बूढ़ो मे भी दम है –1

कुच्छ घटनाएँ ऐसी होती हैं जिसमे आदमी खूदबखुद खींचता चला जाता है. चाहे वो चाहे चाहे ना चाहे. आदमी कितना भी समझदार हो लेकिन कभी कभी उसकी समझदारी उसे ले डूबती है. ऐसी ही एक घटना मेरे साथ हुई थी. जिसे आज तक मेरे अलावा कोई नही जानता है. आज मैं यही बात आपसे शेर करती हूँ.

मैं रोज़ी रोड्रिक्स, वाइफ ऑफ जोसेफ रोड्रिक्स, एज 32 वॉरली मे रहती हूँ. मेरे हज़्बेंड एक एलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी मे काम करते हैं. मैं भी एक छ्होटी सी सॉफ्टवेर कंपनी मे काम करती हूँ. ये बात काफ़ी साल पहले की है तब हम शहर से दूर मलाड के पास एक फ्लॅट मे रहते थे. हमारी शादी उसी फ्लॅट मे हुई थी. मीया बीवी अकेले ही उस फ्लॅट मे रहते थे. उस फ्लॅट मे हमसे ऊपर एक फॅमिली रहता था. उस फॅमिली मे एक जवान कपल थे नाम था सपना और दीपांकर. उनके कोई बच्चा नही था. साथ मे उनके ससुर जी भी रहते थे. उनकी उम्र कोई 60 साल के आस पास थी उनका नाम राज शर्मा था मैं सपना से बहुत जल्दी काफ़ी घुल मिल गयी. अक्सर वो हमारे घर आती या मैं उसके घर चली जाती थी. मैं अक्सर घर मे स्कर्ट और टी शर्ट मे रहती थी. मैं स्कर्ट के नीच छ्होटी सी एक पॅंटी पहनती थी. मगर टी शर्ट के नीचे कुच्छ नही पहनती थी. इससे मेरे बड़े बड़े बूब्स हल्की हरकत से भी उच्छल उच्छल जाते थे. मेरे निपल्स टी शर्ट के बाहर से ही सॉफ सॉफ नज़र आते थे.

सपना के ससुर का नाम मैं जानती थी. उन्हे बस शर्मा अंकल कहती थी थी. मैने महसूस किया शर्मा अंकल मुझमे कुच्छ ज़्यादा ही इंटेरेस्ट लेते थे. जब भी मैं उनके सामने होती उनकी नज़रें मेरे बदन पर फिरती रहती थी. मुझे उन पर बहुत गुस्सा आता था. मैं उनकी बहू की उम्र की थी मगर फिर भी वो मुझ पर गंदी नियत रखते थे. लेकिन उनका हँसमुख और लापरवाह स्वाभाव धीरे धीरे मुझ पर असर करने लगा. धीरे धीरे मैं उनकी नज़रों से वाकिफ़ होती गयी. अब उनका मेरे बदन को घूर्ना अच्च्छा लगने लगा. मैं उनकी नज़रों को अपनी चूचियो पर या अपने स्कर्ट के नीचे से झाँकती नग्न टाँगों पर पाकर मुस्कुरा देती थी

सपना थोड़ी आलसी मक़ीला थी इसलिए कहीं से कुच्छ भी मंगवाना हो तो अक्सर अपने ससुर जी को ही भेजती थी. मेरे घर भी अक्सर उसके ससुर जी ही आते थे. वो हमेशा मेरे संग ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त गुजारने की कोशिश मे रहते थे. उनकी नज़रे हमेशा मेरी टी शर्ट के गले से झाँकते बूब्स पर रहती थी. मैं पहनावे के मामले मे थोड़ा बेफ़िक्र ही रहती थी. अब जब जीसस ने इतना सेक्सी शरीर दिया है तो थोड़ा बहुत एक्सपोज़ करने मे क्या हर्ज़ है. वो मुझे अक्सर छुने की भी कोशिश करते थे लेकिन मैं उन्हे ज़्यादा लिफ्ट नही देती थी.

