गुस्से में बहन की चूत और गांद चोदी

तो जैसे की बेहन की चुदाई की इस कहानी के पिछले पार्ट्स में आपने पढ़ा होगा. मेरी प्लेसमेंट चल रही थी, तो मैं ऑलमोस्ट 1 मंत से ना तो शिखा से ढंग से कॉल पर बात कर पाया, ना मेसेज पर. फाइनली प्लेसमेंट हो गयी और जॉब मिल गयी.

सबसे पहले शिखा को कॉल करके बताना चाह रहा था, पर वो नाराज़ थी, तो फोन नही उठा रही थी. फिर घर पर सब को बताया. मा पापा सब बहुत खुश थे, और मुझे भी ये खुशी थी की देल्ही ब्रांच ही मिल गया था, तो शिफ्ट नही करना पड़ेगा. वरना फिरसे रूम्स और फ्लॅट्स के लिए धक्के खाने पड़ते.

सुबह 4 बजे मैने एंपी की बस पकड़ी. सोचा उसको सर्प्राइज़ डू जेया कर. लगभग 1 बजे उसके कॉलेज पहुँचा. उसका लंच था तो उसने अपना लंच स्पॉट बताया था मुझे. मैं सीधा वही पहुँचा और जो मैने देखा मेरी झाँते सुलग गयी.

मैने देखा की वो किसी दूसरे लड़के के साथ हस्स-हस्स कर बात कर रही थी. उसे अपने हाथो से खाना खिला रही थी, और वो भोंसड़ी का भी शिखा को अपने हाथ से खाना खिला रहा था. मैं गुस्से की वजह से लाल पद गया ये सोच कर की बीसी इतनी डोर सर्प्राइज़ देने आया, और यहा शॉक लग गया.

मैं इस मदरचोड़ रंडी की वजह से मूठ तक नही मार रहा था, और ये दूसरे लड़कों से हस्स रही थी. तो छुड़वा भी रही होगी. बहनचोड़ सोच-सोच कर दिमाग़ की मा चुड रही थी. तभी उसके लंच ख़तम होने की बेल बाजी तो मेरा ध्यान गया वापस उन पर.

वो भोंसड़ी वाला हग किए था उसे. अब तो मा कसम पानी सिर से उपर हो गया. मैं उनकी तरफ बढ़ा और उसके सामने खड़ा हो गया. वो मुझे एक-दूं ऐसे देख कर थोड़ी दररी और शॉक हो गयी. फिर उस लड़के को डोर किया तो मैने हाथ पकड़ा, और उसे अपने साथ ले जाने लगा.

उस लड़के की भी फटत गयी की कों है ये, और ऐसे उसे ले जेया रहा है. शिखा भी दर्र की वजह से कुछ नही बोल रही थी. मैने ऑटो किया, और हम उसके फ्लॅट पर गये. सारे रास्ते हमने कोई बात नही की. फ्लॅट का डोर ओपन किया, अंदर गये, डोर लॉक किया.

हम दोनो एक-दूसरे को देख रहे थे. फिर उसने हिम्मत की, और मेरी तरफ बढ़ी हग करने को. मैने धक्का दे दिया उसको.

विवेक: साली रांड़, मैं तेरे चक्कर में दूसरी लड़कियों को तो छ्चोढ़, खुद से भी मूठ नही मारता, और तू यहा दूसरे के लुंडो को शांत कर रही है मदारचोड़!

मैं उसे पकड़ कर बेडरूम में ले गया, और बेड पर पटक दिया, और उसकी सलवार निकाल दी. फिर झट से अपना जीन्स और अंडरवेर नीचे किया, और लंड पर तोड़ा थूक लगाया.

विवेक: आज तेरी ऐसी छूट फाड़ुँगा की किसी दूसरे के लंड की तरफ देखेगी भी नही साली रंडी मदारचोड़.

शिखा: अर्रे भैया बात तो आअहह, छूट सूखी है भैया, प्लीज़ निकालो.

विवेक: तो जिसे हग कर रही थी उससे चटवा लेती, गीली हो जाती मदारचोड़.

मैने उसकी सूखी छूट में लंड के ताबड़तोड़ धक्के पेले. वो खिसक कर उपर हुई तो पैर पकड़ कर बेड के किनारा ले आया.

