माँ के रंडीपन की कहानी कैसे दिलीप चाचा ने माँ को चोदा

मेरे प्यारे दोस्तों आज मैं आपके लिए एक बड़ी ही मस्त चुदाई की कहानी ले के आया हु, ये कहानी सुनी सुनाई नहीं बल्कि सच की है. और ये मेरे माँ के बारे में है. आज मैं आपको अपनी माँ की चुदाई की कहानी वैसे ही पेश करूँगा जैसा की है. मेरा नाम कमलेश है और में अपनी सच्ची कहानी लेकर आया हूँ जिसमे मेरी माँ दिलीप चाचा से चुदी और में उम्मीद करता हूँ कि ये कहानी आपको बहुत पसंद आयेगी। में अपना छोटा सा परिचय दे देता हूँ। मेरा नाम कमलेश है और मेरी उम्र 19 साल है। में एक प्राइवेट नौकरी कर रहा हूँ और में अपनी माँ के साथ रहता हूँ और उनका जब में 5 साल का था तब तलाक हो गया था। अब उनकी उम्र 44 साल है उनका नाम दलजीत कौर है और उनकी हाईट 5.8 इंच है। हाईट के कारण और उनकी गांड और बूब्स तो बहुत ही अच्छे है भरे हुए और गोल गोल और सुडोल है.. ज्यादा लटक नहीं रहे है और गोरी तो वो इतनी है कि उनके सामने दूध भी फीका पड़ जाए और वो बहुत सेक्सी है, दोस्तों कई बार तो ऐसा लगता था की मैं ही माँ को पकड़ कर पेल दू.

फ्रेंड मैं हर रोज़ स्कूल से आने के बाद घर के बगल में ही ट्यूशन जाता था और मेरी ट्यूशन का टाईम चार बजे से छह बजे का था। तो एक दिन जब में स्कूल से घर आया तो माँ घर पर मौजूद थी। में उन्हे देखकर बहुत खुश हुआ और मैंने माँ को हग किया और फिर मैंने माँ से पूछा कि आज आप घर पर कैसे? तो वो बोली कि बेटा आज घर पर कोई भी नौकरानी नहीं है तो आप खाना कहाँ पर खाते तो इसलिए मैंने सोचा कि आज लंच आपके साथ किया जाए और कुछ काम भी था और फिर मुझे हग किया। फिर हमने बहुत देर तक मस्ती की और एक साथ बैठकर लंच भी किया।

फिर हमने थोड़ी देर इधर उधर की बात की और माँ ने मुझसे मेरी पढ़ाई के बारे में पूछा.. मेरी ट्यूशन कैसी चल रही है और वो मुझसे बोली कि आज रात को आप मुझे अपनी पढ़ाई का पूरा काम बताना कि आपका कितना कोर्स बाकि है और आपने कितना पूरा किया है और फिर कहा कि चलो जल्दी करो अब आपके ट्यूशन का टाईम हो गया है.. बाकी बातें ट्यूशन से आने के बाद करेंगे। तो में जल्दी से तैयार हुआ स्कूल के कपड़े बदले और ट्यूशन के लिए निकल गया। मेरा ट्यूशन घर से ज़्यादा दूर नहीं है और में हर रोज़ वहाँ पर साईकल से जाता हूँ और जब में ट्यूशन पहुँचा तो पता चला कि मेरे सर के घर पर कुछ मेहमान आए हुए है तो आज सर क्लास नहीं लेंगे। फिर में वापस घर जाने लगा और रास्ते में मैंने सोचा कि में अपने एक दोस्त के घर होता हुआ चलूं.. उससे पूछ लूँ कि वो खेलेगा क्या? और जब दोस्त के घर गया तो पता चला कि वो किसी की जन्मदिन पार्टी में जाएगा। फिर में घर चला गया और में जैसे ही घर पर पहुँचा तो मैंने देखा कि बाहर एक गाड़ी खड़ी हुई थी.. मुझे लगा कि हो सकता है कि हमारे यहाँ भी मेहमान आए होंगे? तो मैंने घंटी नहीं बजाई और मेरे पास रखी चाबी जो कि मेरे पास रोज़ ही रहती है उससे दरवाजा खोला और अंदर चला गया और उस वक़्त 4:35 का समय हो रहा था और मैंने अंदर आकर देखा.. लेकिन हॉल में तो कोई नहीं था और फिर माँ के रूम से अचानक मुझे ज़ोर से किसी के हंसने की आवाज़ें आने लगी। तो में उस रूम की तरफ गया और दरवाजे को धीरे से धक्का दिया.. लेकिन वो अंदर से लॉक था और एकदम से हंसने की आवाज़ें बंद हुई और माँ के मोन करने की आवाज़ आने लगी। तो मुझे लगा कि शायद अंदर कुछ हो रहा होगा.. में फिर पास वाले रूम में गया और वेंटीलेटर्स से झाँकने लगा और मुझे डर भी बहुत लग रहा था कि कहीं वो लोग मुझे देख ना लें.. वैसे दिखने का चान्स ना के बराबर था.. लेकिन फिर भी जैसे ही मैंने अंदर देखा तो माँ और दिलीप चाचा बेड पर नंगे लेटे हुए थे और चाचामाँ को चोद रहे थे और किस भी कर रहे थे.. मुझे देखकर करंट का झटका भी लगा और बहुत दुख भी हुआ कि मेरा बहुत ज़्यादा सीन छूट गया।

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फिर चाचामाँ के बूब्स दबाने लगे और उन्हे धक्के देकर चोदे जा रहे थे और माँ आहें भर रही थी आहह्ह्ह्ह आह हाँ आहह्ह्ह। फिर चाचामाँ के ऊपर से हटे और बेड से उठकर अलमारी की तरफ गये और दूसरा कंडोम निकालकर ले आए.. उन्होंने पहले पहना हुआ कंडोम निकाला और नया लगा लिया। तब मेरा ध्यान उनके लंड पर गया और वो बहुत बड़ा था.. लगभग 7 इंच या 7.5 इंच का होगा। कंडोम लगाने के बाद चाचाफिर से बेड पर आए और आते ही उन्होंने माँ के होंठ चूसने शुरू कर दिए। फिर चाचाने माँ से धीरे से कुछ कहा और माँ पलट कर लेट गयी। तो चाचाने उनकी कमर के नीचे एक तकिया लगाया और अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगे.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और खुशी भी थी कि पूरा शो नहीं निकला और फिर चाचाने ज़ोरदार एक दो धक्के लगाए और उनका लंड आसानी से माँ की गीली चूत में चला गया।

तो वो माँ के ऊपर लेट गये और फिर मुझे चाचाका लंड माँ की चूत में जाता और बाहर आता साफ साफ दिख रहा था और उनके आंड माँ की गांड पर टकराते हुए दिख रहे थे उस दिन तो बहुत अंधेरे से कुछ भी नहीं दिख रहा था.. लेकिन आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और माँ की चूत एकदम साफ दिख रही थी और उनकी चूत बालों से बहुत भरी हुई थी और अंदर से गुलाबी कलर की थी। फिर चाचाज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते गये और माँ आहें भारती जा रही थी.. आहआह अहह्ह्ह्ह और चाचाबीच बीच में माँ की कमर पर, कंधों पर और गर्दन के पास काटते और पीठ को चाटते। फिर चाचाअपना एक हाथ आगे ले गये और माँ के बड़े बड़े आम की तरह झूलते हुए बूब्स को पकड़कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे। तो माँ आह अह्ह्ह्ह और ज़ोर से और ज़ोर से अह्ह्ह हाँ और ज़ोर से दबाओ बोल रही थी। और अपना हाथ पीछे की तरफ करके चाचाकी गांड को दबा रही थी। वो बहुत उत्तेजित सी लग रही थी और मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। खैर में उस वक़्त सेक्स के बारे में सब कुछ नया नया ही सीखा था और फिर चाचाथोड़ा सा उठे और माँ के बूब्स को पकड़कर पीछे की तरफ खींचा और अब वो दोनों अपने घुटनों पर थे और माँ ने पीछे हाथ करके चाचाके गले में बाहें डाल दी.. जैसा गले लगते वक़्त डालते है और दोनों किस करने लगे। दोस्तों मैंने इससे पहले ऐसा किस नहीं देखा था। मुझे बहुत मस्त लगा और शरीर में करंट लग रहा था और फिर चाचाने माँ के बूब्स ज़ोर से दबाए और उन्हे चोदने लगे। तो माँ की तो चीख ही निकल गयी.. अहह आउफ़फ्फ़ उफ़फ्फ़ उउउम्म्म्मम। तो चाचाने ऐसे ही माँ को 5-7 मिनट तक चोदा और माँ झड़ गयी और एकदम से बेड पर गिर गयी। चाचाका लंड अब भी माँ की चूत में था और दोनों अपने घुटनों पर थे। बस अब माँ ने अपने दोनों हाथ आगे टिका दिए और सर तकिये पर छुपा लिया.. यह चुदाई करने के लिये शानदार पोज़िशन बन गई थी और चाचादो मिनट रुककर माँ को चोदना शुरू किया और हर धक्के के साथ माँ का बदन कांप उठता तो माँ ने अपना हाथ पीछे करके चाचातो थोड़ा पीछे धक्का दिया और कहा कि..

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माँ : प्लीज बस अब बाहर निकालो।
चाचा: क्या हुआ?
माँ : अब नहीं लिया जाएगा.. यह वाला तो बहुत ज़ोरदार धक्का है।

दोस्तों यह तो सच है कि माँ की चूत से पानी बेड पर टपक रहा था.. लेकिन एक एक बूँद टपक रहा था.. ऐसा कोई बहुत ज़्यादा नहीं था और मेरे लिए तो यह सब नया था क्योंकि मैंने ऐसा तो पॉर्न फिल्म में भी नहीं देखा था।

चाचा: ठीक है नार्मल हो जाओ.. लेकिन आप तो पूरी तरह कांप रही है।

माँ : अरे आज तो आपने क्या किया है (और वो हांफते हांफते हंसने लगी) ऐसा सेक्स और ऐसा मज़ा तो कभी नहीं आया.. ऊफ अह्ह्ह उह्ह्ह।

फिर माँ साईड में लेट गयी.. लेकिन चाचाका काम सभी भी नहीं हुआ था और इतने में माँ बोली कि..

माँ : क्यों आपको पिछली बार क्या हुआ था? 10 मिनट ही विकेट पर टिके और आज तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हो।

चाचा: आज आप पर मेरा प्यार बरस रहा है.. उस दिन तो बस मौका मिला था तो वो सिर्फ सेक्स था और उन दिनों में बहुत टेंशन में भी था और टेंशन तो हर काम को अटकाती ही है।

माँ : क्या इतनी? लेकिन मुझे ऐसा लग ही नहीं रहा कि पिछली बार आप ही थे। आज तो हाँ बस रब्बा रहम करे.. रोकना बहुत मुश्किल हुआ है।

फिर मेरे चाचा और माँ दोनों हसने लगे और चाचाने माँ को ज़ोरदार किस किया और फिर जैसे ही चाचाकिस तोड़ने जा रहे थे तो माँ ने चाचाके गाल को दोनों हाथों से पकड़ा और फिर से उनके होंठ चूमने लगी और वो दोनों अपने किस में व्यस्त हो गए.. शायद अब दोनों शांत हो चुके थे ।



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