जंगल ट्रिप पर नया सेक्स अड्वेंचर

दोस्तों मेरी अगली सेक्स कहानी में आपका स्वागत करता हू. नेक्स्ट दे हम सुबह के 7 बजे उठ कर रेडी होने लगे. मैने उस दिन ब्लॅक आंड ग्रीन ट्वॉफेर टके ड्रेस पहना था. मुझे सब ने कॉंप्लिमेंट दिया की आप सच में हमारी आगे के लग रहे हो. उसके बाद हुमको मॉर्निंग ब्रेकफास्ट दिया, और फिर से कहा की ये आपको आयेज 2 दिन मुश्किल से मिलने वाला है. अगले 2 दिन जंगल में रहना है.

निशा: क्या यार, ये लोग भी शांति से नाश्ता भी नही करने दे रहे.

सन्नी: हा तुझे हर टाइम खाने की पड़ी रहती है. तुझे ही बोल रहे है, अभी तूस-तूस कर खा लो, बाद में नही मिलेगा.

निशा (मूह बनाते हुए): वेरी फन्नी. चल अब चुप-छाप नाश्ता कर, मेरी शकल मत देख.

सन्नी बेचारा बिना कुछ बोले नाश्ता कर रहा था. लेकिन उसकी स्माइल बहुत शरारती थी. मैं उसके फेस की तरफ देखी, तो वो शर्मा गया. उसकी क्यूट स्माइल देख कर मेरे फेस पर भी हस्सी आ गयी. मेरी और सन्नी की आँख-मिचोली शुरू हो गयी थी.

सन्नी के साथ मुझे ऐसा लग रहा था मैं 18 साल की कॉलेज गर्ल थी. उसके बाद हम सब को एक फॉर्म फिल करने को कहा. जिसमे हमारा नामे, अड्रेस, आगे, एमर्जेन्सी कॉंटॅक्ट नंबर एट्सेटरा था. और साथ में कुछ टर्म्ज़ भी थे जिसमे लिखा था हमे कुछ हो गया तो वो लोग ज़िम्मेदार नही है. हम अपने रिस्क पर जेया रहे है. और कुछ स्ट्रिक्ट रूल्स थे जो हमे फॉलो करने थे. मैने वो फॉर्म फिल करके नीचे मेरा सिग्नेचर कर दिया.

उसके बाद हमको लाइन से खड़ा किया गया, जैसे मिलिटरी में करते है. उसके बाद 2 आदमी आए. मैं तो उनको देखती ही रह गयी. क्या मस्क्युलर बॉडी थी दोनो की. दोनो की हाइट भी काफ़ी अची थी. उनको देख कर मैं एक मिनिट के लिए खो गयी. उनमे से एक की नज़र मेरे से मिल गयी. वो शायद मेरा इंटेनसीओं समझ गया था. लेकिन कुछ रिक्षन नही किया, बस मॅन ही मॅन खुश हो गया.

उन्होने अब उनका परिचय दिया. एक का नाम विक्रम था. उसकी आगे 40 थी. वो मिलिटरी से रिटाइयर्मेंट लेकर पिछले 4 साल से आ कॅंप चला रहा था. दूसरे ने अपना नाम इरफ़ान बताया. उसकी आगे 39 थी, और वो भी यहाँ विक्रम के साथ पार्ट्नर था. मेरी जिससे नज़र मिली थी, वो इरफ़ान था. वैसे दोनो मस्त थे, लेकिन मेरी नज़र बार-बार इरफ़ान के उपर जेया रही थी.

वो भी मुझे आचे से नोटीस करने लगा था. उसके बाद वो दोनो हम सब से एक-एक करके पर्सनली मिल कर फॉर्म कलेक्ट कर रहे थे. इरफ़ान ने जान-बूझ कर मेरा फॉर्म लास्ट में लिया, ताकि वो मेरे से ज़्यादा टाइम बात कर सके.

इरफ़ान मेरा फॉर्म आचे से पढ़ रहा था, और वो मुझे बोला: लगता है तुमने आज सही से नाश्ता नही किया है.

मैं: मैने तो आचे से नाश्ता किया है.

