दोस्तो, मैं आपका दोस्त रांची से अजय सिन्हा एक बार फिर से अपनी नई सेक्स कहानी लेकर आपके पास आया हूँ।
काफी समय हो गया.. मैंने कोई कहानी नहीं लिखी। जिसका कारण कुछ अपने निजी काम में व्यस्त रहना था। मेरी पिछली कहानियों को आप लोगों ने बहुत पसंद किया.. उसके लिए धन्यवाद।
बहुत सारी लड़कियों और भाभियों के मेल आए। कुछ को रिप्लाई कर पाया और कुछ को नहीं.. जिन्हें रिप्लाई नहीं कर पाया.. उनसे माफ़ी मांगता हूँ।
चलिए कहानी पर आते हैं।
बात 3 महीने पहले की है, मेरी कहानी ‘भाभी की सहेली की मालिश और चूत चुदाई’ पढ़कर एक भाभी का मेल आया। वो भी रांची में ही रहती थीं। लेकिन मेरे घर से काफी दूर। बात ‘हाय-हैलो’ से शुरू हुई.. फिर उसने बताया कि आपकी कहानी पढ़ कर बहुत अच्छा लगा।
अगले दिन उसने सीधे मुद्दे की बात कर दी।
‘अजय आप संतुष्ट बहुत अच्छे से करते हैं। मैं भी आपको सेक्स के बदले पैसा दूंगी।’
मैंने कहा- ठीक है.. मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है। मुझे भी अच्छा लगता है.. जब मैं किसी को सेक्स में खुशी देता हूँ।
बहुत सारी बातें हुईं, उसने अपना नाम सुपर्णा घोष बताया.. और उम्र 40 साल।
सुपर्णा के पति एक साल के लिए दुबई गए हुए थे, उसके पति इन्वेस्टमेंट बैंकर थे.. तो उस महिला के पास पैसा खूब था।
यहाँ पर सुपर्णा अपने ससुर के साथ रहती थी। उसका एक 10 साल का बेटा भी था।
मैंने उससे उसका फोटो माँगा.. तो उसने मना कर दिया जबकि उसने मुझसे मेरा फोटो ले लिया था।
मेरी फोटो देखने के बाद वो बोली- दिखने में तो काफी अच्छे हो।
सुपर्णा ने मेरे लंड का भी फोटो माँगा.. तो वो भी मैंने दे दिया।
मेरे हथियार का फोटो देख कर बोली- क्या कड़क सामान है अजय.. देख कर ही मजा आ गया।
खैर.. तीन दिन के बाद मिलने का प्लान बना। उसके ससुर कहीं बाहर जाने वाले थे और बच्चा स्कूल जाता था। तो सुबह 9 बजे ही मिलने का प्लान बना क्यों कि बच्चा एक बजे आ जाता है।
फिर मैंने पूछा- बदले में मुझे कितना दोगी।
तो बोली- दो हजार रूपए और बहुत संतुष्टि मिली.. तो रकम बढ़ा भी दूंगी।
मैंने भी ‘ओके’ कर दिया, उसने अपना फ़ोन नंबर दिया और मैंने अपना।
एक दिन फ़ोन पर बात करने के बाद मैं नियत समय पर उसके घर पहुँच गया।
वो एक अपार्टमेंट में रहती है।
बेल बजाने पर सुपर्णा ने दरवाज़ा खोला।
हाय.. क्या मस्त दिख रही थी। हल्का सावला रंग.. विपाशा बसु जैसा… गठा हुआ बदन.. खुले हुए बाल.. और नारंगी कलर का सिल्क टाइप का गाउन.. जो उसके बदन से पूरा चिपका हुआ था। मैंने उसके बदन के सारे उभारों और गहराइयों का अच्छे से मुआयना किया।
सुपर्णा इठला कर बोली- क्या देख रहे हो अजय?
मैंने लण्ड खुजाते हुए कहा- आपके सामने खड़ा होकर और क्या देखूंगा?
उसने मुझे अन्दर खींचा और कहा- आप मत कहो मुझे.. तुम बुलाओ.. वो भी मेरा नाम लेकर!
मैंने कहा- ठीक है।
उसने नाश्ते के लिए पूछा, मैंने कहा- बाद में कर लेंगे.. अपने पास समय ज्यादा नहीं है.. बस 3 घंटे हैं।
सुपर्णा बोली- तीन घंटे तो बहुत होते हैं।
मैंने कहा- तीन घंटे कब निकल जाएंगे.. पता भी नहीं चलेगा।
हम लोग 15 मिनट बैठ कर बातें कर रहे थे। जब तक थोड़ी देर बात नहीं करो थोड़ा समझो नहीं एक-दूसरे को.. तो सेक्स में उतना मज़ा नहीं आता।