अब असल घटना पर आया जाय. अचानक खबर आई कि मम्मी की तबीयत खराब है. मैं अपने मैके ईन्दोर चली आई. उन दिनो मोबाइल नही था और टेलिफोन भी बहुत कम लोगों के पास होते थे. कुच्छ दिन रह कर मैं वापस मुंबई आ गयी. मैने जोसेफ को पहले से कोई सूचना नही दी थी क्योंकि हमारे घर मे टेलिफोन नही था. मैं शाम को अपने फ्लॅट मे पहुँची तो पाया की दरवाजे पर ताला लगा हुआ है. वहीं दरवाजे के बाहर समान रख कर जोसेफ का इंतेज़ार करने लगी. जोसेफ शाम 8.0 बजे तक घर आ जाता था. लेकिन जब 9.0 हो गये तो मुझे चिंता सताने लगी. फ्लॅट मे ज़्यादा किसी से जान पहचान नही थी. मैने सपना से पूच्छने का विचार किया. मैने उपर जा कर सपना के घर की कल्लबेल्ल बजाई. अंदर से टी.वी. चलने की आवाज़ आ रही थी. कुच्छ देर बाद दरवाजा खुला. मैने देखा सामने शर्मा जी खड़े हैं.

” नमस्ते….वो.. सपना है क्या?” मैने पूछा.

” सपना तो दीपांकर के साथ हफ्ते भर के लिए गोआ गयी है घूमने. वैसे तुम कब आई?”

” जी अभी कुच्छ देर पहले. घर पर ताला लगा है जोसेफ…?”

” जोसेफ तो गुजरात गया है अफीशियल काम से कल तक आएगा.” उन्हों ने मुझे मुस्कुरा कर देखा ” तुम्हे बताया नही”

” नही अंकल उनसे मेरी कोई बात ही नही हुई. वैसे मेरी प्लॅनिंग कुच्छ दिनो बाद आने की थी.”

“तुम अंदर तो आओ” उन्हों ने कहा मैं असमंजस सी अपनी जगह पर खड़ी रही.

“सपना नही है तो क्या हुआ मैं तो हूँ. तुम अंदर तो आओ.” कहकर उन्हों ने मेरा हाथ पकड़ कर अंदर खींचा. मैं कमरे मे आ गयी. उन्हों ने आगे बढ़ कर दरवाजे को बंद करके कुण्डी लगा दी. मैने झिझकते हुए ड्रॉयिंग रूम मे कदम रखा. जैसे ही सेंटर टेबल पर नज़र पड़ी मैं थम गयी. सेंटर टेबल पर बियर की बॉटल्स रखी हुई थी. आस पास स्नॅक्स बिखरे पड़े थे. एक सिंगल सोफे पर कामदार अंकल बैठे हुए थे. उनके एक हाथ मे बियर का ग्लास था. जिसमे से वो हल्की हल्की चुस्कियाँ ले रहे थे. मैं उस महॉल को देख कर चौंक गयी. शर्मा अंकल ने मेरी झिझक को समझा और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,

” अरे घबराने की क्या बात है. आज इंडिया- पाकिस्तान मॅच चल रहा है ना. सो हम दोनो दोस्त मॅच को एंजाय कर रहे थे.” मैने सामने देखा टीवी पर इंडिया पाकिस्तान का मॅच चल रहा था. मेरी समझ मे नही आ रहा था कि मेरा क्या करना उचित होगा. यहाँ इनके बीच बैठना या किसी होटेल मे जाकर ठहरना. घर के दरवाजे पर इंटरलॉक था इसलिए तोडा भी नही जा सकता था. मैं वहीं सोफे पर बैठ गयी. मैने सोचा मेरे अलावा दोनो आदमी बुजुर्ग हैं इनसे डरने की क्या ज़रूरत है. लेकिन रात भर रुकने की बात जहाँ आती है तो एक बार सोचना ही पड़ता है. मैं इन्ही विचारों मे गुम्सुम बैठी थी लेकिन उन्हों ने मानो मेरे मन मे चल रहे उथल पुथल को भाँप लिया था.

“क्या सोच रही हो? कहीं और रुकने से अच्च्छा है रात को तुम यहीं रुक जाओ. तुम सपना और दीपांकर के बेड रूम मे रुक जाना मैं अपने कमरे मे सो जाउन्गा. भाई मैं तुम्हे काट नही लूँगा. अब तो बूढ़ा हो गया हूँ. हाहाहा..”

