खेल खेल में चुदाई

khel khel mai chudai आज मैं आप’को अप’ने घर की कहानी बताने जा रहा हूँ. मेरे घर में पापा, मम्मी, छोटी बहन सलोनी (15 साल) , मुनिया (1 साल)
और मैं; ये पाँच लोग रह’ते हैं . मेरी उमर 18 साल की हो गयी है और कॉलेज में बी. एस सी. फाइनल एअर में हूँ. छ्होटी बहन सलोनी
10थ में है. कॉलेज में दोस्तों के साथ लड़’कियों से छेड़ छाड़ कर’ना और लऱ’कियों की बातें कर’ने में मैं किसी से कम नहीं
था. हमारी सम्मर वाकेशन्स चल रही थी. पापा तो सुबेह ही काम पर चले जाते और शाम को घर आते थे और मम्मी सारा दिन काम
में बिज़ी रहती थी. एक दिन दोपहर के वक़्त खाना खा के मैं और सलोनी टी. वी. देख रहे थे. मम्मी और मुनिया सो रहे थे. इतने में
ही लाइट चली गयी. अब मैं और सलोनी बोर हो रहे थे.

“भैया, लाइट तो चली गयी, अब क्या करें?”

“कुच्छ खेलते हैं”

“क्या खेलोगे?”

“लुडो”

“मेरा दिल नहीं कर रहा”

“फिर चलो साँप सीढ़ी ही खेल लेते हैं, इतने में कहीं लाइट आ
जाय.”

“नहीं भैया ये सब खेल मुझे बहुत बोर लग’ते हैं.”

“अच्च्छा सलोनी आज हम वो बच’पन वाला खेल “घर घर” खेलते
हैं, जिसमें तुम कुच्छ बनोगी और मैं भी कुच्छ बनूंगा.

“उम्म. . . ठीक है, भैया.”

“पर यहाँ तो बहुत गर्मी है, चल ऊपर वाले कमरे में चल के खेलते हैं” हमारा घर दो मंज़िला है. मैं और सलोनी फर्स्ट फ्लोर
वाले रूम में चले गये. यह कमरा प्रायः बंद ही रह’ता था और इसमें किसी के आने का भी डर नहीं था.

“भैया मम्मी ने अगर हमें आवाज़ लगाई तो सुनाई नहीं देगी यहाँ पर”

“मम्मी तो अभी कम से कम 2 घंटे सोती रहेगी और मुनिया तो पूरे दिन सोती ही रहती है”

“पर हम ‘घर घर’ में आज खेलेंगे क्या?”

“उम्म. . मैं डॉक्टर बन’ता हूँ और तुम पेशेंट बन जाओ. तुम मेरे पास दिखाने आओगी” खेल शुरू हो जाता है.

“हेलो डॉक्टर साब, मेरा नाम रसीली है”

“हेलो. यस. . रसीली जी. . क्या प्राब्लम है आपको”

“डॉक्टर साब मेरे पेट में अक्सर दर्द रहता है”

“आप सामने बेंच पर लेट जाईए” सलोनी जाकर बेड पर लेट गयी. सलोनी ने उस दिन ग्रीन कलर का सलवार- कमीज़ पहना हुआ था. फिर
मैं भी बेड की साइड पर जाकर बैठ गया.

“यस. रसीली जी. पेट में किस जगह दर्द होता है आपको” सलोनी ने अपनी नाभि पर हाथ रख कर बताया,

“डॉक्टर. . इस जगह होता है दर्द”

“आप ज़रा अपनी कमीज़ थोड़ी ऊपर करेंगी?” तो सलोनी ने पूचछा,

“असली में भैया”

“हां! खेल का तो तभी मज़ा आएगा.” सलोनी ने अपनी कमीज़ ऊपर कर दी. फिर मैने सलोनी के पेट पर हाथ मारना शुरू किया.
सलोनी थोड़ा सा शर्मा रही थी.

“क्या दर्द हमेशा यहीं होता है?”

“जी डॉक्टर साहब.”

“अब मैं आपके पेट को दबाऊंगा , जहाँ दर्द हो वहाँ बताना” मैं सलोनी के पेट को अपने हाथों से दबा-ने लगा. इस पर मेरा लॉडा
खड़ा होने लगा. सलोनी की छाती ऊपर नीचे हो रही थी. मेरी नज़र सलोनी की चूचियों पर पड़ने लगी. सलोनी की स्किन बहुत कोमल और चिक’नी थी. सलोनी को भी मेरा दबाना अच्च्छा लग रहा था. मैं कुच्छ देर तक तो पेट को दबाता रहा लेकिन अब मैं सलोनी का एक एक अंग दबा-ना चाह रहा था.

“यह दर्द कब कब होता है आपको”

“रोज़ सुबेह उठ’ते ही. . और कभी कभी तो छाती में भी होता
है.”

“छाती में. . . छाती में किस जगह?”

“बिल्कुल बीच में “देखना पड़ेगा. कमीज़ थोड़ा और ऊपर कीजीए” सलोनी को मज़ा आ रहा था और वो इस खेल को और खेलना चाह-ती थी. मेरा तो लॉडा बेकाबू सा होता जा रहा था. सलोनी को मज़ा तो आ रहा था पर वो शर्मा भी रही थी. जब मैने सलोनी की कमीज़ और ऊपर उठानी
चाही तो वह बोली,

“भैया कमीज़ और ऊपर मत करो,”

“देखिए रसीली जी इस छाती के दर्द वाली बात को आप गंभीर’ता से लीजिए. मुझे पूरा चेक अप कर’ना पड़ेगा. और मैने
सलोनी की कमीज़ ऊपर कर’ने की कोशीष की.

“डॉक्टर साब. . कमीज़ ऊपर मत कीजीए, मैं आज कुच्छ पह’नी नहीं ”

“क्या नहीं पह’नी”

“मेरा मत’लब आज मैने नीचे ब्रा न्हीं पहन रखी.”

“पर क्यों नहीं पह’नी.”

“मुझे इन गर्मी के दिनों में अंडर गारमेंट्स नहीं सुहाते. आप कमीज़ और ऊपर मत कीजीए, कमीज़ के अंदर हाथ डाल के देख लीजीए”

“ठीक है” मैने सलोनी की कमीज़ में हाथ डाला और पूचछा.

“कहाँ दर्द होता है”

” इन दोनो के बीच में”

“क्या. तुम्हारा मत’लब इन दोनो चूची के बीच में?” मैने सलोनी की एक चूची दबाते हुए जान बूझ के चूची शब्द इस्तेमाल
किया. “हाँ” सलोनी शर’माते हुए बोली. मैं सलोनी की चुचियो के बीच के पार्ट को दबाने लगा और मुझे चिड़िया दाना चुग’ती नज़र आई.

“बस बीच में ही दर्द होता है क्या?”

“नहीं डॉक्टर कभी कभी तो पूरी छाती में भी होता है” सलोनी के इतने कहने की देर थी कि मैने अपने दोनो हाथ उसकी चुचियो
पर रख दिए. फिर मैने पूचछा.

“क्या कभी कभी तुम्हारी इन दोनों चूची में भी दर्द होता है?”

“दर्द तो नहीं डॉक्टर साब. लेकिन भारीपन फील होता है. ब्रेस्ट कुच्छ भारी -भारी से रहते हैं”

“देखीए, मैं सही इलाज तभी कर सकता हूँ जब आप मुझे अपनी पूरी छाती का एग्ज़ॅमिनेशन करने दे, और इसके लिए आपको अपनी
कमीज़ उतारनी होगी” सलोनी को इस खेल में मज़ा तो आ रहा था लेकिन वो डर भी रही थी.

“भैया, देख के आओ के मम्मी और मुनिया सो रहे है या नहीं.”

“मैं अभी देख के आता हूँ” मैं नीचे मम्मी और मुनिया को देखने गया, दोनो ही सो रहे थे और लाइट भी आ गयी थी, सो गर्मी से
दोनो के जागने का कोई डर नहीं था. “मैं देख के आ गया, दोनो सो रहे हैं, और लाइट भी आ गयी है, मैं कूलर ऑन कर देता हूँ”

“नहीं भैया कूलर की ज़रूरत नहीं, बहुत शोर करेगा. आप पंखा तो चलाओ ना.”

” हां तो अब शुरू करें खेलना?” मैने पंखे का स्विच दबाकर पूछा.

