औरत की धधकती आग

हाय दोस्तो, मेरा नाम जय है और मैं एक काल बॉय हूँ। मेरी पहली कहानी औरत की चाहत प्रकाशित हुई, मेरी दिल को बड़ी ही खुशी हुई और पाठकों के बहुत सारे मेल मेरे पास आये जिनको पढ़कर बहुत ही ज्यादा खुशी मिली। मैं अपने हृदय से धन्यवाद करता हूँ कि आप को मेरी कहानी पसन्द आई। मैंने जो कहानी लिखी थी वो वास्तव में सच थी और जो कहानी अब लिख रहा हूँ वो भी सच ही है। पाठक जो भी समझें, पर यह एक हकीकत है क्योंकि मेरे पास इतना लिखने को है कि मैं रोज एक कहानी लिखूं तो भी तीन चार साल लग जायेंगे जो कि काल्पनिक नहीं हकीकत है।
इस समाज का एक कड़वा सच और मेरा भुगता हुआ। चलो अब अपको मैं अपना परिचय एक बार फिर से कराता हूँ !
मेरा नाम जय रंग साफ, कद ५ फीट ८ इंच, एकदम से स्लिम हूँ। मैं दिल्ली में रहता हूँ।
अब मैं दोस्तो अपनी कहानी पर आता हूँ।
मेरी नौकरी तो शिवानी मैडम ने अपने पति के ही ऑफिस में लगवा दी और मैं अब बड़ा ही खुश रहने लगा। दो महीने के बाद रंजीत मेरे घर पर आया और कहने लगा- जय क्या बात है यार ! आप तो हम को भूल ही गये ? क्या हुआ ?
मैंने कहा- यार रंजीत ! आपने तो मेरी जिन्दगी ही बदल दी ! आपका अहसान तो मैं जिन्दगी भर नहीं भुला सकता ! रंजीत आप क्या कह रहे हो ! मैं तो आपका जिन्दगी भर आभारी रहूँगा।
रंजीत ने कहा- तो फिर आप ना तो हमसे मिलने के ही लिए आये और ना ही फोन किया? हम तो समझे कि आप तो हमको भूल ही गये, जय।
मैंने कहा- नहीं रंजीत ! बात ही कुछ ऐसी है कि समय ही नहीं मिला। यार रंजीत, नौकरी जो कर ली है !
रंजीत कहने लगा- नौकरी कहां पर कर ली है?
तो मैंने कहा- मैडम शिवानी जी ने अपने पति के ऑफिस में ग्राफिक्स डिजायनर की नौकरी दिला दी है।
तो रंजीत कहने लगा- यह तो बहुत ही खुशी की बात है यार ! आपने तो मुँह भी मीठा नहीं करवाया !
मैंने कहा- दोस्त रंजीत, ये लो अपना मुँह मीठा करो।
तो रंजीत ने मिठाई खाने के बाद कहा- यार जय, आपने तो फोन भी ले लिया है ! यार ऐसी क्या लाटरी लग गई?
मैंने कहा- नहीं रंजीत, यह तो आपकी ही मेहरबानी है कि आज मेरे पास सब कुछ है। और मुझे क्या चाहिए मेरे दोस्त रंजीत। आपने जो मुझ गरीब पर अहसान किया हैं वो आज के जमाने में कौन किस पर करता हैं रंजीत। आप तो मेरे लिए भगवान हैं।
थोड़ी देर के बाद रंजीत बोला- यार जय, यह क्या हुआ ? आपने हमारे लिए पार्टी का भी इंतजाम नहीं किया ? ये तो कोई बात नहीं हुई जय।
मैंने कहा- मेरे दोस्त रंजीत, बोलो आपको क्या चाहिए।
रंजीत ने कहा- यार कुछ बीयर-शीयर हो जाए।
मैंने कहा- हाँ यार, क्यों नहीं ! अभी आपके लिए हाजिर करता हूँ !
तो मैंने फ्रिज से दो बीयर निकाली और मेज़ पर रख दी, दो गिलास में डाल दी और फ्रिज से पनीर निकाल कर उसको टुकड़ों में काटकर प्लेट में रखकर कहा- लो यार रंजीत।
हम दोनों ने एक एक गिलास बीयर पी। और फिर मैंने दो गिलास में डाल दी तो रंजीत कहने लगा- यार जय, आपको हमारा काम अच्छा नहीं लगा।
मैंने कहा- नहीं यार रंजीत आपके काम की ही वजह से तो मैं सब कुछ हूँ, नहीं तो मेरे पास क्या था ? जो भी आज मेरे पास वो सब कुछ आपका ही तो दिया हुआ है, आप तो मेरे लिए भगवान के समान हो। आप जो भी कहें मैं वही करने के लिए हमेशा ही तैयार हूँ और रहूँगा।
फिर मैंने दो गिलास में बीयर डाली और रंजीत को कहा- यार पियो और मेरे लिए कोई काम हो तो बताओ, मैं अपना सारा काम छोड़कर आपका जो भी काम होगा मैं करने के लिए हमेशा तैयार हूँ।
रंजीत ने कहा- यार जय, मुझको आपके बारे में सब कुछ पता है जो आपको भी नहीं पता।
तो मैंने कहा- रंजीत भाई ऐसी क्या बात हुई कि आप इतने ज्यादा परेशान हो गये?
रंजीत कहने लगा- यार आपको मेरे काम के बारे में तो पता ही है, तो मेरी भी मजबूरी समझो, मैं इसलिए ही आपके पास आया हूँ ! आप तो एक काल करके खुश हो और अपनी जिन्दगी आराम से काट रहे हो, पर मेरी तो जिन्दगी ही दूभर हो गई है और मैं परेशानी में घिर गया हूँ क्योंकि हर कोई अब आपकी ही डिमान्ड करने लगी है, पर हमें तो पता ही नहीं था कि आप कहाँ पर हो।
मैंने कहा- यार रंजीत, मेरा जो भी हैं वो सब आपकी ही तो देन हैं तो आप परेशान क्यों हो?
रंजीत ने कहा- जय अपना पहले तो फोन नम्बर दो !
