे हैं सिर, सिर्फ़ मम्मो के साथ, ताकि उसे बेचने पर अच्छा माल मिल सके. छ्होटे मम्मे वाली लड़कियों की आजकल कहा इतनी कीमत मिलती हैं? 2 साल की मेहनत लगी हैं, सीने की मालिश, चुसाइ, दबाई करके अच्छी तरह से उसे बड़ा कर दिया हैं, और एक बार भी उसे नही चोदा – ना तो उसके मूह को ना ही चूत/गांद को.

अर्जुन के लंड की टोपी अब गीली होने लगी. वो इस लड़की को इसी वक़्त चोदना चाहता था. उसने अपनी तिजोरी से असलम और माजिद को 20,000 दिए और बोला – बाकी के 80,000 तुम्हारी गॅरेंटी सही होने पर.

जैसे ही असलम-माजिद कमरे से बाहर आए, अर्जुन ने अपने दोस्तों को फोन लगाया – यार, इस शनिवार को क्या कर रहे हो? बंगले पर आना है क्या? कुँवारा माल मिला हैं. एक लाख का दाम हैं. सब मिलकर बाटेंगे तो अच्छा रहेगा… पता नही, सबको फोन लगा रहा हू. 10 जन तैयार हुए तो सिर्फ़ 10,000 में कुँवारी मिलेगी. अर्जुन का दोस्त बोला – नही, यह तो बहुत महेंगा दाम हैं. मेरा बजेट सिर्फ़ 5,000 तक ही हैं. अर्जुन बोला – यकीन कर तारिक़, ऐसा माल बार बार नही आता. और सुन, लड़की पूरी बेख़बर हैं. चौड़े का मतलब भी नही मालूम उसे. हम सबको मिलके उसे सिखाना हैं.

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तारिक़ का लॉडा यह सुनकर खड़ा हो गया और वो बोला, ठीक हैं. मैं 20,000 देने तो तैयार हूँ, अगर उसकी पहले मैं मारू तो.
अर्जुन हंसा और बोला – अरे पागल हो गया है क्या तू? कुँवारी हैं लड़की, तो पहले छ्होटा लॉडा जाना चाहिए अंदर, वरना फॅट जाएगी.
तारिक़ अपने 10 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लंड पर हाथ रगड़ते बोला – 25,000. बोल, मंजूर हैं?
साला बेहोश कर देगा लड़की को – अर्जुन बोला और वह दोनो हंस पड़े, और अपने अपने लौड़ों को बेताबी से मसल्ने लगे… शनिवार के इंतेज़ार में.

निशा माजिद और असलम के साथ नॅशनल पार्क के एक शांत कोने मैं बैठी थी. असलम बोला – शनिवार को क्या कर रही हो जानेमन?
निशा: कुच्छ नही, जन्म दिन है मेरा, तो सोच रही थी कि सहेलियों के साथ पिक्चर देखने जाऊं.
माजिद: अच्छा, अब कॉलेज में सहेलियाँ बन गयी तो अपने यारों को भूल गयी क्या?
निशा: नही नही, कहो आप – आपने कुच्छ सोच रखा हैं क्या उस दिन के लिए?
असलम ने माजिद को आँख मारी और दोनो अपनी गंदी नज़रों से निशा के बदन को देखकर मुस्कुराए.
माजिद बोला: अपनी 17 साल की सालगिरह सिर्फ़ पिक्चर देखकर मनाओगी?? छ्ही!! हमने तो सोचा निशा अब बड़ी हो गयी हैं, तो कुच्छ औरतों वाली बात करेगी.
निशा: उम्म्म्म.. क्या मतलब?
असलम: अरे माजिद, क्या पहेलियों में बात कर रहा हैं यार?? अपनी ही निशा हैं दोस्त, समझा उसको अपना क्या प्रोग्राम था… ऐसा कहते हुए असलम ने अपने दोनो हाथ निशा की ब्रा के अंदर डाल दिए और उसे गोद में बिठा दिया.

जैसे ही असलम ने निशा की चुचियों की मालिश शुरू की, निशा की चूत गीली होने लगी. माजिद झुका और अपने हाथ निशा की चड्डी में डाल दिए. निशा को अचंभा हुआ – उन दोनो ने 2 सालो में ऐसा कभी नही किया था. वह डर गयी, सोचने लगी – हाय, अब क्या होगा?? अगर माजिद को पता चला कि मेरे पैरों के बीच की जगह चिकनी और गीली होती हैं तो वो क्या सोचेगा?? उसे क्या मालूम था कि हर लड़की के साथ ऐसा होता हैं! आज तक वो सोचती थी कि सिर्फ़ उसके साथ ऐसा होता हैं! माजिद ने अपनी उंगिल्या अच्छी तरह निशा की कुँवारी चूत में हर कोनो में फिराई – निशा एक नाज़ुक तितली की तरह हड़बड़ाने लगी; असलम ने उसके मम्मो को ज़ोर से दबाया और उसे हिलने नही दिया. निशा के मूह से कराह निकलने लगी. कुच्छ देर बाद माजिद ने अपना हाथ निकाला और अपनी उंगलिया निशा की नज़रों के सामने फैलाई – निशा ने देखा की एक अनोखा सा रस माजिद की उंगलियों पर फैला हुआ था. वो शरमाई, उसे लगा की यह रस पेशाब हैं.

सॉरी! निशा बोली.
माजिद और असलम समझ गये कि निशा चालू लड़की थी, लेकिन नादान भी थी. उसे यह भी नही मालूम था कि वह पानी सेक्स का पानी था, पेशाब नही. माजिद हंसा, और बोला…
अरे यार, पता हैं यह क्या हैं??
निशा की नज़रें गिरी हुई थी – नही, वो बोली.
असलम: जब पैरों के बीच ऐसा घड़ा रस आता हैं उसका मतलब तुम्हारा बदन तुमसे कुच्छ कह रहा हैं.
निशा की नज़र उठी और बोली – क्या कह रहा है?
माजिद ने उसके चेहरे पर अपनी रस भारी उंगलिया फैलाई और बोला – तुम्हारा बदन कह रहा है कि अब वो तयार हैं, वो तुमसे कह रहा हैं कि अब मुझे औरत बनना हैं.

निशा को यह कुच्छ भी समझ नही आ रहा था. माजिद और असलम उसे सब कुच्छ बताना नही चाहते थे, उनका प्रोफ के साथ कांट्रॅक्ट था कि वह निशा को बिल्कुल नादान रखेगे. पर उसे कुच्छ ना कुच्छ तो बताना होगा ना… शनिवार को उसके साथ क्या होगा उसके कुच्छ तो अंदाज़ा देना होगा ना??

असलम बोला: अच्छा, यह बताओ (उसने निशा का शर्ट उतार दिया, और ब्रा को खोले बिना ही उसके मम्मे उपर से खींच कर बाहर निकाले, ताकि वह और भी गोल, और भी कड़क, और भी चुस्साकाड़ लग रहे थे)…. जब में ऐसे करता हू (असलम ने उसके दोनो निपल को एक साथ मूह में लिया और उसे चूसने लगा)… तो तुम्हे अच्छा लगता हैं ना?
निशा दर्द से चीखी!! असलम और माजिद की आदत थी यह, कभी कभी दोनो निपल को साथ में ही मूह मे लेके दातों के बीच चबा के बहुत देर तक चूस्ते. एक ख़तम होता तो दूसरा शुरू होता. उसे यह बहुत पसंद था, पर बहुत दर्द भी होता था.
माजिद बोला: दर्द होता हैं तो अच्छा लगता हैं ना?

निशा बोली: हां, बहुत अच्छा लगता हैं, पर पता नही क्यों?

अब माजिद ने दोनो निपल मूह मे लिए और चू चू की आवाज़ करके चूसने लगा, जैसे उसके बड़े बड़े मम्मे दूध से भरे थे और माजिद सालों से प्यासा था.

असलम बोला: अब अगर सिर्फ़ हम दोनो ही नही, अगर…. उम्म्म… ऐसा मानो की….अगर

माजिद ने उसके मॅमन को मूह से बाहर निकाला और ज़ोर से निपल पर चटा मारा…

माजिद बोला: अगर हम कुच्छ और दोस्तों को लेकर तुम्हारे जनमदिन पर आए और वो भी तुम्हारे बदन को इस तरह से खेले तो तुम्हे अच्छा लगेगा क्या बेबी?

