भाभी की ताबड़तोड़ चुदाई की कहानी

क्षकशकश हॉट भाभी सेक्स स्टोरी अब आयेज-

सुबह मेरी आँख खुली, तो देखा भाभी पार्लर के लिए रेडी हो चुकी थी. मैं उठा और उनको पीछे से हग किया. भाभी ने भी मुझे पलट कर होंठो पर किस किया.

रोहिणी: उठ गया मेरा बच्चा? मैने नाश्ता बना कर रख दिया है. फ्रेश हो जाओ, आंड नाश्ता करके ऑफीस का काम कर लो. कल शाम से लॅपटॉप नही खोला तुमने.

विवेक: आपकी गांद जो खोलनी थी भाभी.

रोहिणी: धात्ट बेशरम!

और फिर भाभी अपना बाग रेडी करने लगी. मैने भाभी को फिर से पकड़ लिया.

रोहिणी: अर्रे छ्चोढो भी. मैं पहले ही लाते हो गयी हू बाबा.

विवेक: भाभी आज मत जाओ ना. आज सारा दिन मेरे पास ही रुक जाओ ना.

रोहिणी: नही बच्चे, प्लीज़ जाने दो. कल भी जल्दी आ गयी थी. बहुत काम है पार्लर में यार.

पर मैने हाथ नही छ्चोढा और अपने पास खींच कर उन्हे च्चेड़ने लग गया. होंठो पर पप्पी करता, गले पर पप्पी करता, बूब्स दबा देता, और भाभी बस खुद को च्चूधने की कोशिश कर रही थी.

रोहिणी: अछा बाबा ठीक है, नही जाती. अब तो छ्चोढो.

मैने जैसे ही छ्चोढा, भाभी तोड़ा डोर हटी और अपना बाग उठा कर भागने लगी.

रोहिणी: बाइ-बाइ बच्चे, रात में मिलते है.

मैने भी भाग कर उन्हे पकड़ लिया, और खींच कर बेड पर पटक दिया.

विवेक: मुझसे चीटिंग भाभी.

रोहिणी (हेस्ट हुए): जाने दो ना यार प्लीज़. अब सारा टाइम तो चुदाई नही कर सकते है. तुम्हे भी कम है, और मुझे भी पार्लर देखना है.

विवेक: अछा ठीक है तो रूको. साथ में ब्रेकफास्ट करते है, फिर चली जाना.

रोहिणी: पर मैने तो कर लिया है.

विवेक: तो मेरे साथ बैठो बस, वरना आज छुट्टी.

रोहिणी: अरे नही-नही मैं रुकती हू ब्रेकफास्ट तक.

मैं फ्रेश हो कर आया, और फिर नाश्ता किया. नाश्ते के टाइम भी भाभी को बहुत च्चेड़ रहा था मैं, और गंदी-गंदी बातें बोल रहा था छूट, गांद, और बूब्स को लेकर.

भाभी भी धीरे-धीरे गरम हो गयी. अब उन्हे जाना तो था, बुत उनका मॅन नही हो रहा था, तो बे-मॅन से उठी. फिर धीरे-धीरे दरवाज़े की तरफ जाने लगी. मैं समझ गया भाभी गरम थी, और चुदाई चाह रही थी. फिर मैं पीछे से गया, और पलट कर उनको वहीं दीवार से लगा दिया.

विवेक: भाभी एक रौंद हो जाए क्या?

रोहिणी (उपरी मॅन से): नही विवेक, मैं लाते हो रही हू.

विवेक: भाभी बस 10-15 मिनिट की तो बात है.

रोहिणी: तुम 10-15 मिनिट में कहाँ छ्चोढते हो. तुम्हे तो फिर 1-2 घंटे छोड़ना होता है.

मैं भाभी की सारी उठाई, और उन्हे गोद में ले लिया वहीं दीवार से सताए हुए.

विवेक: क्यूँ नाटक करती हो भाभी? देखो अपनी छूट को. क्यूँ ज़ुल्म कर रही हो इस पर? इसे मेरा लंड चाहिए, डेडॉ ना प्लीज़.

रोहिणी (मेरे गाल पर हल्के से मरते हुए): बहुत बदमाश हो यार तुम. अब क्या सोच रहे हो? छोड़ो ना, डालो अपना लंड छूट में, और पेलो मुझे.

विवेक: भाभी कुछ तो आप भी करो यार. मैने दोनो हाथो से उठा रखा है तुम्हे. अपनी चड्डी निकालो, और मेरा लंड रखो छूट पर.

भाभी ने झटपट अपनी चड्डी नीचे सर्काय, और मेरा लंड छूट पर घिसने लगी, जिससे छूट रस्स से लंड गीला हो गया. मैं तोड़ा पीछे हुआ, और एक ज़ोर का झटका मारा, और पूरा लंड भाभी की छूट में उतार दिया. भाभी की उपर की साँस उपर और नीचे की नीचे रह गयी.

रोहिणी: आहह उम्म्म्म उफ़फ्फ़ हाए रे बच्चे.

और भाभी दांतो से होंठ दबाए हुए अब लंड की ठुकाई बर्दाश्त करने लगी. मैं भी बहुत डीप शॉट्स मार-मार कर छोड़ रहा था भाभी को.

रोहिणी: बहुत ज़ालिम हो विवेक. तुम ज़रा भी रहम नही करते हो चुदाई में. आअहह कितना अंदर तक पेल रहे हो मेरी छूट को. हाए मॅर गयी रे कुत्ते! छोड़ दिया तूने मुझे. हा फाड़ डाल मेरी नाज़ुक छूट हरामी.

विवेक: एस भाभी, मज़े लो खुल कर. यार बहुत कड़क माल हो आप. यार आप को पेल कर मॅन नही भरता मेरा.

रोहिणी: हा कुत्ते, तुम्हारा भी लंड बहुत मस्त है. मुझे अपना दीवाना बना लिया है. कितनी जल्दी में थी मैं. फिर भी चूड़ने को रुक ही गयी.

7-8 मिनिट ऐसे ही डीप शॉट्स मार कर छोड़ा. फिर वहीं ज़मीन पर लिटाया भाभी को, और उनके पैरों को कंधे पर रखा और छोड़ना शुरू किया. अब उनके बूब्स ब्लाउस के अंदर हर धक्के पर उपर-नीचे डाए-बाए उछाल कूद कर रहे थे.

रोहिणी: आ आहह विवेक, धीरे से. प्लीज़, बाहर आवाज़ जेया सकती है. समझो यार प्लीज़ उूउउइई रे मा, इतनी ज़ोर से मत करो. रात का दर्द ही अभी ख़तम नही हुआ आ.

विवेक: मुझे अकेला छ्चोढ़ कर जाना था ना, जाओ अब. अब क्या हुआ भाभी, क्यूँ पैर फैला कर पड़ी हो.

रोहिणी: क्या बतौ इस हरामी लंड की आदत होती जेया रही है. हाए इसे जब तक छूट में नही लेती हू, अब मुझे भी चैन नही पड़ता है. अब समझ आ रहा है शिखा क्यूँ दीवानी है अपने विवेक भैया की. उसे कहाँ मिलेगा ऐसा तगड़ा लंड, जो घंटो तक सेवा करे छूट और गांद की. आ मैं झड़ने वाली हू, छोड़ते रहो मुझे एम्म मा.

विवेक: भाभी तेरी छूट यार क्या ग़ज़ब है. साली गरमा-गरम मेरे लंड को जकड़े हुए कैसे खा रही है पूरा. बहुत मज़ा आ रहा है तुम्हारी छूट लेने में भाभी.

रोहिणी: लेते रहो मेरी छूट. हाए रे, बहुत खुजली थी, सारी मिटा दो विवेक. एम्म फक मे लीके आन अनिमल विवेक. फक मे.

भाभी ने मुझे अपने से चिपका लिया, और अपने पैर अब मेरी कमर पर घुमा लिए. मैने भी भाभी की गर्दन के नीचे से हाथ डाल कर कंधे पकड़ लिए, और पेलने लगा ताबड़तोड़. भाभी ने होंठो को कस्स कर दबा लिया, और हर झटके को बर्दाश्त करने लगी.

करीब 20-25 मिनिट की ताबड़तोड़ चुदाई हुई, और फिर मैं हर बार के जैसे इस बार भी उनकी छूट में झाड़ गया. 5-10 मिनिट हम दोनो वहीं पड़े रहे. फिर भाभी उठ कर वॉशरूम गयी, और सॉफ-सफाई करके बाहर आई, और मुझे लिप्स पर किस करके बाइ किया. उसके बाद वो चली गयी पार्लर.

रात को वापस आई तो साद हो कर बताया की उनको पीरियड्स आ गये. फिर अगले 4-5 दिन तक उनकी बहुत केर की मैने. बेड पर नाश्ता, छाई, खाना, वॉटर बाग, चॉक्लेट वग़ैरा सब दिया. मसाज किया पैरों को, बॅक को, शोल्डर्स को. फिर जब भाभी का टाइम ख़तम हुआ, तो हमने फिर चुदाई शुरू की.

रोहिणी: विवेक मुझे कुछ कहना है तुमसे. प्लीज़ डॉन’त गेट मे रॉंग.

विवेक: क्या हुआ भाभी? क्या बोलना है बोलो बेझिझक.

रोहिणी: विवेक ई लोवे योउ. मुझे तुमसे प्यार हो गया. विवेक तुमने जिस तरह मेरे पीरियड्स में मेरा ख़याल रखा, मुझे बहुत स्पेशल फील हुआ. मेरे हज़्बेंड ने भी ऐसे कभी नही किया था मेरे लिए. उल्टा वो तो ज़बरदस्ती करके मेरे मूह को छोड़ देते थे पीरियड्स में. मुझे बहुत गंदा फील करवाते थे.

रोहिणी: तुमने मेरा इतना ख़याल रखा की अब तो तुम्हारे लिए प्रेग्नेंट भी हो जौंगी मैं. छोड़ो मुझे, और हर बार अपना माल मेरे अंदर ही गिरना. मुझे भी तुम्हारे बच्चे की मा बनना है विवेक.

मैं कुछ बोलता उससे पहले ही भाभी बोल पड़ी-

रोहिणी: घबराव मत विवेक, मैं तुमसे शादी करने के लिए या मुझसे कमिटेड रहने को नही बोल रही. तुम एंजाय करना जैसे तुम्हे करना हो. इट्स जस्ट की मुझे तुम्हारे बच्चे की मा बनना है. अब बाकी मैं सब संभाल लूँगी. ज़्यादा होगा तो ये सोसाइटी छोढ़ कर दूसरी जगह शिफ्ट हो जौंगी.

पार्लर में बोल दूँगी की कोर्ट मॅरेज कर ली है. मैं सब संभाल लूँगी. तुम बस अब से मुझे छोड़ो, और जाम कर छोड़ो. ई रियली-रियली लोवे योउ आ लॉट. भाभी की आँखें भर आई, और आवाज़ भी भारी हो गयी. मैं आयेज बढ़ कर उनके पास गया और उन्हे हग किया. वो मेरे सीने पर अपना सिर रख कर रोटी रही.

रोहिणी: ई लोवे योउ. मुझे मा बनाओ अपने बच्चे की. मैं भी कब तक लाइफ में अकेली रहूंगी? ये लाइफ तुम्हारे और मेरे बेबी के सहारे गुज़र तो जाएगी.

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