और मैंने अपना फोन नम्बर रंजीत को दिया तो रंजीत ने कहा- आपको एक हफ़्ते तक रोज काल पर जाना है।
मैंने कहा- रंजीत भाई, ऐसा तो मत करो, मुझे भी तो काम करना होता है।
रंजीत ने कहा- अभी तो कह रहे थे कि जो भी आप कहोगे मैं वही करुँगा ! तो अब क्या हुआ?
मैंने कहा- यार रंजीत मुझे दिन भर नौकरी भी तो करनी है और फिर काम का बोझ भी तो बहुत ही ज्यादा है।
रंजीत ने कहा- कोई बात नहीं ! आपको जो चाहिए वो सब मिलेगा।
फिर मैंने हामी भर दी तो रंजीत बोला- जय यार आप तो कभी कुछ लेते ही नहीं थे पर आपके तो फ्रिज में तो बहुत ही बीयर रखी हैं और आप मेरे साथ भी पी रहे हो ! माजरा क्या है?
मैंने कहा- रंजीत यह आपकी ही सोहबत का ही तो असर है।
रंजीत बोला- अब आप मेरे ही साथ काम करोगे।
मैंने कहा- ठीक है, आप जैसा कहोगे, मैं तैयार हूँ !
तो रंजीत ने कहा- मैं आपको फोन नम्बर दूंगा और आप उस पर फोन करना !
मैंने कहा- नहीं रंजीत, मुझे नहीं उनको आप मेरा फोन नम्बर देना ! मैं जवाब दूगाँ जैसा आप चाहोगे और आप जो भी दोगे मुझे मंजूर है।
रंजीत ने कहा- जय ऐसी बात है तो ६०-४० कर लेते हैं।
मैंने कहा- ठीक है, पर कीमत मेरे ही हिसाब से लगाना !
रंजीत ने कहा- ठीक है यार आज आप की ही माँग है, जैसा आप कहोगें वही होगा। बस आप फोन का जवाब देना।
फिर रंजीत जाने लगा तो मैंने कहा- यार रंजीत यह तो कोई बात नहीं हुई, यह बीयर तो खत्म कर देते हैं !
हम दोनों ने एक-एक गिलास बीयर और पी और फिर रंजीत जाने लगा तो मैंने कहा- यार चलो अब खाना खा लेते हैं।
रंजीत ने कहा- नहीं यार, फिर कभी साथ में खायेंगे।
मैंने कहा- चलो बाहर खा लेते हैं !
तो रंजीत ने कहा- आज नहीं यार ! टाइम बहुत हो चुका हैं और मुझे भी तो कुछ अरेन्ज करना है।
मैं रंजीत को बाहर तक छोड़ने के लिए आया।
अगले दिन मुझे साढ़े ग्यारह बजे एक मैडम का फोन आया कि मैं मिस्टर जय से बात कर सकती हूँ? तो मैंने कहा- हाँ ! मैं जय बोल रहा हूँ ! आप कौन ?
मैडम ने कहा- मैं रूबी बोल रही हूँ !
मैंने कहा- हाँ बोलिये रूबी जी ! मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ ?
रूबी मैडम ने कहा- मुझे रंजीत ने आपका नम्बर दिया है !
मैंने कहा- हाँ ठीक है, कोई बात नहीं! आप कहिए !
रूबी कहने लगी- मेरा नाम रूबी है और मेरी उम्र २६ साल है।
मैंने कहा- रूबी मैम कहिए, मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?
तो रूबी बोली- आज आपको हमारे घर पर शाम को नौ बजे आना है और सही टाइम पर आना हैं हम आपका इन्तजार करेंगे। आपको जरूर आना है।
मैंने कहा- रूबी जी ! पता तो बता दो !
तो रूबी ने अपना पता नोएडा सेक्टर १४ बताया। मैंने कहा- ठीक है, आपको फीस का तो पता है ना ?
रूबी मैम बोली- फीस की आप चिन्ता मत करो, आपको आपकी फीस के हिसाब से ज्यादा ही मिलेगा।
कहा- रूबी मैडम, ठीक है, मैं पहुँच जाऊँगा।
फिर मैंने रंजीत को फोन किया तो रंजीत ने कहा- हाँ यार ! रूबी को मैंने ही आपका फोन दिया था, उसकी काल आई होगी !
मैंने कहा- हाँ ! मुझे क्या करना होगा?
रंजीत ने कहा- यार वही सब कुछ जो आपने पहले किया था बस अब घबराना मत ! सही समय पर पहुँच जाना।
मैं शाम को ठीक समय पर रूबी मैडम के घर पर पहुँचा तो एक मैम ने दरवाजा खोला, पूछा कि आपको किससे मिलना है?
मैंने कहा- मुझे रूबी मैडम से मिलना है !
तो मैडम मुझे देखकर मुस्कुराने लगी और कहने लगी- आप जय हो? आप तो टाईम के बड़े ही पाबन्द हो !
मैंने कहा- मैम मेरा तो सारा ही काम टाईम के हिसाब से चलता है!
रूबी की लम्बाई ५ फीट ४ इंच, कमर ३० इंच, हिप्स ३६, चेस्ट ३२, रंग गौरा और रूबी ने नीले रंग की जीन्स और सफेद का रंग का टॉप पहना था। रूबी को देखकर मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ। रूबी ने मुझे अन्दर आने को कहा और मैं पीछे-पीछे अन्दर चला गया।
रूबी ने ड्राइंगरूम में मुझको बिठाया और खुद ही पानी लेकर आई। फिर हम दोनों एक दूसरे के बारे में बात करने लगे। रूबी ने कहा- जय आप इस प्रोफेशन में कितने दिनों से हो?
मैंने कहा- मैडम, यही कोई दो तीन महीने से।
रूबी हँसने लगी और कहने लगी- जय आपकी तारीफ तो बहुत सुनी है, पर आप देखने में तो कमजोर से लगते हो।
मैंने कहा- रूबी जी ! देखने या सुनने से क्या होता है, जो भी है वो तो अभी सब कुछ आपके सामने आ जाएगा।
फिर रूबी खिलखिलाकर हँसने लगी। थोड़ी देर के बाद रूबी जी ने कहा- जय आप क्या लोगे?
