हेलो सेक्स स्टोरी रीडर्स, कैसे हो आप सब? उमीद है की भाई बेहन की कामुक कहानी पढ़ कर मज़े ले रहे होंगे. दोस्तों ये कहानी मेरी आप-बीती है. कहानी बहुत कामुक है, तो उंगली करने और मूठ मारने के लिए तैयार हो जाए.
मेरा नाम पूजा है. मैं 21 साल की हू. मेरे घर में मम्मी, पापा, और मेरा भाई जो की मुझसे 2 साल बड़ा है. उसका नाम विकी है. विकी जिम जाता है, काफ़ी गुड लुकिंग है.
दोस्तों ये कहानी 2 साल पहले की है, जब मैं 19 की थी, और भाई 21 का. हम दोनो बचपन से ही साथ में पढ़ते थे, और खेलते भी थे. मज़ाक में हमारी लड़ाई अक्सर होती थी, जिसमे हम एक-दूसरे को बिस्तर में गिरा कर एक-दूसरे के उपर बैठ जाते थे.
पहले सब ठीक था, पर हम दोनो जवान हो रहे थे, तो अब मुझे भी भाई का टच अजीब लगने लगा था. जब भाई मेरे उपर होता या मैं उसके उपर, तब भाई के चेहरे के एक्सप्रेशन भी बदलने लगे थे. अब मुझे लगने लगा था की भाई जान-बूझ कर मेरे बूब्स और बॅक की तरफ ज़्यादा ध्यान देकर टच करने लगा था.
ऐसे ही दिन गुज़र रहे थे. एक बार हमारे गाओं में शादी पद गयी. पापा को ज़रूरी काम था, तो पापा मम्मी ने मुझे और भाई को 4 दिन पहले भेज दिया, और खुद शादी के दिन आने को कहा.
शादी मेरे मामा की लड़की की थी. उनकी जॉइंट फॅमिली थी, और घर काफ़ी बड़ा था. जब हम पहुँचे, तो काफ़ी मेहमान आ चुके थे. हमने तोड़ा रेस्ट किया, और शाम को घर से थोड़ी डोर जहाँ संगीत और डिन्नर था, वहाँ चले गये.
खाने से पहले सब डॅन्स कर रहे थे, और उन्होने मुझे भी नाचने को कहा. जब मैं नाच रही थी, तब विकी साइड में बैठा था. मैने नोटीस किया की भाई मुझे ही देख रहा था.
पुर टाइम भाई बस मुझे ही देख रहा था. उसके बाद हम खाना खाने लगे, तो मैने भाई को बुलाया खाना खाने के लिए.
उसने कहा: तुम खाओ, मैं बाद में ख़ौँगा.
मैने नोटीस किया की भाई बार-बार मेरे बूब्स देख रहा था. मेरे क्लीवेज सॉफ दिख रही थी. मैं बार-बार उसको दुपट्टे से धक रही थी. लेकिन भाई बस मुझे घूर रहा था.
उसके बाद भाई ने मेरी तारीफ करनी शुरू कर दी, की आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो. बहुत अछा डॅन्स कर रही हो वग़ैरा-वग़ैरा.
जब हम जाने लगे, तो मैं जिस गाड़ी में बैठी, उसमे जगह नही थी. फिर भी मैने तोड़ा सरक कर भाई के लिए जगह बनाई और उसको बिताया. हम दोनो एक-दूं चिपक कर बैठे थे. बार-बार मुझे भाई का हाथ अपने बूब्स और जांघों पर फील हो रहा था.
दोस्तों मेरा फिगर बहुत कर्वी टाइप है. मोटी तो नही हू, पर बूब्स एक भरपूर औरत की तरह है, और गांद ऐसी की किसी भी मर्द का खड़ा करने के लिए काफ़ी है. पर मुझे नही पता था की मेरा भाई ही मुझ पर नीयत खराब करके बैठा था.
