आंटी के गोरे गोरे गोलगोल मम्मे

बात लगभग 2 साल पहले की है मैं दिल्ली के एक कॉलेज से स्नातकी कर रहा था, तो मैंने दिल्ली में ही उत्तम नगर में एक घर में एक कमरा किराये पर ले लिया था।
हमारे मकान मालिक काफी पैसे वाले है उनका ट्रांसपोर्ट का बिज़नस है, उनके घर में उनकी पत्नी सुधा जिसकी उम्र लगभग 38 साल, रंग गोरा, स्तन 36, कमर 25, नितम्ब 38 के होंगे। वो काफी बनठन कर रहने वाली औरत है, काफी सेक्सी बनी रहती है, वो पार्टियों और सहेलियों के साथ घूमने फिरने की बहुत शौकीन है, उनके मस्त उभरे हुए नितम्बों को देख कर किसी का भी मन मचल जाए।
उनकी एक बेटी भी है शाम्भवी नाम है उसका, जिसकी उम्र लगभग 21 वर्ष होगी, देखने में बिल्कुल कहानियों की मल्लिका, या यूँ कह लीजिये किसी पुराने राज घराने की राजकुमारी लगती है।


अगर इन्द्र की नजर भी उस पर पड़ जाए तो वो उसको पाने के लिए अपना आसन त्याग दे ! क़यामत लगती है, दूध सा सफ़ेद चमकता हुआ रंग, एकदम खड़े नुकीले स्तन, पतली कमर, गोल गोल उभार लिए हुए मस्त चूतड़। मेरा तो उसे देखते ही पानी निकाल गया था।
मैं नया नया दिल्ली गया था तो जाहिर है वहाँ के बारे में ज्यादा जानता नहीं था, मैं भी दिन भर कॉलेज में रहता था, शाम को कमरे पर आकर रात में खाना खाने होटल जाना पड़ता था जो वहाँ से काफी दूर था।
मैं शाम को शाम्भवी की एक झलक पाने के लिए घंटों बालकनी में बैठा रहता था। दिन तो किसी तरह कट जाता था पर रात तो करवटें बदलते और उसके बारे में सोचते हुए ही बीतती थी।
कुछ दिनों तक तो ऐसे ही चला। मैं थोड़ा शर्मीला किस्म का हूँ, इसलिए कुछ बोल नहीं पाता हूँ।
अंकल आंटी से भी महीने में एक या दो बार ही बात होती थी, जब कोई काम पड़ता था। शाम्भवी को याद कर कर के दिन कट रहे थे, पढाई में मन नहीं लगता था, किताबों में उसकी नंगी तस्वीर नजर आती थी, सच कहूँ दोस्तो, ऐसे मौके पर अपने पर गुस्सा भी आता है और कुछ करते हुए डर भी लगता है, पर क्या करूँ, कुछ कर भी नहीं सकता था, डरता था, अनजान शहर में हूँ, कहीं कोई बात न हो जाये, और ऊपर वाले के भरोसे सब कुछ छोड़ दिया।
क्यूंकि हम सब जानते हैं ऊपर वाले के यहाँ देर है अंधेर नहीं।
सिलसिला ऐसे ही चलता रहा, जाड़े का मौसम आ गया इसलिए मैं होटल पर खाना न खाकर खाना बनाने लगा, ठण्ड काफी होती है दिल्ली में, यह सब जानते हैं।
एक दिन मैं कॉलेज से लौट के घर आया, काफी रात हो गई थी, अंकल को देर रात में आना था, मैं अपने कमरे में बैठा शाम्भवी के ख्यालों में खोया हुआ था कि अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई, मैंने उठ कर दरवाजा खोला तो सामने आंटी खड़ी थी- बेटा, आज इतनी देर क्यों कैसे हो गई?
“आंटी, आज कॉलेज में कुछ काम पड़ गया था।”
“तो क्या अब इतनी रात को खाना बनाओगे?”