मैंने कहा- कुछ भी चलेगा !
रूबी कहने लगी- मेरा मतलब हैं कि विस्की, रम या बीयर?
मैंने कहा- आप जो लेंगी वही हम भी ले लेंगे।
तो रूबी जी ने कहा- बीयर चलेगी?
मैंने कहा- चलेगी क्या दौडेगी।
रूबी दो गिलास और दो बोतल बीयर लेकर आई और खोलकर गिलास में डाली, एक गिलास मुझे दिया और एक खुद ऊपर उठाकर चियर्स किया। हम दोनों ने अपना अपना गिलास खत्म किया।
मैंने कहा- रूबी जी, आपका घर तो अच्छा खासा है ! यहाँ पर और कोई रहता हैं क्या?
क्योंकि घर पर तो रूबी जी अकेली ही थी।
रूबी कहने लगी- मेरे पति कनाडा में रहते हैं और साल में एक दो बार ही आते हैं, मेरे साथ में मेरे सास व ससुर जी रहते हैं, एक नौकरानी हैं जो आज छुटटी पर है, इसलिए मैंने रंजीत से सम्पर्क किया कि अकेले अकेले बोर होने से अच्छा है कि कुछ एन्जोय ही कर लिया जाय।
मैंने कहा- बच्चे नहीं हैं क्या?
तो रूबी जी कहने लगी- नहीं ! अभी तक तो कोई नहीं ! आगे का पता नहीं।
मैंने कहा- चलो कोई बात नहीं इन्जोय करते हैं और आज आपकी रात को हसीन बना देते हैं !
और मैंने उठकर बाकी की बची बियर दोनों गिलास में डाली और एक गिलास रूबी को दिया और हम दोनों ने एक ही बार में अपना गिलास खत्म किया। मैं रूबी के पास जाकर बैठ गया और अपना हाथ रूबी के कंधे पर रखकर कहने लगा- रूबी जी, आपने इससे पहले भी किसी गैर मर्द के साथ सैक्स किया है?
रूबी कहने लगी- शादी से पहले दो-चार बार अपने बायफ्रेन्ड के साथ किया था और उसके बाद अपने पति के साथ।
मैं कहने लगा- नहीं शादी के बाद ! जैसे आप मेरे साथ करने जा रही हो !
तो रूबी कहने लगी- नहीं आज पहली बार करने जा रही हूँ ! वो भी अपनी सहेली के कहने पर कि घर पर पडे पडे बोर होने से अच्छा हैं कि अपने अन्दर की आग को कुछ शान्त कर लो।
क्योंकि इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है।
मैंने अपने हाथ रूबी के कन्धे पर से हटाकर रूबी की चूचियों पर फिराने लगा, कपडों के ऊपर ही और उनको धीरे धीरे मसल भी देता। रूबी को नशा चढ़ने लगा था, कुछ तो पहले ही बीयर का नशा और फिर सैक्स का नशा, वो भी किसी गैर मर्द के साथ। रूबी बहकी बहकी आवाज में बोली- जय यार ! यह क्या कर रहे हो? ऊपर से ही करने का इरादा है क्या ?
मैंने कहा- नहीं यार रूबी ऐसा कोई इरादा नहीं ! चलो थोड़ी-थोड़ी बीयर और लेते हैं।
रूबी ने मुझको कस के बाँहों में भर लिया और कहने लगी- पीने के अलावा भी हम भी तो हैं ! आज हमें ही पी लो ! और अपने होंठों को मेरे होठों से सटा दिया। रूबी मेरे होंठों को चूसने लगी। मैं भी अब रूबी के सर को पकड़कर उनके होंठों को बेतहाशा चूसने लगा और अपनी जीभ रूबी के मुँह में डाल दी। रूबी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। तीन चार मिनट तक हम एक दूसरे को ऐसे ही चूमते रहे।
उसके बाद रूबी ने अपना हाथ मेरी पैन्ट के अन्दर डाल दिया, मेरे लन्ड को पकड़ लिया और कहने लगी- जय, जो आपके बारे में सुना था, यह तो सचमुच में ही उतना ही बड़ा है !
मैं भी रूबी की गाँड को एक हाथ से सहलाने लगा और एक हाथ से रूबी की चूची को मसलने लगा। तो रूबी मेरे लन्ड को छोड़कर मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी, शर्ट को उतार फेंका और कहने लगी- जय बैडरूम में चलते हैं।
मैंने कहा- रूबी मेरी जान ! आप जहाँ कहो, मैं तो आपकी सेवा में वहीं हाजिर हूँ ! जहाँ कहो वहीं पर चुदाई कर देंगे आपकी रूबी जी।
रूबी हँसने लगी और कहने लगी- चलो ना बैडरूम में !
मैंने रूबी को छोड़ दिया और अपने आपको संभाला और रूबी के पीछे पीछे उसके बैडरूम में चला गया। रूबी बैडरूम में जाकर बैड पर लेट गई और मुझे इशारा करने लगी- आ जाओ जय। मेरे तन की प्यास बुझा दो जय।
मैंने अपने कपड़े उतार दिये और मेरे शरीर पर अब सिर्फ अन्डरवीयर ही बचा था तो रूबी उसको देखकर कहने लगी- जय इसको भी उतार दो ना।
मैंने कहा- मेरी जान रूबी ! सब कुछ उतार दूँगा ! पहले आपके बदन की नुमाईश तो कर लूँ देखूँ कि आपका शरीर कैसा हैं क्योंकि अभी तक तो उपर से देखा है, अब अन्दर भी देख लेता हूँ !
