मैं ज़ोया, अपनी चुदाई कहानी का अगला पार्ट लेके हाज़िर हू. अगर आपने पिछला पार्ट अभी तक नही पढ़ा है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े.
पिछले पार्ट में आपने पढ़ा की स्कूल के बाद मैं कॉलेज नही गयी, और मुझे सेक्स के बारे में कुछ नही पता था. फिर एक दिन अब्बू ने मुझे रात में लड़की से औरत बनाने की बात कही, और रात को मेरे कमरे में आके वो मुझे प्यार करने लगे. अब आयेज-
मैं ब्रा और सलवार में लेती थी अब्बू के साथ, और उनके छूट को छूने से मेरा पानी निकल चुका था. मेरी बॉडी ढीली पद गयी थी. फिर अब्बू ने मेरी गरण पर किस करना शुरू किया, और पीछे हाथ डाल कर मेरी ब्रा खोल दी. उन्होने मेरी ब्रा निकाल कर मेरे बूब्स को नंगा कर दिया. मैने जल्दी से अपने हाथ बूब्स पर रख कर उनको ढाका. लेकिन अब्बू ने मेरे हाथ हटाए, और मेरे बूब्स चूसने लगे.
उनके ऐसा करने से मेरी साँसे फिर से तेज़ होने लगी. आज पहली बार मेरे अलावा किसी ने मेरे बूब्स को टच किया था. अब्बू मेरे निपल्स मूह में लेके खींच रहे थे. जैसे ही वो मेरे निपल को खींचते, मेरे नीचे एक करेंट सा लगता.
फिर उन्होने मेरे बूब्स छ्चोढे. मैने देखा मेरे निपल्स लाल हो चुके थे. फिर अब्बू नीचे गये और मेरे उपर आ गये. उनका मूह मेरी कमर के पास था. वो मेरी नाभि में जीभ डालने लगे, जिससे मेरे जिस्म में अलग सी तड़प उठने लगी.
नाभि को चूमते हुए उन्होने मेरी सलवार पनटी समेत नीचे कर दी. अब मेरी छूट उनके सामने नंगी थी. मुझे बहुत शरम आ रही थी, और मैं छूट को हाथो से ढकने की कोशिश करने लगी. पर उन्होने मुझे छूट को च्छुपाने नही दिया.
तभी कुछ ऐसा हुआ, जिसने मुझे हैरान कर दिया. अब्बू ने मेरी छूट पर अपना मूह लगा दिया, और उसको चाटने लगे. मुझे बहुत घिंन आने लगी, की वो मेरी सस्यू वाली जगह को चाट रहे थे. लेकिन फिर मुझे स्वर्ग का मज़ा आने लगा. मेरे हाथ अपने आप ही अब्बू के बालों में चले गये, और मैं उनके सर को अपनी छूट में दबाने लगी. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा सस्यू दोबारा निकल जाएगा.
तभी अब्बू ने मेरी छूट से मूह हटा लिया, और मेरी साँस में साँस आई. अब्बू अब बिस्तर पर घुटनो के बाल खड़े थे. वो मुझे देखे जेया रहे थे. मैं पूरी नंगी थी, और समझ नही पा रही थी की क्या च्छूपौ.
फिर अब्बू बेड से नीचे उतार गये, और उन्होने अपना पाजामा और अंडरवेर दोनो उतार दिए. नीचे से उनका लंड निकला, जो बिल्कुल तन्ना हुआ, बड़ा, और मोटा था. ये पहली बार था जब मैने किसी मर्द का लंड देखा था. उसके साइज़ को देख कर मैं हैरान थी.
अब्बू ने लंड को हाथ में लिया, और मुझे पास बुलाया. मैं उठ कर घुटनो के बाल उनके सामने जाके बैठ गयी. फिर उन्होने मेरे बालों में हाथ डाला, और मेरे मूह को नीचे धकेल कर लंड के सामने कर दिया. मैं अंजान समझ नही पा रही थी की मुझे क्या करना था. फिर वो बोले-
अब्बू: मूह खोलो.
