बाप बेटी की चुदाई का कैसा रिश्ता

मेरा नाम ज़ोया है, और मैं आपको मेरी मेरा बाप से चुदाई की कहानी बताने आई हू. मेरी उमर 25 साल है. रंग मेरा सावला है, और जिस्म गड्राया हुआ है. जब से मैने होश संभाला है, मैं बस अब्बू को ही देखती आ रही हू.

एक दिन जब मैने अब्बू से अम्मी के बारे में पूछा, तो उन्होने कहा की मेरी अम्मी मुझे जानम देते साथ ही मॅर गयी. लेकिन उन्होने कभी मुझे अम्मी की फोटो भी नही दिखाई. हमारे कोई रिश्तेदार भी नही थे.

अब्बू मेरी आचे से देख भाल करते थे. उन्होने मुझे एक आचे गर्ल्स स्कूल में डाला था. 12त होने के बाद जब मेरे कॉलेज जाने का टाइम आया, तो उन्होने मुझे कॉलेज में ना जेया कर प्राइवेट स्टडीस करने को कहा. उनका कहना था, की कॉलेज जाने से लोग बिगड़ जाते है. मैने भी एक अची औलाद की तरह उनकी बात मानी.

फर्स्ट एअर की बात है. आज-कल अब्बू का व्यवहार मुझे बदलता हुआ नज़र आ रहा था. वो अब ज़्यादा मेरे करीब आने लगे थे, और मुझे छ्छूने लगे थे. इससे मुझे अपने जिस्म में अजीब सी सरसराहट महसूस होती थी. लेकिन मुझे ज़्यादा अंदाज़ा नही था की मैं क्या महसूस कर रही थी.

शुरू से गर्ल्स स्कूल में गयी थी, और उसके बाद प्राइवेट पढ़ रही थी, तो मर्द जात से ज़्यादा बात-चीत नही थी, सिवाए अब्बू के. बाय्फ्रेंड और सेक्स के बारे में भी ज़्यादा नही पता था, बस इतना ही पता था, जितना पड़ोस की भाभी बताती थी. वो भी अगर कभी उनसे बात हो तो.

फिर एक दिन सब कुछ बदल गया. सुबा-सुबा जब मैं नहा धो कर नाश्ता बना रही थी, तो अब्बू रसोई में आए. मैं हमेशा सलवार-कमीज़ ही पहनती हू घर में. उस दिन भी वहीं पहना था. अब्बू मेरे पीछे आके खड़े हो गये, और मुझे पीछे से ही अपनी बाहों में भर लिया.

उनके अचानक ऐसा करने से मैं हैरान हो गयी, और बोली: क्या हो गया अब्बू?

अब्बू: आज मैं बहुत खुश हू, क्यूंकी आज रात तुम लड़की से औरत बनने वाली हो.

मैं उनकी बात समझ नही पाई, और बोली: क्या मतलब अब्बू?

अब्बू: वो तुम्हे रात को पता चल जाएगा. तुम बस सोने से पहले नहा लेना आचे से.

मैं: ठीक है.

फिर ऐसे ही दिन बीट गया. रात के डिन्नर के बाद सोने से पहले मैं बातरूम में चली गयी, और नहा कर बाहर आ गयी. फिर मैने कपड़े पहने. वैसे तो रात में मैं अपनी ब्रा उतार देती हू, लेकिन उस दिन मुझे लगा शायद औरत बनना कुछ स्पेशल होगा, तो मैने ब्रा पहन ली.

अब मैं अपने कमरे में थी, और अब्बू की वेट कर रही थी. मैं बेड पर बैठी थी. फिर दरवाज़ा खुला, और अब्बू आ गये. उन्होने सिर्फ़ पाजामा पहना था, और कुछ नही पहना था. वो अक्सर घर में ऐसे ही रहते थे. फिर वो आके मेरे पास बेड पर बैठे, और बोले-

अब्बू: तैयार हो औरत बनने के लिए.

आयेज क्या होने वाला था, इस बात से अंजान मैने हा में सर हिलाया.

अब्बू: चलो जैसा मैं करूँगा, वैसे ही करने की कोशिश करना.

मैं: ठीक है अब्बू.

फिर अब्बू मेरे नज़दीक आई, और अपने होंठो को मेरे होंठो से चिपका दिया. मुझे नही पता था की वो ऐसा क्यूँ कर रहे थे. अब्बू मेरे होंठो को चूसने लगे. ये पहली बार कोई मेरे होंठो को चूस रहा था. मुझे उनका ऐसा करना अछा लगा, और मैं भी उनका साथ देने लगी. मुझे बहुत मज़ा आने लगा.

फिर होंठ चूस्टे हुए अब्बू मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगे, और नीचे हाथ ले जेया कर मेरा चूतड़ दबाने लगे. एक अजीब सा कंपन शरीर में हो रहा था, जब-जब वो मेरा चूतड़ दबाते. लेकिन जो भी था, मज़ा आ रहा था. मेरी साँसे तेज़ हो रही थी.

कुछ देर होंठ चूसने और चूतड़ दबाने के बाद अब्बू ने मेरी गर्दन पर किस करना शुरू किया. इससे मेरे बदन में और हलचल मचने लगी. वो मेरी गर्दन पर अपनी जीभ फिरा रहे थे, और मेरे कान को हल्के से अपने दांतो के बीच लेके काट रहे थे. इससे मेरी साँस चढ़ने लगी, और मेरे बूब्स उपर-नीचे होने लगे.

तभी उन्होने अपना एक हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया, और उनको ज़ोर से दबाने लगी. इससे तो मेरी आहह निकल गयी, और मैं पागल सी होने लगी. तभी उन्होने मेरे कान के नीचे चाटना शुरू किया. इस सब से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, जो मैने पहले कभी महसूस नही किया था.

मुझे टेन्षन सिर्फ़ इस बात की हो रही थी, की मेरी छूट में से पानी सा निकल रहा था. मुझे लगा मुझे सस्यू आ रही थी, इसलिए छूट गीली हो रही थी. लेकिन मैं अब्बू को बीच में कैसे रोक सकती थी? पर ये टेन्षन भी थी की अगर सस्यू निकल गया, तो अब्बू को बुरा लगेगा.

फिर अब्बू ने मुझे मेरा कमीज़ उतारने को कहा. मुझे थोड़ी शरम आ रही थी, क्यूंकी मैने कभी अब्बू के सामने ऐसे कपड़े नही उतारे थे. लेकिन उन्होने कहा था, तो मैने बिना सवाल किए कमीज़ उतार दिया.

जैसे ही मैने कमीज़ उतरा, अब्बू के चेहरे पर एक मुस्कान सी आ गयी. शायद वो मुझे ब्रा में देख कर मुस्कुरा रहे थे, क्यूंकी मैं काफ़ी सुंदर दिखती थी. फिर अब्बू ने मुझे लिटा लिया, और मेरे पेट पर हाथ रख कर अपनी उंगली मेरी नाभि पर घूमने लगे.

इससे मेरे जिस्म में हलचल होने लगी. फिर वो उंगली घूमते हुए अपना हाथ सरकने लगे, और धीरे-धीरे नीचे ले-जाने लगे. जल्दी ही उनका हाथ कपड़ों के उपर से मेरी छूट पर आ गया. इससे मुझे करेंट सा लगा.

तभी उन्होने अपना मूह नीचे किया, और मेरे पेट पर लगा दिया. अब अब्बू मेरे पेट को चूमने लगे. इससे मेरे जिस्म में हलचल बढ़ गयी, और मेरी छूट से सस्यू निकल गया (दरअसल मैं झाड़ गयी थी, लेकिन वो मुझे बाद में पता चला). इसके बाद मैं हल्की पद गयी, और मेरा जिस्म एक बार शांत हो गया.

इसके आयेज इस बाप बेटी की चुदाई कहानी में क्या हुआ, वो आपको इसके आने वाले पार्ट में पता चलेगा. यहाँ तक की कहानी के बारे में आपके क्या विचार है, और आपको इसको पढ़ कर मज़ा आया या नही औतोरकराज़्यफोर@गमाल.कॉम पर मैल करके बताए. अगला पार्ट जल्दी आएगा.

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