क्यों नहीं जय। आज हमारा पूरा का पूरा शरीर आपके लिए हाजिर हैं आप जो भी करना चाहो, आप हर तरह से आजाद हो ! पर ये देख लेना कि हमको पूरी तरह से खुश करके जाना है, हमें निराशा नहीं मिलनी चाहिए जय।
मैंने कहा- रूबी जी ! अगर हमने आपको खुश नहीं किया तो हमारा नाम भी जय नहीं।
और हम दोनों फिर हँसने लगे। और एक दूसरे के बदन से छेडछाड़ करने लगे। हम दोनों बच्चों की तरह से एक दूसरे को कभी चूमते तो कभी मैं रूबी की चूचियों को भींच देता तो कभी रूबी की गाँड के अन्दर उँगली डाल देता कपड़ों के उपर से ही और कभी रूबी की चूत को भींच देता। रूबी भी कहाँ कम रहने वाली थी, वो भी कभी मेरे गालों को पकड़कर खींचती तो कभी मेरे लन्ड को पकड़ के हद से ज्यादा दबा देती और हम दोनों ८-१० मिनट तक एक दूसरे को ऐसे ही छेड़ते रहे। फिर मैं रूबी को लिटाकर उसके ऊपर चढ़ गया और रूबी नीचे लेट गई।
मैंने पहले रूबी का टॉप निकाला और रूबी की चूचियों को उसकी सफेद ब्रा के ही उपर से दबाने लगा। रूबी की चूचियाँ एक दम से गर्म होने के कारण टाईट हो गई थी, उनको दबाने लगा फिर मैंने रूबी की ब्रा भी उतार फेंकी और रूबी के मम्मों को आजाद कर दिया। वाह ! क्या मम्में थे- गोल गोल सफेद रंग के और निप्पल तो पूरे गुलाबी रंग के ! वाह उनको देखकर मेरे मुहँ में पानी आ गया और उनको चूसने लगा, बार बार एक दूसरे को बदल बदल के चूसने लगा और रूबी के मुहँ से आवाज आने लगी- आ आ ई ई ऐ ऐ आ आ !
और मैं भी तेजी से रूबी के बदन को चूसने-चाटने लगा। रूबी बड़बड़ाने लगी- जय बड़ा ही मजा आ रहा है ! लगे रहो जय ! ओ जय।
और रूबी ने मेरे अन्डरवीयर को उतार फेंका, मेरे लन्ड को पकड़कर सहलाने लगी। मैं भी अब रूबी की चूचियों को छोड़ कर रूबी की जीन्स के बटन को खोलकर पैरों से बाहर निकाल फेंका। अब रूबी के शरीर पर सिर्फ एक सफेद रंग की पैन्टी ही बची।
मैं रूबी की जांघों का सहलाने लगा। रूबी बोली- जय अब रूका नहीं जाता ! अब अपना लन्ड जल्दी से मेरी चूत में डाल दो।
मैंने रूबी को बाहों में लेकर कहा- रूबी जी ! पूरा मजा लो और लेने दो क्योंकि बाद में आपको हमसे कोई भी शिकायत न रह जाए।
रूबी जी कहने लगी- जय मैं क्या करूँ, अपने आपको रोकना मेरे बस की बात नहीं है, जय अब कुछ करो नाऽऽआ जय करो ना।
मैंने रूबी की पैन्टी को उतार फेंका और रूबी की गुलाबी और क्लीन-शेव चूत को देखकर पागल होने लगा। रूबी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और उसमें से पानी रिस रिस कर बह रहा था। रूबी की चूत की खुशबू मुझको मदहोश करती जा रही थी। फिर मैंने रूबी की चूत को किस किया और उसको चूमने लगा।
रूबी कहने लगी- जय अब अन्दर डाल दो ना ! मेरी तो बर्दाश्त से बाहर हो गया है, जय डालो भी ना।
तो मैंने अपना लन्ड रूबी के होंठो पर लगा दिया, ६९ की पोजीशन में आ गया। मैं रूबी की चूत को चाटने लगा और रूबी मेरे लन्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी और ७-८ मिनट तक हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही मुँह से चोदते रहे। उसके बाद रूबी ने मेरे लन्ड को छोड़ दिया और मेरे नीचे से खिसकने लगी तो मैंने अपनी जीभ को रूबी की चूत में अन्दर तक डाल दिया, रूबी का शरीर ऐंठने लगा और रूबी की चूत ने मेरे मुँह में ही अपना पानी छोड़ दिया और मैं उसके नमकीन पानी को पी गया।
अब मैंने रूबी की चूत को छोड़कर अपनी जेब से कन्डोम निकाला पर रूबी ने मुझको रोक दिया और कहने लगी- जय, बिना कन्डोम के ही करो, ज्यादा मजा आयेगा ! मुझको कोई भी परेशानी नहीं और न ही कोई यौन रोग है।
मैंने कहा- रूबी जी जैसा आप कहो, हम तैयार हैं क्योंकि आज के लिए हम आपके गुलाम जो ठहरे।
रूबी कहने लगी- नहीं जय ! ऐसे नहीं कहते ! हम दोनों क्या दोस्त नहीं बन सकते?
मैं कहने लगा- रूबी जी, दोस्त तो बन जायेंगे, पर अगर घोड़ा घास से दोस्ती कर लेगा तो खायेगा क्या?
तो रूबी हँसने लगी- नहीं जय मेरा मतलब यह नहीं था ! आपकी फीस आपको हमेशा मिलेगी। और ओरों से भी ज्यादा !
तो मैं कहने लगा- यह हुई ना बात रूबी जी !
और मैंने रूबी को कस के पकड़ लिया और अपना लन्ड रूबी को पकड़ा दिया। तो रूबी उसको मुँह में लेकर चूसने लगी और एक हाथ से मुठ मारने लगी। मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी और दो मिनट के बाद मैंने अपना लन्ड रूबी के मुँह से निकालकर रूबी की चूत पर टिका दिया तो रूबी कहने लगी- जय चूत तो गीली है पर अपना लन्ड धीरे धीरे से घुसाना ! क्योंकि आपका लन्ड तो बहुत मोटा और बड़ा है, मैंने आज तक इतना बडा लन्ड अपनी चूत में नहीं लिया है!
