आयेज की सेक्स कहानी-
तो दोस्तों खाना खाने के बाद हम लोगों ने एक कार्ड ग़मे खेलने का डिसाइड किया. मुझे लगा नॉर्मल कार्ड होगा, तो मैने हा बोल दिया. लेकिन फिर उन्होने मुझे रूल्स बताए.
आरिफ़: सुन नंदिनी, अब इस ग़मे के रूल्स भी सुन ले.
मैं: अर्रे मुझे पता है मैने भी कार्ड्स खेले है.
क़दीर: आबे सुन ले बहनचोड़ पहले.
और मैं उसको देखती रह गयी. उतने में आरिफ़ बोला-
आरिफ़: अर्रे ये ऐसे ही है. दिल का अछा है.
मैं: ओक, रूल्स बताओ.
आरिफ़: ज़्यादा कुछ नही. जो हारता जाएगा, वो अपना एक कपड़ा उतार देगा बस.
मैं: नही-नही, मुझे नही खेलना. ये कैसा ग़मे है?
रफ़ीक़: अर्रे भाभी जी, आप टेन्षन मत लो. हम हारेंगे तो हम भी तो उतारेंगे कपड़े.
आरिफ़: और क्या, ये रूल्स हम सब के लिए है.
मैं: नही-नही, नही.
और फिर मुझे आरिफ़ एक कोने में लेके गया, और उसने मुझे बहुत समझाया की प्लीज़ खेलो, और हम पर भरोसा रखो. मैने सोचा की पहली बार मैने इतना मीट खाया था, तो गर्मी तो मुझे भी लग रही है. फिर हारने पर मैं कपड़ा उतार भी दूँगी तो मैं बुरी नही लगूंगी. क्यूंकी ये ग़मे का रूल था जो सब मानेंगे.
मैं: अछा चलो ठीक है.
और उन सब के चेहरे पर ऐसी खुशी आ गयी, ना जाने 72 हूर उन्हे यहीं पर मिल जाएँगी. फिर हमने ग़मे खेलना शुरू किया. पहले तो वो लोग हारने लगे. मुझे तो लग रहा था की जान-बूझ कर हार रहे थे. और अब वो सब अंडरवेर में आ गये थे, जिसमे से मुझे उनका लंड आराम से दिख रहा था. पर मैं इग्नोर कर रही थी. फिर शुरू होता है मेरा हारना.
आदिल: एस बहनचोड़, इतनी देर से जीत रही थी. अब हारी है.
आरिफ़: हा नंदू, अब तुम भी अपनी सारी का दुपट्टा हटाओ.
बिलाल: यार नंदिनी भाभी, आप इतना फॉर्मल हो रहे हो. आपको गाली बकनी नही आती क्या? आप भी दो गालियाँ.
क़दीर: चल अब निकाल दे दुपट्टा बहनचोड़.
और फिर मैने अपनी ब्लॅक नेट वाली सारी का दुपट्टा हटा दिया. और अब मैं पेटिकोट और ब्लाउस में थी. सच बता रही हू, उनके लंड एक-दूं से खड़े हो कर मुझे ही सलाम कर रहे थे. फिर सब ने एक-एक करके मेरी तारीफ करनी शुरू की.
आरिफ़: यार नंदू तुम इतनी खूबसूरत लग रही हो क्या बतौ. आज तुझे घोड़ी बना कर पेलुँगा (धीरे से).
फेरूक: भाभी माल हो कसम से. एक नंबर.
आदिल: आरिफ़ भाईजान क्या माल ढूँढा है. सॉरी भाभी, लेकिन आप बहुत खूबसूरत लग रहे हो.
क़दीर: साली ग़ज़ब माल है तू भी. तेरी शादी ना हुई होती ना, तो आज तुझसे मैं निक़ाह कर लेता.
रफ़ीक़: भाभी आपके कितने बच्चे है?
मैं: एक बेटा है 7 साल का, जिसका ब’दे हमने मनाया है.
बिलाल: मा कसम, मैं शौहर होता ना, तो अब तक आपकी 9 साल की शादी में 8 बच्चे होते.
मैं: बस करो, और खेलने का हो गया अब, समझे?
