फॅमिली सेक्स स्टोरी अब आयेज-
मैं कुछ जवाब नही दे रही थी. मैं अपनी नज़रें नीचे झुका कर बैठी रही. डीव्यश कुमार ने मेरा हाथ पकड़ लिया. सच काहु दोस्तों, मैने सोचा नही था हमारे बीच इतना फास्ट कुछ हो जाएगा. और मैं ये सिचुयेशन में काँपने लगी.
वो मेरी सिचुयेशन को समाज कर मेरे हाथ पर दबाव बनाया, और मेरे हाथ को सहलाने लगा. वो मुझे उनके उपर विश्वास करने को कह रहे थे. मैं अपनी बढ़ती हुई धड़कनो को शांत करने लगी. मैं थोड़ी रिलॅक्स हुई तब उन्होने पूछा.
डीव्यश: भाभी मैं आपसे बहुत प्यार करता हू. ई लोवे योउ.
मैं कुछ बोल नही रही थी, बस उनकी तरफ देख रही थी. और मुझे उनकी आँखों में सक्चा प्यार दिखाई दे रहा था.
डीव्यश: भाभी आप कहो मैं उसकी कसम खाने को तैयार हू. आपको बहुत टाइम से लीके करता हू मैं.
मैं: डीव्यश कुमार मैने कभी संजय (मेरे हज़्बेंड) को धोखा नही दिया. मैं ऐसा सोच ही नही सकती.
डीव्यश: भाभी आपको मेरे साथ अभी अछा नही लग रहा क्या? आप मेरे साथ एंजाय नही कर रहे?
मैं: अर्रे ऐसी बात नही है. मुझे दर्र लगता है ये सब चीज़ों से. मैने आज तक ऐसा किया नही है.
डीव्यश: मैं आपके हालात समाज रहा हू. आपको मेरे उपर विश्वास है ना?
मैं: हा.
डीव्यश: आप मेरे साथ एंजाय कर रहे हो ना?
मैं: मुझे नही पता ये सब क्या था. मैने अपनी लाइफ में ये सब चीज़ों से डोर रही हू. और मैं संजय को धोखा नही देना चाहती.
डीव्यश (मेरा हाथ पकड़ लिया): भाभी आप मुझे एक बार कह दो की आपको मेरा ये सब करना अछा नही लग रहा.
मैं कुछ बोल नही रही थी, बस चुप-छाप बैठी रही. फिर उनके मल्टिपल टाइम्स पूछने के बाद बोली: मैं भी आपको पसंद करती हू. पर मैने कभी ये सब किया नही है, और ना मैं ये सब चीज़ों में पड़ना चाहती हू. मुझे दर्र लगता है.
डीव्यश ने जो किया वो मैं सोच नही सकती थी. उनको अपने आप पर बहुत कॉन्फिडेन्स था. और मेरे लिए बहुत पॉज़िटिव सोच रहे थे. उन्होने मेरा फेस पकड़ कर लिप्स पर किस कर लिया. मैं तो ये अचानक से हुए हमले से एक-दूं शॉक्ड हो गयी. मैने सोचा नही था डीव्यश कुमार ऐसा करेंगे. मैं उनसे डोर होने की कोशिश कर रही थी, पर वो मुझे जकड़े हुए थे.
वो मेरे लिप्स को छ्चोढ़ ही नही रहे थे, लगातार मेरे लिप्स चूस्टे जेया रहे थे. थोड़े समय के बाद मैने झूठा विरोध करना बाँध कर दिया, और उनको साथ देने लगी. अब जब मैं उनको रेस्पॉन्स करने लगी, तो वो मुझे बहुत मस्त तरीके से किस कर रहे थे. मैने अपने आप को उनके हवाले कर दिया था.
वो जैसे किस कर रहे थे, मैं उनका सपोर्ट कर रही थी. हमने कुछ 3-4 मिनिट्स किस किया. जब हमारी किस टूटी, तब मैं अपनी नज़रें नीचे झुका कर बैठ गयी. उन्होने मुझे गले लगा दिया.
डीव्यश: भाभी ई रियली लोवे योउ.
मैं उनकी आँखों में देख कर बोली: कोई देख लेगा तो प्राब्लम हो जाएगी.
उन्होने मुझे स्माइल दिया, और कहा: यहाँ कों है हमे देखने वाला?
