गांव की देसी भाभी की चुत चुदाई

गांव की देसी भाभी की चुत चुदाई

(Gaanv Ki Desi Bhabhi Ki Chut Chudai)

Gaanv Ki Desi Bhabhi Ki Chut Chudai

दोस्तो, मैं राज रोहतक से अपनी नई कहानी लेकर हाजिर हूँ। जो मुझसे अपरिचित हैं उनके लिए, मैं छह फिट का गोरा और तगड़ा लड़का हूँ, मैं जिगोलो बनना चाहता हूँ।

दोस्तो, मैं आप सभी से एक बात कहना चाहता हूँ.. कि कृपया किसी भाभी से दोस्ती करवाने की या फोन नम्बर ना मांगा करो क्योंकि मैं नहीं दे सकता। जिससे दोस्ती होती है उसकी गोपियता रखना मेरी जिम्मेदारी है।
बस इतना ही जान लीजिए कि मैं रोहतक से हूँ।

नवम्बर में मैंने एक एजेंसी से सम्पर्क भी किया। उन्होंने मुझसे दस हजार रूपये जमा करवा लिए और कहा- दो घन्टे बाद आपको आपकी ग्राहक का फोन आएगा।
लेकिन कुछ नहीं हुआ।
फिर मैं एजेंसी वालों को फोन करने लगा तो उनका फोन भी बन्द मिला।
अब मैं मन मारकर रह गया।

इसके बाद यह बात इसी साल सितम्बर की है, मैं अपनी बुआ के घर कुछ दिन रहने के लिए गया था जो रोहतक के पास के ही गाँव में रहती हैं।
मेरी बुआ के घर में मेरी बुआ-फूफा और एक उनका लड़का सोनू रहता है। सोनू की उम्र 21 साल के आस-पास है। मेरे फूफा सरकारी कर्मचारी हैं।

मैं बुआ के पास गया तो सभी घर पर ही थे, मुझे देख कर सभी बहुत खुश हुए, बुआ फूफा से घर-परिवार की बात हुई।

फिर शाम को मैं बुआ के घर की छत पर चढ़ गया और टहलने लगा। मैंने देखा तो आस-पास के घरों में बहुत सुन्दर और जवान औरतें थीं।

एक घर में मेरी नजर गई जो मेरी बुआ के घर के पास था.. वहाँ बालकनी में एक सावंली सी औरत चूल्हे पर खाना बना रही थी। मेरी और उस औरत की नजर मिली.. तो वो फिर मेरी ओर देखकर फिर खाना बनाने लगी।

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कुछ देर बाद मैं नीचे आ गया, मैंने बुआ से उनके घर के बारे में पूछा तो बुआ ने बताया कि वो हमारे कुनबे की है और तुम्हारी भाभी लगती है। उसका पति व देवर शराबी हैं, वे दोनों सुल्फा भी पीते हैं और बेचारी को पीटते भी हैं।

यह सुनकर मुझे थोड़ी दया आ गई। फिर मैं भाभी को पटाने की सोचने लगा।

भाभी का नाम रानी (काल्पनिक) है। उनकी कोई खास-फिगर नहीं है। छोटी-छोटी चूचियां हैं.. पर पता नहीं क्यों मेरा मन उसी को चोदने का कर रहा था। उसका घर मेरी बुआ के घर के बिल्कुल सामने था.. बीच में बस एक 10 फुट की गली थी। वे लोग ऊपर ही रहते थे.. नीचे भी एक कमरा व साथ में भैस बाँधने का खुला स्थान था।

भाभी के घर में भाभी, उसका पति, उसकी सास और उसका नशेड़ी देवर व दो बच्चे थे, जिनमें लड़की 9 साल की व लड़का 6 साल का था।

अब कल की तरह मैं फिर से छत पर गया.. तो भाभी बालकनी में बैठी सब्जी काट रही थी।
हमारी फिर नजरें मिलीं.. फिर भाभी अपने काम में लग गई, मैं छत पर टहलने लगा।

अब भाभी भी मुझे बार-बार देख रही थी, मैं भी रूक कर भाभी को देखने लगा। वो भी मुझे देखती और सब्जी काटने लग जाती। यह देख कर मेरा लंड अंगड़ाई लेने लगा।

भाभी ने फिर से मेरी तरफ देखा.. तो इस बार मैं थोड़ा मुस्कुराया.. लेकिन भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया।
अब वो जब भी देखती.. मैं मुस्कुरा देता लेकिन ऐसा लगता था जैसे भाभी को हँसने से चिढ़ है।

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मुझे लगा कि यह तो नहीं पटेगी.. लेकिन दिल यही चाहता था कि इसे जी भरकर चोदना है।

मैं अगले दिन सुबह ही छत पर चला गया और टहलने लगा। भाभी के घर की तरफ देखा तो भाभी भैसों को चारा डाल रही थी। मैं कुछ गुनगुनाने लगा तो भाभी ने ऊपर की ओर देखा.. फिर काम पर लग गई।

मैं जल-भुन गया कि साली अपनी कद्र ही नहीं है, वो फिर भैसों को चारा डालने लगी, मैं भी गुस्से में नीचे आ गया।

नीचे आते ही बुआ बोली- तेरा फूफा, सोनू और मैं रोहतक जा रहे हैं। दोपहर तक आ जाएंगे, तुम घर पर ही रहना।
मैंने कहा- ठीक है बुआ!

वो सब 9 बजे के आस-पास रोहतक चले गए, मैं खटिया पर लेट गया और भाभी के बारे में सोचने लगा कि काश वो यहाँ आ जाए.. तो उसे खूब चोदूँ.. उसकी चुत चाटूं.. उसकी चूचियां चूसूं और घोड़ी बनाकर चोदता रहूँ।

यही सोचते-सोचते मैं लंड को सहलाने लगा। तभी मैंने सोचा क्यों ना भाभी को देखकर ही मुठ मारी जाए। मैं उठा और थोड़ी खिड़की खोल कर लंड हाथ में लेकर भाभी के घर की ओर देखने लगा।

भाभी दिख नहीं रही थी.. सोचा शा़यद नीचे होगी। फिर भाभी दिखाई दी.. वो आई और सामने नीचे बैठकर आटा गूँथने लगी। जब वो आटा गूँथ रही थी.. तो उसकी चूचियां दिख रही थीं।

मैं उसे देख कर लंड हिलाने लगा। फिर भाभी उठी और अन्दर जाने लगी। मैंने लंड हिलाना तेज कर दिया। फिर भाभी कुछ उठाने के लिए झुकी.. तो उसके चूतड़ मेरी तरफ हो गए। मैंने मुठ मारने की स्पीड बढ़ा दी और तभी मेरे लंड ने बहुत सारा पानी फेंक दिया।

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