तो मैंने रूबी की टांगों को थोड़ा चौड़ा करके अपना लन्ड रूबी की चूत पर सैट करके एक हल्का सा धक्का मारा और मेरा आधा लन्ड रूबी की चूत में समां गया तो रूबी के मुँह से चीख निकल पड़ी और कहने लगी- जय अभी अन्दर मत करना ! जहाँ हैं वहीं पर रहने दो ! मुझको बहुत तेज दर्द हो रहा है।
रूबी की चूत ने मेरे लन्ड को चारों ओर से जकड़ लिया और मैं रूबी की चूचियों को चूसने और मसलने लगा दो मिनट के बाद रूबी को थोड़ी राहत महसूस हुई और मैं अपने लन्ड को वहीं पर आगे पीछे करने
रूबी को मजा आने लगा तो रूबी बोली- जय बस अब अबकी बार अपना पूरा का पूरा लन्ड अन्दर उतार देना ! मेरी परवाह मत करना ! जय बड़ा ही मजा आ रहा है !
और फिर मैंने अपना लन्ड रूबी की चूत से बाहर खींचा और एक बहुत ही तेज धक्का मारा और मेरा पूरा का पूरा लन्ड रूबी की चूत में जड़ तक समा गया और रूबी के मुँह से घुटी घुटी सी चीख निकलने लगी। रूबी का चेहरा लाल हो गया और आँखों से आँसू आने लगे पर रूबी बोली- कुछ भी नहीं हुआ जय ! आप फिकर मत करो जय !
फिर मैंने रूबी की चुचियों को सहलाना शुरू किया तो कुछ ही देर में रूबी कहने लगी- जय धीरे धीरे से करो ना ! रूक क्यों गये ? मुझको तो मजा आ रहा है !
मैं भी धीरे धीरे अपने लन्ड को रूबी की चूत में आगे पीछे करने लगा। अब रूबी को मजा आने लगा और कहने लगी- जय अपनी स्पीड बढ़ा दो ! बड़ा ही मजा आ रहा है !
उसके मुँह से आ आ आ ई ई ई ई ई उ उ उ उ उ ऐ ऐऐए जय जय ययययय मार डाल ! आज तो मेरे कस कस के सारे बल निकाल दे जय ! ओ जय माई डियर ! फक मी ! फक मी ! फक मी हार्डर ! जय वास्तव में ही आप जय हो !
यह कहते कहते रूबी की चूत ने पानी छोड़ दिया और रूबी ढीली पड़ गई। पर मेरा कहाँ इतनी जल्दी छूटने वाला था, मैं तो रूबी पर सवार था और धक्के पे धक्के लगाये जा रहा था। फिर मैंने रूबी को कहा- रूबी जी, अब आप बैड से नीचे खड़ी हो जाओ !
रूबी बेड से नीचे खड़ा हो गई तो मैंने रूबी से कहा- अपने हाथ बैड पर रखकर झुक जाओ !
तो रूबी ऐसे ही झुक गई और मैंने अपना लन्ड रूबी की चूत में पीछे से डाल दिया और धीरे धीरे धक्के मारने लगा और रूबी को मजा आने लगा। मैंने अपने धक्कों की स्पीड धीरे धीरे बढ़ानी शुरू कर दी और रूबी को मजा आने लगा- आ आ आ आआ आआआ ईईईई इ एएएएएओओओ आहा आहा !
और फिर मैंने अपने घक्कों को स्पीड फुल कर दिया। १०-१२ मिनट के बाद मेरे लन्ड का पानी छुटने को हुआ तो मैंने रूबी को बैड पर लिटाकर, ऊपर लेटकर खूब तेजी से धक्के पे धक्के लगाकर अपना पानी रूबी की चूत में छोड़ दिया और रूबी भी उसी दौरान झड़ गई।
मैं रूबी के उपर दो तीन मिनट तक लेटा रहा। १०-१५ मिनट के बाद मैंने कहा- रूबी जी आपको मजा आया या नहीं?
तो रूबी कहने लगी- इतना मजा पहली बार ले रही हूँ ! आज तक जिन्दगी में इतना मजा और तृप्ति मुझको कभी नहीं मिली !
तो मैं कहने लगा- रूबी, अब मैं चलता हूँ !
तो रूबी कहने लगी- अभी नहीं ! एक बार और हो जाये जय !
तो मैंने कहा- रूबी जी ! आपको खुश कर दिया, यही मेरा काम था। यहीं पर मेरा काम खत्म हो जाता हैं। अब रूबी जी मेरी फीस दो ! मैं चलता हूँ !
तो रूबी नशीली आँखों से मुझको देखकर बोली- आपकी फीस मिल जायेगी और वो भी मुँह माँगी। मुझको पता है कि आप फीस अपने हिसाब से लेते हो ! पर कोई बात नहीं अभी एक बार मेरी आग शान्त करके जाना जोकि बहुत दिन से भड़की हुई थी जय। यार जय ! ओ मेरे जय ! बस एक बार ! आप नाराज तो नहीं हो गये?

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तो रूबी कहने लगी- इतना मजा पहली बार ले रही हूँ ! आज तक जिन्दगी में इतना मजा और तृप्ति मुझको कभी नहीं मिली !
मैं कहने लगा- रूबी, अब मैं चलता हूँ !
तो रूबी कहने लगी- अभी नहीं ! एक बार और हो जाये जय !
मैंने कहा- रूबी जी ! आपको खुश कर दिया, यही मेरा काम था। यहीं पर मेरा काम खत्म हो जाता हैं। अब रूबी जी मेरी फीस दो ! मैं चलता हूँ !
तो रूबी नशीली आँखों से मुझको देखकर बोली- आपकी फीस मिल जायेगी और वो भी मुँह माँगी। मुझको पता है कि आप फीस अपने हिसाब से लेते हो ! पर कोई बात नहीं अभी एक बार मेरी आग शान्त करके जाना जोकि बहुत दिन से भड़की हुई थी जय। यार जय ! ओ मेरे जय ! बस एक बार ! आप नाराज तो नहीं हो गये?
