बीवी, बेहन, और बदमाश की ग्रूप सेक्स स्टोरी

इस हॉट सेक्स स्टोरी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा कैसे मेरी बीवी नीमा ने मेरी बेहन को बहला फुसला कर अपने वश में कर लिया, और उसके साथ सेक्स किया. और जब मेरी बेहन उसके कंट्रोल में आ गयी, तब मेरी बीवी के पीछे एक आदमी आ कर खड़ा हो गया.

मैने जब उस आदमी को देखा तो मेरे होश उडद गये. वो हमारे टाउन का सबसे बड़ा च्चता हुआ बदमाश रंगा था. रंगा के पोलिटिकल कॉंटॅक्ट्स आचे थे, तो पोलीस भी उसका कुछ कर नही रही थी. और वो बहुत ही पवरफुल आदमी था.

रंगा की बात करू तो वो 40-42 साल का, दिखने में गोरा, लंबा और चौड़ा आदमी था. उसकी आँखें नीली थी, और वो पूरा गंजा था. रंगा का तोड़ा पेट निकला हुआ था, जो अक्सर मर्दों का होता है. उसने उस समय वाइट शर्ट और डेनिम पंत पहना था.

जब मेरी बीवी नीमा मेरी बेहन कविता की छूट सहला रही थी. तब रंगा दोनो को हवस भारी निगाहों से देख रहा था. मैं ये देख कर दर्र गया की ये अब इन दोनो के साथ क्या करेगा? रंगा नीमा के पीछे आ कर झुक कर खड़ा हो गया. मेरी बीवी ने रंगा को देखा, तो उसने स्माइल किया और दोनो लीप किस करने लगे.

मेरी बेहन कविता भी मुस्कुरा रही थी. मैं ये देख कर शॉक्ड हो गया की नीमा, कविता और रंगा के बीच क्या चल रहा था.

रंगा: आख़िरकार तुमने इसको माना ही लिया.

नीमा: हा आपको आज तक मैं किसी भी चीज़ के लिए माना कर सकी हू क्या? आपको ये पसंद आ गयी थी, तो मैने इसको कैसे भी माना लिया. देखो मेरी ननद आपसे चूड़ने के लिए तैयार है.

नीमा की बात सुन कर कविता शर्मा रही थी. नीमा ने कविता की दोनो टाँगें फैला दी, और उसकी छूट पर बहुत सारा थूक लगाया, और फिर बेड पर लेट गयी. यहाँ रंगा मेरी बीवी की एक तंग उसके कंधे पर रख कर उसके बूब्स मसालने लगा. मेरी बीवी किसी गैर मर्द के साथ ये सब करते हुए मुस्कुरा रही थी.

मैं जिसको भोली और संस्कारी समझ रहा था, वो मेरे खंडन की इज़्ज़त सार-आम लुटवा रही थी. और मुझे गुस्सा इस बात का आ रहा था, की साली रंडी ने मेरी बेहन को भी अपने साथ शामिल कर लिया था. मेरी बीवी और बेहन शहर के बदमाश के सामने अपनी छूट खोल कर बैठी थी, और मैं कुछ कर भी नही सकता था. मेरी शकल रोने जैसी हो गयी थी. और सच काहु, तो रंगा को रोकने की मेरे अंदर हिम्मत नही थी.

अगर मैं उसको रोकता तो भी रोक नही पाता, क्यूंकी रंगा की पहुँच कहाँ तक थी, वो मुझे आचे से मालूम था. रंगा के सामने मेरी बेहन और बीवी नंगी थी. मैं ये देख कर ही दर्र गया. मेरे पसीने छ्छूटने लगे.

मेरी हालत इतनी खराब थी की मैं वो नज़ारा देख नही पा रहा था. लेकिन कहीं ना कहीं मेरे अंदर एक उत्सुकता जाग रही थी, की मैं ये देखु की मेरी बीवी किस हद तक जाती है. मेरे अंदर अब एक दर्र भी था, की अगर मुझे रंगा ने ये सब करते देख लिया, तो मेरी क्या हालत करेगा. चाहे वो मेरी बीवी और बेहन के साथ ग़लत कर रहा था, पर रंगा का इतना रुतबा था, की वो किसी भी पवरफुल आदमी की बंद बजा सके, और मैं तो एक सीधा-सादा गवर्नमेंट एंप्लायी था.