खैर रात को सोने के वक़्त मैं घर पर फोन करने लगी, तो मेरा फोन ऑफ हो गया. मैने फोन को चार्ज पर लगाया, और भाई से उसका फोन माँगने गयी. देखा तो वो सो रहा था. फिर मैने उसके पास में पड़ा फोन उठाया, और घर पर फोन किया.
मा से बात करने के बाद मैं ऐसे ही भाई का फोन देखने लगी, तो देखा उसने मेरी बहुत सारी पिक्स ली हुई थी, जो मुझे पता भी नही था. उसके बाद मैने उसका गूगले खोला, तो हैरान रह गयी. भाई सेक्स स्टोरी पढ़ता था, वो भी भाई-बेहन की चुदाई वाली. मैने कुछ कहानी खुद को सेंड की, और उसका फोन वापस रख दिया.
जब में अपने फोन में कहानी पढ़ने लगी, तो मेरा हाथ अपने आप मेरी पनटी में चला गया. कहानी इतनी कामुक थी, की मेरी छूट से पानी बहने लगा. बड़ी मुश्किल से मुझे नींद आई. सुबह जब मैं उठी, तो मैं बदल चुकी थी. उन कहानियों ने मेरे दिल और दिमाग़ पर गहरी छाप छोड़ी थी.
अगले दिन मैने नोटीस किया की भाई मेरे आस-पास ही मंडरा रहा था. मैं ना चाहते हुए भी उसको देख रही थी, और ये बात भाई भी नोटीस कर रहा था. उस दिन कोई ख़ास प्रोग्राम नही था, तो भाई मेरे पास आया और पास में एक वॉटरफॉल पर चलने को बोला. कुछ बच्चे भी रेडी हो गये, और मैं भी माना नही कर पाई.
वॉटरफॉल पर पहुँच कर हमने बहुत मस्ती की. भाई जान-बूझ कर मुझे चू रहा था. मैं जानती थी पर ये सब होने दिया. वापस आते वक़्त अंधेरा हो गया. मैं और भाई गाड़ी में पीछे एक साथ बैठे थे. भाई की हिम्मत लगातार बढ़ रही थी, और मैं भी उसको कुछ बोल नही पा रही थी.
गाड़ी में अंधेरा था, और बाकी सब बच्चे थे. कुछ देर बाद मुझे भाई का हाथ अपने लेफ्ट बूब पर महसूस हुआ. भाई गाड़ी के हिलने के साथ हल्का-हल्का मेरा बूब प्रेस करने लगा. मेरी आँखें अपने आप बंद हो गयी. तभी भाई ने मेरे बूब्स को अची तरह दबा दिया.
अबकी बार में बोल पड़ी: क्या कर रहे हो? अपनी बेहन को कोई ऐसे च्चेड़ता है क्या? तुम्हारी हरकतें खराब होती जेया रही है. घर पर भी तुम्हारी नज़रें मुझ पर ही रहती है, और यहाँ शादी में भी.
भाई बोला: गुस्सा क्यूँ हो रही है यार? कुछ नही हुआ.
मैने कहा: किसी ने देख लिया तो?
उसने कहा: कोई नही देख रहा, सब बच्चे है.
इसी तरह हम घर पहुँचे. हमने खाना खाया, और सब बैठ कर बातें करने लगे. भाई बिल्कुल मेरे सामने बैठा था, और बस मुझे ही देख रहा था. मैं भी बार-बार उसको ही देख रही थी, और ये बात वो जानता था.
अब मैने सोचा एक बार इसको अकेले में पूच लेती हू, की क्या चाहता था. फिर मैं उठी, और बोली-
मैं: मैं चेंज करके आती हू.
ये मैने भाई को सुना कर कहा था. फिर जब मैं उपर जेया रही थी, तो भाई मेरे बलखाते पिछवाड़े को देख रहा था. मैने एक नज़र पीछे देखा, तो उसने मुझे आँख मार दी. फिर मैने भी जीभ निकल कर उसको चिढ़ा दिया.
उपर मैं जिस कमरे में चेंज कर रही थी, मैने जान-बूझ कर कुण्डी नही लगाई. तभी भाई भी चुपके से वहाँ आ गया और अंदर की लाइट बंद कर दी.