विवेक: साली रंडी, नाटक करती है. आज तेरी सारी खुजली मिटा दूँगा.

उसके पैर अपने कंधे पर रखे, और दे दाना दान पेलने लगा लंड उसकी छूट में. थोड़ी देर में छूट भी गीली हो गयी, तो पच्छ पच्छ पच्छ करके लंड अंदर-बाहर होने लगा, और शिखा भी मज़े से छूट देने लगी.

शिखा: आहह भैया बुझा दो मेरी प्यास.

मुझे बड़ा गुस्सा आ रहा था की ये साली एंजाय कर रही थी, जब की मैं इसे दर्द देना चाह रहा था. मैने उसे पलट दिया, और गांद का होल ओपन किया, और लंड को रखा. फिर एक झटके में आधा लंड अंदर पेल दिया.

शिखा: अया मॅर गयी रे. क्यूँ जान लेने पर तुला है भद्वे! सेयेल आराम से छोड़ ना. एक तो महीने भर में एक बार छोड़ने आता है, और उसमे भी ऐसे दर्द देकर छोड़ रहा है आआहह. निकाल इस मूसल को भाई.

विवेक: क्यूँ भोंसड़ी वाली, तेरा वो यार नही पेलता क्या तेरी छूट को?

उसका भी तो लंड लेती होगी ना अपनी छूट में? वो नही बुझता प्यास तेरी?

शिखा: उम्म्म तुझसे मतलब मदारचोड़ सेयेल. मेरी छूट, मेरी गांद, किसी से भी चड़वौ. तू आया है तो छोड़ ले, वरना निकाल बाहर भोंसड़ी के आ आ.

मैने पूरा लंड निकाल कर पूरा अंदर डाला, और ऐसे ही पेल-पेल कर उसकी गांद मारी. पुर कमरे में सिर्फ़ चुदाई की आवाज़े गूँज रही थी. गांद में लंड जाने से पट्त्त पट्त्त ट्ट और शिखा की आआहह आअहह एम्म्म से पूरा कमरा गूँज रहा था.

मैने उसकी गांद से लंड निकाला और छूट में पेल दिया, और गांद को पकड़ कर, एक पैर बेड पर रख कर, आचे से पेलने लगा उसकी छूट.

विवेक: साली पूरी रॅंड हो गयी है अब तो. नये-नये लंड चखने लगी है साली. पैसे भी लेती होगी छूट देने के? कितने रुपय घंटे में चुड़वति है रांड़ साली बोल ना?

शिखा: तुझसे मतलब? तुझे तो फ्री में दे रही हू ना, तो बातें मत छोड़, छूट छोड़ सेयेल आहह. बस इतना ही दूं एम्म एम्म अया एस, और अंदर तक मारो भैया. मैं बस झड़ने वाली हू.

उसकी छूट से पानी की धार निकली, तो लंड निकाल कर पूरी छूट मूह में भर ली, और सारे का सारा रस्स पी गया. शिखा बेड पर पड़ी थी बे-सुध. मैने उसकी छूट चाट कर सॉफ की, और उठ कर उसके बाल पकड़े. तो जैसे ही आ करके उसने मूह खोला, मैने लोड्‍ा पेल दिया अंदर, और मूह छोड़ने लगा.

वो घू-घू कर रही थी. पर मैं कुछ सुन नही रहा था, बस उसके मूह में अंदर तक लंड पेलता, और मूह छोड़ने में लगा था. 3-4 मिनिट मूह छोड़ने के बाद उसके मूह पर ही सारा माल गिरा दिया. किसी सस्ती रंडी की तरह लग रही थी, और मेरी तरफ देख रही थी. मैने उसको सारा माल चाट कर सॉफ करने को बोला, तो वो करने लगी. वो सारा माल सॉफ करके पी गयी.

फुल स्पीड में छोड़ा था तो मैं भी हाँफ रहा था और शिखा की भी हालत बुरी थी झटकों को से कर. पर मेरा गुस्सा शांत नही हुआ था साली को किसी और की बाहों में देख कर. मैने फिरसे उसे बेड के कॉर्नर पर खींचा, और उसकी छूट में मूह दबा दिया, और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा चारो तरफ से उसकी छूट को.

