उन्होने पूछा कैसा लगा? मैने हँसते हुए कहा “मैं तो कल्पना कर रहा था कि आपकी बुर एकदम टाइट होगी लण्ड घुसाने मे दिक्कत आयेगी……पर वैसा कुछ हुआ ही नही,” इस पर वह मुस्कराते हुए बोली कि अगर कुँवारे मे हम दोनो मिले होते तो वैसा होता भी, मैं तो शादी से पहले ही कई बार चुदवा चुकी हूँ और फ़िर इसी बुर मे से आपकी भतीजी निकली है तो थोड़ी ढीली हो गयी है…………आप का तो पहला अनुभव है मजा तो आ ही रहा है…………चलिये रात काफ़ी हो गयी अब सोया जाय।
उसके बाद इतनी गहरी नींद आयी कि पूछो मत……सुबह 7 बजे ही आँख खुली, फ़्रेश होने के बाद नाश्ता करके हम दोनो आपस मे बातें कर रहे थे कि भतीजी को भूख लग गयी और वह चौकी पर लेट कर उसको अपनी चूची पिलाने लगीं, हालाँकि आँचल से ढका था फ़िर भी थोड़ा सा दिख रहा था
………अब तो मेरा मन भी करने लगा क्योंकि दोपहर तक भाई साहब भी आने वाले थे, मैने कहा भाभी एक बार और चोद लेने दो तो उन्होनें कहा कि बेटी जगी है देखेगी तो किसी से कह सकती है,मैने कहा डेढ़ साल की बच्ची क्या समझेगी। उन्होंने कहा कि यह कह सकती है कि चाचा मम्मी के ऊपर थे। यह अपने पापा से बहुत बातें करती है।
फ़िर भी मेरा मन रखने के लिये वो चौकी के किनारे चूतड़ रखकर बेटी को अपनी छाती पर रखकर उसके मुँह मे निप्पल डाल कर आँचल से उसे ढक कर अपनी टाँगो को फ़ैला कर अपनी साड़ी उठा कर मुझसे बोली कि लीजिये जल्दी से चोद लीजिये फ़िर पता नही कब मौका मिले ना मिले। मैने वही खड़े होकर तुरन्त अपना पहले से खड़ा लण्ड उनके भोसड़े मे डाला और चोदने लगा, वो तो कोई हरकत नही कर रही थी, मैं भी सावधानी से चोद रहा था ताकि उनकी बेटी डिस्टर्ब होकर हमारी हरकत ना देखने लगे। थोड़ी देर चोदने के बाद मेरा झड़ गया और मैं उन्ही के साये मे पोछकर अलग हो गया।
फ़िर उस दिन दुबारा मौका ही नही मिला, कोई कोई आ जाता था तथा उनकी बेटी भी सोई नही, और भाई साहब भी जल्दी ही आ गये।