रंगा ने अपनी उंगलियों पर थूक लिया, और बीच वाली दो उंगलियाँ मेरी बेहन की छूट में डाल कर हिलने लगा. कविता की आ निकल गयी, और वो मदहोश हो कर सेक्सी आवाज़े निकाल रही थी. रंगा की उंगलियाँ निकलते ही नीमा ने कविता की छूट पर मूह रख दिया, और उसकी छूट को चाटने लगी. यहाँ रंगा नीमा की एक टाँग कंधे पर रख कर उसकी छूट को मसालने लगा, और उस पर किस कर रहा था.

उसके बाद रंगा ने नीमा को घोड़ी बना दिया, और घुटनो के बाल बैठ कर पीछे से नीमा की गांद का च्छेद चाटने लगा. यहाँ नीमा घोड़ी बने हुए कविता की छूट चाटने लगी.

कविता भी अपनी छूट चत्वाते हुए नीमा के बाल सहला रही थी, और मोन कर रही थी. रंगा भी नीमा की छूट में अपना अंगूठा डाल कर उसकी गांद का च्छेद चाट रहा था. कविता नीमा के फेस पर दबाव बना कर उससे अपनी छूट चटवा रही थी. नीमा ने उसकी छूट के अंदर तक जीभ डाल कर छूट चाटना शुरू कर दिया.

कविता: भाभी ऐसे ही छातो, बहुत मज़ा आ रहा है.

रंगा अब खड़ा हो गया और कविता को देखते हुए अपनी शर्ट के बटन खोल ने लगा. वो जब कविता को देख रहा था, तो उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी. मुझे उसका चेहरा देख कर बहुत गुस्सा आ रहा था. अब उसने शर्ट निकाल कर साइड के टेबल पर रखा, और मेरी बेहन की तरफ अपने कदम बढ़ा रहा था. उसका हर एक कदम मेरे अंदर जुनून भर रहा था.

कविता: भाभी आप बहुत मस्त कर रही हो. मैं झड़ने वाली हू. आप ने तो मुझे आज जन्नत दिखा दिया.

रंगा बेड के दूसरे कोने पर जेया कर कविता का फेस पकड़ कर उसके लिप्स को चूसने लगा. अब वो उसके एक बूब को मूह में लेकर चूसने लगा, और दूसरा बूब मसल रहा था. कविता भी बेशरम हो कर गैर मर्द से मज़े कर रही थी.

रंगा: भाभी के साथ मज़ा आ रहा है ना?

कविता: बहुत ज़्यादा, आप भी आ गये तो अब तो पता नही क्या होगा.

रंगा (उसके गाल को चूमते हुए): जब मैने पहली बार तुझे नीमा के साथ देखा था, तब से तुम्हे छोड़ना चाहता था. आज तुम मेरे हाथो में आई हो.

कविता: ह्म…. भाभी कह रही थी आप उनको बहुत मज़ा देते हो. श भाभी, मैं झाड़ गयी.

मैने देखा तो नीमा कविता की छूट का रस्स चाट रही थी. कविता के चेहरे की खुशी बता रही थी की वो रंगा और नीमा के साथ बहुत एंजाय कर रही थी. अब रंगा ने अपना जीन्स उतार दी, और पूरा नंगा हो गया. मैं तो उसका लंड देख कर डांग रह गया. उसका लंड बहुत मोटा और लंबा था. उसका चिकना लंड देख कर कविता का मूह भी खुल्ला रह गया.

कविता: भाभी इनका लंड तो कितना बड़ा है.

नीमा: हा, बहुत मस्त लंड है. इसीलिए तो मैं इनसे इतने सालों से छुड़वा रही हू. एक बार तुम इनसे छुड़वा लॉगी, तो तुम भी इनके लंड की प्यासी बन जाओगी.

नीमा की बात सुन कर कविता ने रंगा को सेक्सी स्माइल दी. वो स्माइल देख कर मैं समझ गया की नीमा की तरह कविता भी अब रंगा की रंडी बनने को तैयार हो गयी थी. कविता की स्माइल देख कर तो मेरा लंड भी खड़ा हो गया.

मैं भी अब मेरी बेहन की चुदाई देखने को तरस रहा था. अब रंगा ने कविता के सामने देखते हुए नीमा के मूह के सामने अपना लंड रख दिया. नीमा रंगा को स्माइल देते हुए उसका लंड मूह में डाल कर चूसने लगी. नीमा एक रंडी की तरह उसका लंड चूस रही थी.

मेरी बीवी को किसी और का लंड चूस्ते देख मुझे गुस्सा आ रहा था, और जेलासी हो रही थी. क्यूंकी वो मेरे से ज़्यादा रंगा को मज़ा दे रही थी. नीमा ने ऐसे खुशी से तो मेरा लंड कभी नही चूसा था. उसने उसका लंड पूरा थूक से चिकना कर दिया.

नीमा: कविता अब तुम भी मुझे तोड़ा मज़ा दो.

नीमा बेड पर अपनी टाँगें फैला कर सो गयी. कविता मुस्कुरा कर घोड़ी बन गयी, और नीमा की छूट चाटने लगी. पीछे से रंगा ने कविता की छूट पर बहुत सारा थूक लगाया, और छूट मसालने लगा. मेरी बीवी और बेहन दोनो मोन कर रही थी. मैं पंत के उपर से मेरा लंड मसल रहा था.

रंगा: कविता मेरी जान अब तैयार हो जेया जन्नत की सैर करने के लिए.

रंगा ने अब अपना लंड कविता की छूट पर सेट किया, और उसकी कमर पकड़ कर एक धक्का मारा. कविता की चीख निकल गयी.

कविता: बहुत मोटा लंड है. लगता है मेरी छूट फटत गयी.

रंगा: मेरी जान अभी तो आधा गया है, पूरा तो जाने दो.

कविता के चेहरे पर दर्द दिखाई दे रहा था. दर्द से तिलमिलती मेरी बेहन बहुत सेक्सी लग रही थी. मैं अंदर से चाहता था की रंगा मेरी बेहन की छूट का भोंसड़ा बना दे. कहीं ना कहीं मेरे घर की औरतों को गैर मर्द से चूड़ते देखना मैं एंजाय करने लगा था.

रंगा ने अब कमर पकड़ कर और एक धक्का मारा, और उसका मोटा और लंबा लंड मेरी बेहन की छूट चीरता हुआ अंदर चला गया. कविता चिल्लाने लगी. कविता हिल रही थी, तो रंगा ने उसके दोनो हाथ पीछे से पकड़ लिए, और उसको नीचे झुका दिया.

नीमा ने उसका मूह अपनी छूट पर दबा दिया. अब रंगा पीछे से कविता की बहुत रफ चुदाई करने लगा. कुछ ही मिनिट्स में कविता की चीखें सिसकारियों में बदल गयी. वो अब रंगा के लंड को एंजाय करने लगी. मैने देखा तो कविता ने अपनी जीभ निकाल कर नीमा की छूट को आचे से चाटना शुरू कर दिया. नीमा भी अब गरम हो रही थी. वो खुद से अपने बूब्स मसल रही थी.

नीमा: कविता प्लीज़ ऐसे ही छातो यार. बहुत मज़ा आ रहा है. तुम तो अपने भैया से भी ज़्यादा मज़ा दे रही हो. अब से तो तुमसे ही अपनी छूट चटवाया करूँगी.

कविता: ह्म.. भाभी. आपका यार तो बहुत तगड़ी चुदाई करता है.

रंगा: क्यूँ मेरी जान, मज़ा आ रहा है ना?

कविता: बहुत मज़ा आ रहा है. और ज़ोर लगा कर छोड़िए ना. आज पहली बार एक असली मर्द से छुड़वा रही हू.

कविता की बात सुन कर रंगा ने अपना एक पैर बेड के उपर रख दिया, और कविता की पूरी ताक़त से चुदाई कर रहा था. यहाँ कविता भी नीमा की छूट को बहुत मस्त तरीके से चाट रही थी. रंगा का स्टॅमिना बहुत अछा था. थोड़े टाइम बाद कविता और नीमा एक साथ झाड़ गयी.

नीमा: आज तो मज़ा आ गया.

कविता: हा भाभी आप दोनो ने तो मुझे चरम सुख दिखाया.

नीमा और कविता एक-दूसरे के लिप्स चूसने लगी. अब रंगा ने नीमा का पैर खींच कर अपने करीब किया, और उसकी एक टाँग उठा कर उसकी छूट में लंड घुसा दिया. नीमा कितनी बड़ी चुड़क्कड़ है, वो मुझे उस दिन पता चला. रंगा से वो हेस्ट-हेस्ट छुड़वा रही थी. इतने बड़े लंड का उस पर कोई असर नही हो रहा था.

कविता अब घोड़ी बन कर नीमा के फेस पर बैठ गयी, और अपनी छूट चटवाने लगी. नीमा अपनी छूट मसल रही थी. अब रंगा लंड बाहर निकाल रहा था, और एक बार में पूरा लंड उसकी छूट में घुसा रहा था. ऐसा उसने 5-6 बार किया, और नीमा की हर बार दर्द से आ निकल रही थी.

रंगा अब उसकी ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा. कुछ ही टाइम में नीमा झाड़ गयी, और तक कर हाँफने लगी थी. लेकिन साला रंगा किस मिट्टी का बना था, अभी भी उसका लंड खड़ा था? 2-2 औरतों को संतुष्ट करने के बाद भी चुदाई के लिए लंड तैयार करके रखा था.

अब रंगे ने नीमा की टाँगें खींच कर बेड के किनारे कर दिया, और कविता को कमर से पकड़ कर नीमा के उपर घोड़ी बना दिया. नीमा नीचे से कविता के बूब्स चूस रही थी. अब रंगा ने एक और बार पीछे से कविता की चुदाई करना शुरू कर दिया. कविता बहुत सेक्सी आवाज़ निकाल रही थी. नीमा उसकी गांद पर थप्पड़ मार रही थी. कविता उसके हर थप्पड़ पर चीख रही थी.

नीमा: गैर मर्द से चूड़ना कैसा लग रहा है?

कविता: भाभी बहुत मज़ा आ रहा है.

नीमा: तो अब चुडवाएगी ना बाहर के मर्दों से?

कविता: हा भाभी, आप जब कहोगे तब मैं यहाँ आ जौंगी.

नीमा: रंगा जी अब आपके लिए एक और रंडी तैयार हो गयी है.

रंगा: अभी तो कविता को बहुत कुछ सीखना बाकी है.

नीमा: आप क्या कहना चाहते हो, वो मैं आचे से समझ गयी.

रंगा ने मुस्कुराते हुए कविता की छूट से लंड निकाल कर नीमा की छूट में डाल दिया. फिर उसको छोड़ने लगा. यहाँ नीमा और कविता एक-दूसरे को किस कर रही थी. कविता भी नीमा के बड़े बूब्स चूस रही थी. रंगा मेरी बीवी और बेहन को बारी-बारी उसी पोज़िशन में छोड़ने लगा. अब रंगा तोड़ा तक गया था, और वो बेड पर सो गया.

रंगा: कविता मेरी जान, तैयार हो जेया मेरे से अपनी गांद छुड़वाने के लिए.

कविता: नही बाबा, आपका तो बहुत बड़ा है. मैं से नही पौँगी.

नीमा: अर्रे थोड़ी देर दर्द होगा, फिर मज़ा आएगा. मुझे तो बहुत मज़ा आता है इनसे गांद छुड़वाने में.

मैं तो अभी भी विश्वास नही कर पा रहा था की ये मेरी बीवी थी. नीमा को मैं कितनी संस्कारी समझ रहा था. मेरे खानदान में किसी ने सोचा भी नही होगा की नीमा ऐसी रंडी होगी. उस दिन मैने अपनी बीवी का असली चेहरा देखा था, और दुख की बात ये भी थी की अब मेरी बेहन भी उसके कदम पर चलने लगी थी.

तो बे कंटिन्यूड…

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