आरिफ़: नंदिनी अब एक रूल ये था की हम अब इन्ही कपड़ों में रहेंगे पूरी रात.
मैं: अर्रे कुछ भी मत बोलो.
क़दीर: हा यहीं रूल है.
मैं: ओक.
रफ़ीक़: यार बहनचोड़, सिगरेट तो निकालो. तलब सी हो रही है.
बिलाल: हा-हा ले भाई.
तो फिर उन सब ने एक-एक सिगरेट निकली, और फिर एक मुझे देने लगे.
आरिफ़: ये लो नंदू. एक तुम भी लो.
मैं: नही-नही मैं नही पीटी.
आरिफ़: अर्रे आज ट्राइ करो. कुछ नही होता. आज मज़े करो बस समझी.
लेकिन मैने माना कर दिया.
क़दीर: ठीक है मत पी, लेकिन अब जो मैं बोलूँगा, वो करना पड़ेगा समझी?
मैं: क्या?
क़दीर: अब डॅन्स कर हमारे साथ.
दोस्तों मुझे डॅन्स करना बहुत पसंद था, और मैने तुरंत हा बोल दी.
क़दीर: बढ़िया.
और फिर मैने डॅन्स करना शुरू किया. ऐसा लग रहा था की मैं उनके आयेज मुज़रा कर रही थी. वो तो बस लेट कर मेरा डॅन्स देख रहे थे, और मुझ पर पैसा उड़ा रहे थे.
फिर उन सब ने मुझे घेर लिया, और डॅन्स करने लगे. किसी का लंड मेरी गांद पर टच हो रहा था, और किसी का मेरी नाभि पर.
क़दीर: देख नंदिनी, हमारे औज़ार तुझे कैसे सलामी कर रहे है (सब हासणे लगे).
आरिफ़: बात तो सही है भाई. नंदिनी को सल्यूट मार रहे है.
मैं: आप सब हड्द में रह लो, समझे?
बिलाल: सुन कुटिया चुप-छाप हमारे साथ एंजाय कर.
मैं: आरिफ़ ये सब क्या बोल रहे है?
आरिफ़: यार नंदू, सही तो बोल रहे है, आज एंजाय कर लो.
मैं ये सब देख कर डांग रह गयी, की ये सब मेरे बेटे का बर्तडे मानने नही बल्कि मेरी लेने आए थे.
मैं: मेरा बेटा भी यहीं है, प्लीज़ कुछ उल्टा-सीधा नही करना मुझे.
क़दीर मेरे बेटे के पास गया, और उसे उठा कर बोला-
क़दीर: बेटा, अब आप दूसरे रूम में सो जाओ. यहाँ हम आपकी मम्मी के साथ खेलने वाले है, ओक?
और फिर वो मेरे बेटे को दूसरे रूम में सुला कर आ गया. फिर क़दीर मेरे पास आया और मुझे बोला-
क़दीर: साली तू आज हमारी रंडी है. और जो हम बोले, तू वो करेगी.
पता नही मैने कैसे उसकी बात मान ली.
मैं: ठीक है.
तो फिर उन लोगों ने मेरा पेटिकोट और ब्लाउस उतारे, और फिर मुझे ब्रा और पनटी में देखते ही रह गये. मैने अंदर ब्लॅक कलर की नेट वाली ब्रा और पनटी का सेट पहना था.
क़दीर: साली तू बस थूकने के लिए बनी है. ऐसा गड्राया जिस्म है क्या बतौ तुझे.
आरिफ़: भाई इसे जब मैने पहली बार देखा था ना, तभी मूड बना लिया था.
रफ़ीक़: दूड जैसा रंग और ये हल्की से चर्बी है तेरे पेट पर उफ़फ्फ़.
क़दीर: चल डॅन्स कर अब.
तो मैं अपना मंगलसूत्रा उतारने लगी. तभी क़दीर मुझे बोलता है-
क़दीर: साली ये वहीं रहेगा, तू नाच अब.
तो मैने उनके सामने नाचना शुरू किया. लेकिन तभी आरिफ़ बोला-
आरिफ़: साली डॅन्स तो देख ही लिया. और अब नाचेगी तो तक जाएगी, मज़ा भी नही आएगा.