उनके इस तरह बोलने से महॉल थोड़ा हल्का हुआ. मैने भी सोचा कि मैं बेवजह एक बुजुर्ग आदमी पर शक कर रही हूँ. मैं उनके साथ बैठ कर मॅच देखने लगी. पाकिस्तान बॅटिंग कर रही थी. खेल काफ़ी काँटे का था इसलिए रोमांच पूरा था. मैने देखा दोनो बीच बीच मे कनखियों से स्कर्ट से बाहर झाँकति मेरी गोरी टाँगों को और टी शर्ट से उभरे हुए मेरे बूब्स पर नज़र डाल रहे थे. पहले पहले मुझे कुच्छ शर्म आई लेकिन फिर मैने इस ओर गौर करना छ्चोड़ दिया. मैं सामने टीवी पर चल रहे खेल का मज़ा ले रही थी. जैसे ही कोई आउत होता हम सब खुशी से उच्छल पड़ते और हर शॉट पर गलियाँ देने लगते. ये सब इंडिया पाकिस्तान मॅच का एक कामन सीन रहता है. हर बॉल के साथ लगता है सारे हिन्दुस्तानी खेल रहे हों.

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कुच्छ देर बाद शर्मा अंकल ने पूचछा, “रोज़ी तुम कुच्छ लोगि? बियर या जिन…?”

मैने ना मे सिर हिलाया लेकिन बार बार रिक्वेस्ट करने पर मैने कहा, “बियर चल जाएगी लागर”

उन्हों ने एक बॉटल ओपन कर के मेरे लिए भी एक ग्लास भरा फिर हम “चियर्स” बोल कर अपने अपने ग्लास से सीप करने लगे.

शर्मा अंकल ने दीवार पर लगी घड़ी पर निगाह डालते हुए कहा” अब कुछ खाने पीने का इंतेज़ाम किया जाय”उन्होने मेरे चेहरे पर निगाह गढ़ाते हुए कहा ” तुमने शाम को कुच्छ खाया या नही?”

मैं उनके इस प्रश्न पर हड़बड़ा गयी, ” हां मैने खा लिया था.”

” तुम जब झूठ बोलती हो तो बहुत अच्छि लगती हो. कंदर पास के रिट्ज़ होटेल से तीन खाने का ऑर्डर देदे और बोल कि जल्दी भेज देगा” कंदर अंकल ने फोन करके. खाना मंगवा लिया.

एक ग्लास के बाद दूसरा ग्लास भरते गये और मैं उन्हे सीप कर कर के ख़तम करती गयी. धीरे धीरे बियर का नशा नज़र आने लगा. मैं भी उन लोगों के साथ ही चीख चिल्ला रही थी, तालियाँ बजा रही थी.

कुच्छ देर बाद खाना आ गया . हमने उठकर खाना खाया फिर वापस आकर सोफे पर बैठ गये. शर्मा अंकल और कामदार अंकल अब बड़े वाले सोफे पर बैठे. वो सोफा टीवी के ठीक सामने रखा हुआ था. मैं दूसरे सोफे पर बैठने लगी तो शर्मा अंकल ने मुझे रोक दिया

“अरे वहाँ क्यों बैठ रही हो. यहीं पर आजा यहाँ से अच्च्छा दिखेगा. दोनो सोफे के दोनो किनारों पर सरक कर मेरे लिए बीच मे जगह बना दिए. मैं दोनो के बीच आकर बैठ गयी. फिर हम मॅच देखने लगे. वो दोनो वापस बियर लेने लगे. मैं बस उनका साथ दे रही थी. बातों बातों मे आज मैने ज़्यादा ले लिया था इसलिए अब मैं कंट्रोल कर रही थी जिससे कहीं बहक ना जाउ. आप सब तो जानते ही होंगे कि इंडिया-पाकिस्तान के बीच मॅच हो तो कैसा महॉल रहता है. शारजाह के मैदान मे मॅच हो रहा था. इंडियन कॅप्टन था अज़हरुद्दीन.

” आज इंडियन्स जीतना ही नही चाहते हैं.” शर्मा जी ने कहा

” ये ऐसे खेल रहे हैं जैसे पहले से सट्टेबाज़ी कर रखी हो.” कंदर अंकल ने कहा.

“आप लोग इस तरह क्यों बोल रहे हैं? देखना इंडिया जीतेगी.” मैने कहा

” हो ही नही सकता. शर्त लगा लो इंडिया हार कर रहेगी” शर्मा अंकल ने कहा.

तभी एक और छक्का लगा. ” देखा…देखा….. ” शर्मा अंकल ने मेरी पीठ पर एक हल्के से धौल जमाया ” मेरी बात मानो ये सब मिले हुए हैं.”