मैं सोच में पड़ गया…
“क्या सोच रहे हो?”
मैं तो आंटी की मस्त चूचियाँ ही देखे जा रहा था, मेरा लंड पजामे के अन्दर थिरकने लगा था, पजामा तम्बू बन चुका था…
आंटी की नजर शायद उस पर पड़ गई थी ..
उन्होंने मुझसे कहा- आज खाना हमारे यहाँ खा लो।
मैंने हाँ में सर हिला दिया- जी अच्छा !
आंटी दरवाजा बंद करके चली गई।
मैं जल्दी जल्दी तैयार होकर आंटी के कमरे में पहुँच कर सोफे पर बैठ गया, तभी शाम्भवी ने पानी लाकर मेरे सामने मेज पर रख दिया। मैं तो खाना-वाना सब भूल कर बस उसके स्तनों का दूर से ही दर्शन कर रहा था, फिर वो पलटी और जाने लगी।
कसम से क्या बताऊँ, मन तो कर रहा था कि पीछे से जाकर पकड़ कर अपना लंड उसकी गांड में पेल दूँ।
तभी आंटी खाना लेकर आ गई और मेरे सामने रख दिया।
मैंने खाना शुरु किया, आंटी मेरे सामने ही सोफे पर बैठ गई, उन्होंने एक झीनी सी नाइटी पहनी थी, क्या क़यामत लग रही थी, नाइटी उनके घुटनों तक ही थी उनकी गोरी गोरी टांगें देख कर मेरे मन में तूफ़ान सा उठने लगा, मैंने पानी का ग्लास उठाया और एक ही बार में पूरा पानी पी गया।
आंटी के गोरे गोरे गोलगोल मम्मे साफ साफ नाइटी से झलक रहे थे, शायद आंटी भी मेरे मनोभावों को समझ रही थी

उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है? क्या तुम उससे मिलने गए थे इसलिए तुम्हें घर आने में देर हुई?
मैंने शरमाते हुए कहा- नहीं, ऐसी बात नहीं है।
मैंने जल्दी जल्दी खाना खाया और झट से उठ गया।
मैं अपने कमरे में आकर मुठ मारने लगा, रात भर आंटी की जांघें, उनके स्तन और शाम्भवी के चूतड़ याद आते रहे।
कुछ दिनों बाद परीक्षायें शुरू हो गई थी, शाम्भवी प्रथम वर्ष की छात्रा थी, उसकी भी परीक्षायें शुरू हो गई थी।
उसी दौरान ऊपर वाले ने मेरी सुन ली, उनके घर उनके चाचा जी आ गए, वे अपने बेटी की शादी का निमंत्रण देने आये थे।
उनका घर मुरादाबाद में है, वो अगले दिन चले गए, मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि अब अंकल और आंटी चली जाएँगी और मैं और शाम्भवी अकेली रह जायेंगे।
एक हफ्ते बाद अंकल को जाना था, जाने के एक दिन पहले आंटी ने मुझे बुलाया, मैं झट से पहुंचा।
आंटी ने मुझसे कहा- तेज तुमको अगले कुछ दिनों में अपने घर तो नहीं जाना है ना?
मुझे क्या पागल कुत्ते ने काटा था जो ऐसे मौके पर मैं घर जाता, मैंने मन में सोचा।
“नहीं आंटी, मुझे घर नहीं जाना है…!”
“बेटा, कल हम लोग शाम्भवी के चाचा के यहाँ जा रहे हैं, उनकी बेटी की शादी है, लौटने में 3 दिन लगेंगे, शाम्भवी की परीक्षायें चल रही हैं इसलिए वो नहीं जा पायेगी। इसलिए तुम कॉलेज से जल्दी लौट आया करना, रात का खाना यहीं पर खा लिया करना क्यूंकि शाम्भवी तीन दिन घर पर अकेली रहेगी।”
मैं तो मन ही मन सोच रहा था कि आंटी, तुम जाओ, मैं तो कॉलेज ही नहीं जाऊँगा।
दूसरे दिन अंकल और आंटी सुबह निकल गए, अब मैं और शाम्भवी घर में अकेले ही रह गए थे।
शनिवार का दिन था, शाम्भवी पेपर देने चली गई दोपहर को लौट कर आई, मैं घर पर ही था, आते ही उसने मुझसे पूछा- आप…? कॉलेज नहीं गए?
मैंने बहाना मार दिया- …मेरी तबीयत कुछ सही नहीं है…
उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और चली गई।
मैं तो बेहोश ही हो जाता… उसके वो गोलगोल कूल्हे ! हाय मैं एक बार इसकी गाण्ड मार लूँ, फिर मैं नर्क में भी जाने को तैयार हूँ।
खैर किसी तरह शाम हुई, मैं अपने लैपटॉप पर ब्लू फिल्म देख रहा था, मैं दरवाजा बंद करना भूल गया था, अचानक मुझे लगा दरवाजे पर कोई है।
पर मैंने पलट कर देखा नहीं, मुझे मालूम था शाम्भवी ही होगी।
4-5 मिनट बाद उसने दरवाजा खटखटाया मैंने अपने लंड सीधा किया और बाहर आया।
वो सर झुकाए हुए थी… उसकी साँसें तेज चल रही थी…
मैंने जान लिया कि उसने मुझे ब्लू फिल्म देखते हुए देख लिया है…
मैंने पूछा- क्या हुआ…?
उसने हिचकिचाते हुए कहा- चाय पी लीजिये आकर…
मैं धीरे से उसके पीछे पीछे उसकी गांड को निहारता हुआ उसकी शरीर से आती मादक खुशबू को सूंघता हुआ उसके पीछे चल दिया। मैं सोफे पर बैठा था, वो चाय लाने चली गई, थोड़ी देर में वो आई और चाय का कप रख कर चली गई।
मैं चाय पीकर अपने कमरे में आकर जोर जोर से मुठ मारने लगा…
रात हुई… अचानक नीचे से आवाज आई- खाना खा लीजिये…
मैं झट से लोअर और टीशर्ट पहन कर निकल पड़ा, मैंने जानबूझ कर अंडरवीयर नहीं पहना था ताकि उसकी नजर मेरे 8 इंच लंबे लंड पर पड़े !
मैं जाकर सोफे पर बैठ गया.. 5 मिनट बाद वो खाना लेकर आई…
उसे देख कर मैं चौंक पड़ा, उसने एक मिनी स्कर्ट पहन रखी थी और एक सफ़ेद रंग की टॉप ! मिनी स्कर्ट के नीचे से उसकी गोरी गोरी दूधिया जांघें साफ़ साफ़ दिख रही थी।
मेरा पजामा तो तम्बू बन गया था, उसने खाना रख कर मेरी तरफ कर दिया और वो पलट के सामने कमरे में चली गई, कमरे का दरवाजा खुला था, वो बिस्तर पर बैठ कर टी वी आन करके कोई फिल्म देख रही थी और मैं खाना खाते हुए उसको निहारे जा रहा था। 15 मिनट लगे मुझे खाना खाने में, फिर मैं हाथ मुँह धोकर सोफे पर बैठ कर उसको देख रहा था, पजामे में मेरा लंड टाईट हुआ जा रहा था, उसने मेरी तरफ देखा और मुझसे पूछा- अगर टीवी देखना हो तो यहाँ आकर देख लीजिये, वहाँ से साफ़ नहीं दिख रहा होगा। उसे लगा कि मैं टी वी देख रहा हूँ।
पर अंधे को क्या चाहिए, दो आँखें !
मुझे तो मन मांगी मुराद मिल गई थी, मैं झट से उसके कमरे में चला गया और कुर्सी पर बैठ गया, टीवी देखने लगा, मैं तिरछी नज़र से उसको भी देख रहा था।
अचानक उसने भी तिरछी नज़र से मुझको देखा, उसी समय मैं भी उसको देख रहा था, हम दोनों की नज़रें मिल गई, उसने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया और मैंने मुस्कुरा कर अपना सर नीचे कर लिया।
उसने मेरी तरफ देखा और मुझसे पूछा- अगर टीवी देखना हो तो यहाँ आकर देख लीजिये, वहाँ से साफ़ नहीं दिख रहा होगा। उसे लगा कि मैं टी वी देख रहा हूँ।
पर अंधे को क्या चाहिए, दो आँखें !
मुझे तो मन मांगी मुराद मिल गई थी, मैं झट से उसके कमरे में चला गया और कुर्सी पर बैठ गया, टीवी देखने लगा, मैं तिरछी नज़र से उसको भी देख रहा था।
अचानक उसने भी तिरछी नज़र से मुझको देखा, उसी समय मैं भी उसको देख रहा था, हम दोनों की नज़रें मिल गई, उसने अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया और मैंने मुस्कुरा कर अपना सर नीचे कर लिया।

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उसने मुझसे कहा- बेड पर आ जाओ, ठण्ड लग रही होगी।
मैं बिस्तर पर उसके बगल बैठ गया, अब मुझमें थोड़ी बहुत हिम्मत आ रही थी, मुझे लगाने लगा था कि उसके मन में भी कुछ है, उसने अपना कम्बल मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा- आप भी ओढ़ लीजिये, नहीं तो ठण्ड लग जाएगी।
मैं उसके कम्बल में पैर डाल कर कमर तक ओढ़ कर बैठ गया, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने अपना पैर उसकी तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया…
कम्बल के अन्दर ही मेरा पैर उसके पैरों को ढूँढने लगा, मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था हल्का हल्का पसीना आने लगा। अचानक मेरा पैर उसके पैर से हल्का सा छु गया, मुझे तो जैसे 440 वोल्ट का कर्रेंट लगा हो मैंने तुरंत अपना पैर पीछे कर लिया।
मेरा लंड मेरे पजामे में फटने को बेताब हो रहा था, लेकिन मैंने गौर किया कि मेरी इस हरकत से उसको कोई फर्क नहीं पड़ा।
मेरी हिम्मत कुछ बढ़ रही थी, अचानक…
अचानक उसने रिमोट लिया और चैनल बदलने लगी किसी चैनल पर होरर शो आ रहा था, बहुत ही डरावना था, पर आज कितना भी
डरावना शो आये मुझे डर नहीं लग रहा था, मैंने फिर अपना पैर उसकी तरफ बढ़ा दिया, इस बार मेरा पैर उसके पैर को छुआ तो मैंने पैर पीछे नहीं किया। उसने मेरी तरफ देखा पर कुछ नहीं बोली।
मेरी हिम्मत और बढ़ गई थी, मैंने उसके पैरो पर अपने पैर सटा के धीरे धीरे ऊपर की ओर ले जाने लगा, उसने तुरंत अपना पैर हिलाया, मैं डर गया, मैं रुक गया, पर मैंने अपना पैर पीछे नहीं किया, अचानक कोई बहुत ही डरावना सीन आया और उसने डर के मारे मेरा हाथ पकड़ लिया, फिर उसने सॉरी बोल कर मेरा हाथ छोड़ दिया।
मैंने कहा- डर लग रहा है तो चैनल बदल दो।
उसने कहा- बहुत अच्छी कहानी आ रही है.. पर थोड़ी डरावनी है, मैं देखना चाहती हूँ पर डर लग रहा है, मम्मी पापा रहते थे तो उनके साथ देखती थी फिर मम्मी के पास ही सो जाती थी।
मैंने तुरंत कहा- कोई बात नहीं, तुम पूरा शो देखो, मैं हूँ, डरने की कोई बात नहीं।
उसने मुस्कुरा कर धन्यवाद कहा और शो देखने लगी। मैंने अपना पैर उसके पैर पर रगड़ना शुरू कर दिया। शो में कुछ अश्लील दृश्य भी थे, वो उसको ध्यान से देख रही थी, मैंने अपना पैर उसके घुटने तक ला दिया और सहलाने लगा।
वो कुछ नहीं बोल रही थी, उसकी साँसें तेज हो रही थी, मेरी हिम्मत बहुत बढ़ गई थी, मैंने अपना हाथ कम्बल के अन्दर से ही
उसकी जांघों पर रख दिया। वो कसमसाई पर बोली कुछ नहीं।
मैंने धीरे धीरे उसके जांघों को सहलाना शुरू कर दिया, उसने सिर्फ स्कर्ट ही पहन रखी थी।
हे भगवान, क्या बताऊँ ! कितनी चिकनी जांघें थी। रुई जैसी नर्म, मैं तो पागल हुआ जा रहा था। अचनक सीरियल खत्म हो गया, उसकी साँसें तेज चल रही थी।
मुझे उसकी आँखों में लाल डोरे साफ़ दिख रहे थे मैं समझ गया कि यह पूरा नशे में है, वो उठी, टीवी बंद किया और उठ कर बाथरूम में चली गई। मैं अपना लंड मसोस कर रह गया, मुझे लगा अब ज़िन्दगी में कभी इसको चोद नहीं पाऊँगा।
मैंने सोचा क्यों न इसको बाथरूम में नंगा देखा जाये, मैंने की-होल में आँख लगा दी, अन्दर का नज़ारा देखते ही मेरे होश उड़ गए, वो नीचे से पूरी नंगी थी, उसने अपनी उंगली से अपनी चूत सहला रही थी और जोर जोर से सिसकारियाँ ले रही थी।
मैं पागल हुआ जा रहा था, फिर उसने अपने कपड़े पहने और बाहर आने लगी।
मैं तुरंत जाकर कुर्सी पर बैठ गया, वो बाहर आई तो मैंने उससे कहा- ठीक है, अब तुम सो जाओ, मैं अपने कमरे में चलता हूँ, अगर डर लगे तो बुला लेना।
उसने कहा- मुझे डर लगेगा तो मैं आप को बुलाने कैसे आऊँगी, बाहर निकलने में भी तो डर लगेगा, प्लीज आज आप यहीं सो जाइये…
मैंने कहा- वो तो है… ठीक है, मैं यहीं सो जाता हूँ…
फिर मैं उसके ही बेड पर थोड़ी दूरी बना कर लेट गया… और मैंने कम्बल ओढ़ लिया। उसने लाइट बंद की और आकर बेड पर लेट गई..
मुझे नींद कहाँ आने वाली थी.. मैं तो उसको चोदने की सोच रहा था…
मैंने सोच लिया था कि आज इसको चोद कर ही रहूँगा…फिर यह चाहे गुस्सा ही क्यों न हो जाये।
मैंने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया उसके घुटनों तक मेरा हाथ पहुँच गया था, मैं उसके घुटने सहलाने लगा, एकदम चिकनी टांगें नर्म नर्म ! मैंने अपने हाथ उसकी जांघों तक बढ़ा दिया और जांघों को सहलाने लगा।
वो कसमसा रही थी, पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था, मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी नर्म जांघों पर फिरानी चालू कर दी, उसने अपने दोनों पैरों को चिपका लिया और टांगों को एकदम सख्त कर लिया।
मैं जान गया कि वो सो नहीं रही है, उसे भी मजा आ रहा है।
मैंने अपना हाथ उसकी स्कर्ट के अन्दर घुसाना शुरू किया, जैसे ही मैंने उसकी पैंटी पर हाथ रखा, मुझे लगा मेरा हाथ जल जायेगा।
उसने झट से मेरा हाथ हटा दिया, मैं समझ गया अब वो मेरा विरोध नहीं करेगी, मैंने तुरंत अपने होंठ उसके नर्म मुलायम होंठों पर रख दिए।
वो मुझे धकेलने लगी पर मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर चिपका रखे थे, मैंने उसके होंठों को चूसना चालू कर दिया, वो मुझे हटाने की नाकाम कोशिश कर रही थी धीरे धीरे उसने मेरा विरोध करना छोड़ दिया और मेरे होंठ चूसने लगी।
मैंने एक हाथ से उसके टीशर्ट को ऊपर करने की कोशिश की तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया…रहने दो प्ली…ज !!!! म…त उ…ता…रो
वो धीरे धीरे कहने लगी..
पर मैं उसकी एक नहीं सुन रहा था, मैंने तुरंत उसकी टीशर्ट उसके शरीर से हटा दी…
फिर मैं उसके गोल गोल सख्त हुए, चिकने स्तनों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा, वो सिस्कारियाँ लेने लगी…रह…ने… दो… प्ली…ज आ…ह… उफ़… अम…
मैं उसकी सिसकारियों को सुन कर पागल हुआ जा रहा था…
मैंने उसकी ब्रा उतार दी… अब मैं उसके स्तनों के अग्र भाग के चूचकों को चूसने लगा, वो मस्त हो रही थी।
उसने मेरा सर पकड़ के अपने छातियों पर जोर से दबा दिया…और मेरी टीशर्ट निकालने लगी।
मैंने तुरंत अपना पजामा और टीशर्ट निकाल दिया…
अब मैं पूरा नंगा था और वो ऊपर से नंगी थी।
मैंने कम्बल हटा दिया और नाईट बल्ब की रोशनी में क्या क़यामत लग रही थी !
मैंने अपना हाथ नीचे की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया मेरा हाथ उसकी स्कर्ट पर पहुँच गया, मैंने उसके स्कर्ट को खोल कर अलग कर दिया, उसने शर्म से अपनी आँखें बंद कर रखी थी।
मैंने उसको पलट दिया अब वो पेट के बल लेती थी और मैं उसके बदन को निहार रहा था।
मैंने उसकी गर्दन, कान, कंधे, पीठ-कमर पर ताबड़तोड़ चुम्मों की बारिश कर दी, मैं उसके बदन को चाट रहा था…
अब मेरी जबान उसकी पीठ, कमर, और गर्दन पर फिसल रही थी…
उसने चादर को अपनी मुठ्ठी में भींच रखा था…
मैंने उसके चूतड़ों की तरफ देखा, क्या लग रही थे गोल-गोल उभार लिए हुए…
मैंने उसकी पैंटी नीचे सरकानी शुरू कर दी…
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया मैंने उसका हाथ हटा के पैंटी उसके शरीर से अलग कर दिया।
अब वो मेरे सामने पूरी नंगी लेटी थी।
मैंने उठ कर लाइट जला दी और बेड पर आ गया…
वो शर्मा रही थी, उसने मुझसे कहा- लाइट बंद कर दो प्लीज, मुझे बुरा लग रहा है…
मैंने कहा- इसमें बुरा क्या है?
उसने कुछ नहीं कहा…
फिर मैंने उसके चूतड़ों के उभारों को चूमने लगा वो अपने कूल्हे बार बार उपर उछाल रही थी…
मैंने उसकी गांड की फांकों को फैला कर उसके छेद को देखा.. क्या लाल छेद था ! मैंने झट से उसपर अपनी जीभ रख दी, वो कसमसाने लगी।
मैं उसके छेद पर अपनी जीभ फिरा रहा था, वो आ…ह ..उफ़… अम… हा… आ…ह करके अपने चूतड़ हिला रही थी।
मैंने 5 मिनट उसकी गांड का रसास्वादन किया, फिर उसको पलट दिया उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी। मैंने उसके होंठ चूमने शुरू कर दिए और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी…मैंने अपने एक हाथ से उसके स्तनों का मर्दन शुरू कर दिया था… और एक हाथ से उसके चूत को सहला रहा था।
फिर मैंने अपना सर उसके पैरों की तरफ कर लिया और उसको अपने ऊपर कर लिया अब हम 69 की अवस्था में थे, मैंने उसकी टांगों को थोड़ा सा फैला कर उसकी जलती हुई चूत पर अपनी जीभ रख दी…
वो सीत्कार उठी…
मैं अपनी जीभ उसकी चूत की फांकों के बीच फिराने लगा, उसकी चूत से रस की धारा बह निकली। अब मैं उसकी चूत को खूब जोर-जोर से चाट रहा था, वो अपना चूत मेरे मुख पर रख कर दबा कर हिलाने लगती थी…
अब मैंने अपना लंड जो उसके मुँह के पास था उसको पकड़ कर उसके मुँह पर लगा दिया…
उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया… कसम से दोस्तों क्या चूसा था उसने मेरा लंड…
मुझे तो लगा मेरा पानी ही निकाल जाएगा पर… उसके पहले ही मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाल लिया।
अब वो सीधी हुई और मेरे ऊपर लेट गई मेरा लंड उसके चूत से टकराने लगा…
वो अपने गांड को हिला रही थी और चूत को मेरे लंड पर मल रही थी…
मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और खुद उसके ऊपर आ गया, मैंने अपन लंड उसकी चूत पर रख दिया उसकी चूत पानी छोड़ रही थी…
मैंने अपना लंड सही निशाने पर रख के अपने होंठ उसने होंठो पर चिपका दिया ताकि वो चिल्लाये ना…
और उसकी कमर पकड़ के एक झटका मारा तो मेरा आधा लंड उसकी चूत में समां गया…
और वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी ऐंठने लगी थी, उसके मुँह से गूं… गूं… की घुटी घुटी आवाज़ आ रही थी, मैंने एक ज़ोरदार धक्का और लगाया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में रास्ता बनाता घुस गया।
उसने अपने होंठ छुड़ाते हुए कहा- छोड़ो मुझे ! मैं मर जा..ऊँ…गी मुझे नहीं करना कुछ भी ! प्ली…ज मुझे छोड़ दो…
मैंने उससे कहा- अगर अब दर्द हुआ तो मैं कसम से कुछ नहीं करूँगा।
मैंने उसके स्तनों को चूसना चालू कर दिया और लंड को उसकी चूत में ही रहने दिया… मैं उसके स्तनों को जोर जोर से चूस रहा था साथ में उसके, गले, सीने, कान, गाल, पर चुम्बन भी दे रहा था…
वो मस्त होने लगी और उसका दर्द भी कम होने लगा… अब उसने मुझे जोर से भींच रखा था…
मैंने अपना लंड थोडा सा उसकी चूत से निकाला और फिर धीरे से अन्दर डाला, मैं यही बार बार करने लगा उसने अपनी गांड उचकाना शुरू कर दिया तो मैं जान गया कि अब यह चुदाई के लिए तैयार है…
मैंने झटके लगाने शुरू कर दिए…
उसकी साँसों की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी…वो जोर जोर से सिसकारियाँ भर रही थी।
मैंने ताबड़तोड़ झटके लगाने शुरू कर दिए और लगभग 20 मिनट बाद वो अकड़ने लगी, उसकी चूत में संकुचन होने लगा। मैं समझ गया कि वो जाने वाली है। फिर वो झटके लेने लगी और मुझे जोर से भींच लिया और वो झड़ गई, मैंने भी रफ़्तार बढ़ा दी और थोड़ी ही देर में मैं भी झड़ गया…
फ़िर हम दोनों एक दूसरे से चिपके कुछ देर पस्त पड़े रहे, उस रात मैंने उसको 2 बार और चोदा|||||

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