मैं: टेरेस का दरवाज़ा खुला है. वो दोनो उपर आ गये तो?
डीव्यश मेरी बात सुन कर खड़े हुए, और टेरेस का दरवाज़ा बंद करने चले गये. मैने तुरंत विजय को मेसेज किया की अब तेरा रास्ता क्लियर है. डीव्यश मेरे से चिपक कर बैठ गये.
मैं: आपने दरवाज़ा बंद कर दिया तो शिवानी को शक नही होगा?
डीव्यश: बोल देंगे की हवा से वो लड़ रहा था, तो बंद कर दिया.
मैने उनकी और स्माइल की, और वो मुस्कुराते हुए लिप्स किस करने लगे. अब तो मैं भी उनका साथ दे रही थी. हमारी किस धीरे से फ्रेंच किस में कॉनवर्ट हो गयी, और डीव्यश किस करने में एक्सपर्ट थे. मुझे ऐसा किस्सिंग एक्सपीरियेन्स आज तक नही हुआ था. वो अब मेरी पीठ पर हाथ घूमते हुए मेरी ब्रा के स्ट्रॅप को महसूस करने लगे. उसके बाद उनका हाथ मेरे एक बूब्स पर चला गया. मैने तुरत किस तोड़ दिया, और उनको धक्का मारा.
मैं: देखो डीव्यश किस तक ठीक था. अब मैं और कुछ नही कर सकती.
डीव्यश: अर्रे भाभी, अब क्या प्राब्लम है?
मैं: प्लीज़ आप संजो. मैं संजय को धोखा नही दे सकती. मैने आज तक ऐसा नही किया है.
डीव्यश (मेरा हाथ पकड़ कर अपनी गोदी में बिता देता है): भाभी आपको मेरे साथ किस करने में मज़ा आया ना?
मैं: हा लेकिन.. (मैं आयेज बोलू उससे पहले ही मेरी बात काट कर).
डीव्यश: बस अब और ना सोचो. आप एंजाय कर रहे हो, तो कुछ ग़लत नही है.
मैं: क्या ग़लत नही है? ग़लत तो ग़लत ही होता है ना.
डीव्यश (बड़ी मीठी आवाज़ में): भाभी जी इतना सब कुछ नही सोचना चाहिए. अगर हमे मज़ा आ रहा हो तो पार्ट्नर को चीट करके बाहर मज़ा कर लेना चाहिए.
मैं: हा और जब हमारे पार्ट्नर को पता चल जाए, तो क्या होगा फिर?
डीव्यश: भाभी आप फालतू में बहुत ज़्यादा सोच रहे हो.
मैं: डीव्यश मुझे तो सोचना पड़ता है. आप जो बोल रहे हो सब कहने की बातें है. ऐसे ही शिवानी किसी और के साथ करती तो आपको कैसा लगता?
डीव्यश (हेस्ट हुए): भाभी सच काहु तो मुझे कोई प्राब्लम नही होती, जब शिवानी किसी और के साथ करती है तो.
मैं (शॉकिंग फेस): क्या? मतलब आप दोनो ऐसा करते हो?
डीव्यश: हा, आक्च्युयली आपको डिन्नर पर बुलाना हम दोनो का प्लान था.
मैं: मीन्स शिवानी को पता है आप यहाँ मेरे साथ ऐसा कुछ करोगे? (डीव्यश मुस्कुरा रहे थे)
मैं (उनकी गोदी से उतार कर, डरते हुए): सच-सच बताओ, आप दोनो के दिमाग़ में क्या चल रहा है?
डीव्यश: रिलॅक्स भाभी. अब आपसे मैं कुछ च्छुपाना नही चाहता क्यूंकी मैं आपसे सक्चा प्यार करता हू. मैं और शिवानी बहुत क्लोज़ है एक-दूसरे से. हम दोनो ऐसे हमारी लाइफ एंजाय करते है.
मैं: तो आपकी तरह शिवानी भी?
डीव्यश: हा भाभी. हम दोनो बाहर दूसरे लोगों से एंजाय करते है.
मैं: आप झूठ बोल रहे हो. मैं शिवानी को जानती हू वो ऐसा नही कर सकती.
डीव्यश: एक बात काहु?