इरफ़ान (मुस्कुरा कर): इंसान ऐसी ग़लती अक्सर जल्द-बाज़ी में करता है.

मैं: मैने क्या ग़लती की सिर?

इरफ़ान: तुमने अपनी आगे 24 की जगह 42 लिख दी है.

मैं: मेरी आगे 24 नही 42 है.

इरफ़ान मुझे उपर से नीचे तक देख कर: क्या सच में? मैं नही मानता.

मैने अपने मोबाइल में अपने आधार कार्ड की फोटो दिखाई, वो मेरी बर्त डटे देख कर शॉक्ड हो गया.

मैं: अब लग रहा है ना?

इरफ़ान: लग तो नही रहा, लेकिन ये तो खुदा का करिश्मा है. सच में आप 42 के लगते नही हो (तू से आप पर आ गया).

मैं: देखो मुझे ज़्यादा रेस्पेक्ट मत दो, अभी मैं स्वीट 16 हू (मैं हासणे लगी).

इरफ़ान (हेस्ट हुए): हा आपने 16 लिखा होता तो मैं मान ही लेता.

मैं: सिर क्या आप भी!

इरफ़ान: डॉन’त कॉल मे सिर, जस्ट कॉल में इरफ़ान.

मैं (उसकी आँखों में देखते हुए एक सेडक्टिव स्माइल दी): ओक इरफ़ान.

मैने सोच लिया था की ऐसा मौका कभी नही मिलेगा. अभी ये टाइम था खुल कर मस्ती करने का. उसके बाद हम सब को वॉकी-टॉकी डिवाइस दिए, जिससे हम एमर्जेन्सी में कॉंटॅक्ट कर सके. हम अपने-अपने बाग लेकर जंगल में निकल पड़े. मैं बहुत एग्ज़ाइटेड थी, लेकिन मुझे नही पता था की मैं जिस जंगल में जेया रही थी, वहाँ मेरी लाइफ में एक ट्विस्ट आने वाला था.

सन्नी मेरा साथ बिल्कुल नही छ्चोढ़ रहा था. और मैं भी उसके साथ काफ़ी कंफर्टबल फील कर रही थी. धीरे-धीरे हम दोनो की केमिस्ट्री इतनी मॅच हो गयी थी, की मुझे लगता ही नही था की हम दोनो की आगे में इतना बड़ा डिफरेन्स था. और हम जिस जंगल में थे, वो सच में काफ़ी मस्त प्लेस था. नेचर के बीच में शांति मिल रही थी. कुछ आचे स्पॉट दिखते, वहाँ सन्नी मेरी फोटोस भी ले रहा था.

हम उस दिन जंगल में कुछ 17-18 केयेम चले. उसके बाद वहाँ हम सब के लिए टेंट लगाया था. और वहाँ भी आचे खाने की व्यवस्था थी. एक टेंट में 3 से 4 लोगों के सोने की व्यवस्था थी. हमारे ग्रूप को 2 टेंट प्रवाइड किए गये थे. जिसमे एक में मैं, निशा, बिजल और सन्नी थे. और दूसरे टेंट में राहुल और सुमित के साथ स्वेता और रूपाल थी.

मुझे धीरे-धीरे समझ आ गया था राहुल की गफ़ स्वेता थी, और सुमित की गफ़ रूपाल थी. क्यूंकी पूरा दिन वो चारों अपनी दुनिया में बिज़ी थे. जंगल ट्रिप का पहला दिन था, और बहुत चलने के बाद हम सब थकान से सो गये. मुझे तो ये भी नही पता चला की कब रात निकल गयी.

मुझे अची नींद मिली थी, तो मैं बहुत जल्दी उठ गयी. मैं बहुत फ्रेश फील कर रही थी. मेरी सारी थकान डोर हो गयी थी. मैं टेंट से बाहर आई, तब मुझे बाहर का नज़ारा बहुत खूबसूरत लगा. हल्की ठंडी हवा चल रही थी, और चाँद की रोशनी थी. मुझे बाहर विक्रम मिल गया. मैने उस टाइम ब्लॅक त-शर्ट और बहुत छ्होटा सा शॉर्ट्स पहना था. विक्रम मुझे आचे से देख कर नोटीस किया, और मेरे पास आया.

