मुँह बोली रेणुका भाभी को ट्रेन में चोदा

Bhabhi ki train mai chudai kahani मैं गजेन्द्र सिंह राजपूत करीब 45 साल का हूँ ! मेरी ही कालोनी में मेरे ही जिले के मेरे ही राजपूत समाज के एक सज्जन नागेन्द्र सिंह रहते है ! एक ही जाति और एक ही जिला का होने के कारण घरेलु संबध बन गए ! करीब 10-12 वर्ष से एक दूसरे के घर आना जाना है ! नागेन्द्र सिंह की उम्र करीब 49 वर्ष है ! नागेन्द्र सिंह मेरे से बड़े है इस लिए उनकी पत्नी को ”भौजाई साहब” कहता हु हलकी फुलकी हँसी मजाक भी हो जाती है भाभी जी से ! भाभी जी की उम्र लगभग 43 साल के आसपास होगी,इनकी उचाई लगभग 5 फिट 6 इंच के आसपास होगी मैं इनके बगल में खड़ा हो जाता हु तो छोटा लगता हु ! मेरी हाइट रेणुका भाभी से कम है पर मैं सरीर से मोटा तगड़ा खासा सांड लगता हु भरे हुए गाल है मेरे पर मेरा रंग
काला है ! भाभी जी खुले विचारों की बहुत ही आधुनिक हसमुख और आकर्षक है ! गोरा रंग मीडियम शरीर, कुछ मोटापा लिए हुए थोड़ा सा पेट बाहर निकला हुआ है जो साड़ी में छिप जाता है ! सलवार-लेगी सूट में आज भी 34 -35 साल की लगती है ! इनको एक लड़की 23 साल की और एक लड़का 20 साल का है ! नागेन्द्र सिंह भाई साहब दुबले पतले से गाल चिपके हुए कमजोर शरीर के है जबकि भाभी जी मस्त टना टन माल रखी है ! दोनों पति पत्नी में बहुत अच्छी पटती है कभी लड़ाई झगड़ा नहीं सुना दोनों के बीच में ! दोनों खूब मस्त रहते हैं इससे लगता है की रेणुका भाभी को भरपूर लण्ड खाने को मिलता है ! जब भी रेणुका भाभी को देखता हु तो मन में एक बार जरूर ख्याल आता है चोदने का ! पर भाभी ने कभी घास नहीं डाला ! वैसे मैंने कई बार लाइन मारा रेणुका को पर रेणुका ने कोई हिंट नहीं दिया पर कभी झिड़की भी नहीं दिया इससे आशा है की कभी न कभी मौका मिल सकता है रेणुका को चोदने का ! और ये मौका मिल ही गया कैसे आगे पढ़िए …………………………………।

हुआ क्या की रेणुका भाभी होली के समय 2 मार्च 2015 को अपने गाँव जा रही थी और मैं भी गाँव जा रहा था ! भाभी रेलवे स्टेशन में अपने पति के साथ दिखाई दी, पर मैं उनके पास नहीं गया दूर से ही देखता रहा सोचा की इनके पति भी साथ जा रहे होंगे पर फिर अचानक ध्यान गया की दोनों एक साथ गाँव नहीं जाते क्योकि लड़की घर में अकेली हो जाती है (इनका लड़का दूसरे शहर में रहता है पढ़ाई करने के लिए) और दूकान अलग से बंद करनी पड़ती है ये सब याद आते ही मैं खुस हो गया और ट्रेन का इन्तजार करने लगा ! साम के 6 बजकर 25 मिनट पर ट्रेन आई और रेणुका भाभी S-6 डिब्बे में चढ़ गई उनका रिजवारवेसन था ! पर मेरा कोई प्लान नहीं था गाँव जाने का इस लिए रिजर्वेसन नहीं हो पाया तब चुपचाप जनरल डिब्बे में ही बैठ गया पर एक घंटे बाद अगले स्टेशन में जब ट्रेन रुकी तो रेणुका भाभी के डिब्बे में चढ़ गया होली के कारण जनरक डिब्बा तो क्या स्लीपर में भी भारी भीड़ थी ! बड़ी मुस्किल से खड़े होने की जगह मिली ! ट्रेन के चलने के बाद धक्के खाते खाते मैं रेणुका भाभी के पास तक पहुँच गया तो उनकी नजर मेरे ऊपर पडी और मेरी भी नजर उनके ऊपर पडी तो मैंने ”भौजाई साहब सलाम” कहा तो ओ मुस्कुराई और सिर को हलके से झुकाया और पूछ लिया ” कहा जा रहे हो डॉली के पापा ” ( डॉली मेरी लड़की का नाम है ये मुझे इसी तरह से पुकारती है) तो मैंने बताया ”गाँव जा रहा हु भौजाई साहब” तो फिर पूछी ” रिजवारवेसन क्यों नहीं कराया” तब मैंने कहा ”अचानक जाना हो रहा है” इतने में किसी ने जोर से धक्का दिया और मैं गिरते गिरते बचा तो रेणुका भाभी बोली ”आप यहाँ आकर बैठ जाइए” तब मैं रेणुका भाभी के पास जाकर बैठ गया और पूछ लिया ” भौजाई साहब आप गाँव क्यों जा रही है” तब उन्होंने जबाब दिया ”दादी शांत हो गई है उनके 13 वें में शामिल होने जा रही हूँ ! फिर बात चीत को जो शिलशिला चालू हुआ तो काफी देर तक बातें करता रहा ओ भी खूब घुल मिलकर बातें करने लगी इसके पहले कभी भी इतनी बातें नहीं किया ट्रेन में भीड़ होने की बजह से उनसे चिपक कर बैठा हुआ था उनकी नंगी बाहों का स्पर्श मात्र से ही मेरा लण्ड खड़ा हो रहा था बार बार मैंने भी टी सर्ट पहन रखी थी इसलिए मेरी बलिष्ट भुजाएं भाभी की चिकनी चिकनी

बाहों से बार बार रगड़ खाता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता , उन्हें भी अच्छा लग रहा था इस लिए ओ भी चिपक कर बैठी रही , बीच बीच में उनके साड़ी का पल्लू गिर जाता तो उनकी चूचियों की घाटियाँ साफ़ साफ़ नजर आती, जब मैं भाभी की चूचियों देखने लगता तो ओ अपना पल्लू सम्हाल लेती पर 15-20 मिनट बाद किसी न किसी बहाने ओ अपने पल्लू को गिरा देती तो बरबस ही मेरी नजर उनकी सुन्दर-सुडौल चूची की घाटियों पर पड़ने लगती ! इसी ताक झांक में रात के 9 बज गए तो रेणुका बोली ”खाना खाते है डोली के पापा” तो मैंने बोला ” आप खा लो भौजाइ साहब मुझे भूख नहीं” तो मुस्कुराते हुए बोली ” क्यों मेरी देवरानी ने ऐसा क्या खिला दिया की भूख नहीं लगी है” (हकीकत तो ये थी की मैं खाना ही नहीं लाया था) तब मैंने हँसते हुए कहा ”आपकी देवरानी इतना कहा खिलाती है की भूख नहीं लगे” और हलके से दाईं आँख को दबा दिया तो ओ मुस्कुराने लगी और बोली
”अच्छा खाना बिना भूख के भी खाने में अच्छा लगता है ” और इतनाकहकर टिफिन खोलने लगी पर सीट में भीड़ होने के कारण नहीं बना तो बोली ” मेरी सीट ऊपर की है वहीं चलकर खातें हैं” और सीट से उठ गई और अपनी ऊपर वाली सीट में चढ़ने लगी तो उनकी गोरी गोरी पाँव की पिंडलियाँ (घुटने के नीचे का भाग) दिखाई दे गई मुझे क्या मस्त चिकनी चिकनी है इनकी पिंडलियाँ, एक भी बाल नहीं , मैं तो भाभी की जांघो की कल्पना करके उत्तेजित हो गया लण्ड में तूफ़ान सा आने लगा ! रेणुका सीट पर चढ़ने के बाद बोली ”लाइए झोला दीजिये” तो मैंने उनका झोला पकड़ा दिया ! इतने में नीचे वाली सीट का मुसाफिर बोला मैं लेटूंगा तो बीच की सीट वाला उठ गया और बोला मैं सीट खोल लेता हूँ और उसने अपनी सीट खोल लिया अब बैठने की कोई जगह नहीं बची तो मैं खड़ा हो गया इतने में भाभी ने आवाज दिया ” अरे डॉली के पापा आ जाओ न दो तीन पूड़ी खा लो ” तब मैंने फिर से मना किया (हकीकत में तो मैं भाभी के पास जाने के लिए तड़प रहा था पर उतवलापना नहीं दिखाना चाहता था) तो बोली ” अरे आ जाओ इतने नखरे क्यों दिखा रहे हो” तब मैं ऊपर की सीट में चढ़ गया और सामने बैठ गया तो भाभी बोली ”लीजिये खाइये” तब मैंने कहा ” अलग से दे दीजिये” तो बोली ”क्यों मेरे साथ खा लोगे तो असुद्ध हो जाओगे क्या” तब मैं कुछ कहे बिना रेणुका की टिफिन में साथ ही खाने लगा सब्जी थी स्वादिष्ट , खाना खाते खाते 9 बजकर 30 मिनट हो गए ! रेणुका ने टिफिन को झोले में डाल दिया और बोली ”इसे नीचे रख दीजिये” तब मैं सीट के नीचे उतरा और झोले को रख दिया और खड़ा हो गया , इतने में ओ भी सीट के नीचे उतरी और बाथरूम चली गई, जाते जाते बोली ” मेरी पर्स का ध्यान रख्ने मैं आती हूँ” जब ओ वापस आई तो मैं भी बाथरूम चला गया और वापस देखा तो रेणुका बिस्तर लगाकर एक बड़ा सा पतला सा कम्बल ओढ़ कर लेट गई थी ! मैं आकर साइड वाली सीट में सज्जन के पाँव की तरफ बैठ गया तो ओ सज्जन कुछ देर बाद मुझे उठा दिया तो मैं खड़ा हो गया तब तक 10 बज चुके थे रेणुका भाभी ने मुझे खड़ा हुआ देखा तो बोली ”आप मेरी सीट पर आकर बैठ जाइए” तब मैं थोड़ी से ना नुकुर करने के बाद ऊपर की सीट में जाकर उनके पाँव की तरफ बैठ गया कुछ ही देर में सभी लाइट बंद हो गई डिब्बे में अन्धेरा छा गया ! मैं भी आँखे बंद करके बैठा रहा करीब 11 बजे तक मुझे इतने जोर से नींद लगी की मैं रेणुका भाभी के पाँव के पास ही अपने पाँव को समेट कर लेट गया तो

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करीब 10 मिनट बाद रेणुका भाभी उठी और बोली ” क्यों नरक में डाल रहो हो मुझे पाँव की तरफ सो कर” तब मैंने कहा ”सफर में सब चलता है भऊजाई साहब” तो ओ बोली ”नहीं ऐसा कुछ नहीं चलता ” और बैठ गई व् बोली ”दोनों बैठ कर सफर कर लेगें” और हम दोनों थोड़ी दुरी बनाकर अपनी अपनी ऑंखें बंद कर बैठ गए मुस्किल से 15 मिनट हुए होंगे की रेणुका भाभी मेरे कंधे से सिर टिकाकर सोने लगी और मुस्किल से 30 मिनट बाद ही रेणुका भाभी मेरी तरफ सिर करके लेट गई और सोने लगी तब तक रात में 12 बज चुके थे रेणुका भाभी की गर्म गर्म साँसों की खुसबू मुझे बेचैन करने लगी करीब 12 बजकर 30 मिनट के आसपास रेणुका भाभी ने अपने पाँव को लम्बे करने के लिए मेरे पाँव के पास अपनी चूचियों को टिकाते हुए करवट लेकर पूरी लम्बी हो गई ! चूँकि मैं पल्थी मार कर बैठा था इस कारण भाभी की चूचियों की रगड़ मेरे घुटनों में पड़ने लगी, जब ट्रेन ज्यादा स्पीड में चलती तो पूरी की पूरी सीट ट्रेन के डिब्बे के साथ हिलने लगती तो रेणुका की चूचियाँ भी उतनी ही स्पीड में मेरे घुटने से टकराने लगती चूचियों के स्पर्श से मेरा लण्ड का गुस्सा सातवें आसमान में पहुँचनें लगा ! तब मैंने हिम्मत करके अपना हाथ घुटने के पास रख लिया अब मेरे हाथ से भाभी की चूची रगड़ खाने लगी तब मैं मौका देखकर बीच बीच में हलके हाथ से चूची को दबा देता और मन ही मन ये सोचता की यदि भाभी जाग गई तो उनकी प्रतिक्रिया से सब समझ आ जाएगा ! इस तरह लगातार 10 मिनट तक मैं बीच बीच में चूचियों को दबाता रहा कुछ ही देर में रेणुका ने अपना एक हाथ मेरी गोद में रख दिया और मेरे घुटनों से और अधिक चिपक गई,अब उनकी चूचियों का पूर्ण स्पर्श मेरे घुटने में पड़ने लगा, मैं हिम्मत करते हुए अपना एक हाथ रेणुका की चिकनी बाहों के ऊपर रख दिया और हलके हाथ से बाह को दबा देता और कंधे से पंजो तक सहलाने लगा 5 मिनट तक सहलाने के बाद रेणुका ने अपनी बायाँ हाथ जो गोद में रखा था उसे अकड़ाते हुए मेरे लण्ड के पास तक लगाई और हाथ को लण्ड के पास ही रख लिया जब सीट आगे पीछे होती तो भाभी का हाथ मेरे खड़े लण्ड से टकराता ! मैं समझ गया भाभी को चुदवाने की इच्छा पड़ चुकी है पर ये बात कन्फर्म नहीं होने से हिम्मत नहीं पड़ रही थी कुछ करने की करीब 10 मिनट बाद ओ मेरे घुटने को खिसकाते हुए बोली ”ये चुभ रहा” तब मैं धीरे से कान में बोला ” भौजाइ साहब मैं पाँव की तरफ
बैठ जाता हूँ” तो ओ बोली ” न पाँव की तरफ लेटना अच्छा नहीं लगेगा” तब मैंने कहा ”टीक है मैं नीचे उत्तर जाता हूँ” तो बोली ”नहीं नीचे मत जाइए यही पर लेट जाइए” तब मैंने कहा ”कैसे बनेगा इतनी कम जगह पर दोनों को लेटते ” तो भाभी बोली ”लेट जाओ बन जाएगा” इतना कहकर रेणुका भाभी ने करवट बदलकर दायें कंधे की तरफ से मेरी तरफ घूम कर लेट गई तब मैं रेणुका भाभी की तरफ मुह करके लेट गया ! लेट क्या गया
रेणुका भाभी ट्रेन की टाइलेट इस तरह से साड़ी और ब्लाउज को खोल लिया और मैं सांड की तरह पिल पड़ा
”ससक गया” लेटते ही रेणुका भाभी के सीने से चिपक गया उनकी चूचियाँ मेरे सीने से चिपक गई ! OMG मेरे लण्ड में सुनामी से लहर उठने लगी ! हाथ रखने की तो जगह ही नहीं बची तो हाथ को समेट कर लेटे रहा मेरे हाथ में भाभी की चूचियों की रगड़ पड़ने लगी तो भाभी बोली आपका हाँथ चुभ रहा है तब मैंने अपना हाथ भाभी के हाथ के ऊपर रख दिया और लेटे रहा ! भाभी की साँसों में एक अजब-गजब सी खुसबू आ रही थी उधर मेरे लण्ड में ऐसी सुनामी उठी की लगा की चढ़ जाऊ भाभी के ऊपर और फाड़ दूँ भाभी की बुर को पर अभी और इन्तजार करता हु,इन्तजार का फल मीठा होता है ! 5 मिनट तक इसी तरह भाभी की चूचियों से अपने सीने में रगड़ खाते रहा पर अब सहनशक्ति जबाब दे गई तो मैंने रेणुका भाभी की एक चुचीं को दबा दिया और गाल में जोर से किस ले लिया पर भाभी की तरफ से कोई नकारात्मक प्रक्रिया नहीं आई तो मैंने फिर से चूची को दबाया और इस बार हिम्मत करते हुए होठों को लगभग चूस ही लिया फिर भी भाभी की तरफ से कोई नकारात्मक-सकारत्मक प्रतिक्रिया नहीं आई तो मैं लगातार 3 मिनट तक भाभी के होठ को चूसता रहा और फिर धीरे से अपनी जीभ को भाभी के मुँह में डाल दिया तो भाभी मेरी जीभ को लाली पाप की तरह चूसने लगी और अपना एक हाथ मेरे कंधे के ऊपर रख लिया और मेरे कंधे को दबा दिया तो मैंने धीरे से ब्लाउज का हुक खोला और ब्रा से चूचियों को बाहर किया और नीचे वाली चूची को चूसने लगा और ऊपर वाली चुचीं को हलके हलके हाथ से सहलाने लगा इस तरह से लगातार 8-9 मिनट तक भाभी की चूचियों को बारी बारी से चूसता रहा कभी होठो को तो कभी चूचियों को चूसता फिर दिमाग में एक आडिया आया और मैं उठने लगा तो भाभी धीरे से बोली ” क्या हुआ” तो मैंने कहा ” मजा नहीं आ रहा है” और भाभी के जबाब का इन्तजार किये बिना उठा और जल्दी से भाभी की तरफ पाँव करके लेट गया और कम्बल से दोनों को अच्छी तरह से ढक लिया और भाभी की साडी को कमर के ऊपर तक खिसका दिया, रेणुका ने पेंटी नहीं पहनी थी ! चिकनी चिकनी जांघो को,चूतड़ों को सहलाने लगा और फिर धीरे से चूत पर हाँथ घुमाया तो लगा की चूत में हलके हलके बाल है , चूत को सहलाने लगा और जांघो को उठाया तो भाभी ने तुरंत ही जांघ को उठा लिया तो मैं जांघो के बीच में सिर रख दिया और चूत को चाटने लगा ,छिः छिः छिः छिः चूत से बदबू आ रही थी और चूत नमकीन लग रही थी क्योकि भाभी पेसाब करके आई थी तो पेसाब लगी रही होगी पर चूत चोदने के लिए चूत चाटने के बाद ही मजा आता है ये सोच कर मैं चूत को चाटना सुरु कर दिया मुस्किल से 3 मिनट तक ही चूत चाटा होगा की रेणुका भाभी मेरी कैफ्री (घुटनो तक की लोवर) को कमर के नीचे खिसकाने लगी तो मैंने कमर को उठा दिया तो भाभी ने कैफ्री को कमर से नीचे तक खिसका कर मेरी चढ्ढि से लण्ड को निकालकर हाथो से खिलाने लगी (मेरा लण्ड करीब 5 इंच के बराबर लंबा तो है पर मोटाई मेरे लण्ड की बहुत है ! गधे के लण्ड की तरह मेरा लण्ड मोटा और मजबूत है) तो मैं लण्ड उनके मुँह की तरफ करने लगा तो भाभी ने लण्ड को मुँह से दूर खिसका दिया और हाथ से खिलाती रही इधर मैं चूत में जीभ डालडाल कर चाटे जा रहा था भाभी अपनी कमर को हिलाने लगी तो जीभ निकालकर ऊँगली डाल दिया और ऊँगली को आगे पीछे करने लगा तो भाभी ने मेरी उँगलियों को निकाल दिया,मेरे सिर को खिसका दिया जांघो के बीच से और धीरे से उठकर बैठ गई और धीरे से बोली ”जलन हो रही है,आपने सब्जी खाई थी हाँथ ठीक से नहीं धोया था” तब मैं भी उठकर बैठ गया और दोनों ने कम्बल ओढ़कर बैठ गए मैं झुक कर भाभी की चूची को पीने लगा कुछ देर बाद भाभी के कान में बोला ” चलो टाइलेट में चलते है” तो भाभी बोली
भाभी की चूची 100 टका ऐसी ही है मस्त टाइट बिना लटकी हुई

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”टाइलेट में कैसे बनेगा” तो मैंने कहा की ” वेस्टर्न स्टाइल वाली टाइलेट में बगल में जगह रहती है ” तो भाभी कुछ नहीं बोली तो मैंने उनकी चुप्पी को सहमति मान लिया और फिर बोला ” मैं चलता हु आप भी 5 मिनट बाद आ जाना” और जबाब का इन्तजार किये बिना जाने लगा तो भाभी ने चद्दर दिया और बोली ”इसे लेते जाओ” तो मैं समझ गया और चद्दर को समेत का छोटा सा कर लिया और चुपचाप सीट से नीचे उतरा और वेस्टर्न स्टाइल वाले बाथरूम में घुस गया और भाभी का इन्तजार करने लगा ! आते समय मैंने ये देख लिया था की डिब्बे में सभी सो रहे है ! भीड़ को पुलिश वालों ने उतार दिया था ! डिब्बे में सिर्फ ट्रेन के चलने की ही आवाज आ रही थी ! करीब 5-6 मिनट बाद भाभी आई और जल्दी से बाथरूम की डोर को लगा दिया ! और मेरी तरफ घुमी तो मैंने पकड़ कर किस कर लिया तो भाभी ने हवा भरने वाली तकिया (पिलो)

दिया और हवा भरने का इसारा किया तो मैंने तकिया में हवा भरने लगा तो रेणुका ने तकिया में हाथ लगा लिया और जब उनके इच्छानुसार हवा भर गई तो मेरे मुह में हाथ रखकर रोक दिया तब मैंने तकिया की हवा को लाक करके दे दिया और टाइलेट की फर्स में चादर को ट्रेन की गति की दिशा में बिछा दिया और भाभी को इसारा किया लेटने के लिए तो ओ जिस तरफ ट्रेन जा रही थी उस तरफ सिर करके तुरंत लेट गई तब मैं पास ही बैठ गया और भाभी की साड़ी और पेटीकोट को कमर तक खिसका दिया और ब्लाउज,ब्रा का हुक खोलकर भाभी के स्तनों को स्वतंत्र कर दिया और स्तनों को चूसने लगा और बाएं हाँथ की ऊँगली से चूत को सहलाने लगा ! फिर चूत को चाटने लगा तो भाभी मेरे सिर पर हाथ रखी और बालों में उंगलियाँ घुमाने लगी मुस्किल से 5 मिनट की चूत चटाई में ही भाभी गर्म आग पड़ गई और अपने चूतडो को हिलाने लगी और मेरे सिर को अपनी चूत से हटाने लगी तो मैंने जल्दी से लोवर और चड्डी को उतारा और भूखे भेड़िये की तरह भाभी की चूत पर पिल पड़ा ! लण्ड को नंगा किया (सुपाड़े की चमड़ी को पीछे खिसकाया) और भाभी की गोरी गोरी दूधिया जांघो
लण्ड लेते ही भाभी इस तरह से अपने आँखों को बंद करते हुए होटो को दबा लिया
को फैलाया और चिकनी मख्खन जैसी मुलायम चूत में ऊँगली लगाया तो पता चला की चूत खूब चिकनी पड़ चुकी थी तब लण्ड घुसेड़ दिया जैसे ही लण्ड घुसा भाभी अपनी आँखे बंद करते हुए होठों को दाँतों से दबा लिया ! मैंने धीरे धीरे लण्ड के ठोकरों की वर्षात से भाभी की चूत को अंदर तक भिगोने लगा ! चूचियों को चूसता जाता और लण्ड की ठोकर मारता जाता भाभी बड़े मजे से चुदवा रही थी मैं धीरे से लण्ड को निकालता और फिर से धीरे से डालता इस तरह से लगातार 3 मिनट तक चोदता रहा तो भाभी बोली ”ये घर नहीं है जल्दी जल्दी करिये कोई आ नहीं जाए” और इतना कहकर मेरे चूतडों में अपने हाथ को रखकर चूतड़ को आगे पाछे करने लगी तब मैं चुदाई की स्पीड बढ़ा दिया और फिर भाभी की मुह से जोर जोर से उउउउउउ आआआआ आआआह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह आअह्ह्ह आआह्ह्ह आउच आउच आए उउउउ इइइइइइइइइइइइइइइइइआआआअ आआईई आई की आवाज निकलने लगी पर ट्रेन की आवाज में भाभी की आवाज दब गई भाभी जल्दी जल्दी मेरे चूतडो को आगे पीछे करने लगी मैं भी स्पीड बढ़ा दिया और फिर एक साथ दोनों स्खलित हो गए ! जैसे ही मेरा वीर्य निकला भाभी जल्दी से बैठ गई और बोली ” कल ही सिर धोया है कही गड़बड़ न हो जाए ” (मतलब कल ही मासिक बंद हुआ है) तो मैं भाभी से अलग होते हुए बोला ” क्या फरक पडेगा भौजाई साहब लाइसेंस तो है आपके पास” तो हँसने लगी और बोली ”जबरन में अबॉर्शनकरवाना पडेगा, इस उम्र में तो पैदा नहीं करुँगी” और फिर मुस्कुराते हुए खड़ी हुई और बोली ” उठिए ओर जल्दी से कपडे पहनिए और जाइए, मेरी पर्स वही रखी है” और फिर मैं जल्दी जल्दी कपडे पहना और सीट में आ गया देखा तो आसपास सभी गहरी नींद में सोये हुए थे कुछ ही देर में भाभी भी चद्दर पिलो लिए छिपाए हुए आ गई और ऊपर सीट में चढ़ गई और आते ही लेट गई ! मैंने मोबाइल में देखा तो उस समय 1 बजकर 30 मिनट हो रहे थे ! मैं भी भाभी के पावन की तरफ सिर करके लेट गया ! इस बार भाभी ने मना नहीं किया और मैंने लेटे लेटे फिर से भाभी के पाँव को सहलाने लगा तो मेरे हाथ को दूसरे पाँव से दबा दिया और बोली ”अब सो जाइए, नहीं तो फिर से दिमाग खराब होगा” और फिर दोनों सो गए तो मेरी नींद सुबह 6:30 पर जबलपुर में खुली तो मैं उठ कर बैठ गया पर भाभी अभी भी खर्राटे लिए जा रही थी ! मैं मोबाइल में एक सेक्सी मूवी देखने लगा तो मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया तो मैं भाभी के बगल में लेट गया और उनकी चूची को दबाने लगा तो उनकी नींद खुल गई तो बोली ” अभी तक पेट नहीं भरा” तो मैंने कहा ” आपसे तो जीवन भर पेट नहीं भरेगा ” तो मेरे बड़े बड़े गाल को किस किया और बोली ” बहुत मजेदार हो आप ” तो मैंने पूछा ”क्यों नागेन्द्र भाई मजा नहीं देते क्या ” तो बोली ” मजा तो देते है पर” और इतना कह कर रुक गई तो मैंने भाभी को कुरेदा और बोला ” पर क्या” तो भाभी कुछ नहीं बोली तो मैंने फिर से कहा तो बोली ”मजा तो देते है पर आप जैसे मजा नहीं दिया” तब मैंने फिर से पूछा ” मेरे में ऐसा क्या ख़ास है” तो बोली ”आपका मोटा बहुत है इस लिए ज्यादा मजा आया” और इतना कह कर मेरे गालो में जोर से दांत काट लिया तब मैंने भाभी की चूची को जोर से दबाया और चिपका लिया और पूछा की ”भाई साहब में मजा नहीं आता क्य तो बोली ”उनका लंबा तो बहुत है पर आपके जैसा मोटा और मजबूत नहीं है” ! इस तरह से भाभी से बहुत सी बातें किया और उनकी बातो का सार यही निकला की ”सभी ओरतें अलग अलग मर्द से चुदवाना चाहती है बस मौका मिलना चाहिुए क्योकि पति को नाराज भी नहीं करना,समाज में इज्जत भी बनाये रखना और गैर मर्द से चुदवाने का मौका मिले तो छोड़ना नहीं ” भाभी का यह भी कहना है की ”जिस तरह से एक ही सब्जी खा खा कर बोरियत हो जाती है उसी तरह एक मर्द का लण्ड जीवन भर लेने से मन ऊब जाता है” बात की बात में हमारा सफर कब कट गया पता ही नहीं चला ! मैं मेरे स्टेशन में उतर गया और भाभी अपने स्टेशन के लिए आगे बढ़ गई !

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”ट्रेन की चुदाई के बाद रेणुका भाभी को उनके घर में चोदा” शेष भाग दुसरी सत्य कहानी में पढ़ें



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