महिमा की नशीली चूत का आनंद

महिमा और मैं कॉलेज में साथ में पढ़ा करते थे कॉलेज खत्म होने के बाद मैं भी जॉब करने लगा और महिमा भी जॉब कर रही थी, मैं कानपुर में रहता हूं मेरे पिताजी रोडवेज में नौकरी करते हैं। मैं महिमा से कम ही मिल पाता हूं लेकिन एक दिन मैं महिमा से मिला तो महिमा के चेहरे पर वह खुशी नहीं थी मैंने महिमा से पूछा महिमा क्या बात हुई है तो वह कहने लगी कुछ भी तो नहीं। मैंने उसे कहा लेकिन तुम बहुत ज्यादा परेशान लग रही हो वह मुझे कहने लगी नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है मैंने महिमा से कहा महिमा मैं तुम्हारा दोस्त हूं और तुम्हें काफी सालों से जानता हूं मुझे मालूम है कि कोई ना कोई बात तो जरूर है जिसे तुम बताना नहीं चाह रही हो।

महिमा कहने लगी मैं क्या बताऊं तुम्हें मैंने महिमा से कहा तुम्हारी जो परेशानी है वह तुम मुझे बता सकती हो क्या इतना भी अधिकार नहीं है मेरा। महिमा ने मुझे कहा अरे संजीव मैं तुम्हें क्या बताऊं पापा आजकल बहुत ज्यादा परेशान रहने लगे हैं और वह अपनी परेशानी की वजह से बहुत मानसिक दबाव में रहते हैं। मैंने महिमा से पूछा तुम्हारे पापा की टेंशन का क्या कारण है तो वह कहने लगी पापा ने बहन की शादी के लिए कुछ पैसे लोन लिए थे और घर के लिए भी उन्होंने लोन लिया था लेकिन वह उसकी किस्त समय पर नहीं भर पा रहे हैं जिस वजह से वह काफी परेशान रहने लगे हैं। मैंने महिमा से पूछा तो क्या आजकल तुम्हारे पापा काफी परेशान है वह कहने लगी हां पापा आजकल बहुत ज्यादा परेशान हैं मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं उनकी इस टेंशन को कैसे दूर करूं मेरे जितनी भी सैलरी आती है मैं कोशिश करती हूं कि वह मैं पापा को ही दूं लेकिन उसके बावजूद भी वह बहुत टेंशन में हैं।

मैंने महिमा से कहा यदि तुम्हें मेरी जरूरत है तो तुम मुझे कह सकती हो तुम्हें यदि पैसे चाहिए तो मैं तुम्हें पैसे दे सकता हूं महिमा मुझे कहने लगी नहीं मुझे अभी पैसों की जरूरत नहीं है लेकिन यदि मुझे कभी पैसों की आवश्यकता होगी तो क्या तुम मेरी मदद करोगे। मैंने महिमा से कहा तुम कैसी बात कर रही हो यदि तुम्हें कभी आवश्यकता होगी तो क्या मैं तुम्हारी मदद नहीं करूंगा, क्या मैं तुम्हारा दोस्त नहीं हूं वह कहने लगी कि नहीं मेरा यह कहने का मतलब नहीं था। महिमा को मैं भली भांति जानता हूं वह बहुत ही अच्छी लड़की है मैं उसकी हमेशा ही मदद करना चाहता हूं। महिमा ने एक दिन मुझसे कहा कि मुझे पैसों की आवश्यकता है तो मैंने उसे पैसे दे दिए महिमा ने मुझे कहा कि मैं तुम्हें हर महीने लौटाती रहूंगी मैंने उससे कहा कोई बात नहीं। महिमा मुझे अब हर महीने पैसे लौटाने लगी महिमा के साथ मेरी दोस्ती पहले जैसी ही थी शायद मेरी और किसी से भी बात नहीं होती थी लेकिन महिमा से मैं संपर्क में था और मैं कभी कबार महिमा के घर भी चले जाया करता था महिमा के पापा मम्मी मुझे अच्छे से पहचानते हैं। एक दिन मैं महिमा के घर पर गया महिमा किचन में चली गई और उसकी मम्मी और में बैठे हुए थे उसकी मम्मी मुझसे कहने लगी बेटा घर में तुम्हारे मम्मी पापा ठीक है मैंने कहा जी आंटी घर में मम्मी पापा सही है। मैंने उनसे पूछा आपकी तबीयत तो ठीक है तो वह कहने लगी हां मेरी तबीयत भी ठीक है मैंने उनसे पूछा महिमा मुझे बता रही थी कि आप की तबीयत कुछ समय पहले खराब थी तो उसकी मम्मी मुझे कहने लगी कि हां बेटा कुछ समय पहले मेरे पैर में काफी तकलीफ हो रही थी लेकिन अब ठीक है। उसकी मम्मी ने उस दिन मुझसे जो बात कही वह सुनकर मैं थोड़ा चौक गया मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि महिमा की मम्मी मुझसे उसके और मेरे रिश्ते के बारे में बात करेंगे। मैंने उन्हें कहा आंटी मैं महिमा को बहुत अच्छे से जानता हूं और वह बहुत अच्छी लड़की भी है लेकिन मैं उससे शादी के बारे में नहीं सोच सकता हम दोनों के बीच बहुत अच्छी दोस्ती है। आंटी मुझे कहने लगी बेटा तुम्हें मैं अपने घर की स्थिति के बारे में क्या बताऊं महिमा की बहन की शादी में हमारा काफी खर्चा हुआ अब हमारे पास पैसे भी नहीं है। मैं कई बार महिमा के बारे में सोचती हूं कि उसे क्या कभी कोई अच्छा लड़का मिल पाएगा क्योंकि अब हमारे पास बिलकुल भी पैसे नहीं बचे हैं।

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हमे तुमसे अच्छा लड़का नही मिल पायेगा तुम बहुत ही अच्छे लड़के हो और तुम महिमा को अच्छे से जानते भी हो इसीलिए मुझे लगा कि मुझे तुमसे बात करनी चाहिए। मैंने आंटी से कहा आंटी मैं और महिमा अच्छे दोस्त हैं और मुझे यह भी मालूम है कि महिमा जैसी लड़की शायद मुझे कभी मिल नहीं पाएगी क्योंकि वह बहुत ही अच्छी है और उसका नेचर और व्यवहार बहुत अच्छा है। हम दोनों बात कर रहे थे कि शायद यह बात महिमा ने सुन ली उस वक्त महिमा ने कुछ नहीं कहा लेकिन जब मैं महिमा के घर से बाहर आया तो महिमा मुझे छोड़ने के लिए घर से बाहर आई। महिमा ने मुझे कहा मम्मी ने तुम से मेरे रिश्ते की बात की थी क्या मैंने उसे कहा नहीं तो ऐसा कुछ भी नहीं है तुम्हें ऐसा क्यों लगा महिमा मुझसे कहने लगी संजीव मैं तुम पर सबसे ज्यादा भरोसा करती हूं और तुमसे ज्यादा शायद ही मैं किसी और पर भरोसा करती हूं। मैंने महिमा से कहा हां तुम्हारी मम्मी ने मुझसे कहा कि यदि मैं तुमसे शादी कर लूं तो तुम मेरे साथ खुश रहोगी लेकिन मैंने उन्हें कहा कि हम दोनों अच्छे दोस्त हैं और हम दोनों सिर्फ दोस्त बनकर ही रहना चाहते हैं। मैंने महिमा से पूछा क्या मैंने गलत कहा महिमा कहने लगी नहीं तुमने कुछ भी गलत नहीं कहा मैंने भी तुम्हारे बारे में कभी नहीं सोचा।

मैंने महिमा से कहा महिमा देखो तुम्हें जब भी मेरी जरूरत होगी तो मैं हमेशा तुम्हारे साथ खड़ा हूं मुझसे जितना बन पड़ेगा मैं हमेशा ही तुम्हारे लिए करूंगा लेकिन मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता महिमा कहने लगी मुझे मालूम है, महिमा ने कहा कि मम्मी की बात को छोड़ो। कहीं ना कहीं दबे पाव हम दोनों के रिश्ते की बात चलने लगी थी और मैं भी उस रात सोचने लगा कि यदि महिमा के साथ मेरी शादी होगी तो शायद मैं खुश रहूंगा क्योंकि उसके जैसी समझदार और अच्छी लड़की मुझे शायद ही मिल पाएगी। मैं महिमा को काफी समय से जानता भी हूं लेकिन शायद मैं अपने दिल में गलत ख्याल पैदा कर बैठा था महिमा के दिल में मेरे लिए ऐसा कुछ भी नहीं था। हम दोनो जब भी मिलते तो हम एक अच्छे दोस्त के नाते मिला करते और जब भी उसे मेरी जरूरत होती तो मैं सबसे पहले उसके साथ खड़ा होता। वह मुझे अपनी हर बात बताया करती थी उसके जीवन में जो भी होता वह मुझसे जरूर शेयर किया करती थी। एक दिन मैं और महिमा मिलने वाले थे जब हम लोग मिले तो मैंने महिमा से कहा हम लोग कहीं घूमने चलते हैं मैंने अपनी कार में महिमा को बैठा लिया। हम दोनों बात कर रहे थे तभी एक बड़ा सा गड्ढा रोड पर था और मैं महिमा से बात कर रहा था मेरा ध्यान उस गड्ढे की तरफ नहीं गया तभी गाड़ी का टायर उस गड्ढे में चला गया और महिमा को चोट लग गयी। मैंने जब महिमा की तरफ देखा तो महिमा के सर पर काफी तेज चोट लग गई थी जिससे कि उसके सर से खून आने लगा था। मैं घबरा गया और उसे एक हॉस्पिटल में लेकर गया वहां पर हमने उसके मरहम पट्टी करवाई मैंने महिमा से कहा तुम ठीक तो हो ना महिमा कहने लगी हां मैं ठीक हूं। मैंने महिमा से कहा मेरी वजह से तुम्हें चोट लगी है महिमा कहने लगी कोई बात नहीं मैं अब ठीक हूं तुम चिंता मत करो परंतु मुझे उस वक्त एहसास हुआ कि महिमा को काफी तकलीफ हुई होगी।

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मैंने महिमा को कार में बैठाया और उसे कहा मेरी वजह से तुम्हें बहुत चोट लगी महिमा ने मुझे कहा अरे नहीं बाबा ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है मैं ठीक हूं तुम बेकार में ही टेंशन ले रहे हो। मैंने महिमा को गले लगा लिया और न जाने उस वक्त मेरे दिल में कहां से इतना प्यार उमड़ पड़ा। मैंने महिमा को अपने गले लगा लिया और हम दोनों के अंदर एक अलग ही फीलिंग आने लगी और वह शायद सेक्स को लेकर थी। मैंने महिमा के होठों को चूमना शुरू किया और उसके होठों को मैंने किस करना शुरू कर दिया मैं उसके होठों को अपने होठों में लेकर चूम रहा था उसे बहुत ही अच्छा लगता। वह मेरा पूरा साथ देती उसके रसीले होठों को मैंने काफी देर तक किस किया हम दोनों ही पूरी तरीके से एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए तैयार हो चुके थे। मैं महिमा को एक सुनसान जगह पर ले गया वहां पर मैंने अपनी गाड़ी के शीशों को बंद कर दिया और मैंने महिमा के स्तनों का रसपान करना शुरू किया उसके निप्पल को जब मैं अपने मुंह में लेकर चुस रहा था तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था।

मैं उसके स्तनों का रसपान काफी देर तक करता रहा मुझे बहुत आनंद आया मैंने उसकी योनि को चाटना शुरू किया तो मुझे और भी मजा आने लगा। मैं बहुत ज्यादा खुश था मैंने उसकी गिली योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया तो उसकी योनि से खून का बहाव आने लगा और उसके मुंह से चीख निकल पडी। उसके मुंह से सिसकिया निकलने लगी मैं उसे धक्के दिए जा रहा था और वह मादक आवाज मे सिसकिया निकल रही थी। मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के दिए जाता हम दोनों के अंदर कुछ ज्यादा गर्मी पैदा होने लगी और हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बड़े अच्छे तरीके से सेक्स का आनंद लिया, हम दोनों बहुत ज्यादा खुश थे। मुझे उस वक्त एहसास हुआ की महिमा कि मैं कितनी ज्यादा फिक्र करता हूं लेकिन उसके बाद भी मैंने महिमा से शादी करने के बारे में कभी नहीं सोचा। उसके साथ जिस प्रकार से मैंने सेक्स का मजा लिया वह मेरे लिए बड़ा ही मजेदार था और उसकी सील पैक चूत के मजे मैने लिए थे मैने ही उसकी सील सबसे पहले तोडी।



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