चुदसी बीवी ने अपनी कामुकता शांत की

chudasi biwi ne apni kamukta shant ki आज पूरे एक महीने बाद मैं घर लौटी थी. पिच्छले एक महीने से मेरे पति देव घर पर अकेले ही थे. मैं महीने भर से जेठ जी के यहाँ देल्ही मे थी. दीदी यानी मेरी जेठानी की डेलिवरी के समय कॉंप्लिकेशन्स आ जाने के कारण अर्जेन्सी मे मे गइ थी. मेरे जेठ रविजी देल्ही मे रहते हैं. उनका सॉफ्टवेर का बिज़्नेस है. मैने शादी के बाद से ही महसूस किया था कि जेठ जी मुझ पर कुच्छ ज़्यादा ही मेहरबान थे. देखने मे काफ़ी खूबसूरत हैं इसलिए मैं भी उनकी आग को हवा देती रही. वो अक्सर मुझे छुने या मेरे निकट रहने की कोशिश करते थे.

मैं भी मौका देख कर उन्हें अपने योवन के दीदार करा देती थी. जेठानी जी बड़ी ही प्यारी सी महिला है. मेरी उनसे अच्छि पट ती है. सेक्स के मामले मे वो भी काफ़ी खुले विचारों वाली महिला है. हम अंबाला मे रहते हैं. पति देव एक प्राइवेट कंपनी मे मार्केटिंग सेक्षन मे काम करते हैं. हमारी शादी को दो साल हो गये थे. अभी कोई बच्चा नही हुआ था. इसलिए हम सेक्स का भरपूर आनंद लेते हैं. हमारा परिवार काफ़ी ओपन ख़यालों का है. मेरी सासू जी ने शादी के बाद वाले दिन ही मुझे कहा था, “हमारे घर मे परदा प्रथा नहीं है इस लिए घूँघट लेने की कोई ज़रूरत नहीं है.” मैं घर मे गाउन सलवार कमीज़ पहनती थी. जो कभी कभी काफ़ी सेक्सी भी होती थी मगर मुझे कभी किसीने नहीं टोका.

मेरी जेठानी भी काफ़ी सेक्सी लगती है. खैर वापस घटना पर आया जाए. पति देव तो महीने भर के भूखे थे घर पहुँचते ही मुझे अपनी बाहों मे ले लिए. मैं उन्हें कुच्छ सताना चाहती थी इसलिए उनकी बाहों से मच्चली की तरह निकल गयी. उन्हें अंगूठा दिखा कर हंसते हुए बेडरूम की तरफ भागी, पिछे पिछे वो मुझे पकड़ने के लिए भागते हुए बेडरूम मे आगये. उन्होने अंदर घुस कर दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझ पर झपाटे. मेरी सारी का एक छ्होर उनकी हाथ मे आगया सो एक झटके से उन्होने मेरे बदन से सारी को अलग कर दिया. मैं ब्लाउस और पेटिकोट मे उन्हें छकाने लगी. मगर कब तक? मैं भी तो चाहती थी कि वो मुझे पकड़ ले. उन्हों ने मुझे बिस्तर पर पटक दिया फिर तो मेरे सारे वस्त्र एक एक कर के मेरा साथ छ्चोड़ गये. मैं पूरी निर्वस्त्र लेट गयी. उन्हों ने जल्दी से अपने वस्त्र खोले और मुझ पर सवार हो गये.

उनका उतावलापन देख कर मैं हँसने लगी. उन्होने मेरी टाँगों को मोड़ कर मेरी छाती से लगा दिया और अपना लिंग मेरी योनि मे प्रवेश करा कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे. अचानक उनकी नज़र मेरी छातियो के बीच झूलते पेंडेल पर पड़ी. “वाउ! क्या शानदार पेंडेल है.” उन्हों ने कहा. “गोल्ड के उपर डाइमंड्स लगे हैं.” “तभी तो इतना चमक रहा है” उन्होंने धक्के मारते हुएकहा. ” चमके गा नहीं? किसी ने प्यार से मुझे भेंट किया है.’ मैं उन्हें परेशान करने के मूड मे थी. मैं भी नीचे से धक्के लगाने लगी. ” किसने? मैं भी तो जानूं भला ऐसा कौन कदरदान है तुम्हारा.” ” मैं नहीं बताउन्गि.” वो बार बार पूच्छने लगे. मैं पिच्छले महीने भर की घटनाओं के बारे मे सोच कर बुरी तरह गरम हो गयी थी. “चलो बता ही देती हूँ. यह मुझे रवि ने दिया है.” मैने कहा. ” भाय्या ने? वो कंजूस तुम्हें इतना कीमती गिफ्ट देगा मैं मन ही नहीं सकता. कैसे चूना लगाया उसे.” “क्यों ना देता महीने भर खिदमत जो की थी उसकी.” मैने आँखें मतकाते हुए कहा. “कैसी खिदमत?” ”