उसने आते ही मुझे पीछे से पकड़ लिया, और गर्दन पर किस करते हुए बोला: पूजा ई लोवे योउ. यार मैं तुझे बहुत प्यार करता हू.
मैने कहा: क्या बोल रहा है? हम भाई-बेहन है.
उसने कहा: मर्द और औरत में एक ही रिश्ता होता है, दूसरा नही.
अब तक भाई मेरे बूब्स दबा कर मेरा विरोध ख़तम कर चुका था.
मैने कहा: ये सब उन कहानियों में पढ़ा है ना जो तू पढ़ता है?
भाई कुछ नही बोला, और मेरी सलवार का नाडा खींच दिया. सलवार नीचे गिरी, तब मैने पनटी नही पहनी थी. भाई ने अपना लोवर नीचे किया, तो मुझे उसका सख़्त और गरम लोड्ा गांद की दरार में महसूस हुआ.
मैने कहा: भाई क्या कर रहे हो? प्लीज़ जाने दो, कोई देख लेगा. प्लीज़ अभी नही.
पर भाई दरार में लोड्ा आयेज-पीछे करने लगा.
मैं फिर बोली: भाई प्लीज़, कोई उपर आ गया तो फ़ासस जाएँगे. प्लीज़ अभी जाने दो.
इस दौरान भाई का लोड्ा दरार से होते हुए छूट के होंठो को चू रहा था. इससे पता चल रहा था की लोड्ा मोटा और लंबा था.
भाई बोला: एक शर्त पर छ्चोधुंगा. कल मिलेगी दिन में?
मैने कहा: कैसे मिलूंगी? कहाँ मिलूंगी?
भाई बोला: प्लान है एक.
मैने कहा: ओक, बता देना. प्लीज़ अभी जाने दो.
भाई ने मुझे छोड़ा तो मैं सलवार बाँध कर जाने लगी. उसने फिर मुझे बाहों में खींचा, और लिप्स चूसने लगा. मैं अब बदल चुकी थी, और उसका साथ दे रही थी. फिर मुझे ख़याल आया की कोई आ ना जाए यहाँ. तो हम अलग हुए, और मैं नीचे आ कर बैठ गयी.
थोड़ी देर बाद भाई भी नीचे आ गया और मेरे सामने बैठ गया. मैं और भाई नज़रें चुरा कर बस एक-दूसरे को देख रहे थे.
रात को सोने के वक़्त तक भाई मेरे आस-पास ही घूमता रहा. वो इतना उतावला था की बस उसको मौका चाहिए था. वैसे सच बतौ तो अब मैं भी कहीं ना कहीं भाई से अकेले में मिलने को तड़पने लगी थी, पर काफ़ी मेहमान थे, इसलिए घर में पासिबल नही था.
अगली सुबह सब तैयारी में लग गये. बारात घर से 1 केयेम डोर एक पॅलेस में आनी थी. मौका देख कर भाई मेरे पास आया, और बोला-
भाई: पूजा थोड़ी देर में सब पॅलेस में चले जाएँगे. हम ऐसा करेंगे, रास्ते में से वापस आ जाएँगे. फिर बारात आने तक फिर वापस पॅलेस चले जाएँगे.
मैने पूछा: कोई रिस्क तो नही है ना?
उसने कहा: बिल्कुल नही.
फिर हम तैयार हो कर निकले, और मैने अपना पर्स घर पर छ्चोढ़ दिया. फिर रास्ते में मैने देखा भाई कहीं दिख नही रहा था. मैने मौसी से पूछा तो उन्होने कहा-
मौसी: उसके सिर में दर्द है. वो आराम कर रहा है. बाद में आएगा.
अब मैने मौसी को कहा: मैं अपना पर्स घर पर भूल गयी हू. आप पहुँचो, मैं लेकर आती हू, और विकी को साथ में ले अवँगी.
फिर मैं वापस घर पहुँची.
इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा.