मेरा नाम सलिल है, और मैं देल्ही का रहने वाला हू. मेरी बेहन की चुदाई उसकी सुहग्रात वाले दिन मैने जीजा को सुला कर दूसरे आदमी से कैसे करवाई, वो मैं आपको इस कहानी में बतौँगा.
मेरी उमर 24 साल है, और मैं एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करता हू. एक बड़ी बेहन है मेरी, जिसका नाम दीप्ति है. वो शुरू से ही बड़ी शरीफ और भोली है. स्कूल के बाद उसने बाकी की पढ़ाई प्राइवेट स्टूडेंट के तौर पर ही की है. और फिर घर वालो ने उसकी शादी टाई कर दी.
दीप्ति वैसे दिखने में एक-दूं माल है. गोरा रंग है उसका, गोल-गोल चुचे, पतली कमर, और मस्त गोल गांद है. वो ज़्यादातर पाजामी सूट ही पहनती है. उसके कपड़ों में से उसके कामुक बदन की पूरी शेप दिखती है.
दीप्ति को आज तक किसी लड़के ने च्छुआ तक नही था. वो उन लड़कियों में से थी, जिनकी चुदाई पहली बार उनके पति ही करते है. शायद वो भी ऐसी ही कोई उमीद लेके बैठी होगी. लेकिन मैने बेहन की चुदाई एक बदमाश से करवा दी.
मुझे बेट्टिंग करने की लत लग गयी थी, और मैने उसमे काफ़ी पैसे उजाड़ दिए थे. एक दिन मैने थोड़ी शराब पी ली, जो मेरे दिमाग़ में चढ़ गयी, और मैने मोहित नाम के एक बदमाश से 300000 लेके बेट्टिंग पर लगा दिए. लेकिन मेरा सारा पैसा डूब गया, और मैं फ़ासस गया. मैने मोहित से कुछ टाइम माँगा, लेकिन मैं खुद भी जानता था की इतनी जल्दी पैसों का इंतेज़ां नही होगा.
इस बात को एक महीना हो चुका था. आज मेरी बेहन की हल्दी थी. मोहित मुझे बार-बार फोन कर रहा था, लेकिन मैं उसका फोन काट रहा था. फिर दोपहर में मैने देखा की मोहित हमारे घर आ गया. उसको देख कर मैं घबरा गया, और इधर-उधर च्छूपने लगा.
कुछ देर में मैने मोहित को पापा से बात करते देखा. उससे बात करके पापा ने मुझे कॉल किया. अब मुझे पापा का फोन तो उठना ही पढ़ना था. फोन उठाया तो पापा बोले-
पापा: बेटा तेरे कुछ दोस्त आए है. जल्दी आजा.
मैं: आया पापा.
अब मेरा और मोहित का आमना-सामना हुआ. उसके चेहरे पर गुस्सा सॉफ नज़र आ रहा था. फिर पापा वहाँ से चले गये. तभी मोहित बोला-
मोहित: पैसों का इंतेज़ां हुआ?
मैं: नही, अभी नही.
मोहित: सेयेल भोंसड़ी के, कब तक पैसे देगा?
मैं: मोहित भाई पैसे ज़्यादा है, और मुझे बेहन की शादी के लिए भी देने पड़े. इसलिए मेरा अकाउंट बिल्कुल खाली है. मैं बहाना नही बना रहा, लेकिन मुझे 6 महीने और चाहिए.
मोहित: देख अपने बाप माँग ले.
मैं: वो मुझे घर से निकाल देंगे.
मोहित: उससे मुझे क्या? मुझे तो अपने पैसे से मतलब है.
तभी मोहित की नज़र बाहर आँगन में बैठी मेरी बेहन पर पड़ी. बेहन ने पीले रंग की सारी लपेटी हुई थी, क्यूंकी उसको हल्दी लगने वाली थी. उसको देख कर मोहित ने पूछा-
मोहित: ये कों है?
मैं: ये मेरी बेहन है. इसी की शादी होने वाली है.
मोहित: ये तो बहुत खूबसूरत है. तू ऐसा कर, इसको मेरे साथ भेज दे एक रात के लिए. तेरे सारे पैसे माफ़.
मैं: अर्रे भाई कैसी बात कर रहे हो? वो बहुत भोली है. इस सब में उसको मत खींचिए.
मोहित: भोली है, तो कुवारि भी होगी. इसलिए तो इसकी बंद सील के 300000 छ्चोढ़ रहा हू. नही तो 10000 में हेरोयिन जैसी लड़की नंगी हो जाती है अपने आप ही. देख या तो कल तक पैसे देदे, नही तो मैं यहाँ शोर मचा दूँगा. इससे तेरी बेहन के ससुराल वाले खुद ही रिश्ता तोड़ देंगे. या फिर मुझे अपनी बेहन के साथ एक बार सेक्स करने दे. अब सब तेरे हाथ में है.
फिर मोहित चला गया. अब मैं सोच में पद गया की क्या करू. रात भर मैं सोचता रहा, तो मुझे बेहन को छुड़वाने का रास्ता ही सही लगा. मैने सोचा वैसे भी वो चूड़ने वाली थी. तो जीजू का लंड हो या किसी और का, क्या फराक पड़ता है. लेकिन ये सब होगा कैसे, इसके बारे में सोचना बाकी था.
अगले दिन मैने मोहित को मेसेज करके हा बोल दिया. मैने उसको शादी तक वेट करने के लिए कहा जो दो दिन बाद थी. फिर बाकी के फंक्षन्स हुए, और शादी वाला दिन आ गया. दुल्हन बन कर मेरी दीदी बहुत सेक्सी लग रही थी. जीजू तो उसी को देखे जेया रहे थे, जैसे खा जाने वाले हो. वैसे वो थी ही ऐसी की खा जाने का मॅन करे.
फिर शादी के फेरे हुए, और शादी पूरी हो गयी. हमारे यहाँ एक रिवाज़ है, की दुल्हन का भाई उसके साथ जाता है, और 2 दिन वहीं उसके ससुराल में रहता है. मेरा काम करने के लिए इससे अछा रिवाज़ और कोई नही था. तो शादी के बाद मैं भी अपनी बेहन के साथ उसके ससुराल चला गया.
वहाँ सब ने खूब नाच-गाना किया. फिर सब ने डिन्नर किया, और साथ में बैठ गये. बेहन को उसके कमरे में भेज दिया गया था, और मेरे लिए ये एक अछा मौका था. जब सब बैठे थे, तो उन्होने नौकर को सब के लिए आइस-क्रीम लाने को कहा.
मैं बहाने से किचन में गया, और नौकर से आँख बचा कर आइस-क्रीम के उपर नींद की दवाई चिड़क दी. ये दवाई मैं घर से अपने साथ लेके आया था. फिर नौकर ने वो आइस-क्रीम सब को दे दी, जिसमे जीजा भी शामिल था.
दवाई ने अपना असर जल्दी दिखा दिया, और 15 मिनिट में सारे सो गये. कुछ अपने कमरे में जेया चुके थे, और कुछ वहीं पर सो गये. जीजू भी वहीं बैठे सो रहे थे. मैं एक बार ज़ोर से चिल्लाया, ताकि अगर किसी की नींद ना लगी हो तो पता चल जाए. लेकिन कोई नही जागा. अब सुबा तक कोई दर्र नही था.
फिर मैने मोहित को फोन करके बुलाया. वो पास में ही था, तो 5 मिनिट में आ गया. फिर मैने उसको सारा प्लान बताया.
मैं: तुम्हे दूल्हा बन कर जाना होगा दीदी के पास. बाकी तुम खुद संभाल लेना. अगर तुम पकड़े गये, तो भी मैं पैसे नही दूँगा, ठीक है?
मोहित: तेरा कर्ज़ा मेरे रूम में जाते ही चुकता हो जाएगा. बाकी मैं खुद देख लूँगा.
फिर हमने जीजू की शेरवानी उतरी, और मोहित ने उसको पहन लिया. अची बात ये थी की दोनो के मूह पर दाढ़ी थी, जिसका फ़ायदा उठाया जेया सकता था. फिर मोहित ने सेहरा पहन लिया. जब मैने उससे पूछा की उसने सेहरा क्यूँ पहना, तो वो बोला-
मोहित: ये आज के लिए इस घर का रिवाज़ बनेगा. और अपने लिए मूह को ढकने का ज़रिया.
मैं समझ गया उसकी बात. फिर वो कमरे की तरफ चल दिया. मैं भी उसके पीछे चल दिया.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.