“हां”

“हां, तो मैं कह रहा था आपको अपनी कमीज़ तो उतार-नी ही पड़ेगी रसीली जी”

“ठीक है डॉक्टर साब अगर इसके बिना एग्ज़ॅमिनेशन संभव नहीं तो उतार देती हूँ” सलोनी ने अपनी कमीज़ उतार दी. उसने कमीज़ के
अंदर कुच्छ भी नहीं पह-ना था. अब वो मेरे सामने सर से लेकर वेस्ट
तक बिल्कुल नंगी थी. सलोनी की चूचियाँ अच्छी ख़ासी उभर आई थी. दो मोसांबी जैसी और उनके ऊपर दोनों गुलाबी निपल
खिले हुए थे.

“तो आपको छाती में भारीपन महसूस होता है” मैने दोनों चूचियों पर हल’के से हाथ रख’ते हुए पूचछा.

“जी डॉक्टर. अब आप मेरी छाती दबा कर एग्ज़ॅमिनेशन कीजिए ना” मैने सलोनी की दोनो चुचियो को पकड़ा और दबाना शुरू किया. उसके
मूँ’ह से आअहह निकल गयी. वो बोली.

“डॉक्टर. . आपके दबा-ने से ब्रेस्ट को काफ़ी आराम मिल रहा है. .
आ?”

“आपकी चूची का भारीपन मैं अभी ख़तम कर सकता हूँ”

“कैसे?”

“आपकी चूची को चूस के.”

“क्या. . इस-से भारीपन ख़तम हो जाएगा. आप ठीक तो कह रहे
हैं ना?”

“हां, इनका भारीपन मिटाने का यही सही इलाज है.”

“तो फिर चूस लीजीए. मैं ठीक होने के लिए कुच्छ भी कर सकती हूँ. कुच्छ भी. आज’कल इनके भारीपन से मैं बहुत परेशान
रह’ने लग गयी हूँ. फिर आप तो डॉक्टर है, आप तो सब जान’ते हैं कि सही क्या है और ग़लत क्या है.” मैं सलोनी का लेफ्ट निपल
अपने मूँ’ह मे लेकर चूसने लगा.

“आह. डॉक्टर. . ओह…. कितना आराम मिल रहा है. आप ठीक कह रहे थे डॉक्टर. दूसरी चूची में भी भारीपन है. . उसे भी
चूसीए ना” मैं एक हाथ से सलोनी का लेफ्ट बूब दबा रहा था और राइट बूब मेरे मन’ह में था.

“ऊसस उऊहह. डॉक्टर साब. आप तो मेरा दूध पी रहे हैं जैसे मुनिया मम्मी का पीती है.”

“दूध की वजह से ही भारीपन है. दूध ख़तम तो भारीपन भी ख़तम” फिर मैं 10 मिनिट तक उसके मम्मो को चूस’ता रहा और वो
मज़े में आहें भरती रही. अब वो पूरी मस्ती में थी. मैं उसके मम्मो को चूस’ता रहा और उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया .
मैने मम्मो से मूँ’ह हटा के उसके लिप्स पर रखा तो उसने अपनी जीभ मेरे मूँ’ह में डाल दी और हम एक दूसरे की जीभ चाट-ने लगे .
फिर मैं बोला.

“बस मैं आपको एक इंजेक्षन भी लगा देता हू. उस-से आपको पूरा आराम मिल जाएगा”

“डॉक्टर साहब. इंजेक्षन भी लग’वाना पड़ेगा? पर कहाँ लगाएँगे. कहीं आप मेरे पीछे तो नहीं लगाएँगे?”

“बिल’कुल ठीक सम’झा आप’ने रसीली जी. अब आप ज़रा अपनी सलवार नीचे कर दीजीये और पेट के बल लेट जाइए.” सलोनी ने बिना
कुच्छ कहे अपनी सलवार नीचे कर ली और पेट के बल लेट गयी. मैने उसकी पॅंटी के उपर से कुच्छ देर उस’के फूले फूले चुत्तऱ
सह’लाए. फिर बोला,

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“हां अब इस पॅंटी को भी नीचे सर’का दीजिए. मुझे ठीक से दबा के देख’ना होगा की इंजेक्षन कहाँ लगाना है जिस’से आप’को बिल’कुल
दर्द न हो.

डॉक्टर साहब मुझे शरम आती है, आप खुद ही सर’का लीजिए. मैने सलोनी की पॅंटी उस’के घुट’ने तक नीचे सर’का दी. वह पेट
के बल लेटी हुई थी. वह मेरी छोटी बहन के क्या फूले फूले और बिल’कुल गोरे चुत्तऱ थे. उनके बीच में गान्ड का भूरे रंग का
गोल छेद कुच्छ उभ’रा हुवा था. मैं हल’के हल’के उस’के चुत्तऱ सह’लाने लगा. फिर एक चुत्तऱ को मुत्ठी में भींच दबाने लगा.
सलोनी ओह … ओह … कर रही थी. क्रमशः…………….

गतान्क से आगे………….
फिर वह बोली, डॉक्टर साब . मैं एक बात तो आप’को बताना भूल गयी थी के मेरी जांघों के बीच में कुच्छ चुभन सी महसूस होती है”

“जांघों के बीच में. . और कहीं तो नहीं होती ?. . . जैसे कि. . हिप्स के बीच में?” मैने सलोनी की गान्ड के छेद को खोद’ते हुए
पूछा,

“हां. हिप्स के बीच में भी चुभन लगती है.”

“तो आप सीधी लेट जाईए और अपनी टाँगें फैला लीजीए. यह तो खतर’नाक बात है. मुझे ठीक से जाँच पड़’ताल कर’नी
पड़ेगी.” सलोनी अपनी टाँगें खोल के लेट गयी . मैने पहली बार अपनी बहन की चूत देखी और देख ता ही रह गया. चूत के चारों
और ढेर सारे झान्ट के बॉल उग गये थे. उन बालों के बीच सलोनी की चूत फूल के उभरी हुई थी. चूत के निच’ले भाग में एक
लाल दरार साफ दिख रही थी जो कि उस’की चूत की ओपनिंग थी. मैं सलोनी की झान्टो में हाथ फेर’ने लगा.

रसीली जी आप की चूत पर ये बॉल कब से उगे हैं. अब मैं वास’ना से भर उठ था और सलोनी से खुले शब्दों में बात कर उसे भी
पूरा गरम कर देना चाह रहा था.

जी डॉक्टर साहब, पीछ’ले साल से उग’ने शुरू हुए और इन दिनों में तो काफ़ी बढ़ गये हैं. सलोनी ने लाजाते हुए एक मुस्कान के
साथ धीमी आवाज़ में कहा.

हूँ! जो आप’की दोनों जांघों के बीच, मेरा कह’ने का मत’लब जो आप’की चूत में एक चुभन सी महसूस होती है उस’का एक कारण
आप’के ये झान्ट के बाल भी है. आप इन्हें साफ कर’के क्यों नहीं रख’ती.

जी मुझे नहीं पता कि इन्हें कैसे साफ करूँ. सलोनी ने टाँगें बंद कर’ते हुएकहा.

“ठीक है हम आप’को अप’ना शेविंग रेज़र और क्रीम दे देंगे.

पर मुझे तो रेज़र चलाना नहीं आता. कहीं ठीक से नहीं चला तो बालों के साथ मेरी पुसी भी कट जाएगी.

ठीक है, कभी फ़ुर्सत में हम आप’का यह काम भी खुद कर देंगे. अब मैं सलोनी की चूत के फाटक को धीरे धीरे खोल’ने लगा.
बीच बीच में उस’में अंगुली भी डाल रहा था. चूत भीतर से गीली हो उठी थी.

ऊऊओ. . . ऊउउउ ओह . . . डॉक्टर साहब मेरी चुभन बढ़ रही है. ओह.. ऐसे मत कीजिए. मुझे डर लग रहा है. …….
भैया कहीं मम्मी जाग तो नहीं जाएँगी”

“मम्मी अभी एक घंटे से पहले नहीं जागेंगी” मैने अपनी शर्ट निकाल दी. सलोनी पूरी मस्ती में थी . अब वो इस खेल को ले-के
सीरीयस हो गयी थी.

“ऊऊ. हह. भैया. ऊवू भैया आप पुसी छूते हैं तो, कैसा अजीब सा लग रहा है. ”

“भैया नहीं, हम डॉक्टर साहब हैं और आप’की पुसी नही, बल्कि चूत में अंगुल डाल रहे हैं. मुझे आप’का इलाज कर’ना है. लगता
है ठीक इसके भीतर इंजेक्षन देना पड़ेगा, तभी आप’की चुभन मिटेगी. पह’ले मुझे ठीक से देख लेने दीजिए कि इंजेक्षन भीतर
चला जाएगा या नहीं. ऐसा कह कर मैं सलोनी की चूत में अंगुल, तेज़ी से अंदर बाहर कर’ने लगा.

तो क्या डॉक्टर साहब इस’के भीतर इंजेक्षन देना पड़ेगा. अभी तो आप मेरी हिप्स देख रहे थे और कह रहे थे कि हिप्स पर इंजेक्षन
देंगे. सलोनी धीरे धीरे मस्त हो रही थी और उसे खेल को जारी रख’ने में मज़ा आ रहा था. पर अभी तक मेरी तरह खुले शब्द
नहीं बोल रही थी.

तब आप ने चूत में खाज चल’ने वाली बात कहाँ बताई थी. अब जब आप’की चूत में खाज चल रही है तो उस खाज को मिटाने
के लिए लंड, मेरा मतलब इंजेक्षन तो उस’के भीतर देना ही पड़ेगा. अब मैं सलोनी से अश्लील भाषा में बात कर’ने लग गया और
कोशीष कर रहा था कि वह भी राज़ी होके मेरे साथ “घर घर” की जगह “चोदा चोदी” का खेल खेले.

लेकिन डॉक्टर साहब आप’को अचानक क्या हो गया है? जैसा आप कह रहे हैं वैसा तो मैने आप’को एक बार भी नहीं बताया. मैने तो
इत’ना भर कहा था कि जांघों के बीच चुभन हो रही है.

देखिए! मैं डॉक्टर हूँ और मुझे पेशेंट की हालत देख के भी बहुत सी बातें समझ में आ जाती है. अभी आप’की हालत
नाज़ूक है और मुझे तुरंत इलाज शुरू कर’ना पड़ेगा. यह कह मैने सलोनी की पॅंटी पूरी उतार दी और उस’की दोनों टाँगों को फैला
दिया. मैं उस’की चूत के उपर झूक गया और जीभ उसके चूत के छेद से लगा दी और उसकी चूत की खाई को चाट’ने लगा.
हाय. डॉक्टर साहब आप यह कैसा इलाज कर रहे हैं. इस’से तो चुभन बढ़ रही है. अब तो भीतर एक खाज सी भी चल’ने लगी
है. मुझे ऐसा तो कभी भी पह’ले नहीं लगा. आप इलाज तो ठीक कर रहे हैं ना? सलोनी मेरे सर को अपनी चूत पर दबाते हुए
बोली.

देखिए आप’को आराम तो इंजेक्षन लगाने के बाद ही मिलेगा. पर पह’ले बीमारी जित’नी बाहर आ जाएगी उतना अच्च्छा रह’ता है.
यह बीमारी बहुत दिनों से आप’के भीतर दबी पड़ी थी. अब मैने सलोनी के दोनों चुत्तऱ के नीचे अपने हाथ का सहारा दे उन्हें
कुच्छ उपर उठ लिया था और जीभ को उस’की चूत के अंदर तक पेल’ने लगा.

ओह डॉक्टर ! अब जल्दी कुच्छ करो ना. ओह … हां … भैया बहुत अच्छा लग रहा है. भैया एक बार नीचे देख आओ ना मुझे अब डर
लग रहा है. मैं भी आसवस्त हो लेना चाहता था और बनियान में ही नीचे भागा और देखा कि मम्मी और मुनिया दोनों घोड़े बेच कर
सो रही हैं. यह देख मैं उत्तेज’ना से पागल हो गया. सीढ़ियाँ चढ’ते चढ’ते ही मैने बनियान निकाल डाली और पॅंट भी खोल
हाथ में झूला ली. मैं अंडरवेर में अप’नी बहन के पास आया और बोला,

सलोनी मा गहरी नींद में सोई हुई है. यह कह मैने सलोनी को आलिंगन में ले लिया और उस’के होठों को चूस’ते हुए उस’की
चूचियाँ दबाने लगा. फिर मैने अंडरवेर भी उतार दिया और सलोनी को अप’नी छाती से चिप’काए हुए ही उस’के एक हाथ में
अप’ना खड़ा लंड दे दिया. लंड को हाथ में पकड़ते ही सलोनी ने झट’के से हाथ खींच लिया जैसे मैने उसे साँप पकड़ा दिया हो.
वह झट मेरे आलिंगन से निकल मेरे लंड की तरफ एक नज़र से देख’ने लगी.

भैया अब डॉक्टर वाला खेल बंद कर’ते हैं. आज बहुत खेल लिया. वह मेरे लंड को अभी भी देखे जा रही थी.

पर रसीली जी आप’को इंजेक्षन भी तो देना है.

भैया छोड़ो ना अब, कैसी रसीली जी, तुम्हें कोई इंजेक्षन वग़ैरह नहीं देना है. मुझे सब मालूम है. भैया मुझे डर लग
रहा है.

अरे पग’ली डर’ती क्यों हो? मैं हूँ ना. सलोनी खेल खेलो ना बहुत मज़ा आ रहा था. देखो तुम्हें भी बहुत मज़ा आएगा. अब देखो तुम
खेल बीच में छोड़ रही हो. मैं तुम्हारे साथ फिर कभी भी नहीं खेलूँगा.

पर भैया हम तो झूट मूट का खेल खेल रहे थे तुम तो सच में करोगे. मैं सलोनी के पुच’कार’ते हुए चूम रहा था. कभी उसकी
चूचियाँ हल’के हल’के दबा रहा था तो कभी चूत को अंगुल से खोद रहा था. हम दोनों भाई बहन पूरे नंगे थे. सलोनी थोड़ा
विरोध कर रही थी पर न तो मेरी पकड़ से छुट’ने की कोई कोशीष कर रही थी और न ही मेरे हाथ को अप’ने जवान अंगों से
दूर हटाने की कोई कोशीष कर रही थी.

मेरी अच्छी बहन. अब मुझे सच का खेल खेल’ने दो ना. लो इस’को पकडो और जैसे मैने तुम्हारे वाली चूसी थी तुम भी इस’को
चूसो. देखो मत’लबी मत बनो. तुम’ने तो मुझ से चट’वा लिया और अब जब मेरी बारी है तो नख’रे कर रही हो. इसीलिए मैं कोई
गर्ल फ्रेंड नहीं बनाता और घर में ही रह’ता हूँ. कभी मन किया तो केवल तुम्हीं से बात कर’ता हूँ और तुम्हारे साथ ही
खेल’ता हूँ. क्योंकि लड़’कियाँ मत’लबी होती है. ऐसा कह मैने सलोनी के हाथ में वापस लंड थमा दिया.

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भैया मैने एक दम मना कहाँ किया पर मुझे डर लग रहा है. सलोनी मेरे लंड को पकड़े हिलाती रही और फिर उस’ने अप’नी
मुत्ठी उसके उपर भींच ली.

अभी तो तुम कह रही थी कि तुम्हें सब मालूम है और मैं तुम्हें सच में करूँगा. बोलो मैं तुम्हें क्या करूँगा. मैं भी तो सुनूँ
कि तुम्हें क्या मालूम है. भैया तुम इस’को मेरी पुसी में डालोगे. यही तुम्हारा इंजेक्षन है. जो तुम मुझ’को लगाओगे. एक बार डॉक्टर ने मुझे वह पतली सी इंजेक्षन लगाई थी तो मैं कित’ना चिल्लाई थी और तुम इतना बड़ा और मोटा इंजेक्षन लगाओगे तो क्या डर नहीं लगेगा. तुम्हीं
बताओ.

पर तुम’को यह भी तो पता है कि लड़’के लड़कियो की चूत में लंड घुसाते हैं. इसी को चोद’ना बोल’ते हैं. जब लड़का लड़’की की
चूत में लंड घुसा के अंदर बाहर कर’ता है; उस’को बोला जाता है कि लड़’का लड़’की को चोद रहा है और लड़’की लड़’के से चुद’वा
रही है. अब लंड चूत में घुस’ते ही आए हैं तो मैं तुम्हारे साथ कौन’सी नयी बात कर’ने जा रहा हूँ. यह कह मैने सलोनी
को अप’ने लंड पर झुका दिया और लंड उस’के मुख में ठेल दिया. उस’ने मुख बंद नहीं किया.

सलोनी पह’ले इस पर ठीक से थूक लगा लो फिर इसे अंदर बाहर कर’के चूसो. ठीक से थूक लगा’के चिक’ना हो जाने से यह आसानी
से मुख के अंदर बाहर जाएगा. फिर उसे पूरा चिकना बना लेना तो
यह आसानी से तुम्हारी चूत के अंदर भी जाएगा. तुम्हारी चूत में मैने थोऱी देर पहले अंगुल अंदर बाहर की थी तो तुम्हें अच्छा लगा था ना. सलोनी अब मस्ती के साथ लंड चूस रही थी. मैने सलोनी की चूत मेरे मुख के आगे कर ली और उस’में फिर अंगुल घुसा दी. अचानक मुझे कुच्छ याद आया और
पूचछा,

सलोनी तुम्हारी चूत में मेरी पूरी अंगुल चली गयी थी जबकि लड़कियो को तो पह’ली बार खून आता है. मैने जल्दी जल्दी
सलोनी की चूत में अंगुल अंदर बाहर कर’ते हुए उस’की आँखों में झाँका.

भैया अभी दो महीना पह’ले ही एक दिन मैं नहा रही थी तब मैने इस’में अंगुल की थी. मुझे अच्छा लग’ने लगा तो ज़ोर से
पूरी अंगुल इसमें घुसा दी. तब बहुत ज़ोर का दर्द हुवा था और खून भी आया था. मैं तो घब’रा गयी थी. फिर इसमें काफ़ी
नारियल तेल लगाया तो खून बंद हो गया. मैने शरम से घर में किसी से भी यह नहीं कहा, इसीलिए मुझे आज अच्छा तो उस दिन से
भी ज़्यादा लग रहा है पर वह डर भी लग रहा है.

सलोनी तब तो तुम्हें खुश होना चाहिए. तुम्हारा मज़ा लेने का फाटक खुल गया है. अरे तुम्हारी चूत का रास्ता खुल गया. अब
तुमको दर्द भी नहीं होगा और केवल मज़ा ही मज़ा आएगा. मैं तुम्हारा डॉक्टर था न. तभी कह’ते हैं कि पेशेंट को अप’ने डॉक्टर
से कुच्छ भी च्छुपाना नहीं चाहिए. यह कह मैने सलोनी की टाँगें छित’रा दी और लंड उस’की चूत पर टीका दिया. सलोनी की
चूत और मेरा लंड दोनों चिक’ने थे. मैने हल्का सा धक्का दिया तो सुपारा अंदर चला गया. सलोनी एक बार कस’मसाई और बोली,

भैया धीरे धीरे कर’ना. दर्द हो रहा है. उस दिन बहुत दर्द हुवा था. कहीं आज भी उस दिन जैसा न हो जा’य.
अरे नहीं होगा. यदि आज हुवा तो तुम फिर जिंद’जी में कभी मुझ से मत चुद’वाना. पर नहीं हुवा तो जब मेरी मर्ज़ी होगी तब मैं
तुझे चोदून्गा. फिर इनकार मत कर’ना, बोल मंजूर है. मैं धीरे धीरे ही उसे चोद’ना चाह रहा था. सुपारा अंदर जाने के बाद
मैं उसकी चूत में लंड धीरे धीरे आगे पिछे कर जगह बनाता गया. जब कुच्छ जगह बन जाती तो थोड़ा लंड फिर अंदर ठेल देता.
लगभग 5 मिनिट में मैं सलोनी की चूत में जड़ तक लंड पेल’ने में सफल हो गया. सलोनी ने एक हाथ से नीचे टटोल’के देखा और
बोली,

भैया यह तो पूरा चला गया. अब मैने कुच्छ लंड बाहर निकाला और वापस अंदर ठेल दिया. ऐसा कयी बार किया तो ‘छप’ छप’ की
आवाज़ होने लगी.

मैने तुम’से कहा था न कि लड़कियो का एक बार ही खून निकल’ता है. तुम्हें ‘छप’ ‘छप’ सुनाई पड़ रहा है ना. जानती है यह
क्या है? तुम मुझ से चुद रही हो. बोलो अब तुझे खूब मज़े से चोदू.

धात भैया. कैसी कैसी बातें कर रहे हो. सलोनी भी अब गान्ड उच’काने लगी थी. अब लंड बारी आसानी से उस’की चूत में
अंदर बाहर हो रहा था. पर उस’की चूत की दीवारें मेरे लंड को कसे हुए थी. लंड चूत में ठूँसा हुवा था और उसे अंदर बाहर
कर’ने के लिए मुझे कुच्छ ज़ोर लगाना पॅड रहा था.

कैसी बातें! अब तुम भी अपनी गान्ड उच्छल उच्छल के मुझ’से मज़े से चुद’वा रही हो. हां सलोनी चुद’वाते समय बिल्कुल फ्री माइंड
रह’ना चाहिए. जो हो रहा है उसे बताने में या सुन’ने में कोई झिझक नहीं होनी चाहिए. तुम तो मेरे से बहुत फ्रॅंक हो. खाली
मैं ही मैं बोल रहा हूँ तुम भी बोलो. बताओ मैं क्या कर रहा हूँ?

तुम मेरी पुसी में पेनिस डाल के फक कर रहे हो. सलोनी मेरे लंड के चूत में धक्के लग’वाती बोली.

धात भोस’डी की कहीं की. साली मैं तेरी चूत को अप’ने लंड से चोद रहा हूँ. देख …. ये गया तेरी चूत में पूरा. देखा.
देख ये फिर निकाला और एक ही धक्के में वापस तेरी चूत में पेल दिया. दो चार महीने यदि तुम्हें ऐसे ही चोदा न तो तेरी यह
छूट भोस्ऱ बन जाएगी. फिर धक्के लगाने की दर’कार ही नहीं पड़ेगी. साला यह लंड तेरी चूत में अप’ने आप जाएगा. तब
में तेरी गान्ड मारूँगा, क्योंकि चूत तो भोसड़ा हो जाएगी.

भैया यह सब बोल’ना तुम’ने कहाँ से सीखा है. क्या लड़के ऐसी ही बातें करते हैं ? मैं सलोनी के होन्ठ एक बार कस के चूस, उस’की
चूची दबाते हुए बोला,

मैने कहा न. अंगों के देशी नाम सीख लो. जो होता है उसे एग्ज़ॅक्ट्ली क्या कहा जाता है वह जानलो और जो हो रहा है उसे साफ शब्दों
में कहो. सीख’ने सिखाने की ज़रूरत ही नही. मुझे पता है, ये सारे नाम चूत, लंड, गान्ड, चूची वग़ैरह तुम भी जान’ती
हो, तुम्हारे साथ क्या हो रहा है वह भी तुझे मालूम है पर बोल नहीं पा रही हो. अब मैं सलोनी को खूब ज़ोर ज़ोर से चोद रहा
था. सलोनी भी पूरी मस्त हो चुकी थी. उसने मेरी कमर बाहों में जाकड़ ली थी और गान्ड उठा उठा के चूत में धक्के लग’वा
रही थी.

ओह भाई … चोदो. चोदो मुझे. लो बोल दिया न कि चोदो मुझे. हां भाई मैं तुम’से चुदवा रही हूँ. तुम मुझे चोद रहे हो. सच भाई
बोल बोल के चुद’वाने में ज़्यादा मज़ा आता है. भाई तुम भी मुझे बोल बोल के चोदो. मज़ा आ रहा है.

हां रे … ऐसे रन्डी कहीं की. ऐसे बोल बोल के चुदवा. चूत मरानी रन्डी ऐसे ही बोल. ऐसे ही बोल बोल के अप’ने भाई का लंड
अपनी चूत में लिया कर. खूब गान्ड उठ उठ के मुझ से चुद’वाया कर. चुदाई के समय मुझे केवल भाई मत बोला कर, बीच बीच
में ‘मेरे राजा’, ‘मेरे साजन’, ‘मेरे बालम’ ‘मेरे भरतार’ ऐसे भी बोला कर.

ओह … भाई .. तुम’ने तो मुझे गंदी कर दिया. चूत और ज़ुबान दोनों. तुम’ने मुझे रन्डी बना दिया. ओह… राजा! मज़ा आ रहा है.
मैं झऱ रही हूँ. हन मैं रन्डी हूँ. चोदो मुझे खूब कस कस के इस रन्डी बहन को चोदो भैनचोद भाई. ओह… गान्डू भाई.
ओह… सलोनी मुझ’से कस के चिपक गयी.

ओह … रन्डी बहन ले मेरा माल अप’नी चूत में ले. बिस्तर पर बहुत पानी गिराया है रे. ओह .. आज तो तेरी इस मस्त चूत मैं
झदेगा तेरा भैन्चोद भाई. ओह मैं गया ओह….. मैं भी झऱ गया और हम दोनों भाई बहन सुस्त पड़ गये. लगभग 5 मिनिट हम दोनों आपस में चिप’के बिस्तर पर पड़े रहे. दोनो ही बूरी तरह से हांफ रहे थे. अचानक सलोनी बिस्तर से झट’के साथ उठ’ते हुए बोली,

मम्मी की आवाज़ आ रही है ओर जल्दी जल्दी कपड़े पहनने लगी मेने भी जल्दी से कपड़े पहने ओर नीचे आ गया
तो दोस्तो कैसी लगी ये कहानी कमेंट ज़रूर देना आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त दा एंड



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