विक्रम: गुड मॉर्निंग. आप तो बहुत जल्दी उठ गये. क्या बात है?

मैं: हा ये मेरे घर पर उठने का रोज़ का टाइम है. मुझे अब फ्रेश होना है तो कहाँ जाना है?

विक्रम (हेस्ट हुए): क्या आप भी. यहाँ कोई होटेल थोड़ी है. जंगल है, जहाँ मॅन करे चले जाओ.

मैं: ऐसे मुझे जंगल में दर्र लगता है.

विक्रम: जंगल में कैसे रहा जाता है, ये एक्सपीरियेन्स करने के लिए तो ये कॅंप रखा है.

मैं: फिर भी, आप समझो मुझे दर्र लग रहा है.

मैं (उसको स्माइल देकर): क्या आप मेरी हेल्प नही करोगे?

विक्रम: मैं आपकी हेल्प करने 24×7 अवेलबल हू.

मैं: प्लीज़ बताओ ना कहाँ जाना है?

विक्रम मुझे हमारे कॅंप से तोड़ा डोर झाड़ियों के पास लेकर गया.

उसने कहा: मैं यहाँ आपका वेट कर रहा हू. आप शांति से अपना काम ख़तम करो, कोई जल्दी नही है.

मुझे तोड़ा ऑक्वर्ड फील हो रहा था, इतने हॅंडसम बंदे से टाय्लेट के लिए हेल्प लेना. मैने जल्दी से अपना काम ख़तम किया, और मैं जब रिटर्न आ रही थी, तो मुझे साँप दिख गया. मैं दर्र के मारे भाग कर विक्रम से चिपक गयी.

विक्रम: क्या हुआ, आप इतना दर क्यूँ रही हो?

मैं (बोलने की हालत में नही थी, लेकिन धीरे से बोली): वहाँ मैने साँप देखा.

विक्रम: आपको कुछ हुआ तो नही ना?

मैं: नही मैं ठीक हू. लेकिन मैं बहुत दर्र गयी थी.

मुझे थोड़े टाइम बाद रीयलाइज़ हुआ की मैं विक्रम से चिपक गयी थी. मैं एक-दूं से हॅट गयी.

मैं: ई आम सॉरी, वो मैं दर्र गयी थी तो मुझे कुछ समझ…

विक्रम: इट’स ओक. आप सेफ है यही बहुत है.

मैं: मुझे अब नहाने जाना है.

विक्रम: पास में एक नदी है, वहाँ जेया कर नहाना है.

मैं: आप नहा कर आ गये?

विक्रम: नही मैं जस्ट जेया रहा हू.

मैं: तो क्या हम साथ में नहा सकते है? सॉरी, ई मीन तो से हम साथ चल सकते है (मैं उसको नॉटी स्माइल दी)?

विक्रम: एस प्लीज़. वैसे आप सच में 42 के हो?

मैं: हा क्यूँ?

विक्रम: आपको देख कर लगता नही है आप 42 के हो.

मैं: आप भी 40 के कहाँ लग रहे हो? हम दोनो अभी कॉलेज में पढ़ रहे है.

विक्रम मेरी बात सुन कर हासणे लगा और बोला: आप सच में बहुत मज़किया हो. अछा लगा आपके साथ.

मैं: मुझे भी आप बहुत आचे लगे. चलो नहाने जाते है, फिर सूरज निकल जाएगा तो रोशनी में मज़ा नही आएगा.

मैं अपने कपड़ों का छ्होटा बाग लेकर विक्रम के साथ नदी के पास चली गयी. मुझे ये तोड़ा एग्ज़ाइटिंग लगा. क्यूंकी बचपन के बाद मुझे ऐसा मौका पहली बार मिल रहा था. विक्रम ने अब अपना त-शर्ट और ट्रॅक पंत निकाल दी. वो एक छ्होटे से शॉर्ट्स में आ गया. मैं तो उसकी बॉडी देखती रह गयी. क्या मस्क्युलर बॉडी थी. विक्रम ने भी नोटीस किया की मुझे उसकी बॉडी पसंद आ गयी थी.

विक्रम: क्या हुआ? जल्दी करो, सूरज निकालने वाला है. फिर आपको मज़ा नही आएगा (वो हासणे लगा).

मैं सोच रही थी अब किसी गैर मर्द के सामने अपने कपड़े कैसे उतारू. लेकिन सोचा की अगर मैं यंग होती तो ऐसे मस्क्युलर मान के साथ ऐसा टाइम स्पेंड करने का मिस नही करती. मैने अपनी त-शर्ट उतार दी. मैने नीचे ब्लॅक ब्रा पहना था, जिसमे से मेरे आधे से ज़्यादा बूब्स बाहर दिख रहे थे.

अब मैने शॉर्ट्स भी निकाल कर किनारे पर रख दिया. चाँद की हल्की रोशनी में मेरा बदन बेहद सेक्सी लग रहा था. विक्रम भी मेरे जिस्म को घूर कर देखने लगा, और मेरी तारीफ करने लगा.

विक्रम: आप बेहद खूबसूरत लग रही हो.

मैं: थॅंक योउ हॅंडसम.

मेरा उसके साथ फ्रॅंक बिहेवियर से वो काफ़ी खुश लग रहा था. मैने उसका हाथ पकड़ा, और नदी में चली गयी. नदी में पानी बह रहा था, तो उसका पानी बहुत सॉफ था. बहुत सालों बाद मुझे नदी में नहाने का मौका मिला था. मैं बहुत एंजाय कर रही थी. मुझे मेरे बचपन की याद आ गयी.

मैं विक्रम के साथ मस्ती करने लगी, उसके उपर पानी उड़ा रही थी. विक्रम भी मुझे पकड़ कर पानी में डुबकी लगा रहा था.

मैं: अर्रे मैं तो घर से साबुन लाना भूल गयी.

विक्रम: पहले के ज़माने में साबुन नही था, फिर भी लोग नहा लेते थे.

मैं: वो कैसे?

विक्रम ने नदी में से मिट्टी निकली, और उसकी बॉडी पर मलने लगा. मैने कहा मुझे भी चाहिए, तो वो मिट्टी निकाल कर मेरे हाथो में दिया. और वो खुद पानी में एक बड़ा सा पत्थर था, वहाँ बैठ गया. मैने विकार्म ने दी मिट्टी उसकी च्चती पर लगा दी, और उसको मलने लगी. विक्रम मेरे सामने देखने लगा.

मैं: ऐसे क्या देख रहे हो? इसके बाद आपकी बारी है.

विक्रम ने स्माइल की. अब मैं उसकी बॅक पर रग़ाद-रग़ाद कर मिट्टी घिस रही थी. उसके बाद मैं उसकी गोदी में बैठ कर उसकी चेस्ट, नेक, फेस सब जगह आचे से मिट्टी रग़ाद कर नहला रही थी. मुझे सच में नही पता था की मैं ये क्या कर रही थी? पता नही मैं विक्रम के साथ ये सब क्यूँ कर रही थी? लेकिन विक्रम की मस्क्युलर बॉडी छ्छूने से मेरे अंदर कुछ-कुछ होने लगा था. मैने उसके चेहरे को सॉफ करते हुए उसके उपर गरम साँस छ्चोढ़ रही थी.

मैं (सेडक्टिव वाय्स में): कैसा लग रहे है?

विक्रम: आपने तो मुझे मेरे बचपन की याद दिला दी. मेरी मा मुझे ऐसे ही नहलाती थी.

मैं (उसको माअर्ते हुए): मेरे साथ मा वाली फीलिंग आ रही है?

विक्रम (मेरी आँखों में देखते हुए): नही.

मैं (उसकी गोदी में से उतार कर): चलो अब हो गया.

मैं अपसेट हो कर पानी से मिट्टी निकाल कर मेरी बॉडी को वॉश करने लगी. एक तो पहली बार हिम्मत दिखा कर किसी के साथ एंजाय करने का सोच रही थी. विक्रम ने मेरा मूड खराब कर दिया था. विक्रम भी शायद पचता रहा होगा की उसने मेरे साथ बहुत अछा चान्स मिस कर दिया. अब उसके आयेज क्या हुआ आपको नेक्स्ट सेक्स स्टोरी में बतौँगी.

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