मैं उसके गोरी चूत के खुले दरवाजे देख कर दंग था। एकदम मस्त चूत थी। मैं कूद कर बेड पर गया और अपना लंड निकाल कर अंदर डालने लगा। दोनों चूंचे पकड़ कर मैने मिशनरी स्टाइल बोले तो देसी अंदाज में पेलना शुरु कर दिया। मेरे तगड़े मोटे लंड को पाकर बुड्ढी को अपनी जवानी याद आ गयी। जल्द ही उसने अपनी गांड के नीचे तकिया रख कर अपनी चूत में लंड को गहरे लेने का उपाय भी कर लिया था। अब उसकी चूत में मेरा लंड एक दम टाइट जा रहा था। और वो बोल रही थी, पेलो मुझे सुकेश के नाम, माधरचोद भड़वा अपनी शिष्याओं के साथ खिलवाड़ करता है और मुझ सी खूबसूरत बीबी का जीवन बर्बाद कर दिया। मैने स्पीड बढा के जब दस मिनट और चोदा तो उसके चूत से पिचकारी निकलने लगी। फच्च!! फच्च!! और वो झड़ चुकी थी।
अब बारी थी गुरु माता की गांड मारने की। उसने पेट के बल लेट कर अपनी गांड मे लंड डालने को कहा। गोरी गोरी मलाई जैसी गांड देख कर मेरा मन ललच रहा था। मुझे उम्मीद थी कि वो अभी तक अपनी गांड बहुत कम मराई होगी। मैने उसके मुह में हाथ डालकर थूक लिया और उसका ही थूक उसकी गांड पर मलकर के मैने अपना अंगूठा उसके छेद में डालकर अंदर बाहर करना शुरु कर दिया। जल्दी ही, मुलायम छेद खुल गया। अब सुपाड़े को रख कर जोर से अंदर पेलने लगा। वो कराहने लगी, आह्ह!! आंए, उफ्फ!! प्लीज मार लो मेरी गांड बेटा सुकेश के नाम पर ही मार लो। अब मैने लंड का सुपाड़ा उसकी गांड में धसा दिया था और पिछवाड़े पर बैठते हुए अंदर पेलने लगा। आह आह करती हुई बस वो मेरा उत्साह बढाती रही। मैने दस मिनट तक गांड मारकर झड़ने से पहले खींच लिया। गुरुमाता के गोरे गोरे चूंचे पर लंड की पिचकारी मारकर वीर्य से सना लंड उसके मुह में देकर लालीपाप की तरह चूसा दिया। इस प्रकार मेरी पीएचडी उस चूतिये गाइड की बीबी की गांड बोले तो गुरुमाता की गांड मारते हुए ही सबमिट हो गयी।