खेल आगे बढ़ने लगा. तभी एक विकेट गिरा तो हम तीनो उच्छल पड़े. मैं खुशी से शर्मा अंकल की जाँघ पर एक ज़ोर की थपकी दे कर बोली “देखा अंकल? आज इनको कोई नही बचा सकता. इनसे ये स्कोर बन ही नही सकता.” मैं इसके बाद वापस खेल देखने मे बिज़ी हो गयी. मैं भूल गयी थी कि मेरा हाथ अभी भी शर्मा अंकल की जांघों पर ही पड़ा हुआ है. शर्मा अंकल की निगाहें बार बार मेरी हथेली पर पड़ रही थी. उन्हों ने सोचा शायद मैं जान बूझ कर ऐसा कर रही हूँ. उन्हों ने भी बात करते करते अपना एक हाथ मेरा स्कर्ट जहाँ ख़त्म हो रहा था वहाँ पर मेरी नग्न टांग पर रख दिया. मुझे अपनी ग़लती का अहसास हुआ और मैने जल्दी से अपना हाथ उनकी जांघों पर से हटा दिया. उनका हाथ मेरी टाँगों पर रखा हुआ था. कंदार अंकल ने मेरे कंधे पर अपनी बाँह रख दी. मुझे भी कुच्छ कुच्छ मज़ा आने लगा.

अब लास्ट तीन ओवर बचे हुए थे. खेल काफ़ी टक्कर का हो गया था. एक तरफ जावेद मियाँदाद खेल रहा था. लेकिन उसे भी जैसे इंडियन बौलर्स ने बाँध कर रख दिया. खेल के हर बॉल के साथ हम उच्छल पड़ते. या तो खुशियाँ मानते या बेबसी मे साँसें छ्चोड़ते हुए. उच्छल कूद मे कई बार उनकी कोहनियाँ मेरे बूब्स से टकराई. पहले तो मैने सोचा शायद ग़लती से उनकी कोहनी मेरे बूब्स को च्छू गयी होगी लेकिन जब ये ग़लती बार बार होने लगी तो उनके ग़लत इरादे की भनक लगी.

आख़िरी ओवर आ गया अज़हर ने बॉल चेतन शर्मा को पकड़ाई.

” इसको लास्ट ओवर काफ़ी सोच समझ कर करना होगा सामने मियाँदाद खेल रहा है.”

” अरे अंकल देखना ये मियाँदाद की हालत कैसे खराब करता है.” मैने कहा

“नही जीत सकती इंडिया की टीम नही जीत सकती लिख के लेलो मुझसे. आज पाकिस्तान के जीतने पर मैं शर्त लगा सकता हूँ.” शर्मा अंकल ने कहा.

” और मैं भी शर्त लगा सकती हूँ की इंडिया ही जीतेगी” मैने कहा. आख़िरी दो बॉल बचने थे खेल पूरी तरह इंडिया के फेवर मे चला गया था.

“मियाँदाद कुच्छ भी कर सकता है. कुच्छ भी. इसे आउट नही कर सके तो कुच्छ भी हो सकता है.” शर्मा अंकल ने फिर जोश मे कहा.

क्रमशः………

गतान्क से आगे………

” अब तो मियाँदाद तो क्या उसके फरिश्ते भी आ जाएँ ना तो भी इनको हारने से नही बचा सकते.”

“चलो शर्त हो जाए.” शर्मा अंकल ने कहा.

” हां हां हो जाए..” कंदर अंकल ने भी उनका साथ दिया. मैने पीछे हटने को अपनी हर मानी और वैसे भी इंडिया की जीत तो पक्की थी. लास्ट बॉल बचा था और जीतने के लिए पाँच रन चाहिए थे. अगर एक चोका भी लगता तो दोनो टीम्स टाइ पर होते. जीत तो सिर्फ़ एक सिक्स ही दिला सकती थी जो कि इतने टेन्स मोमेंट मे नामुमकिन था.

“बोलो अब भगोगे तो नहीं. आख़िरी बॉल और पाँच रन. चार रन भी हो गये तो दोनो बराबर ही रहेंगे. जीतने के लिए तो सिर्फ़ छक्का चाहिए.” मैने गर्व से गर्दन आक़ड़ा कर शर्मा जी की तरफ देखा. शर्मा अंकल ने अपने कंधे उचकाय कहा कुच्छ नही. उनको भी लग गया था कि आज इंडिया ही जीतेगी. फीलडरर्स सारे बाउंड्री पर लगा दिए गये थे. मैने उनसे पूछा

“सोच लो…… अब शर्त लगाओगे क्या. 99% तो इंडिया जीत ही चुकी है.”