मैंने कहा- नहीं रूबी जी, ऐसी बात नहीं ! पर मेरा जो उसूल है, मैं उस पर ही अमल करता हूँ।
तो रूबी बोली- चलो आप अपना उसूल भी मत तोड़ो, मेरी एक छोटी सी बात मानोगे?
मैंने कहा- क्या ?
जय, मैंने आपसे दोस्ती के लिए कहा था !
चलो आपने कहा था कि मैं दोस्ती कर सकता हूँ पर आपने जो कहा था आपको आपकी फीस मिलेगी !
क्या अपने दोस्त की इतनी छोटी सी बात नहीं मानोगे जय।
मैंने कहा- चलो ठीक है, पर जैसा मैं चाहूँगा वैसा करूगाँ रूबी जी।
रूबी कहने लगी- मुझको सब कुछ मंजूर है, आप जो कहोगे वही होगा ! किसी बात पर भी कोई भी मेरी तरफ से आपत्ति नहीं होगी।
मैंने कहा- चलो ठीक है ! मुझको फँसा ही लिया आखिरकार तुमने ! चलो कोई बात नहीं।
रूबी खड़ी होकर चलने लगी तो मैंने कहा- मेरी जान कहाँ चली?
रूबी बोली- जय, बातों ही बातों में हम दोनों ठण्डे हो गये। मैं पहले आपके खाने के लिए कुछ लेकर आती हूँ !
और रूबी नंगी ही खड़ी होकर चल दी, मैं भी रूबी के पीछे पीछे चल दिया तो रूबी कहने लगी- जय जी, आप आराम करो, मैं अभी लेकर आती हूँ !
मैंने कहा- मैं भी साथ में चलता हूँ !
रूबी ने फ्रिज से तीन बीयर निकाली और पनीर निकाला और ड्रांइग रूम में मेज़ पर रखा। हम दोनों ने पनीर को छोटे टुकड़ों में काटा और एक दूसरे के नंगे बदन को देखकर हँसते रहे। फिर हमने बीयर पी वो भी एक ही गिलास में डालकर बारी बारी से। रूबी को अपनी गोद में बिठाकर २०-२५ मिनट तक हम दोनों जब तक बीयर खत्म नहीं हुई पीते रहें और पनीर खाते रहे। कभी मैं रूबी को अपने हाथ से पिलाता और कभी रूबी मुझे पिलाती।
हम दोनो ऐसे ही पीते रहे और एक दूसरे के साथ छेड़छाड़ करते रहे। अब हम दोनों पूरे शबाब में थे।
मैं बोला- रूबी ये तुम्हारी टांगों के बीच में क्या है?
तो रूबी बोली- जय मेरी नहीं ये तो आपकी टांगों के बीच में है !
हम दोनों नशे में एक दूसरे को पता नहीं क्या क्या बकते रहे और दोनो ऐसे ही झूमते रहे। फिर रूबी काफी देर के बाद बोली- जय कुछ करते हैं !
मैंने कहा- अब क्या करेंगे?
अरे आप तो बडे़ नशेड़ी निकले जो सब कुछ भूल गये?
मैंने कहा- जय कुछ नहीं भूलता ! आपके बदन की आग ठण्डी नहीं हुई क्या।
रूबी बोली- अबे जय ये नशे में तू क्या बोलने लगा?
मैंने कहा- रूबी जी, अब जय तो अपने घर जायेगा।
रूबी बोली- ओ जय, तू यहीं पर रहेगा !
मैं बोला- नहीं मैं तो अपने घर जाऊँगा !
और हम दोनों ऐसे ही बच्चों की तरह झगडने लगे- यार रूबी तेरे साथ तो झगड़ने बड़ा ही मजा आता है, तू तो बिल्कुल ही बच्ची है !
रूबी ऐसे बोली- बे जय, हम बच्चे ही तो हैं !
मैंने कहा- मेरी जान रूबी, आज मैं तो तेरी प्यारी गाँड मारूँगा ! तू मेरे लन्ड को खड़ा तो कर !
तो रूबी कहने लगी- नहीं जय, पहले तू मेरी चूत फ़ाड़ेगा !
मैं बोला- नहीं मैं तो पहले तेरी गाँड फ़ाडूँगा !
हम दोनों ऐसे ही झगड़ने लगे क्योंकि मैं भी नशे में था और रूबी भी ! क्योंकि हम दोनों ने मिलकर ५ बीयर जो डकार ली थी।
रूबी बोली- जय ऐसा करते हैं, जो पहले बैडरूम में जायेगा उसकी जीत होगी और पहले उसकी मर्जी मानी जायेगी !
मैंने कहा- कोई बात नहीं रूबी, हमें सब कुछ मंजूर है।
और हम दोनों लड़खड़ाते हुए बैडरूम की तरफ चलने लगे। मैं रूबी से आगे निकला ही था कि रूबी ने पीछे से मेरी टांग खींच ली और मैं गिर पड़ा तो रूबी तेजी से भागी। मैं भी कहाँ कम था, मैंने भी उठकर रूबी को बाहों में भर कर पीछे गिरा दिया और रूबी से पहले बैडरूम में पहुँच गया।
रूबी कहने लगी- ओ जय, तू तो बड़ा ही चीटर है।
मैंने कहा- रूबी तू बड़ी चीटर है।
और हम दोनों फिर झगड़ने लगे। रूबी मुझे गाली देती और मैं रूबी को गाली देता- साली हरामी चीटर, रूबी कहती- साले जय तू बड़ा चीटर है।
फिर हम दोनों में फैसला हुआ कि हम दोनों ही चीटर हैं। दोनों बारी बारी से अपनी अपनी जगह पर चुदाई करेंगे। मैंने रूबी से कहा- रूबी जी पहले आपकी बारी है।
तो रूबी कहने लगी- पहले आप करो ना ! अपना लण्ड मेरी गाँड में डालो !
मैंने कहा- नहीं, कोई बात नहीं ! पहले आप मेरे लन्ड को अपनी चूत में लो !
हम दोनों फिर ऐसे ही झगड़ने लगे।
मैंने कहा- यार रूबी, हम तो दोनों ही असली बात को भूल गए हैं और झगड़ने में लग गए हैं। चलो, मैं आपको गर्म करता हूँ ! आप मुझे गर्म करो !
और फिर हम दोनों ६९ की पोजीशन में होकर एक दूसरे को गर्म करने लगे। मैं रूबी की चूत को अपनी जीभ से चाट चाट कर गर्म करता और रूबी मेरे लन्ड को मुंह में लेकर चूसती और हाथ से मुठ मारती। ७-८ मिनट में मेरा लन्ड लोहे की रॉड की तरह से अकड़ गया। रूबी कहने लगी- यार तेरा औजार तो बहुत ही बड़ा हो गया है और मेरे मुहँ में भी नहीं आ रहा, अब क्या करूँ जय?
मैंने कहा- यार रूबी, तेरी चूत भी रस छोड़ने लगी है !
हाँ यार जय, मुझे तो बड़ा ही मजा आ रहा है, चलो अब मेरी चूत को फाड़ डालो जय।
मैंने कहा- नहीं रूबी, मैं तो पहले तेरी गाँड फाडूँगा !
तो रूबी बोली- जय अब हम झगड़ेंगे नहीं, क्योंकि हम अब नशे में नहीं हैं !
मैंने कहा- चलो कोई बात नहीं ! आप अब बैड से नीचे उतरो, मैं आपको एक नया ऐहसास देता हूँ।
रूबी एकदम से बैड से नीचे उतर करके नीचे खड़ी हो गई।
मैंने कहा- माई डियर रूबी जी, अब आप बेड के साथ दीवार के पास खड़ी हो जाओ !
तो रूबी ऐसे ही खड़ी हो गई। मेरा लन्ड तो सीधा था, मैंने रूबी से कहा- आप अपनी एक टांग बैड के ऊपर रखो !
अब मुझे रूबी की चूत पीछे से दिखाई देने लगी और रूबी की चूत का मुँह भी खुल गया। मैंने रूबी से पूछा- आप मेरा लन्ड अपनी चूत में लेने के लिए तैयार हो क्या?
रूबी कहने लगी- मैं तो तैयार हूँ, पर यह देख लेना कि मुझे नुकसान नहीं पहुँचे !
मैंने कहा- नहीं आप सिर्फ नये अनुभव का मजा लो !
तो कहने लगी- यार जय मुझे आप पर विश्वास है, आप जैसे चाहो करो, मैं आपका पूरा साथ दूँगी।
मैंने कहा- रूबी जी ठीक है !
और यह कहकर मैंने अपना लन्ड रूबी की चूत पर रखा, देखा कि रूबी की चूत तो पूरी तरह से गीली है और अपने लन्ड का दबाव बनाकर जोरदार धक्का मारा और मेरा लन्ड जड़ तक रूबी की चूत में उतर गया। रूबी की चूत गीली होने के कारण हल्का सा दर्द हुआ पर वो सहन कर गई। अब मैंने रूबी की चूत में पीछे से धक्के मारने शुरू किये और कुछ ही देर में रूबी को मजा आना लगा। मैं रूबी की दोनों चुचियों को हाथ से पकड़कर मसलने लगा और रूबी के मुँह से सिसकारी निकलने लगी और कहने लगी- जय आप में तो कमाल का जादू है, आप तो चुदाई के हर काम में माहिर हो।
मैंने कहा- रूबी इसीलिए तो मेरी डिमांड हमेशा रहती है और मैं अपना फोन नम्बर भी किसी को नहीं देता क्योंकि मुझको पता है कि लोग मुझको परेशान करेंगे।
जय, आप बात को छोड़कर आज मुझे सबसे प्यारे जहान की सैर करा रहे हो बस मुझे ऐसे ही मजा देते रहो- आ आअअअइइइइई ओइइइआआ ओ नो यस कम आन जय कम आन जय ! मुझे भी और भी जोश आ गया और मैं भी जोर जोर से से धक्के मारने लगा। कुछ ही देर में रूबी का शरीर अकड़ने लगा और रूबी की चूत ने पानी छोड़ दिया। रूबी ढीली पड़ने लगी और फिर मैंने अपना लन्ड रूबी की चूत से निकाल कर रूबी को कहा- अपना पैर बैड से नीचे कर लो और अपने हाथ बेड पर रख कर घोड़ी बन जाओ ! रूबी जी अब मैं आपकी गाँड में अपना लन्ड डालूँगा।
रूबी बोली- जय मैं अपनी गाँड पहली बार आपके हवाले कर रही हूँ, जरा ध्यान से करना जय, मेरे दोस्त जय।
मैंने कहा- मेरी जान रूबी, आपने पहली बार जब अपनी चूत फ़ड़वाई थी तो तब जितना दर्द हुआ था, उससे कम ही होगा।
रूबी बोली- जय, अब चाहे जो भी हो, आप करो ना ! मुझे देर पंसन्द नहीं !
मैंने रूबी की गाँड पर अच्छी तरह से थूक लगाया और अपने लन्ड पर रूबी की चूत का रस लगाकर खूब गीला किया, रूबी की गाँड पर हल्का सा दबाव बनाया तो मेरा लन्ड जोकि पूरा ही लोहे की तरह से सख्त था, उसका सुपाड़ा अन्दर गया तो रूबी को बहुत ही तेज दर्द हुआ और रूबी बुरी तरह से चिल्लाई !
तो मैंने कहा- रूबी जी अगर आप को परेशानी है तो अपना लन्ड बाहर निकाल लेता हूँ !
रूबी बोली- जय, यह तो कुछ भी नहीं, जब पहली बार चूत चुदाई थी तो इससे भी ज्यादा दर्द हुआ था, अब तो कुछ भी नहीं हुआ। अब तो कोई बात ही नहीं, चाहे दर्द हो या कुछ भी हो। आपने हमारी इच्छा पूरी की और अब हमारा भी तो फ़र्ज़ बनता हैं कि हम आपकी इच्छा भी पूरी करें। जय आप अपना काम करो !
फिर क्या था, मैं अपने हाथ से रूबी की चुचियों को मसलने लगा और अपना लन्ड पहले धीरे धीरे से फिर स्पीड बढ़ाने लगा।
रूबी को मजा आने लगा और रूबी कहने लगी- आप में ऐसी क्या कशिश है कि आप जो भी काम करते हो उसमें पूरा मजा देते हो। ओ जय आ ई ईआ आअ इऐऐ ऐ ऐ ऐ ऐ एए ई ई ई ओ जय, बस जिन्दगी में आज पहली बार ऐसा मजा आया है।
मेरा छुटने को आया तो मैंने कहा- रूबी जी, अब आप बैड पर सीधी लेट जाओ !
रूबी सीधी लेट गई और मैं रूबी की टांगों को अपने कंधों पर रखकर अपना लन्ड रूबी की चूत में एक ही बार में पूरा उतार कर दनादन धक्के मारने लगा और ३-४ मिनट के बाद में ही मेरे लन्ड ने अपना पानी रूबी की चूत में छोड़ दिया। मैं रूबी के ऊपर लेट गया और पता ही नहीं चला कि हम दोनों को कब नींद आ गई।
सवेरे आठ बजे मेरी आँख खुली तो मैं देखता हूँ कि मेरे शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था, मेरे कपड़े कमरे में इधर उधर पड़े थे। मैंने अपने कपड़े पहने और कमरे के बाहर निकला ही था तो रूबी की आवाज आई- जय फ्रेश हो लो।
मैंने रूबी से कहा- नहीं, मैं अब निकलता हूँ !
रूबी बोली- नहीं, पहले नहा लो !
तो मैं नहाने के लिए बाथरूम में गया और नहा धोकर फ्रेश होकर बाहर निकला तो रूबी ने नाश्ता तैयार कर दिया था। हम दोनों ने नाश्ता किया। मैं रूबी को देखकर बोला- आपको हमारी सेवा कैसी लगी?
रूबी हँसकर कहने लगी- यार जय, जिन्दगी ऐसे लम्हें मुश्किल से मिलते हैं, आपने तो हमारी पूरी रात यादगार बना दी। हम इन लम्हों को हमेशा अपनी यादों में सम्हाल के रखेंगे।
रूबी जी ! हमें जाने की इजाजत दो !
रूबी कहने लगी- ठीक हैं जय। अगर मुझे आपको बुलाना पड़े तो आपको फोन करके बुला सकती हूँ ना?
मैंने कहा- हाँ, मेरा काम ही यही है, आपको जब भी जरूरत पडे तो आप याद करना।
रूबी कहने लगी- फिर आज आप क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- घर जाकर पूरा दिन सोना है बस और कुछ नहीं !
तो रूबी कहने लगी- फिर आज के दिन मेरे साथ ही रूक जाओ, मैं भी दो दिन तक अकेली ही रहूँगी।
मैंने कहा- नहीं, आज नहीं ! फिर कभी !
तो रूबी ने अपनी बाँहे मेरे गले में डालकर कहा- जय मत तड़फाओ, आपको पता है कि औरत को तड़फाना अच्छी बात नहीं होती मेरी जान, अब मान भी जाओ न मेरे प्यारे जय, प्लीज प्लीज !
मैंने कहा- ठीक है, पर अभी मैं दो घन्टे के लिए सोने जा रहा हूँ, मुझे डिर्स्टब मत करना।
रूबी बोली- चलो, मैं आपको बैडरूम में छोड़ देती हूँ !
रूबी मुझे अपने बैडरूम में ले गई मैं अपने कपड़े उतारने लगा तो रूबी ने कहा- जय अपने कपड़े मुझे दे दो, मैं इनको धो देती हूँ !
मैंने रूबी को अपने सारे कपड़े उतार कर दे दिये। अब मेरे शरीर पर सिर्फ़ अन्डरवीयर ही था। मैं जैसे सोने के लिए बैड पर लेटा तो मुझको रूबी तिरछी नजर से निहार रही थी और मुस्कुरा रही थी। रूबी की मुस्कुराहट को देखकर मेरा लन्ड खड़ा होने लगा तो रूबी बोली- जय आपका औजार तैयार है, अगर आपको कोई एतराज ना हो तो कुछ हो जाये?
मुझे लगा कि पूरा दिन जब यहीं बिताना है तो ठीक है, मैंने कहा- अब आ जाओ !
रूबी ने कपड़े रख दिये और मेरे ऊपर चढ़ गई और फिर हम दोनों एक दूसरे में समा गये। आधे घन्टे तक हम दोनों की कामक्रिया चली और मैं वहीं पर सो गया। रूबी कपड़े धोने के लिए चली गई और अपने घर का काम खत्म करके रूबी भी मेरे ही पास सो गई। उस दिन हम दोनों ने हर तरीके से खूब जमकर चुदाई की। और फिर मैं शाम को ८.०० बजे अपने घर जाने लगा तो रूबी मुझको पूरे ८० हजार रूपये देने लगी तो मैंने कहा- रूबी, ये तो मेरी फीस से ज्यादा हैं !
तो रूबी ने कहा- नहीं, ये पार्ट टाइम के भी हैं। जय आपने मुझको जो पूरी रात और आज दिन में दिया, उसके बदले में तो ये कुछ भी नहीं हैं, मैं आपको और भी देती हूँ, बस हमारी आपसे विनती यही है कि जब भी हम आपको बुलाएँ आपको ही आना पड़ेगा।
मैंने कहा- रूबी, यह तो मेरा काम है कि मैं अपनी तरफ से अपने ग्राहक को पूरी तरह से खुश करूँ, बस आखिरी बार यही जानना चाहूँगा कि हमारे साथ में आपका अनुभव कैसा रहा।
रूबी जी ने कहा- जय यह अनुभव नहीं, यह तो एक पिकनिक जैसा रहा, जो कभी कभी ही नसीब होता है।
फिर मैंने जाने के लिए रूबी से इजाजत माँगी तो रूबी ने मुझको अपनी बाँहों में भरकर गले लगा लिया, होठों से होंठ मिलाकर एक लम्बा किस किया और मुझको बाहर तक छोड़ने आई।
और मैं अपने घर वापिस आ गया

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