मैं: मुझे आपकी कोई बात नही सुन्नी. आप मुझे अपनी बातों में फ़ससा कर मेरे साथ ये सब करना चाहते हो, मुझे पता है.
डीव्यश: भाभी मैं कुछ झूठ नही बोल रहा. शिवानी को आपका भाई विजय पसंद आ गया है. और मुझे तो आप पहले से पसंद थी. मैने बहुत बार शिवानी से कहा था की तेरी दोनो भाभी मस्त लगती है. कुछ करना पड़ेगा.
मैं ये सब सुन कर तो शॉक्ड हो गयी. शिवानी और डीव्यश कुमार को पहले से ऐसे बाहर सेक्स कर रहे थे. और दोनो इतने डीसेंट दिखते थे, की मुझे आज तक तोड़ा सा भी शक नही हुआ. शिवानी ऐसा करती होगी ये मैने सपने में नही सोचा था.
लेकिन मैं खुद अपने भाइयों के लंड खा रही थी, तो इस दुनिया में कुछ भी पासिबल हो सकता है. फिर भी मैं मानने को तैयार नही थी. मुझे लग रहा था शायद वो मुझे अपनी बातों में फ़ससा रहे थे.
मैं: मैं मान ही नही सकती शिवानी ऐसा कुछ सोच रही होगी और करती होगी.
डीव्यश: आप अपनी नज़रों से देख कर और कान से सुन लोगे तो आप मेरे उपर विश्वास करोगी ना?
मैं: हा.
डीव्यश: चलो हम चुपके से नीचे जाते है, जिससे उन दोनो को पता ना चले. आपकी ननद आपके भाई को पत्ता रही होगी. और अगर वो दोनो करते होंगे तो आप को भी मेरे साथ करना होगा. भाभी मैं आपसे ज़बरदस्ती नही कर रहा . पर मैं जानता हू आप भी एंजाय कर रहे हो.
मैं: अर्रे नही. (क्यूंकी अब मुझे पक्का यकीन था की विजय और शिवानी रोमॅन्स कर रहे होंगे)
डीव्यश: चलो ना, मज़ा आएगा दोनो को चुपके से देखते है.
मैने सोचा अब ये डीव्यश कुमार इतना कॉन्फिडेन्स से कह रहे थे, तो पक्का ये लोग ऐसे अपनी लाइफ एंजाय कर रहे होंगे. मैं भी देखना चाहती थी की विजय शिवानी को कैसे छोड़ता है.
मैं: ठीक है चलो, देखते है. अगर शिवानी और विजय के बीच कुछ नही हो रहा होगा तो आपकी खैर नही (मैने उनको स्माइल दिया).
डीव्यश: मुझे पक्का यकीन है, अभी तक तो शिवानी ने विजय को अपने वश में कर लिया होगा.
हम दोनो दबे पावं सीडी से उतार रहे थे. दोनो को शिवानी और विजय की बातें करने की आवाज़ आ रही थी. हम दोनो चुपके से देख रहे थे, और सुन रहे थे वो दोनो क्या बातें कर रहे थे.
शिवानी: विजय मुझे आपकी कंपनी बहुत अची लग रही है, और सच काहु तो आप भी.
विजय: थॅंक योउ. वैसे आज काफ़ी सेक्सी लग रही हो. आज मेरी आपसे नज़र नही हॅट रही.
शिवानी: मेरी तो उस दिन नही हॅट रही थी, जब आप बातरूम से बाहर निकले थे.
विजय: क्यूँ ऐसा क्या देख लिया मुझमे?
शिवानी: एक बात काहु? जब से आपकी मस्क्युलर बॉडी देखी है ना, बस आपके बारे में सोचने लगी हू (विजय स्माइल कर रहा था). क्या आप मुझे अपनी बॉडी दिखा सकते हो अभी?
विजय: वो दोनो आ गये तो परेशानी नही होगी?
शिवानी: मैं डीव्यश को बहुत आचे से जानती हू. वो और भाभी बातों में उलझे होंगे. डीव्यश बहुत बातें करते है. उनकी बात ख़तम नही होती. आप इतना नही सोचो, प्लीज़ दिखाओ ना (विजय ने अपनी त-शर्ट निकाल दी).
शिवानी: विजय आपने क्या बॉडी बनाई है. आपको देख कर तो कोई भी आपकी दीवानी हो जाए. कितने हॅंडसम लग रहे हो. अब मुझे तो आपको छ्छूने का मॅन कर रहा है.
