मेरा नाम मानस है। मैं 24 साल का हूँ, रायपुर में रहता हूँ। मेरी लंबाई 5.8 फीट है.. देखने में काफ़ी मैं स्मार्ट हूँ.. ऐसा लोग कहते हैं।
मैं रायपुर की ही एक बहुराष्ट्रीय स्टील कंपनी में बतौर डिप्टी मैनेजर के पद पर जॉब करता हूँ।
आप सभी पाठकों को बता दूँ कि अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली हिन्दी सेक्स कहानी है।
मेरे पड़ोस में एक़ लड़की अवन्तिका रहती है। उसका फिगर 38-29-36 है, हाइट पाँच फीट एक इंच है.. उम्र 21 साल की है। उससे मेरा दो साल से अफेयर चल रहा है।
मेरी अवन्तिका बहुत ही प्यारी और सुलझी हुई एक देसी भारतीय लड़की जैसी है जो सिर्फ अपने ब्वॉयफ्रेंड से बेइन्तिहा प्यार करती है। ज़िंदगी के यह 2 साल कैसे निकले.. मैं आपको इस कहानी में बताने जा रहा हूँ।
बात 2011 के बारिश के सीज़न की बात है। मैं और अवन्तिका हम दोनों की बाल्कनी आमने-सामने ही है और इस वर्ष हम दोनों ही नए थे और इधर इस घर में रहने आए थे।
मेरी सुबह रोज उसी को देख कर हुआ करती थी और वो भी मुझे देख कर उतना ही खुश हुआ करती थी।
पहली मुलाकात
यह सिलसिला दो महीना चला और वो दिन आ ही गया.. जब हमारी मुलाकात हुई।
यहाँ के एक मशहूर चौराहा वीआईपी चौक पर उसकी एक्टिवा स्कूटर का पिछला टायर पंचर था.. उस वक्त बहुत पानी गिर रहा था और रात के आठ बाज रहे थे।
अवन्तिका ब्लू डेनिम जीन्स और पिंक टी-शर्ट में बारिश में भीगी हुई बला की खूबसूरत लग रही थी। मुझे उसे आज देखते ही प्यार हो गया और मैं एक अलग ही दुनिया में खो गया।
वो मेरे पास आई और उसने कहा- मानस, क्या मेरी मदद करोगे?
मैं तुरंत सपनों की दुनिया से अचानक होश में आया और तुरंत जवाब दिया- हाँ वाइ नॉट..
मैंने अपनी गाड़ी पास के ही एक पेट्रोल पंप पर रखी और उसकी गाड़ी का पंचर सुधारवाया। तभी हमने मोबाइल नंबर्स एक्सचेंज किए.. फिर हम दोनों घर आए।
उसका रात को तकरीबन 11 बजे फोन आया और उसने अगले दिन सीसीडी में कॉफ़ी पर बुलाया, उसने आने का वादा ले लिया।
मैं निर्धारित समय जो कि चार बजे था.. सीसीडी छोटापारा पहुँच गया।
जैसे ही मैं सीसीडी पहुँचा.. मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
वो वहाँ पर एक घुटनों से ऊपर की लाल रंग की स्कर्ट और ब्लू टी-शर्ट में मौजूद थी। मैं उसे देखे कर एक अलग ही दुनिया में खो गया।
पर उसने अचानक से मुझे हाथों पर एक च्यूंटी काटी.. मैं तुरंत होश में आया और जो शब्द मेरे मुँह से पहला निकला वो था- अवन्तिका आई लव यू..
उसने कहा- धत बदमाश…
हमने वहाँ बैठ बहुत सारी बातें की और उस दिन हमने चार कॉफ़ी खत्म कीं।
हम दोनों नौ बजे घर लौटे।
मैं बहुत खुश था..
उसने उस दिन बाल्कनी से पहली बार मुझे फ्लाइयिंग किस दी।
ये बातों और मुलाक़ातों का दौर दो महीने तक चलता रहा। हम दोनों खास दोस्त से अब दो प्यार करने वाले जोड़ा बन गए थे।
आखिर में वो दिन दिसंबर में आ ही गया.. जिसका मुझे बेसब्री से इंतज़ार था। मेरे मम्मी-पापा और बहन एक हफ्ते के लिए 22 दिसंबर को क्रिसमस एंजाय करने कोलकाता जाने वाले थे.. और जिस दिन मुझे यह बात पता चली, उस दिन पंद्रह दिसंबर था।