शिखा: आ मा बचाओ मुझे. ये सला आज छूट खा जाएगा मेरी. तू जल्दी क्यूँ नही आता? ऐसे 11 महीने के लिए खाली छ्चोढ़ देता छूट मेरी.

विवेक: क्यूँ साली खाली कैसे? नये-नये यार पाल तो लिए है, उनसे चुस्वाया कर चुडवाया कर मदारचोड़. मेरे सामने सती-सावित्री बन रही है.

शिखा: उफ़फ्फ़ भाई, तू जेलस कितना अछा लगता है. जेलासी में पहले रौंद में क्या ताबड़तोड़ छोड़ा भाई. मा कसम मज़ा आ गया.

विवेक: यी यार से चुड़वते हुए मेरा ध्यान आता होगा तुझे?

शिखा: यार की तो बात ही मत कर भाई. उसका लंड तेरे मुक़ाबले बहुत बड़ा और बहुत मोटा है. मा छोड़ देता है भाई. बोल तो बुला लू उसे, साथ में बजा लेना.

मेरा खून खौल गया भाइयों. मैं जल्दी से उठा, और किचन में गया. किस्मत से एक मोटी गाजर मिल गयी जो मैं उठा लाया. फिर ज़ोर से उसकी छूट में पेल दी.

शिखा: आअहह, क्या कर है?

इतना बोला ही था की उसे तोड़ा सा उठाया, और गांद में सामने से ही लंड पेल दिया लंड.

शिखा: ह्म्‍म्म्म मा बहनचोड़ मॅर गयी रे. आअहह भाई नही, दोनो होल्स एक साथ नही छुड़वा सकती मैं.

मैं लंड से उसकी गांद फाड़ चुदाई कर रहा था, और एक हाथ से गाजर अंदर-बाहर कर रहा था.

शिखा: अया अया मा उफ़फ्फ़ भाई रूको प्लीज़, मॅर जौंगी इस मज़े से.

विवेक: साली रंडी हो गयी है पूरी.

शिखा: आहह भैया, एम्म्म, जो हू मैं आपकी ही हू.

मैं बस अपनी धुन में लगा था, और दे दाना दान पेले जेया रहा था उसकी गांद और गाजर से छूट. उसकी कुरती में उसके टाइट बूब्स उपर-नीचे होते हुए नज़र आ रहे थे. मैने कुरती के उपर से उन्हे दांतो से दबा लिया, और काटने लगा.

शिखा: अर्रे रुक जाओ भाई, कुरती फाड़ोगे क्या? एक लंड और एक गाजर से इतना मज़ा आ रहा है तो फिर 2 लंड होते तो कितना मज़ा आता भैया? आह झड़ने वाली हू.

शिखा की छूट ने रस्स छ्चोड़ दिया, और पूरी गाजर रस्स से गीली हो गयी. मैने वो गाजर उसके मूह में भर दी, और उसके बूब्स कुरती के उपर से पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से गांद पेलने लगा. ठप ठप ठप पाट पाट पाट की आवाज़े गूँज रही थी रूम में.

विवेक: फक साली रांड़, मदारचोड़ कितनी आसानी से अब लंड खाने लगी है चुड़क्कड़ कुटिया साली. बुला लेना शाम को अपने यार को, साथ में चुदाई करेंगे तेरी छिनाल.

शिखा हासणे लगी ज़ोर से और बोली: अर्रे भैया, यार बस करो गुस्सा अपना. वो कोई मेरा यार प्यार नही है, बेचारा वो तो गे है. तो उससे कोई बात नही करता है मेरे साइवा. वो मेरे साथ ही घूमता फिरता है, और उसकी वजह से मुझे भी अकेले नही रहना पड़ता है.

शिखा: वो तो आप जेलस हो कर मस्त चुदाई कर रहे थे जोश में, इसलिए आपका जोश और बढ़ने को बोला ऐसे. अब भैया जल्दी करो. निकालो अपना माल, मुझे कॉलेज भी जाना है अभी वापस से. इंपॉर्टेंट क्लास है.

मैने उसकी छूट में ही सारा माल छ्चोढ़ दिया. हमने आधा घंटा रेस्ट किया, और फिर वो कॉलेज चली गयी. शाम 6 बजे वापस आई, तो हमने बाहर जेया कर डिन्नर किया. फिर दिन भर की ताकि थी, तो वो सो गयी, और मैं भी.

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