सब उसकी बात मान गये. और फिर सब ने मुझे घुटनो पर बिता दिया, और अपना-अपना लंड मेरे मूह पर रख दिया. कसम से इतने बड़े लंड मैने पहले कभी नही देखे थे, सब के लंड 7 इंच के ही थे.
फिर मैने उनका सब का मूह में लेना शुरू किया. क्या ., . . . . ., लेकिन . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . . . .. मेरी हालत खराब . . .. तभी आरिफ़ . .-
.: . ., . . . . के . .. . . . . . . ..
फिर आरिफ़ ने मुझे घोड़ी ., . . . . . . . . .. . . . ., . . . . . . . . ..
.: . . . .. . . . . . . . . . . . ..
. . . . . . . . ., . . . . .. 10 . .-
.: ., . . . ..
.: . ., . . ..
. . . . . . . . बंद ..
.: . . . ..
. . . . . . . पर बिताया, और रफ़ीक़ ने भी पीछे मुझ में अपना लंड घुसाया. ज़िंदगी में पहली बार एक साथ 2 लंड लिए थे. और मेरी जान निकल गयी थी सच में.
बिलाल: बहनचोड़ तेरे च्छेद को इतना बड़ा कर दूँगा साली, की घर जाके किसी को मूह दिखाने लायक नही रहेगी.
रफ़ीक़: बहनचोड़ एक साथ 2 का लंड लेती है. तेरा पति क्या सोचेगा? तेरा बेटा भी दूसरे कमरे में है, और उसकी मा यहाँ चुड रही है.
मैं: आह आ निकालो प्लीज़. बहुत दर्द हो रहा है है. आह आह ऑश ह.
उन दोनो ने मुझे 15 मिनिट छोड़ा, और फिर फेरूक बोला-
फेरूक: मदारचोड़ो, अब मेरी बारी है, हट्तो.
फिर वो दोनो बाहर आए, और फेरूक ने सीधा मेरी गांद में लंड डाल दिया. मेरी आत्मा शरीर से बाहर निकल गयी, और उसने मेरी गांद छोड़ना शुरू किया.
फेरूक: बीसी रंडी नंदिनी. चुड़क्कड़ नंदिनी, ये तेरी औकात है साली. तू रांड़ है हमारी, समझी?
मैं: अहह रुक जाओ फेरूक, बहुत दर्द हो रहा है.
फिर थोड़ी देर में फेरूक बाहर निकल गया. अब इन लोगों ने मुझे सिगरेट पीने को दी. मैं पीने से माना कर रही थी, पर फिर भी पी ली. दोस्तों इतनी देर में मैं 5 बार झाड़ चुकी थी, और ये लोग एक बार भी नही झाडे थे.
आरिफ़: ओये रंडी, बिस्तर पर लेट तेरी छूट मारनी है अब, और हमे झड़ना है.
मैं फिर बिस्तर पर लेट गयी, और आरिफ़ ने अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे छोड़ना शुरू किया. इस वक़्त तक मुझे भी अब तोड़ा मज़ा आने लगा. आरिफ़ मुझे छोड़ भी रहा था और मेरे उपर अपनी सिगरेट को झाड़ रहा था.
मैं: ऑश आरिफ़, अब बस करो, और नही ह आहह ओह हह.
फिर आरिफ़ ने अपना माल मेरे अंदर झाड़ दिया. उसके बाद एक-एक करके सब ने मेरी छूट को अपने पानी से भर दिया, और मैं वहाँ पर बेजान पड़ी थी. फिर उन सब ने मुझे अपने बीच लिटाया और बोले-
आरिफ़: नंदिनी रांड़, अब तू मा बनने वाली है हममे से किसी एक के बच्चे की.
क़दीर: मेरे बच्चे की बनेगी. मैने ज़्यादा अंदर तक डाला है.
और फिर सब हस्सी मज़ाक करते-करते सो गये. मुझे तो सच बोलू होश भी नही था, लेकिन मैं भी सो गयी.
तो दोस्तों अगर आपको ये स्टोरी अची लगी है, तो पहले की तरह मैल करके मुझे बताए.