हर तरह की. पूजा दीदी की कमी नहीं खलने दी.” मैने कहा. ” कैसे? क्या हुआ था? सब बताओ” “क्यों? तुम जो देल्ही मे काम का बहाना कर के हर महीने एक दो चक्कर लगा लेते हो. मुझे कभी बताया कि वहाँ कौन सा काम करते हो पूजा दीदी की बाहों मे?”मैने उन पर वार किया. वो पहले तो एकदम से सकते मे आगाये. फिर पूछा, “तुम्हें किसने बताया?” ” तुम्हारी प्रेमिका ने ही बताया” मैने कहा, “तुम इतने सालों से दीदी के साथ एंजाय कर रहे थे तो किसीने मौका मिलते ही तुम्हारी बीबी से जी भर कर एंजाय किया” ” वो सब तो ठीक है मगर सब हुआ कैसे बताओ तो सही.” उन्हों ने कहा. ” पहले मुझे इस राउंड को ख़तम करो फिर बताऊंगी.” वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. फिर मैं उसके उपर आगाई. इस तरह काफ़ी देर तक हम एक दूसरे को पछाडने की कोशिश करते हुए एक साथ ही हार गये. राज यानी मेरा पति पसीने से लथपथ मेरी बगल मे लेटा हुआ था. मैं भी ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रही थी. “अब बताओ” राज ने कहा. “क्या?” “चीटार! अब तो दोनो ही खल्लास हो गये अब तो बता दो ” वो मिन्नतें करने लगा. मैं उसे बताने लगी. हम दोनो उस्दिन सुबह दस बजे देल्ही पहुँचे. सीधे हॉस्पिटल गये.

पूजा दीदी अड्मिट हो चुकी थी. तुम्हे वापस आना था इसलिए तुम दीदी और जेठ जी से मिलकर मुझे वहीं छ्चोड़ कर निकल गये. मैं वहीं पर बारह बजे तक बैठी रही. तभी जेठ जी ने आकर घर चलने को कहा. दीदी के लिए खाना बना कर भेजना था. विज़िटिंग अवर्स भी ख़त्म हो रहे थे. सो मैं जेठ जी के साथ घर के लिए निकल पड़ी. कार मे बैठते हुए जेठ जी ने कहा, ” पूजा का पिच्छली बार मिसकॅरियेज हो गया था इसलिए इस बार हम कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.” फिर मुझे देखते हुए मुस्कुरा कर कहा, “तुम्हारी भी तो शादी को दो साल हो गये अब तो तुम्हें भी बच्चे के लिए तैयारी शुरू करनी चाहिए.” मैने शर्मा कर नीचे देखने लगी. “क्यों तायारी चल रही है कि नहीं?” मेरी ओर मुस्कुराते हुए उन्हों ने देखा. मेरी नज़र उनसे मिली तो मैने मुस्कुरा कर नज़रें झुका ली. उन्होने अपनी बाँह फैला कर मेरे कंधे पर रख दी और उंगलियों से मेरे गाल को सहलाने लगे. ” अगर राज से नहीं होता हो तो मैं कोशिश करूँ.”