मैने मूह खोला, तो उन्होने लंड मूह में डाल दिया. फिर वो लंड को चूसने के लिए बोले. मुझे समझ नही आ रहा था की कैसे करू. तभी उन्होने फोन में वीडियो चलाई, जिसमे लड़की लंड चूस रही थी, और मुझे भी वैसा ही करने को बोला.
मैं भी उसको कॉपी करते हुए लंड अंदर-बाहर करने लगी. तभी उन्होने मेरे मूह पर ज़ोर का तमाचा मारा. मैं हैरान हो गयी की क्यूँ मारा. फिर वो बोले-
अब्बू: हरमज़ाडी, दाँत मत मार उस पर, सिर्फ़ जीभ चला.
मैं फिर आराम से चूसने लगी. तभी उन्होने मेरे बाल पकड़े, और मेरे मूह में तेज़ धक्के देने लगी. मेरी साँस रुकने लगी, लेकिन वो नही रुके. उनका लंड मेरी थूक से पूरी तरह सन्न चुका था. कुछ टाइम मूह छोड़ने के बाद उन्होने लंड बाहर निकाला. मेरा मूह अब दर्द करने लगा था.
फिर अब्बू ने मुझे बिस्तर पर धक्का देके सीधी लिटाया, और मेरे उपर आ गये. मेरी टाँगें खोल कर वो टाँगों के बीच आ गये. फिर उन्होने अपना लंड हाथ में लिया, और मेरी छूट के मूह पर रगड़ने लगे. मेरा शरीर काँपने लगा. तभी अब्बू ने झटका मारा, और मुझे ऐसा दर्द हुआ, जैसे किसी ने चाकू घोंप दिया हो.
मैं चिल्लाने लगी, लेकिन अब्बू ने मेरे मूह को अपने मूह से बंद कर दिया. वो मेरे होंठ चूसने लगे, और नीचे से धक्के पे धक्का मारते गये. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी नीचे कोई खुदाई कर रहा हो, और सब कुछ फाड़ रहा हो.
कुछ सेकेंड्स बाद अब्बू रुक गये. मुझे उनका लंड अपने पेट तक फील हो रहा था. मैं बहुत दर्द में थी, और मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे. लेकिन अब्बू मेरे होंठ चूस्टे जेया रहे थे, और मुझे चीखने भी नही दे रहे थे.
कुछ देर बाद मेरा दर्द कम होने लगा. फिर अब्बू ने लंड बाहर निकाला. उसके बाद उन्होने दोबारा डाला तो इतना दर्द नही हुआ. फिर अब्बू लंड बार-बार मेरे अंदर-बाहर करने लगे. अब मुझे मज़ा आने लगा, और मेरे मूह से आहें निकालने लगी.
मैने अब्बू को अपनी तरफ खींचा, और उनके होंठ चूसने लगी. उनके लगाए हर धक्के पे मुझे बहुत मज़ा आने लगा, और मैं भी गांद उठा-उठा कर लंड लेने लगी. ऐसे ही हमारी स्पीड बढ़ती गयी, और कमरे में आ आ और ठप ठप की आवाज़े गूंजने लगी.
अब्बू मुझे तेज़ी से छोड़ रहे थे, और मेरे होंठ और बूब्स चूस्टे चले जेया रहे थे. कुछ देर बाद उन्होने लंड बाहर निकाला. मैने देखा तो उनका लंड लाल हुआ पड़ा था. फिर उन्होने मुझे उल्टी लिटा लिया, और मेरी टाँगें खोल कर पीछे से मुझे छोड़ने लगे.
इससे मुझे फिर से दर्द होने लगा, लेकिन इतना ज़्यादा नही था. कुछ मिनिट बाद मेरा पानी दोबारा से निकल गया. फिर कुछ देर में अब्बू भी आ आ करने लगे, और मुझे मेरी छूट में कुछ गरम-गरम भरता हुआ महसूस हुआ. फिर अब्बू मेरे साथ ही लाते गये. मैं इतनी तक गयी थी की सीधी भी नही हो पाई, और वैसे ही सो गयी.
काफ़ी वक़्त बाद मुझे पता चला की हमारे बीच क्या हुआ था. लेकिन तब तक मेरे पेट में अब्बू का बच्चा था, और मैं उनकी बीवी बन चुकी थी.