विजय: आप चाहो तो मुझे छ्छू कर देख सकती हो. लेकिन सिर्फ़ छ्छूना ही चाहते हो ना (विजय ने नॉटी स्माइल दिया)?
शिवानी (शर्मा कर): अब वो तो पता नही.
शिवानी अब विजय से चिपक कर बैठ गयी, और उसकी बॉडी को टच कर रही थी. वो पहले तो विजय के बाइसेप्स की सखटायी चेक कर रही थी. उसके बाद उसकी चेस्ट पर हाथ घुमा रही थी. वो उसके उपर अपनी गरम सासे छ्चोढ़ रही थी.
डीव्यश (धीमी आवाज़ में मेरे कान के पास): विजय ने क्या बॉडी बनाया है. अब पता चला विजय को लेकर शिवानी इतनी एग्ज़ाइटेड क्यूँ थी.
मैं: शिवानी को दर्र नही लगता, कहीं मैं यहाँ आ गयी और उसको ऐसे देख लिया तो?
डीव्यश: मैने जब डोर लॉक किया, तब शिवानी को मेसेज कर दिया था.
यहाँ तो हम भाई बेहन शिकार करने आए थे, पर खुद शिकार बन गये थे. विजय ने हिम्मत करके उसका एक हाथ शिवानी के कंधे पर रख दिया. शिवानी ने विजय के कंधे पर किस कर दिया. विजय ने तुरंत शिवानी का फेस उपर किया, तब शिवानी उसको कातिल नज़र से देख रही थी. उसको देख कर ऐसा लग रहा था जाने वो उसके साथ चूड़ने को तरस रही हो.
विजय और शिवानी एक-दूसरे के सामने देखते हुए अपने लिप्स करीब करने लगे. अब शिवानी ने अपनी आँखें बंद कर ली, और उसने अपने लिप्स खोल दिए. विजय अब उसके लिप्स शिवानी के लिप्स को टच करके किस करने लगा. शिवानी भी उसको फुल सपोर्ट कर रही थी. विजय सारी के उपर से शिवानी का बूब्स मसालने लगा.
मुझे तो पता था ऐसा हो रहा होगा, पर मैं झूठ-मूठ का नाटक कर रही थी, की जैसे ये देख कर मुझे यकीन नही हो रहा. मैं बेचैन होने लगी. मैने अपना हाथ मूह पर रख दिया, और ऐसा रिक्षन देने लगी की मैं ऐसा पहली बार देख रही थी.
डीव्यश (मेरे कान के पास आ कर बहुत धीमी आवाज़ में): मैने कहा था ना भाभी. आपको मेरे उपर यकीन नही था.
मैं कुछ बोली नही, और शिवानी और विजय को चुपके से देखने लगी. शिवानी को देख कर लग रहा था की वो बहुत उत्तेजित हो रही थी. वो विजय की बॉडी को सहलाने लगी. और उसकी बॉडी पर किस कर रही थी. अब वो बॉडी सहलाते हुए अपना हाथ विजय के लंड पर ले गयी. वो पंत के उपर से उसके लंड को सहला रही थी.
शिवानी: विजय आपका टूल तो काफ़ी बड़ा लग रहा है. कितना बड़ा है?
विजय (स्माइल करते हुए): आप खुद ही चेक कर लो.
शिवानी ने अब स्माइल की, और सोफा के नीचे बैठ गयी. उसने विजय की पंत की ज़िप खोल कर उसका लंड बाहर निकाला. शिवानी उसका लंड देख कर चौंक गयी, और उसके फेस पर एक नॉटी स्माइल आ गयी.
शिवानी: श गोद, ये तो कितना बड़ा है. ऐसा लंड देख कर तो मेरा मूह में लेकर चूसने का मॅन कर रहा है.
विजय: आपका मॅन कर रहा है तो मैं कहाँ आपको रोक रहा हू. आपका मॅन करे तब तक उसको चूसो, छातो, मुझे कोई प्राब्लम नही है.
अब शिवानी शरमाते हुए उसका लंड चूसने लगी. मैने देखा की डीव्यश शिवानी को लंड चूस्टा देख खुश हो रहे थे. उसके बाद क्या हुआ मैं आपको नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी.