मुन्नू की बहन नीलू की चुदाई कहानी

मेरा यह मानना है कि दारु और चूत कभी भी झूटी नहीं होती – जब भी मौका मिले, इनसे मजे लेने चाहिए। चूत खूब चोदिये मगर गांड मारना न भूलें। और जब गांड मारें तो अपना रायता उसी के अन्दर छोड़ दें ताकि उस लौंडियाँ की गांड में एक गर्म एहसास रह जाए। यह मेरी शैली है – अब कोई माने या न माने।

अब सुनिए मेरी कहानी :

मैं शिमला का रहने वाला हूँ। मेरे घर के पास एक परिवार है जिसमें चार बच्चे हैं – दो बेटे और दो बेटियाँ। छोटा बेटा जिसका नाम मुन्नू है, मेरा बहुत अच्छा दोस्त है – और छोटी बेटी जिसका नाम नीलू है – उसके तो क्या कहने। मुझसे सिर्फ दो साल छोटी है।

मैं मुन्नू के घर बहुत जाता था। मुन्नू से मिलने और फिर नीलू को छूने। मुन्नू और मैं एक ही क्लास में पढ़ते थे। हम दोनों पढ़ाई भी साथ करते थे और लौंडिया-बाज़ी भी साथ ही करते थे। उसको शायद लगता था कि मैं उसकी बहन के चक्कर में उसके घर आता-जाता हूँ। एक दो बार उसने मुझे नीलू को हसरत भरी नज़रों से देखते हुए पकड़ा भी था। एक दिन उसने मुझसे कहा भी था कि मैं अपनी औकात में रहूँ। हर भाई अपनी बहन को शायद इसी तरह सुरक्षित रखना चाहता है।

अब मुन्नू के चाहने से भला क्या होगा। नीलू को मेरा उसे छूना शायद अच्छा लगता था तभी वो मेरे करीब आकर बैठती थी।

उस वक़्त मैं बीस साल का था और नीलू अट्ठारह साल की थी। नीलू एक पंजाबी परिवार से थी। काफी गोरी-चिट्टी और हर जगह से उसका बदन फूट फूट के उभार मार रहा था। बहुत ही चिकनी थी वो। उसकी बाहों पर या टांगों पर बिल्कुल भी बाल नहीं थे। हाँ – बहुत पास से उनमे रोम ज़रूर दीखते थे। मेरी बस एक ही तमन्ना थी कि गुलाब जामुन का शीरा उसके नंगे जिस्म पर डालूँ और ऊपर से नीचे तक उसे चाटूं। यह सोचकर ही मेरा खड़ा होने लगता था और मैं मुठ मारता था। मैं एक मौके की ताक में था कि कब हम अकेले मिलें।

पंजाबियों की दाद देनी पड़ेगी- क्या खाकर ये लोग इतनी सुन्दर और मस्त लौंडियाँ पैदा करते हैं। साला देखते ही लंड खड़ा होने लग जाता है। खैर, रब ने एक दिन मेरी सुन ली।

नीलू मेरे घर आई थी। उसने मेरी माँ से थोड़ी देर बातचीत की और जाने लगी। मैं उसको दरवाजे तक छोड़ने आया और उसको जोर से अपने गले लगा लिया। यह पहली बार था कि मैं उससे लिपट रहा था।

थोड़ी सी कसमसाहट के बाद उसने भी मुझे जोर से भींचना शुरू किया, फिर बोली – दो बजे घर आना ! कोई नहीं रहेगा। सिर्फ हम-तुम !

और एक हल्का सा चुम्बन मेरे गाल पर जड़कर चली गई।

उस दिन मैंने बारह बजे ही खाना खा लिया और फिर अपने कमरे में चला गया। बार-बार मैं अपने लंड को सहलाता रहा और कहता रहा- सैर करने जाएगा?

आपको मैं बताना भूल गया कि मेरा लंड नौ इंच लम्बा है और थोड़ा मोटा भी है। भगवान् ने मुझे काला रंग दिया है लेकिन चेहरा और बदन काफी अच्छा दिया है। थैंक-यू गॉड !

दो बजने को थे। मैं घर से बाहर निकला। उस समय हमारी कालोनी में सन्नाटा छाया हुआ था। सब खा-पी कर सो रहे थे। खैर-अपन को क्या।

मैं नीलू के घर पहुंचा। दरवाजा बंद था। ज़रा सा धक्का दिया और दरवाजा खुल गया।

मैंने धीरे से कहा- नीलू ?

नीलू बोली- दरवाजा बंद करके अन्दर आ जाओ।

मैंने झट से दरवाजा बंद किया और अन्दर के कमरे में चला गया।

वहाँ नीलू एक आदमकद आईने के सामने खड़ी थी। मैं उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया। उसे पीछे से भींचकर मैंने कहा- कब तक मुझे यूं ही बेचैन करोगी रानी? अब तो रहा नहीं जाता।

और मैं धीरे धीरे उसके गोल गोल चूतड़ पर पीछे से हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा।

इसके जवाब में नीलू भी अपने आपको मेरी ओर झटके देने लगी। उसको मेरे लंड की सख्ती का अंदाजा हो गया। मैंने उसका चेहरा अपनी ओर किया और उसके गर्म गर्म गालों को चूमने लगा। धीरे-धीरे मैं होंठों पर पहुंचा। और फिर उसके होटों पर अपने अधर रखकर मैं जिंदगी का मज़ा लूटने लगा।

उधर नीलू भी मुझे चूसती रही।

मैंने धीरे से अपना बायाँ हाथ उसकी कुर्ती के अन्दर डाला। उसके पेट पर हाथ सहलाते हुए मैं धीरे से उसके मम्मों तक ले गया। एक हल्की सी हूंक निकली लेकिन फिर वो सामान्य हो गई। मेरा हाथ उसके दोनों मम्मों की गोलाईयाँ नाप रहा था।

इतने में मानो मेरे दायें हाथ ने कहा- मैं क्या करूँ?

तो मैंने अपने दूसरे हाथ से उसकी जाँघों का मुआयना किया। क्या सुडौल जांघें थी। धीरे-धीरे मेरा हाथ उसकी चूत पर पहुँचा। शायद उसे भी यही चाहिए था। मैं उसकी चूत पर अपना हाथ फेरता रहा – कभी सहलाता और कभी उसे नोचता था। पायजामे के ऊपर से ही मैं उसकी चूत को रगड़ता रहा। उसके मुँह से सिर्फ ऊह-आह की ही आवाज आ रही थी।

बगल में एक पलंग था। मैं उस पर बैठ गया और धीरे से नीलू को अपनी गोद में बिठा लिया। फिर मैंने उसकी कुर्ती उतार दी। उसकी बगलों से एक परफ्यूम की खुशबू ने तो जैसे मुझे मदहोश ही कर दिया।

मैंने उसकी बगलों को चूमा तो वो उचक गई, क्या करते हो अज्जू?

कहकर वो मुझसे लिपट गई।

मैंने उसके कन्धों को, गर्दन को और गले को खूब चूमा।

नीलू बोली- हे भगवान ! अज्जू क्या कर रहे हो। मैं निचुड़ जाऊंगी।

मैंने उसकी गोरी पीठ पर हाथ फेरा और उसके ब्रा के हुक्स खोल दिए। सामने से ब्रा खींची तो दो संतरे उछालकर बाहर आ गए। मैंने धीरे से उन्हें सहलाया। मैंने दोनों हाथ उन पर रख दिए और उनको मसलने लगा।

नीलू तो जैसे मानो छटपटा रही थी, वह बोलने लगी- ओह गोड ! क्या कर रहे हो अज्जू ! और करो ! बहुत मज़ा आ रहा है !

अब मैंने बारी बारी से उसके संतरों को खूब चूसा। क्या मम्मे थे। एक को दबाता तो दूसरे को चूसता। गोरी चिट्टी नीलू मेरे ऊपर अधनंगी बैठी थी। एक सपना जैसा था। मैं मन ही मन बोला- देख मुन्नू ! तेरी जिज्जी कैसे मेरे ऊपर नंगी बैठी है।

अब मैंने उसे खड़ा किया और धेरे से उसका पायजामा उतारा। क्या जांघें थीं। क्या टांगें थीं। बस देखते ही बनती थीं। नीलू की टांगों पर मैंने हाथ फेरना शुरू किया। दोनों हाथ मानो किसी चिकनी मिटटी पर फिर रहे हों। अब उसके और मेरे बीच में उसकी यह काली चड्डी थी।

दोस्तो, एक बात कहूँगा- गोरी लड़कियों पर काली चड्डी और काली ब्रा बहुत ही सेक्सी लगती है।

उसकी चड्डी उतारी और मैंने उसकी वो चूत देखी जिसका मैं बरसों से इंतज़ार कर रहा था। उसकी टांगें चौड़ी की और उसकी झांटों में मैं अपनी ऊँगली फिराने लगा।

नीलू के पांव कंपकंपाने लगे ! वो सीधे बिस्तर पर लेट गई। मैंने उसकी टाँगें चाटना शुरू की। घुटने चाटते हुए मैं उसकी जाँघों पर पंहुचा। फिर मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर गाड़ दिया।

मम्मीईऽऽऽऽ ईईई !!! कहती हुई वह कराह गई।

एक बात तो है- चुदाई से पहले किसी भी लौंडिया को मस्त करना बहुत ही ज़रूरी होता है। खैनी को जितना रगड़ोगे उतना ही मज़ा आएगा। लेकिन इन सब में थोड़ा धैर्य रखना बहुत ज़रूरी होता है।

मैंने अपनी जीभ उसकी अनचुदी बुर में डाल दी। क्या चूत थी उसकी। ऐसा लग रहा था कि बटरस्कॉच सॉस चाट रहा हूँ।

नीलू तो बस उछलती रही- बस करो ! बस करो ! की रट लगा रही थी।

लेकिन साब, मैं कहाँ रुकने वाला था। उसको निचोड़कर कर ही उठना था मैंने।

अब यह अंदाजा लगाइए कि दृश्य कैसा रहा होगा- नंगी नीलू की चूत पर मेरा मुँह और मेरे दोनों हाथ उसके मम्मे दबाते हुए।

अबे मुन्नू ! देख तेरी बहन चुद रही है। कर ले जो भी तुझे करना है। बस एक बार यह सीन देख ले मेरे यार !

थोड़ी देर तक उसकी चूत को मैंने और चूसा फिर उसकी चूत से उसका पानी निकला- मर गई मैं ! अज्जू, क्या कर दिया तूने ? बजायेगा नहीं क्या?

मैं एक सांप की तरह उसके पेट को, मम्मों को चूमता उसके चेहरे के सामने आया- नीलू, कैसा लगा?

नीलू ने मुझे जोरकर भींचा और कहा- अज्जू, मुझे बहुत अच्छा लगा ! खूब मज़ा आया !

मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा और कहा- नीलू यह तुम्हारा है ! इससे खूब खेलो।

नीलू ने मेरी पैंट उतारी। इस बीच मैंने अपनी टी-शर्ट खुद ही उतार दी। मेरी चड्डी तो जैसे तम्बू हो। उसने प्यार से मेरी चड्डी नीचे की और मेरा लंड देखकर काँप गई- यह तो इतना बड़ा है ! कैसे जाएगा मेरे अन्दर?

मुझे हंसी आ गई।

उसने मेरी चड्डी पूरी तरह से उतार दी। इतने में मैंने सामने एक आईने में हम दोनों को देखा। मेरा काला सा बदन उसके गोरे चिट्टे जिस्म के सामने क्या लग रहा था।

मैंने कहा- नीलू, इसे प्यार से पकड़ो और चूसो।

गोरी गोरी पतली पतली उँगलियों के बीच मेरा काला-मोटा लंड बहुत अच्छा लग रहा था।

नीलू मेरे सामने नीचे अपने घुटनों पर बैठ गई। नीलू के मेरा लंड पकड़ते ही मेरे शरीर में 25000 वोल्ट का कर्रेंट दौड़ गया। उसने मेरे लंड को खूब आगे पीछे किया और फिर उसकी टोप को चूमा। गुलाबी होटों का स्पर्श पाकर मेरा लंड और बड़ा हो गया।

मैंने आव न देखा ताव ! उसका सर पकड़कर एक ऐसा झटका दिया कि मेरा लंड उसके मुँह के अन्दर चला गया। इस झटके से वो थोड़ा घबराई। लंड सीधा उसके गले पर टकराया जिससे उसकी सांस अटक गई।

मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा और बोला- चूस नीलू चूस ! मज़ा ले और मज़ा दे।

वो भी मेरे लंड का शायद मज़ा लेने लग गई। उसने मेरे दोनों चूतड़ पकड़े और सिर्फ अपना मुँह मेरे लंड पर अन्दर-बाहर करने लगी। अब उसने मुझे धीरे-धीरे मेरे बदन पर हाथ फेरना शुरू किया। मुझे गुदगुदी होने लगी। इतनी देर से मेरा लंड खड़ा रहने के कारण फटने पर आमादा हो गया। मैंने कहा- नीलू, मैं फटने वाला हूँ।

नीलू को इन सब बातों से कोई मतलब नहीं था। मेरा लंड वो कुल्फी की तरह चूस रही थी।

मैं मन ही मन बोला – मुन्नू देख अपने बहन को। क्या चूस रही है तेरे दोस्त के लंड को। उखाड़ ले मेरा जो उखाड़ सकता है।

काश कि मुन्नू मेरे सामने होता।

हाँ, उसकी तस्वीर ज़रूर एक दीवार पर लगी हुई थी। मैंने उस तस्वीर को देखा और कहा- मुँह में डाल दूँ?

इतने में मैंने एक आह निकाली और मेरा पूरा माल मेरे लंड से निकलने लगा।

नीलू ने थोड़ा पिया और बाकी बाहर निकालकर लंड देखने लगी कि कैसे पिचकारी की तरह लंड से माल निकलता है। उसने मेरी मुट्ठ मारी और मेरा पूरा माल निकाल दिया। मेरा लंड अब धीरे धीरे सामान्य होने लगा। उसने मेरे टोप के ऊपर अपनी जीभ फिराई। मैं हिल गया। और फिराई और फिर उसने मेरा लंड फिर से अपने मुँह में ले लिया। मैंने उसे किसी तरह अलग किया और उसके साथ बिस्तर पर लेट गया।

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मैं सोचता रहा- क्या यह सपना तो नहीं? नीलू मेरे बगल में क्या वाकई में नंगी लेटी है?

मैंने उसकी झांटों पर ऊँगली फिराई, वो थोड़ी कसमसाई और बोली- क्या करते हो? थोड़ा रुक जाओ !

दोस्तो, एक बात तो है, थोड़ा रुकने में अपना कुछ नहीं जाता है। लौंडिया को पहले खूब तड़पाओ और फिर उसे जी भर के चोदो। खूब उछल-उछल के चुदेगी।

मैं उसकी चूत पर हाथ फेरता रहा और मन ही मन बोला- मुन्नू भाई ! देख तेरी बहन कैसे मेरे बगल में नंगी लेटी है, अभी उसने मेरा लंड चूसा, मैंने खूब उसकी चूत चाटी और अब थोड़ी ही देर में मेरा लंड उसकी बुर में होगा। क्या कहता है..। पेल दूँ इसकी चूत में अपना मूसल?

मैंने नीलू का हाथ अपने हाथों में लिया और धीरे से उसका हाथ अपने सोये हुए लंड पर रख दिया। मेरा लंड थोड़ा सा कांपा और फिर उसके हाथ का स्पर्श पाकर उठने की कोशिश में लग गया। नीलू धीरे धीरे मेरे लंड को सहलाने लगी। थोड़ी सी देर में ही मेरा लंड एक मीनार की तरह खड़ा हो गया- कभी कभी तो उसे देखते हुए ही डर लगता है- काला रंग और नौ इंच लम्बा और काफी चौड़ा ! उफ़ !

नीलू की थोड़ी फट रही थी, उसने पूछा- अज्जू, ये मेरी फाड़ देगा क्या? मैं तो मर ही जाऊंगी ! तुम बस थोड़ा सा ही डालना।

मुझे हंसी आ गई। में बोला- नीलू मेरी जान, एक बार घुस गया तो बस तुम उसे छोड़ोगी नहीं ! और घुसाओ कहती रहोगी।

मैंने उसकी ओर करवट ली और उसकी चूत में अपनी मध्यमिका (बीच की ऊँगली) डाल दी। धीरे से अन्दर डाली और फिर में उसे अन्दर-बाहर करने लगा। उसकी शायद झिल्ली फट गई थी इसलिए थोड़ा खून आने लगा। मैं उसकी परवाह न करते हुए उसकी चूत को अपनी ऊँगली से चोदता रहा। नीलू बस चीखती रही- अज्जू- अज्जू- अज्जू- उई मम्मी मम्मी।

मैंने उसका एक मम्मा अपने मुँह में लिया और लगातार ऊँगली करता रहा। एक बात तो है। आप जब भी ऊँगली करें, लौंडिया को ज़रूर देखें- उसके चेहरे के भाव से आपको और मज़ा आएगा। मैं पूरी गति से उसकी चूत में ऊँगली करता रहा।

शायद वो झड़ने वाली थी, उसने कहा- अज्जू, मेरे अन्दर कुछ हो रहा है ! रुको, क्या हो रहा है?

मैंने कहा- नीलू डार्लिंग ! तुम निचुड़ रही हो।

एक लम्बी चीख मारी उसने और निढाल हो गई- अब बस करो, अब बस करो ! कहकर वो पेट के बल होकर लस्त पड़ गई।

पहली बार मैंने उसकी पीठ निहारी। सुन्दर, सुडौल दूध की तरह। उसके दोनों बाहें तकिये के इर्द-गिर्द थीं। और मुँह एक तरफ था। मैंने उसके बाल एक तरफ किये और उसके ऊपर जाकर उसके गर्म गर्म गालों को चूमने लगा।

वो बोली- अज्जू तुम बड़े वो हो।

मैंने उसकी बगलें चूमनी शुरू की। उसके पीठ के एक एक हिस्से को अपनी साँसों से नहलाता रहा। और फिर धीरे से कमर तक पहुँचा। उसके दोनों चूतड़ बिल्कुल गोल थे- गोरे गोरे चूतड़ों पर मैंने अपने होंठ रख दिए। फिर एक एक कर उसकी दोनों टांगों को अलग किया और अपने घुटनों के बल उसके टांगों के बीच में बैठ गया। फिर अपनी उँगलियों से धीरे से उसकी जाँघों को सहलाते हुए उसकी चूत को गुदगुदाने लगा।

वो चिंहुक पड़ी- अज्जू, प्लीज़, रुक जाओ न थोड़ा !

लेकिन साब, मेरा लंड रुके तब ना। मैंने सोचा कि थोड़ा रुक ही जाता हूँ। मैंने उसके चूतड़ दबाने शुरू किये। ऐसा लग रहा था मानो आटा गूंध रहा हूँ। कितने मुलायम थे उसके वो दोनों चाँद। मैंने उसको खूब दबाया। जब दोनों को एक साथ दबाया तो उसकी गुलाबी गांड दिख गई। मैंने तो पहले से ही सोच रखा था कि नीलू की गांड ज़रूर मारूंगा। उसको थोड़ा और दबाकर मैं उस पर लेट गया। उसका पूरा बदन अपने बदन से ढक दिया। दोनों हाथों के उँगलियों में अपने हाथ की उंगलियाँ फंसा दी और मेरे लंड उसकी चूत के मुँह पर था।

एक बात तो सही है- पानी और लंड अपना रास्ता खुद-ब-खुद बना लेते हैं।

पता नहीं कैसे- मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर चला गया। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

नीलू बोली- यह तुम्हारा मूसल भी ना ! कितना मोटा है। मुझे ज्यादा दर्द तो नहीं होगा ना?

शुरू करें?

और इस पर मैंने एक झटका दिया और मेरा पूरा सुपारा उसकी चूत में चला गया।

वो बोली- अज्जू ! आहिस्ता !

मैंने एक झटका और दिया, लंड को थोड़ी तकलीफ हुई। फिर मैंने कहा- नीलू, चलो तुम्हें कुतिया बनाकर चोदता हूँ।

वो घुटनों के बल बैठी। मैं उसके पीछे अपने घुटनों के बल बैठा, उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा और फिर उसकी चूत के मुँह के पास अपना लंड ले गया और एक जोर का झटका दिया। पूरा नौ इंची उसमें समां गया। नीलू ऐसे चीखी कि बस क्या बताएं। मैंने उसकी कमर पकड़कर धका-पेल चोदना शुरू किया।

नीलू सिर्फ- आह आह अज्जू अज्जू हाय रे मैं मर गई। निकालो इसे बहुत मोटा है।

और मैं बस चोदता रहा। बिस्तर के ठीक सामने आईना था। मैंने कहा- नीलू जानू अपने आपको आईने में तो देखो।

नीलू ने देखा और कहा- हम दोनों क्या लग रहे हैं !

वाकई में- आप चोदते हुए कभी आईने में देखोगे तो जोश दूना हो जाएगा।

खैर !

मैंने एक हाथ नीचे डालकर उसका एक मम्मा दबाया। वो और उछली फिर मैंने अपना दूसरा हाथ भी इस्तेमाल किया। उसको धीरे से चोदते हुए मैं घुटने के बल खड़ा हुआ। उसको भी खड़ा किया और उसको पकड़कर उसे ऊपर-नीचे करके चोदने लगा। मैं झटका दे रहा था और दोनों हाथों से उसके मम्मे भी दबा रहा था।

उसके मुँह से जो आहें निकल रही थी- बार बार कह रही थी- अज्जू और करो। उफ़ क्या मज़ा आ रहा है। फाड़ डालो मेरी इस निगोड़ी चूत को। बहुत परेशान करती है। इसको खूब सजा दो- तुम्हारी नीलू को काफी परेशान करती है। और चोदो मुझे। खूब चोदो मेरे राजा। मेरा सारा पानी निकाल दो आज मेरी चूत से अज्जू।

और फिर वो भी ऊपर नीचे करने लगी। मैंने फिर से उसको कुतिया बनाया और पूरे जोर से चोदना शुरू किया। पूरा बिस्तर हिल गया। पूरे कमरे में सिर्फ फच-फच की आवाज़ के साथ नीलू की आहें सुनाई दे रहीं थीं- अज्जू-अज्जू, मम्मी, उई मेरी माँ, थोडा रुको अज्जू मुझे दर्द हो रहा है।

मैंने पूछा- मज़ा आ रहा है या नहीं।

खूब आ रहा है।

इतनी गति से चुदते वक़्त उसके मम्मे एक पैन्डूलम की तरह झूल रहे थे। अगर शरीर से बाहर निकल पाते तो शायद दो किलोमीटर दूर जाकर गिरते। मैंने काफी संभालने की कोशिश की लेकिन यह राजधानी ट्रेन ऐसी दौड़ रही थी कि सिर्फ अपना आखिरी स्टेशन पर ही रुकने वाली थी। मैंने तकरीबन इस तरह उसे आठ मिनट तक चोदा।

शायद वो फिर झड़ने वाली थी, बोली- अज्जू और तेज़ करो और तेज़।

मैंने कहा- ले नीलू और चुद-और चुद रानी। यह चूत तो होती ही चुदने के लिये। और यह लंड भी तुम्हारा है मेरी बिल्लो। और चुद !

ऐसा कहते मैं उसे और स्पीड से चोदने लगा।

नीलू बोली- अज्जू, मुझे फिर वही हो रहा है। और करो।

मैंने कहा- ले मेरी जान ! निचुड़ जा।

अब लगा कि जैसे मैं भी फटने वाला हूँ, मैंने कहा नीलू- मेरा रायता भी निकलने वाला है- कहाँ डालूँ? चूत के अन्दर, पीठ के ऊपर, तुम्हारे चेहरे पर या फिर तुम पीना चाहती हो।

उसने कहा- मुझे नहीं पता, कुछ भी करो। आखिरी मिनट में मैंने अपना लंड निकला और उसकी चूतड़ों की मांग पर रख दिया। लंड का सारा रायता उसकी मांग से बहकर उसकी झांटों पर जाने लगा। मैंने उसकी मांग पर खूब लंड रगड़ा। ऐसा करते हुए मैंने उसकी गुलाबी गांड देखी और मन ने कहा- ऐसी लौंडिया की अगर गांड नहीं मारी तो क्या किया !

नीलू बिस्तर पर गिर चुकी थी और तेज़ साँसे ले रही थी। मैं उसके बगल में लेट गया और उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा।

वो उचकी- छूओ मत मुझे ! बस छोड़ दो ऐसे ही।

मैंने मुन्नू को देखा- देख मुन्नू तेरी जिज्जी की मैंने क्या हालत बना दी। क्या चुदती है यार तेरी बहन। जो भी इसका पति बनेगा साला ऐश करेगा। मुँह में लेती है, कुतिया की तरह चुदती है, अब गांड भी मरवाने वाली है। सुन्दर लौंडियों को चोदने का अलग ही मजा है।

शाम के चार बज रहे थे। यह दो घंटे चुदम-चुदाई में कैसे निकले पता ही नहीं चला। मेरा लंड काफी थक सा गया था। मुझमें भी उठने की क्षमता नहीं थी- सोचा घर चलें।

फिर सोचा नीलू की गांड मार कर चला जाए। फिर उसे सामने से भी तो चोदना था। बड़ी असमंजस में था मैं। यह सोचते हुए ना जाने कैसे मुझे नींद आ गई। थोड़ी देर में मैं एकदम से हड़बड़ाकर उठा। देखा, चारों और सन्नाटा और नीलू अभी भी लस्त थी।

उसकी पीठ पर धीरे से हाथ फेरा। उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा। वो ऊंह-ऊंह कर के उठी। अपने आप को देखकर पता चला कि वो मेरे साथ थी। वो भी नंगी। एक बार तो वो शरमाई, फिर हंस पड़ी। अब हंसी तो फँसी। मैं उसकी गोद में लेट गया।

उसने अपना एक मम्मा मेरे मुँह में डाल दिया और कहा- चूस बेटा। मेरी चूत का तो आज तुमने हलवा बना दिया, एकदम कोरी चूत थी, उसका भोसड़ा बना के रख दिया।

यह सब सुनते मेरा भैय्यालाल फिर से हिलने लगा।

मैंने कहा- नीलू बेबी ! लेट जाओ। तुम्हें आगे से चोदूंगा।

नीलू ने कहा- पहले मेरी चूत को गीला करो।

मैंने उसकी चूत में ऊँगली घुसेड़ी, थोड़ी सूख गई थी। लेकिन मेरी ऊँगली की कम्पन से फिर से उसमे जान आ गई और वो फिर थोड़ी गीली हो गई। मैं उसकी चूत को और ऊँगली करता रहा। जब बिलकुल तैयार हो गई, तब मैं उसके बीच में आया। उसके हाथ में लंड दिया और कहा- मेरी जान इस कलम को अपनी दवात में डाल लो।

उसने तो कमाल ही कर दिया। मेरे लंड को पकड़कर अपनी ढाई इंच की चूत पर लम्बाई से रगड़ने लगी- ऊपर के छेद से नीचे के छेद तक। ऐसा तकरीबन उसने तीन चार मिनट तक किया। फिर मेरे लंड को प्यार से मसला और बोली- तैयार है मेरा शेर। ले घुस अपनी मांद में और मचा तबाही।

मैंने नीलू की दोनों टांगें उठाईं और उसकी चूत में एक जोर का झटका दिया और पूरा नौ इंची अन्दर।

उसने ऐसी चीख मारी और मेरे बाजुओं को ऐसे भींचा कि उसके नाखून मेरे भुजाओं में घुस गए।

मैंने मुन्नू की फोटो देखी और कहा- देख मुन्नू, तेरी नंगी जिज्जी की चूत पर मैं कैसे हमला बोल रहा हूँ। अबे साले उसकी सील मैंने तोड़ी है। अब देख कैसे इसको मैं चोदता हूँ।

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नीलू की दोनों टांगें मेरे कन्धों पर थी। उसकी दोनों गुदाज़ बाहें सर के ऊपर थीं। किसी भी लौंडिया को चोदते समय उसके दोनों हाथ ऊपर रख दो- लौंडिया और भी सेक्सी लगेगी।

नीलू ने मुझे देखा और कहा- मेरी चूत फ़ाड़ कर ही रखोगे आज? मैं मर जाऊंगी।

नीलू ने फिर से एक कनफ़ोड़ चीख मारी और कहा- निकालो इसे ! मुझे नहीं कुछ करवाना।

मैंने उसकी एक न सुनी। उसकी एक टांग अपने कंधे पर रखकर मैं उसे धकापेल चोदने लगा। नीलू आह आह करती रही। लेकिन कुछ ही पलों में सामान्य हो गई और वो भी झटके देने लगी। मैं कभी उसके मम्मों को दबाता और कभी उसकी टांग चाटता। लेकिन जब उसकी जाँघों पर ऊँगली फेरता तब वो खूब उछलती- लेकिन साब क्या चुदाई थी वोह। जब भी कोई मस्त लौंडिया को चोदो तब उसके चेहरे के भाव ज़रूर पढ़ने चाहिएँ।

नीलू इतनी चुदक्कड़ निकलेगी मैंने कभी सोचा नहीं था।

अब उसने भी मुझे झटके दिए। उसकी गोरी सी प्यारी सी चूत को मैं रौंद रहा था। मैं चाहता था कि एक बार चुदते हुए मुन्नू देखे। मैं उसे दिखाना चाहता था कि एक लंड का इस्तेमाल कैसे करना चाहिये। खैर मैंने नीलू को फिर से इस तरह आठ-दस मिनट तक चोदा।

शायद वो फिर झड़ने वाली थी, बोली- अज्जू मैं झड़ने वाली हूँ ! आज तो मेरी चूत से पांच लीटर रस निकला होगा। और चोदो मुझे। जोर से पेलो। और तेज़ करो और तेज़।

मैंने कहा- ले नीलू और चुद ! और चुद रानी। यह चूत तो होती ही चुदने के लिये। और यह लंड भी तुम्हारा है मेरी बिल्लो। और चुद !

ऐसा कहते मैं उसे और स्पीड से चोदने लगा।

मैंने कहा- ले मेरी जान ! निचुड़ जा।

अब लगा कि जैसे मैं भी फटने वाला हूँ, मैंने कहा नीलू- मेरा रायता भी निकालने वाला है। कहाँ डालूँ? चूत के अन्दर डाल दूं क्या?

उसने कहा- चूत छोड़कर कहीं भी गिरा दो।

मैंने उसको और जोर से चोदा।

वो बोली- अज्जू कितना बढ़िया चोदते हो तुम यार। खूब चोदो मुझे।

मेरा लण्ड फटने से पहले मैंने अपने लण्ड को नीलू की झांटों पर रख दिया। लंड का सारा रायता उसकी झांटों पर फैल गया मैंने उसकी झांटों पर खूब लंड घुमाया। काली काली घुंगराली झांटों में मेरा श्वेत रायता ओस की बूँदों की तरह दिख रहा था।

मैं उसकी चूत देखता रहा- मज़ा आ गया।

मैंने जोर से बोला- अबे मुन्नू देख तेरी जिज्जी की चूत का क्या कर डाला। इसकी प्यारी सी चूत को मैंने तहस नहस कर डाला।

नीलू बोली- क्या कह रहे हो मुन्नू से?

मैंने कहा- मेरी जान, तेरे भाई ने एक बार मुझे चेतावनी दो थी कि मैं तुझसे दूर रहूँ और मैंने प्रण किया था कि तुझे चोदूँगा ज़रूर ! और आज मेरी ख्वाहिश पूरी हो गई। मैं चाहता हूँ कि मुन्नू देखे कि तू मेरा लंड कैसे लेती है, कैसे चूसती है और मेरे लंड से कैसे चुदती है।

नीलू बोली- तुम लड़के लोग भी ना !?!

मैंने नीलू की चूत को देखा, रायता सूख रहा था- ऐसा लग रहा था जैसे नीलू अपनी झांटों में कलफ लगवा कर आई हो।

नीलू की साँसें अब भी बहुत ही तेज़ चल रही थी। उसके मम्मे ऐसे ऊपर नीचे हो रहे थे मानो कोई जहाज़ समुद्र में हिचकोले खा रहा हो। मैं निढाल हो कर नीलू पर लेट गया और उसके गाल चूमने लगा। फिर धीरे से उसके बगल में लेटकर उसका एक मम्मा हौले से दबाने लगा।

इतना चुदने के बाद तो एक कुतिया भी थक जाती है और फिर नीलू तो एक अट्टारह साल की नव-युवती थी। उसका पूरा जिस्म टूट रहा था। उसकी दोनों टांगें अभी भी फैली हुई थीं। एक हाथ कमर के पास और एक हाथ सर के ऊपर था। मैंने उसका एक मम्मा अपने मुँह में लिया और उसे चूसा।

नीलू बोली- तुम थकोगे नहीं? कब तक मेरी लेते रहोगे?

मैंने कहा- मेरी रानी, तू है ही इतनी मस्त लौंडिया कि बार बार तुझे चोदने का मन करता है। यह लंड है कि मानता ही नहीं।

उसने मेरे लंड को बड़े ध्यान से देखा- धीरे से हाथों में लिया और कहा- क्या सबके लंड इतने ही बड़े होते हैं? और इतने मोटे?

मैंने कहा- मेरी जान जिस तरह लौंडियों के मम्मे अलग अलग साइज़ के होते हैं, लंड भी अलग अलग साइज़ के होते हैं।

नीलू ने कहा- अब क्या करना है?

मैंने झट से कहा- नीलू, मुझे तुम्हारी गांड मारनी है।

नीलू बोली- बिल्कुल नहीं ! बहुत दर्द होगा।

मैंने कहा- बेबी, अगर ज्यादा दर्द होगा तो मैं निकाल दूंगा। तेरी गांड को मैं पहले खूब चिकना करूंगा और फिर धीरे से अपना मूसल उसमें डाल दूंगा। बस तुम्हें कुछ पता ही नहीं चलेगा।

नीलू असमंजस में थी।

मैंने पूछा- किसने कहा कि दर्द होता है?

वो बोली- अभी अभी माया की शादी हुई है। उसके पति ने उसे रात में तीन बार अलग अलग स्टाइल से उसकी चूत को चोदा और फिर गांड मारी। दूसरे दिन वो चल नहीं पा रही थी।

मैंने कहा- मेरी लाडो माया की गांड को उसके पति ने चिकना नहीं किया होगा। तुम देखो मैं कैसे क्या करता हूँ।

नीलू ने हारकर सहमति दे दी लेकिन इस शर्त पर कि अगर उसे दर्द हुआ तो मैं अपना लंड निकाल लूँगा।

मैंने कहा- ठीक है बाबा ! निकाल लूँगा।

नीलू अपने पेट पर लेट गई। दोनों बाहें उसने अपने सर के इर्द-गिर्द डाल दीं। मैंने उसके बालों को पीठ से अलग किया और उसकी नंगी पीठ देखता रहा। खूब हाथ फेरकर मैं उसके चूतड़ों पर पहुँचा। उन्हें खूब दबाया। कभी कभी उसकी चूत में भी ऊँगली घुसेड़ देता था तो वो उचक जाती। मुझे नीलू की झांटें बहुत पसंद आईं। काफी घनी और घुंघराली थीं। फिर मैंने उसकी गांड का मुआयना किया। छोटी सी गांड थी। गुलाबी रंग की। एक बार तो मुझे भी दया आ गई- कि मेरा लंड तो आज इसे फाड़ कर रख देगा। लेकिन साब ! छेद है तो लंड तो घुसेगा ही। अब घोड़ा घास से दोस्ती नहीं करता।

मैंने इधर उधर देखा- एक क्रीम की बोतल दिखाई दी। मैंने खूब सारी क्रीम अपने हाथों में ली और उसकी गांड में मलने लगा। गांड का छेद थोड़ा खोलकर मैंने उसमें क्रीम डाल दी। फिर एक और बोतल खोली और उसमे अपना लंड भिगो दिया। लंड साब को जब बाहर निकाला तो श्वेत हो चुका था। मैंने नीलू का हाथ लेकर अपने लंड पर रखा। उसने उसे धीरे धीरे सहलाया। अब पूरा क्रीम उसमे अच्छी तरह से लग गया था। अब लंड भी तैयार, गांड भी तैयार, मैं भी तैयार उधर नीलू भी तैयार ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

देख मुन्नू ! तेरी बहन की अब मैं गांड मारता हूँ।

मैंने अपना सुपारा धीरे से उसकी गांड पर रखा और एक झटका दिया। सुपारा अन्दर और उसके साथ ही नीलू की एक चीख।

चूंकि उसने अपना मुँह तकिये के अन्दर डाला था- ज्यादा आवाज़ नहीं आई। मैं उसकी बगलों में हाथ फेरने लगा।

एक और झटका- तीन इंच अन्दर।

नीलू हिलने लगी- एक और झटका- चार इंच और अन्दर।

और फिर आखिरी झटके में पूरा लंड अन्दर।

मैं नीलू के ऊपर गिर पड़ा। उसकी कमर के नीचे से दोनों हाथ को मैं उसके मम्मों तक ले गया और फिर अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा। नीलू की आँखों में आँसू आ गए, बोली- अज्जू बस। चाहो तो मुझे पच्चीस बार और चोद लो, मेरे मुँह में अपना लंड भर दो लेकिन प्लीज़, मेरी गांड से इसे निकालो।

लेकिन चाहकर भी मैं निकाल नहीं पा रहा था। मेरे लंड को खूब मज़ा आ रहा था। मैं उसकी गांड मारता रहा और वो मरवाती रही। फिर मैंने अपने लंड को निकाला, उसको सीधा किया। उसके मम्मों को खूब दबाया और फिर उसकी टांगें चौड़ी कीं और फिर अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया।

वो उचक गई और बोली- बाज़ नहीं आओगे?

मैंने पूछा- मज़ा आ रहा है या नहीं?

नीलू बोली- आ तो रहा है लेकिन दर्द भी तो हो रहा है।

फिर वो थोड़ा उठकर देखने लगी कि यह लंड घुस कैसे रहा है।

वो बोली- क्या घुस रहा है तेरा लंड अज्जू। और कितना भयंकर दिख रहा है।

मैंने अपना लंड पूरा बहार निकालकर क्रीम के शीशी में घुसेड़ा और निकालकर फिर उसकी गांड में पेला। उसने भी खूब गांड मरवाई। मैंने आखिर में उसकी गांड में अपना सारा रायता डाल दिया। उसको एक गर्म एहसास हुआ।

उसने कहा- अज्ज..जज…ज्ज्जूऊउ मज़ा आ गया। अब मैं मर गई।

मैंने धीरे से अपना लंड निकालकर उसके हाथों पर रख दिया। उसने उसे एक बार दबाया और फिर मुझसे लिपट गई।

अब तक साढ़े पांच बज चुके थे। मैंने कपड़े पहने और मुन्नू के घर से निकलने लगा। नीलू अभी भी नंगी लेटी हुई थी।

मैंने कहा- नीलू डार्लिंग ! कपड़े पहन लो, वरना कोई आ गया तो खैर नहीं।

नीलू उठी और मेरे ही सामने कपड़े पहनने लगी। जब वो पूरी तरह तैयार हो गई तो मेरे पास आई।

मैंने कहा- तुम बहुत सुन्दर हो नीलू और तुम्हारा दिल भी अच्छा है।

उसने कहा- और मेरी चूत?

मैंने कहा- अति सुन्दर।

वो बोली- और मेरे मम्मे?

मैंने कहा- स्वादिष्ट !

उसने पूछा- मेरी झांटें?

मैंने कहा- रेशमी।

मेरे चूतड़?

मैंने कहा- गुदगुदे।

इतना सब कहने सुनने पर मेरा फिर से खड़ा होने लगा। उसको एक अच्छी सी चुम्बन देकर मैं दरवाजे तक पहुंचा। पीछे घूमकर मैंने मुन्नू की फोटो देखी।

मैं बोल्यो- रे मुन्नू, तेरी जिज्जी की तो मैंने अग्गे-पिच्छे खूबई लाल की। मैन्ने तो मज्जा आ गयो। के चुद्तो है रे तेरी भैण।

मुन्नू मियां अभी तो यह शुरुआत है- उसकी शादी तक मैं उसकी चूत का बम भोसड़ा बना दूंगा।

मैं अपने घर पहुंचा और माँ से कहा- मैं बहुत थक गया हूँ- मुझे सोने दें।

फिर मैं तीन घंटे सोया।

रात के आठ बजे मैं बाहर निकला। नीलू और उसकी मम्मी बाहर बैठीं थीं। मैंने आंटी से नमस्ते की और नीलू से बोला- अरे नीलू, तू तो दिखती ही नहीं है आजकल? आंटी ! कहाँ रहती है यह?

आंटी बोली- बेटा जब तुम लोग बच्चे थे तब अच्छा था- कम से कम साथ खेल तो लेते थे। अब तुम अपनी पढ़ाई में व्यस्त और यह अपनी पढ़ाई में ! कभी कभी आ जाया करो।

मैंने नीलू को देखा और आँख मारी और बोला- हाँ आंटी मैं आऊँगा।

इतने में आंटी अन्दर गईं और मैं नीलू के पास जाकर बोला- कब दे रही हो फिर से?

नीलू बोली- मैं खड़ी नहीं हो पा रहीं हूँ ठीक से। चूत पर सूजन हो गई है। गरम पानी का सेंक लगाया है।

मैंने उसको टाटा किया और घर आ गया।



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