मैने हल्के से उनकी ओर खिसक कर अपना सिर उनकी बाहों पर रख दिया. वो उसी तरह मेरे गालों से और मेरी ज़ुल्फो से खेलते रहे. उसके हाथ मेरी गर्दन को हल्के से स्पर्श कर रहे थे. कुच्छ ही देर मे घर पहुँच गये. जेठ जी नीचे उतर कर मेरी कमर मे हाथ डाल कर घर तक ले गये. घर के अंदर घुसते ही मुझे बाहों मे समा लिया. उनके खड़े लिंग की चोट मैं महसूस कर रही थी. मैने एक हाथ से उन्हे रोका. “जल्दी बाजी नहीं. पहले दीदी के लिए खाना बना दूं. आप तबतक नहा लो.” कह कर मैं उनकी बाहों से निकल गयी. उन्हें धकेलते हुए बाथरूम मे ले गयी. मैने जल्दी जल्दी खाना तैयार करके टिफिन मे पॅक कर दिया. जेठ जी तैयार होकर आए और खाना लेकर हॉस्पिटल चले गये. फिर मैने खूब जी भर के नाहया. बदन को तौलिए से लप्पेट कर बाहर निकली. आईने के सामने जाकर अपने जिस्म से टवल हटा दी.

सारा बदन मानो साँचे मे ढला हुआ था. फर्म और बड़े बड़े ब्रेस्ट जिन पर मोटे निपल, हल्के से ट्रिम किए हुए बाल जांघों के जोड़ पर बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे. अपने आप को उपर से नीचे तक निहारते हुए मैने एक ट्रॅन्स्परेंट पॅंटी पहनी. उसके उपर बदन पर एक स्लीवेलेस्स पतला सा गाउन डाल लिया. बड़े बड़े ब्रेस्ट और उसपर काले निपल गाउन के उपर से भी दिखाई दे रहे थे. मैं सोफे पर बैठ कर मॅग्ज़ाइन के पन्ने उलटने लगी. बार बार आँखें दीवार पर लगी घड़ी की तरफ उठ जाती थी. कोई 15 मिनट बाद उनकी गाड़ी की आवाज़ सुनकर मैं सतर्क हो गयी. आईने मे अपने सौन्दर्य को एक बार और निहारा. आज जेठ जी पर बिजली गिराने के लिए पूरी तरह से तैयार होगयि थी. बेल बजते ही दरवाजा खोलकर उन्हें अंदर आने दिया. मुझे ऊपर से नीचे तक वो गहरी नज़र से देखते हुए हल्के से मुस्कुराने लगे. “आज तो कत्ल कर के रहोगी लगता है.” उन्होने कहा.” भगवान ही अब मुझे बचा सकता है.” मैं उनकी बातें सुन कर शर्मा गयी.

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मुझे बाहों मे लेकर डाइनिंग टेबल पर आगये. फिर हम दोनो ने एक दूसरे को खाना खिलाया. वो मेरे बदन पर हाथ फेरते रहे. कभी ब्रेस्ट सहलाते कभी निपल्स से खेलते तो कभी जांघों को सहलाते. खाना ख़त्म कर के मैं दो ग्लास ऑरेंज जूस बना कर ले आई. वो ड्रॉयिंग रूम मे सोफे पर बैठे हुए थे. मैने उन्हें एक ग्लास देकर दूसरा अपने हाथों मे लेकर उनके पास बैठ गयी. उन्हों ने एक सीप अपने ग्लास से लेकर ग्लास मेरे होंठों पर रख दिया. हम दोनो एक दूसरे के ग्लास से जूस पीने लगे. जूस ख़त्म कर के उन्हों ने मुझे बाहों मे भर लिया और मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए. हम एक दूसरे के आलिंगन मे समय खड़े हो गये मैं उनकी बाहों मे पिघली जा रही थी. उन्हों ने गाउन के स्ट्रॅप्स मेरे कंधो से हटा दिए . गाउन मेरे बदन पर से फिसलता हुआ ज़मीन पर ढेर हो गया. मेरे बदन पर सिर्फ़ एक छ्होटी सी पॅंटी बची थी.

मेरी उंगलियाँ उनके शर्ट की बटनो से खेल रही थीं. मैने भी उनके बदन से शर्ट हटा दिया. दोनो के नग्न बदन एक दूसरे मे सामने के लिए बेताब होरहे थे. उनके बदन की चुअन पूरे शरीर मे बिजली सी दौड़ा दी थी. उसके बाद मैने अपने हाथ उनकी पॅंट की ओर बढ़ाए. उनकी जीभ मेरे मुँह का मुआयना करते हुए मेरी जीभ के साथ अठखेलियाँ कर रही थी. पॅंट के ऊपर से कुच्छ देर तक उनके लिंग को सहलाती रही फिर मैने धीरे से पॅंट की ज़िप खोलकर हाथ अंदर डाल दिया. अंदर लिंग भट्टी की तरह गर्म हो रहा था. पूरी तरह तने हुए लिंग को मुट्ठी मे भर कर कुच्छ देर तक सहलाती रही. फिर पॅंट के बटन्स खोलकर पूरे बदन को नग्न कर दिया. उसने अपने हाथ मेरे कंधों पर रख कर नीचे झुकाने के लिए दबाव डाला. मैं कुच्छ झिझकति हुई अपने घुटनो पर झुक गयी. मेरी आँखों के सामने पूरा तना हुआ लिंग झटके खा रहा था.

उनका लिंग काफ़ी मोटा और लंबा था. आप से डबल ही होगा तब मेरी समझ मे आया क्यों दीदी. कहा करती थी कि इनका लिंग तो आज भी मेरी जान निकाल देता है. वी अपना लिंग मेरे होंठों पर रगर्ने लगे. मैने उनके लिंग पर एक गहरा चुंबन लिया. उन्हों ने अपना लिंग मेरे होंठों पर दाब कर कहा,”मुँह मे लो इसे” मैने आज तक किसी लंड को मुँह मे नहीं लिया था. लेकिन आज इतनी गरम हो रही थी कि मेरा अपने उपर कोई कंट्रोल नहीं रह गया था. मैने अपने होंठों को थोड़ा सा खोल दिया. उसका गरम मोटा लंड मेरी जीभ के उपर से सरसरता हुआ अंदर प्रवेस कर गया. शुरू शुरू मे तो थोड़ी सी घिंन लगी मगर बहुत जल्दी ही मज़ा आने लगा. उसने मेरे सिर को पकड़ लिया और लिंग को मेरे मुँह के अंदर बाहर करने लगे. मैं भी मस्त हो गयी और अपने सिर को आगे पीछे करने लगी. वो एक तरह से मेरे मुँह को ही मेरी योनि के रूप मे इस्तेमाल कर रहे थे. कुच्छ देर मे उन्होने अपने लिंग को मेरे मुँह से निकाल लिया. पूरा लिंग मेरे लार से गीला हो रहा था.

मुझे कंधे से पकड़ कर उठाया और मेरी छातियो को मसल ने लगे. मुझे खींचते हुए बेडरूम मे ले गये. अब उनके भी सब्र का पैमाना छलक्ने लगा था. मेरे आख़िरी वस्त्र को भी उतार कर मुझे बेड पर लिटा दिए. पहले होंठों से मेरी पलकों को च्छुआ. फिर उनके होंठ धीरे धीरे फिसलते हुए नाक के उपर से होंठों को च्छुए फिर गले का स्पर्श किया. होन्ट इतने हल्के से मेरे बदन पर फिरा रहे थे कि लग रहा था जैसे कोई मेरे बदन पर पंख फिरा रहा हो. मेरी योनि इतना बर्दस्त नहीं कर पाई और जैसे ही उनके होंठो ने मेरे निपल्स को स्पर्श किया.मैने उनके सिर को पकड़ कर अपनी छातियो मे दबा लिया. और झटके के साथ मेरा पहला नशीला डिसचार्ज हो गया. क्रमशः……………..

मैं हाँफ रही थी और वो मेरे निपल्स को चूसे रहा था. मैं धीरे धीरे फिर गरम होने लगी. उसके होंठ काफ़ी देर तक निपल्स से खेलने के बाद वापस नीचे की ओर फिसलने लगे. मेरे पेट के उपर से होते हुए मेरी योनि तक पहुँच गये कुच्छ देर तक मेरे सिल्की झांतों से खेलने के बाद मेरी योनि को चूमा. मैने अपने पैर जितना हो सकता था फैला दिए थे. उसके मुँह से जीभ निकल कर मेरी योनि मे प्रवेस कर गयी. मैं वापस च्चटपटाने लगी. मैने उसके सिर को अपनी योनि मे दाब दिया. उसकी जीभ योनि के अंदर बाहर हो रही थी. मेरा कमर ऊपर की ओर उठा हुआ था जिससे उसके जीभ को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर तक ले सकें. मैं एक बार और झार गयी. आज पहली बार जिंदगी मे ऐसा हुआ था कि किसी के लिंग को योनि मे लेने से पहले ही दो दो बार मैं झार गयी थी. वो अपने काम मे लगा हुआ था.

मैने ज़बरदस्ती उसके सिर को अपनी जांघों के बीच से हटाया. उनके होंठ मेरे कर्मरास से चमक रहे थे. “बस भी करो पागल कर दोगे क्या.” मैने उनसे कहा. ” अब और सहा नहीं जा रहा है. प्लीज़. मेरे बदन को मसल डालो. अपना लिंग मेरी योनि मे डाल दो” उन्हों ने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख दी. और मेरे योनि द्वार पर अपना लिंग सटा कर ज़ोर से धक्का मारा. योनि मेरे रस से पूरी तरह गीली हो रही थी फिर भी उनके लिंग के प्रवेश करते ही मेरी चीख निकल गयी. मैने सिर को उठा कर देखा कि उसका सिर्फ़ आधा ही लिंग अंदर गया है. उसने धीरे धीरे दो चार बार अंदर बाहर किया तो दर्द एक दम कम हो गया. फिर उसने एक और तगड़ा झटका मारा. इस बार पूरा लिंग मेरी योनि के अंदर डाल दिया. मैने जैसे ही चीखने के लिए मुँह खोला उन्हों ने अपने होंठ मेरे होंठों से सटा कर मेरे मुँह मे अपनी जीभ डाल दी.

अंदर बाहर अंदर बाहर हम दोनो एक ही लय में अपने शरीर को हरकत दे रहे थे. कुच्छ देर तक इस प्रकार चोदने के बाद मुझे उल्टा कर के चोपाया बना दिया फिर पीछे की ओर से मेरी योनि मे लिंग डाल कर चोदने लगे. मेरे मुँह से आह ऊवू जैसी आवाज़ें निकल रही थी. बहुत ही तगड़ा लिंग था मेरी योनि को पूरी तरह से झनझोड़ कर रख दिया था. कुच्छ देर इस पोज़िशन से चोदने के बाद मुझे अपने उपर आने को कहा. वो बिस्तर पर पीठ के बल लेट गये. उनका तना हुआ मूसल जैसा लिंग छत की ओर देख रहा था मैने अपने हाथों से अपनी योनि को उनके लिंग पर सटा दिया और धम्म से उनके लिंग पर बैठ गयी. फिर तो उपर –नीचे, उपर – नीचे काफ़ी देर तक उसके लिंग पर बैठक लगाती रही. मेरी बड़ी बड़ी छातियाँ भी मेरे साथ उपर – नीचे उच्छल रही थीं. जेठ जी मेरी दोनो छातियों पर अपने हाथ रख कर मसल्ने लगे.

घंटे भर तक हम दोनो की कबड्डी चलती रही. वो तो हारने का नाम ही नहीं ले रहे थे और मैं बार बार आउट हो कर भी दुबारा पूरे जोश के साथ मैदान मे कूद पड़ती. बहुत ही शानदार मर्द मिला था. मेरे एक – एक अंग दर्द की हिलोरें उठ रही थी. पूरा बदन पसीने से लथपथ हो रहा था. घंटे भर मुझे रोन्दने के बाद उन्हों ने ढेर सारा वीर्य मेरी योनि मे डाल दिया. मैं निढाल होकर बिस्तर पर पड़ी थी. कुच्छ देर तक यूँही हम दोनो एक दूसरे से सटे हुए हानफते रहे. फिर उन्हों ने उठकर मुझे उठाया. मेरे पैर काँप रहे थे. वे सहारा देकर मुझे बाथरूम तक ले गये. फिर हम दोनो ने एक दूसरे को खूब मसल मसल कर नहलाया. एक दूसरे को मसल्ते हुए हम फिर गरम हो गये. उन्होने मुझे वहीं फिर्श पर चौपाया बना कर चोदा. शवर की बूँदों के नीचे संभोग करते हुए बड़ा ही आनंद आ रहा था. एक बार फिर मेरे गर्भ मे अपना वीर्य भर कर मुझे चोदा. हम दोनो एक दूसरे के बदन को टवल से पोंच्छ दिए. मेरे कपड़ों की ओर बढ़े हाथ को उन्हों ने अपने हाथ से रोक कर कहा,

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“जब तक तुम्हारी दीदी हॉस्पिटल से नहीं आती तब तक तुम ऐसे ही रहना.”उन्हों ने मेरे पूरे नग्न बदन पर अपनी नज़रें फिराई. मैं उनकी आँखों की ओर देख कर शर्मा गयी. “इस बीच आपके छोटे भाई मिलने आगाए तो?” मैने नीची नज़र करके पूछा. “तो क्या देखेगा उसकी सेक्सी बीवी कैसे अपने सेठ जी की सेवा कर रही है. कितना पुन्य कमा रही है.” “धात” मैने उनके नग्न सीने पर मुक्का मारते हुए कहा. हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर सो गये . शाम को तैयार हो कर दीदी से मिलने गये. उनको खाना खिला कर वापस घर आगाए. रात तो बस पूरी जागते हुए गुज़री. इस तरह हम जब तक दीदी घर नहीं आगाई तब तक खूब एक दूसरे को भोगे. दो दिन बाद दीदी के लड़का हुआ. तुम भी उसे देखने आए. और शाम को लौट गये. कॉंप्लिकेशन्स के कारण दीदी को हफ्ते भर रुकना पड़ा और मेरी योनि को आपके भाई साहब ने खूब रगड़ा.

अगले दिन दीदी के बड़े भाई शाब आए थे जो नैनीताल मे रहते हैं. एक दिन रूकने का प्रोग्राम था. हम दोनो बहुत सम्हाल कर वायवहार कर रहे थे जिससे उन्हें कोई खबर नहीं लगे. मगर कहते हैं ना कि इश्क़ और मुश्क़ कभी च्छुपते नहीं हैं. मुझे तो दिन भर वो गहरी नज़रों से घूरते रहे. रात को सब अलग अलग सोए. मगर मुझे करवाने का ऐसा नशा डाला था जेठ जी के बिना नींद ही नहीं आ रही थी. रात बारह बजे तक करवटें बदलती रही. जब और नहीं रहा गया तो उठके बिना कोई आवाज़ किए बगैर अपने कमरे से निकली और जेठ जी के कमरे मे घुस गयी. अंधेरे मे मुझे पता ही नहीं चला की दो निगाहें मुझे घूर रही हैं. घंटे भर तक अपनी योनि की कुटाई करवाने और ढेर सारा वीर्य अपनी योनि मे लेने के बाद अपने कमरे मे आकर सो गयी. एक दो घंटे बाद दरवाजा खुलने और बंद होने की आवाज़ आई. मैने सोचा की जेठ जी फिर गरम हो गये होंगे. “मार ही डालोगे क्या. उतना ही खाना चाहिए जितना पचा सको.” मैने फुसफुसाते हुए कहा.

“हुम्म” उन्हों ने बस इतना ही कहा. “आपके बड़े साले साहब घर पे हैं. अगर पता चल गया तो गजब हो जाएगा.”मैने फिर विनती की. मगर उन्हों ने कोई जवाब नहीं दिया और मेरे बिस्तर पर आगाए. मेरे बदन पर तो वैसे ही कोई कपड़ा नहीं था. मुझसे कसकर लिपट अगये और मेरी छातियो को थाम लिया. तभी मुझे लगा कि वो जेठ जी नहीं कोई दूसरा था. “कोन? कोन है?” मैने उनसे अलग होने की कोशिश की. मगर वो मेरे नंगे बदन को कस कर बाहों मे भर रखे थे. “मैं हूँ.” मुझे पता चल गया कि आने वाला जेठ जी नहीं उनके साले अशोक जी हैं. “आ, आप? आप यहाँ क्या कर रहें हैं?” “वही कर रहा हूँ जो अभी तुम रवि से करवा कर लौटी हो.” उनकी बातें सुनते ही मेरे होश उड़ गये. जब तक मैं सम्हल्ती तब तक तो उनका लिंग मेरी योनि के द्वार पर ठोकर मार रहा था. एक झटके से पूरा लिंग अंदर कर दिया.

मैं काफ़ी थॅकी हुई थी. मगर मना भी नहीं कर सकती थी. वरना उन्हों ने सबको बता देने की धमकी देदी थी. बगल के कमरे मे जेठ जी सो रहे थे और इधर मेरी ठुकाई चल रही थी. तरह तरह के पोज़िशन मे मुझे ठोक रहे थे. मेरी चूचियो पर चारों तरफ दाँत के निशान नज़र आ रहे थे. निपल्स सूज कर अंगूर जैसे हो गये थे. सारी रात मुझे जगाए रखा. मैं उनके उपर आ कर उनके लिंग पर उठक – बैठक लगाती रही. सुबह तक मेरी हालत खराब हो गयी थी. फिर भी उठकर दीदी एवं बच्चे के लिए समान तैयार कर जेठ जी को दिया. तबीयत खराब होने का बहाना कर के मैं घर पे रुक गयी. कुच्छ देर आराम करना चाहती थी. मगर किस्मत मे आराम ना हो तो क्या करें. अशोक जी भी तबीयत खराब होने का बहाना कर के रुक गये थे. जेठ जी दोपहर तक वापस आए. इस दौरान असोक जी जी ने खूब मज़ा लिया.

अब तो मैं भी उनके साथ का लुत्फ़ उठाने लगी थी. उन्हों ने अपने घर लौटने का प्रोग्राम भी पोस्ट्पोंड कर दिया था. दोपहर को जेठ जी को भी हमारी चुदाई का पता चल गया था. फिर तो दोनो एक साथ ही मुझ पर चढ़ाई करने लगे थे. एक पीछे से डालता तो दूसरा मेरे मुँह मे डाल देता. दोनो ने मुझे सॅंडविच की तरह भी इस्तेमाल किया. मैने कभी अपने पीछे वाले द्वार का इस काम के लिए इस्तेमाल नहीं किया था. पहली बार तो मेरी आँखें ही बाहर आगेई थी. इतना दर्द हुआ कि बता ही नहीं सकती मगर फिर धीरे धीरे उसकी आदि हो गयी. मेरी तो हालत दोनो मिलकर ऐसी कर देते थे कि ठीक ढंग से चला भी नही जाता था. योनि सूज कर लाल रहती थी. चूचियों पर काले काले निशान पड़ गये थे. मैं तो जब तक दीदी घर नहीं आगेई तबतक दोबारा उनसे मिलने हॉस्पिटल नहीं गयी. नहीं तो मेरी हालत देख कर उनको मेरे व्यस्त कार्यक्रम का पता चल जाता. मुझे भी दोदो रंगीले मर्दों का साथ पाकर खूब मज़ा आ रहा था. आसोक जी दीदी के आने के बाद ही खिसक लिए.

दीदी के घर आने के बाद ही मुझे जाकर आराम मिला. हम दोनो के मिलन मे भी बाधा पड़ गयी. वैसे दीदी को मेरी चाल और हालत देख कर मेरे रंगीले कार्यक्रम का पता चल गया था. छ्हप्पन व्यंजन के बाद ही एक दम से उपवास मुझे रास नहीं आरहा था. दो दिन मे ही मैं च्चटपटा उठी. रात मे दीदी के सोजाने के बाद रवि जी को बुला लिया. हम दोनो को संभोग करते हुए कुच्छ ही समय हुआ होगा कि दीदी ने आकर हमे पकड़ लिया. हम दोनो सकते मे आगये ज़ुबान से कुच्छ नहीं निकल रहा था. दीदी ने हमारी हालत देख कर हन्स दिया और बोली. “अरे पगली मैने तुझे कभी किसी काम के लिए मना थोड़े ही किया है. फिर मुझ से क्यों छिपती फिर रही है?” उन्हों ने कहा. ” करना है तो मेरे सामने बेडरूम मे करो. अरे तुझे तो मैने बुलाया ही रवि की हर तरह से सेवा करने के लिए था. ये भी तो एक तरह से सेवा ही है.”

फिर तो हम दोनो, ने जब तक तुम मुझे लेने नहीं आगाए, खूब जमकर ऐश किए. दीदी ने बाद मे मुझे तुम्हारे बारे मे भी बताया कि तुम किस तरह उन्हें परेशान करते हो. अब जब तुम किसी की बीवी को चोदोगे तो कोई तुम्हारी बीवी को भी चोद सकता है. पूरी घटना सुनकर मेरे पातिदेव का लिंग फिर से तन कर खड़ा हो गया था फिर तो हम वापस गुत्थम गुत्था हो गये. इस तरह हमारे बीच एक नये रिश्ते की शुरुआत हो गयी. दोस्तो फिर मिलेंगे किसी नई कहानी के साथ आपका दोस्त



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