यह सुनकर निशा की चूत में से ज़ोरदार पानी की लहर बरस पड़ी. माजिद ने उसके मूह की बात छ्चीन ली थी! निशा ने तो यह कितनी बार सोचा था कि एक बार कॉलेज में आ जाए तो शायद उसे और दोस्त मिले और शायद वो भी उसके बदन को सहलाए.

निशा शर्माके बोली – हां.

माजिद और असलम का लॉडा और भी बड़ा हो गया यह सुनके. निशा चालू तो थी, यह उन्हे पता था, पर अब तो उसमे एक बेहतरीन रंडी के सारे लक्षण दिखाई दे रहे थे.

माजिद ने निशा की चड्डी उतार दी और असलम ने निशा की चूत की गोटी पे धीरे धीरे उंगली फिराना शुरू किया. फिर असलम ने उसे अपने कंधों पर उठाया और माजिद की जीप की पिच्छली सीट पर बिठा दिया. जीप के काँच काले थे, इस वजह से अगर कोई आस पास भी आए तो जीप के अंदर ऐसी कमसिन रंडी को नही देख सकते थे. असलम ने निशा का शर्ट उतार दिया और उसकी ब्रा का बटन खोल दिया. माजिद ने उसका स्कर्ट उतार दिया. निशा को अब बहुत शर्म आने लगी. 2 साल में उसे अपने मम्मे नंगे दिखाने की आदत हो चुकी थी, पर ऐसे कभी वो किसी भी मर्द के सामने नंगी नही हुई थी. उसके ध्यान में आया, जब वह असलम और माजिद को पहली बार बस में मिली थी, तो एक ने बोला था, हमारे सामने नंगी होके मम्मे हिलाकर नचोगी तब भी शरमाओगी क्या? और अब…. 2 सालों बाद, वो उन दोनो के सामने नंगी बैठी थी. दोनो ने उसके एक एक पैर को लिया और फैलाया और उसकी चूत को देखा. निशा की आँखें बंद थी… उसे बहुत शर्म आ रही थी. उसकी चूत की गोटी में नये नये अरमान उठ रहे थे. असलम और माजिद की उंगलिया उसकी चूत के साथ खेल रही थी और उसकी चूत से लगातार रस की बारिश हुई जा रही थी.

साली को चोदने का इतना मन कर रहा है ना – माजिद बोला.

सब्र कर यार, पूछ्ते हैं ना अर्जुन सर को अगर हम शनिवार को आ सके – असलम बोला.

निशा अब हिम्मत बढ़ा के बोली – चोदना मतलब क्या?

माजिद: उम्म… उसका मतलब… मतलब…

असलम: अरे बेबी, उसका मतलब तुम्हे लड़की से औरत बनाना.

निशा को समझ नही आ रही थी यह बात: ऐसा कैसे होता है?

माजिद बोला: हर लड़की के 17वे जनमदिन पर कुच्छ लड़की मिलके उसे औरत बनाते हैं.

निशा को अचंभा हुआ: हर लड़की ऐसा करती है??

असलम: हर लड़की नही, पर तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की तो ज़रूर ऐसे करती है. वरना लड़की होने का फयडा क्या होता हैं? हम तुम्हारे साथ खेलते हैं तो अच्छा लगता हैं ना? अब सोचो, हमारे सब दोस्त मिलकर तुम्हारे साथ खेले तो और कितना मज़ा आएगा? अब और कोई सवाल नही जानेमन… कुच्छ सवाल अपने जनमदिन के लिए भी तो रखो! हम सब मिलकर तुम्हे समझा देगे!

ऐसा कहते हुए असलम और माजिद ने अपनी जीभ अपने होटो पे सहलाई और निशा के मम्मो को फिर से रगड़ रगड़ के उसके चूत से पानी च्छुतवया.

अब निशा शनिवार का बेसब्री से इंतेज़ार कर रही थी.

शनिवार के दिन निशा असलम के घर आई.

माजिद और असलम ने उसके लिए कपड़े भी ला रखे थे. ब्रा – उसके साइज़ से 3 साइज़ छ्होटी, उसके मम्मे आधे से भी ज़्यादा उपर से निकल आ रहे थे. शर्ट – फिर से उसके साइज़ से 2 साइज़ छ्होटी, और बटन तो उसकी नाभि से शुरू होते थे. पूरे शर्ट में सिर्फ़ 3 बटन, उपर कोई भी बटन ना था. निशा ने ऐसा शर्ट पहले कभी नही पहना था. उसकी छाती और भी बड़ी लग रही थी, ऐसा लग रहा था की उसके मम्मे उसके शर्ट और ब्रा से लड़ाई कर रहे थे. एक छ्होटी सी चड्डी भी दी असलम और माजिद ने, पर आगे और पीछे का कपड़ा इतना तंग था के ना पूच्छो! निशा ने सोचा, अरे चड्डी पहनने का तो क्या मतलब हुआ जब सब कुच्छ तो दिख रहा है. पीछे कपड़े के नाम पर सिर्फ़ एक पट्टी थी, और वह पट्टी उसके दो गंद के गालों के बीच घुसी जा रही थी. आगे के कपड़े से आर पार सब कुच्छ दिख रहा था – उसकी चूत के होन्ट, उसके होटो के बीच में से निकलती हुई उसकी गोटी – सब कुच्छ दिख रहा था! अब उसने स्कर्ट पहना – स्कर्ट था या बहुत बड़ा बेल्ट? मुश्किल से 6 इंच लंबा! अगर वो ज़रा भी मूडी तो उसकी जवानी सब देख सकेगे! उसे शर्म भी आ रही थी और मज़ा भी आ रहा था.

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प्रोफ अर्जुन ने अपनी आलीशान जीप और ड्राइवर भेजे, निशा जीप में चढ़ रही थी और उसकी गांद पूरी तरह से दिख रही थी. जैसे ही वो सीट में बैठी, उसके पैरो के बीच उसकी चूत दिखने लगी.

‘सब लोग आ गये क्या?’, असलम ने ड्राइवर को पूछा.

ड्राइवर मुस्काराया, उसके लिए यह नयी बात नही थी, पर आज तक जितनी लड़कियों को अर्जुन सर चोद कर बाँट चुके थे, उनमे से निशा सबसे कमसिन और खूबसूरत थी. उसे देखखार ड्राइवर की लॉडा भी खड़ा हो गया.

‘हां, 11 दोस्त, सब पार्टी मना रहे है’, ड्राइवर ने अपना आईना निशा की तरफ मोड़ा और उसे आँख मारी.

11 लोग सुनके असलम और माजिद को अचंभा हुआ. सर ने तो कहा था कि सिर्फ़ 3 लोग होगे, माजिद बोला. निशा की 11 लोगो से मिलकर चुदाई होगी इस ख़याल से दोनों के बदन में सेक्स चढ़ गया.

‘पहली बार है’, असलम ने ड्राइवर से कहा. और सब ज़ोर ज़ोर से हस्ने लगे.

ड्राइवर बोला – ‘हट चूतिया, काश में भी आ सकता, पहली बार में 11 को कभी नही देखा. कुच्छ लोगो की क्या किस्मत होती हैं!’

निशा डर के मारे कुच्छ बोल नही पा रही थी. उसके मॅन तरह तरह की तस्वीरें बना रहा था, 11 मर्दों के सामने नाचना, 11 मर्दो के हाथ उसके बदन पे, 11 मर्द उसकी निपल की चींटी काटेगे… वो खुली आँखों से सपने देख रही थी.

उसी वक्त ड्राइवर ने दरवाज़ा खोला और बोला, चलो बेबी, जनमदिन मुबारक हो…

ऐसा कहते हुए उसने अपना हाथ निशा की चूत पे फिराया. जब उसने हाथ बाहर निकाला तो उसकी उंगलिया चिकनी और गीली हो गयी थी. निशा शरमाई… उसकी दिल तेज़ी से धड़क रहा था.

ड्राइवर हंसा और माजिद & असलम को बोला – कुच्छ मदद की ज़रूरत हो तो फोन करना.

माजिद बोला- तब तो और भी मज़ा आएगा, 14 जन से चौड़ा!!! हम कोशिश करेगे.

णीश ने फिर उनसे पूछा – चौड़ा मतलब??

असलम अपने हाथ निशा के भारी गोल चुसक्कड़ कॅलिंगरों पर फिराते हुए बोला – वो तो तुम्हे प्रोफेसर साहब समझाएगे.

जब वो तीनो बंगले में आए तो सब लोग शराब पी रहे थे. रूम के एक कोने में बहुत बड़ा टीवी था जिसमे कुच्छ अँग्रेज़ मर्द एक लड़की का नाच देख रहे थे और वह लड़की धीरे धीरे हर मर्द के पास जाके अपने गोल मम्मे उनके मूह पे हिला रही थी और मर्द के हाथ उसकी कमर को सहला रहे थे. निशा की चूत यह देख कर और भी गीली हो गयी.

सर – असलम ने अर्जुन को आवाज़ दी.

सब लोग निशा की तरफ मुड़े और धरे के धरे रह गये. वो अपनी तस्वीर से कही ज़्यादा खूबसूरत और जवान लग रही थी. उसके कपड़े देख कर कोई भी उसके नंगे बदन का पूरी तरह से अंदाज़ा लगा सकता था. शर्ट से उसके बड़े कड़क काले निपल उभर रहे थे. वह शर्मा रही थी और बार बार अपने स्कर्ट को नीचे सरकाने की कोशिश कर रही थी ताकि उसकी चूत कोई देख ना सके, पर स्कर्ट इतना टाइट था कि उसकी मेहनत बेकार थी.

प्रोफ अर्जुन ने निशा को बुलाया – आओ बेबी, शरमाती क्यो हो? ऐसा कहते कहते उसने निशा को अपनी गोद में बिठा दिया. अर्जुन का लॉडा पूरी तरह से सख़्त हो गया था और जैसे ही निशा उसकी गोद में बैठी, उसके लॉडा निशा की गांद पे दब रहा था. अर्जुन के सारे दोस्त निशा की जवान कमसिन चूत देख रहे थे. अर्जुन ने अपने सब दोस्तों को बारी बारी इंट्रोड्यूस किया… हर मर्द निशा के पास आता, और उसके बदन पे हाथ फिराता, कोई उसकी कमर या छाती पर चटा मारता, कोई अपने हाथों से उसके दो गालों को दबाता और अपना दूसरा हाथ उसके स्कर्ट में डालता. एग्ज़िबिशन की पुतले की तरह हर ग्राहक ने निशा को परखा. अर्जुन ने इशारे से असलम और माजिद को बाहर भेज दिया…

…. अब बारी थी तारिक़ की.

तारिक़ कम से कम 46 साल का था, 6.4 फुट लंबा भारी कद, सफेद कुर्ता पिजामा, सोने की चैन, मूह में सिगरेट लिए तारिक़ निशा के नज़दीक आया. निशा घभरा गयी. उसने नज़रें चुराई और टीवी की तरफ देखने लगी. पिक्चर में अब सब मर्द नंगे हो चुके थे. निशा डर के मारे काप रही थी. किसी ने निशा को एक ग्लास थमाया और बोला – दवाई पियो. निशा बोली – क्या है इसमे? तारिक़ बोला – जादू की दवाई है, चुप चाप पी लो. निशा को तारिक़ से बहुत डर लग रहा था, वो बिना कुच्छ कहे शराब पी गयी. उसके बदन में गर्मी चढ़ गयी. अब तारिक़ ने उसके शर्ट के बटन को खोला और उसके मम्मो को हर जगह से दबाने लगे, परखने लगा… ‘ह्म्‍म्म… बहुत मज़ा किया हैं इसके साथ?’, ऐसा कहते हुए उसने एक एक चून्चि को ब्रा के कप के बाहर उठाया.

सब मर्द अब निशा को लगातार देख रहे थे और अपनी पॅंट में अपने लॉड को सहला रहे थे. लॉलिपोप खओगि? तारिक़ ने निशा को पूछा. निशा को अचंभा हुआ, उसने स्कूल के बाद कभी लॉलिपोप नही खाई थी. ‘नहीं, अब मैं स्कूल में नही हू!’ निशा बोली. यह सुनकर सब मर्द ज़ोर ज़ोर से हंस पड़े, एक ने निशा का स्कर्ट उतार दिया, और दूसरे ने निशा की ब्रा खोल दी. अब निशा सिर्फ़ उस छ्होटी चड्डी में 11 मर्दों से सामने चुदान रंडी की तरह खड़ी थी.

जवान लड़कियाँ बड़ी लॉलिपोप खाती है, तारिक़ बोला.
मतलब – निशा समझ नही पा रही थी.

मर्दो की लॉलिपोप, ऐसा कहते तारिक़ ने निशा को टीवी दिखाया. वह अँग्रेज़ लड़की अपने घुटनों के तले ज़मीन पर थी और एक के बाद एक मर्द उनका लॉडा उसके मूह में धकेल रहे थे. निशा धरी की धरी रह गयी, वो अपने नज़रें टीवी से हटा नही पा रही थी! तारिक़ ने उसके कंधो से उसे ज़मीन पर धकेला और अपनी पॅंट से अपना 9इंच क्ष 3इंच का लंबा तगड़ा मोटा लॉडा निशा के होटो पे फिराया.
‘मूह खोल छीनाल’, तारिक़ बोला. निशा के पास कोई चारा नही था. उसने मूह खोला. ‘और ज़्यादा’, तारिक़ बोला. निशा ने मूह और ज़्यादा खोला. तारिक़ ने उसके मम्मों पे ज़ोरदार चटा मारा. ‘और ज़्यादा रांड़’. जैसे ही निशा ने अपना मूह पूरी तरह खोला, तारिक़ ने अपने लॉडा उसके छोटे नादान मूह में ख़ुसेड दिया. निशा ज़ोर ज़ोर से खांसने लगी पर तारिक़ नही रुका. वह निशा के चेहरे को पकड़ कर उसके मूह को ज़ोरो से चोदने लगा. अब निशा को चारों ओर से सभी ने घेर लिया, और अपना लॉडा हिलाते हिलाते निशा के बदन पे मारने लगे. कोई उसके बालों को खींच कर उसे अपने लॉडा चुस्वाता, तो कोई उसके हाथ को लेकेर ज़बरदस्ती अपने लॉड की मालिश करता. जहा भी निशा देखती, सब नंगे मर्द अपना लॉडा उसके मूह के सामने हिलाते. एक मिनिट के लिए भी निशा का मूह खाली नही रहा. उसके मूह से लगातार थूंक की लंबी लहरे टपक रही थी, उसके आँखों से पानी बरस रहा था, पर कोई भी मर्द रुकने का नाम नही ले रहा था.

ऐसे ही सभी ने निशा के मूह को चोदा.. बार बार, तकरीबन एक घंटे तक. निशा थक चुकी थी… उसे असलम और माजिद कही भी नही दिखाई दे रहे थे. उसके मम्मों को हर मर्द चूस रहे थे, काट रहे थे, चॅटा मार रहे थे… उसके निपल की ज़ोरो से चींटी काट रहे थे, और मूह की चुदाई रुकने ना नाम नही ले रही थी.

अब तारिक़ ने उसे सोफे पे लिटाया और उसके पैरो को अलग किया. उसकी चूत अभी तक चिकनी थी. लाइट मे उसकी चूत चमक रही थी, और उसकी गोटी सूज कर बाहर झाक रही थी.

तारिक़ ने अपनी उंगलियों से निशा की चूत के होंठ खोले और उसके छेद को परखा… इतना छ्होटा छेद तारिक़ ने कई बरसों में नही देखा था. कई लोग अपने फोन से निशा की चूत के छेद की तस्वीर खींच रहे थे. यह देखकर वो शर्म के मारे लाल हुई जा रही थी और अपने हाथों से अपने मम्मों को च्छुपाने की कोशिश करने लगी. किसी ने उसके हाथों को पकड़ के बाँध लिया.

तारिक़ निशा के पैरों के बींच अपना लंबा, मोटा, तगड़ा, लाल, सूजा हुआ डंडा हाथों में लिए उसकी गोटी पर मार रहा था.

अब यह लॉडा इसके अंदर जाएगा, तारिक़ बोला. सिर्फ़ मेरा ही नही, सब का… निशा की आँखों में डर भर गया.

दोस्तो उसके बाद तो निशा को जबारजस्ति सबने मिलकर एक रंडी की तरह चोदा ये कहानी फिर कभी आपका दोस्त राज शर्मा



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