“शर्त तो हम लगाएँगे ही. देखना मियाँदाद बॅटिंग कर रहा है. वो पूरी जान लगा देगा.” शर्मा अंकल ने अपनी हाथ से फिसलती हुई हेकड़ी को वापस बटोरते हुए कहा.

“ठीक है हो जाए शर्त.” कह कर मैने अपने एक हाथ शर्मा अंकल के हाथ मे दिया और एक हाथ कंदर अंकल के हाथ मे दिया.

`अगर इंडिया जीती तो………………..’ शर्मा अंकल ने बात मेरे लिए अधूरी छ्चोड़ दी.

`तो आप दोनो अलग अलग मुझे ट्रीट देंगे. साथ मे हम लोगों की फॅमिली भी रहेगी. मक्डोनल्ड्स मे. मंजूर?’ मैने उनसे कहा. दोनो ने तपाक से हामी भर दी.

`और अगर पाकिस्तान जीत गयी तो…..कंदर अंकल ने भी शर्त मे शामिल होते हुए कहा.

` तो रोज़ी वही करेगी जो हम दोनो कहेंगे. मंजूर है?’ शर्मा अंकल ने कहा

` क्या करना पड़ेगा?’ मैने हंसते हुए पूछा. मैं सोच भी नही पा रही थी कि मैं किस तरह इन दोनो बूढो के चंगुल मे फँसती जा रही हूँ.

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` कुच्छ भी जो हमे पसंद होगा.’ कंदर ने कहा.

` अरे कंदर छ्चोड़ शर्त वर्त ये लगा नही सकती.’ शर्मा अंकल ने कहा.

“ठीक है हो जाए शर्त.” कह कर मैने अपने एक हाथ शर्मा अंकल के हाथ मे दिया और एक हाथ कंदर अंकल के हाथ मे दिया. दोनो ने अपने हाथ मे मेरे हाथों को पकड़ लिया. दोनो मेरे बदन से सॅट गये. मैं दोनो के बीच सॅंडविच बनी हुई थी. ऐसे महॉल मे चेतन शर्मा ने दौड़ना शुरू किया. कमेन्रेटर्स भी चुप हो गये थे. कमरे मे भी महॉल गर्म हो गया था. कुच्छ तो मॅच के रोमांच से और कुच्छ हमारे बदन के एक दूसरे से सटने से. चेतन शर्मा दौड़ता हुआ आया और उसने पता नही क्यों एक फुल्लीटोस्स गेंद जावेद मियाँदाद को फेंकी. हमारी साँसे थम गयी थी. जावेद मियाँदाद ने आख़िरी बॉल के पीछे आते हुए अपने बॅट को लिफ्ट किया और बॉल तेज नीचे आती बॅट से टकराई. सब ऐसा लग रहा था जैसे स्लो मोशन मे चल रहा हो. बॉल बॅट से लग कर आसमान मे उच्छली और सारे 11 फ्लडर्स, 2 बॅट्स्मन, 2 अनपाइयर्स और लाखों करोड़ों दर्शक सिर्फ़ साँस रोके देखते ही रह गये. बॉल बिना ड्रॉप के बाउंड्री के बाहर जा कर गिरी. अंपाइयर ने छक्के का इशारा किया और पाकिस्तान जीत गयी. मुझे तो समझ मे ही नही आया कि ये सब क्या चल रहा है. मैं पेयरॅलिज़्ड जैसी मुँह फाडे टीवी की तरफ देख रही थी. विस्वास तो मेरे साथ बैठे दोनो बुजुर्गों को भी नही हो रहा था कि ऐसे पोज़िशन से इंडिया हार भी सकती है. कुच्छ देर तक इसी तरह रहने के बाद दोनो चिल्ला उठे,

“हुरर्राह… …हम जीत गये.” मैने मायूसी के साथ दोनो की ओर देखा.

“हम जीत गये.” मैं उनकी तरफ देख कर एक उदास सी मुस्कान दी “अब तुम हुमारी शर्त पूरी करो.” शर्मा जी ने कहा.

“ठीक है बोलो क्या करना है.” मैने उनसे कहा.

“सोच लो फिर से बाद मे अपने वादे से मुकर मत जाना.” शर्मा अंकल ने कहा.

” नही मैं नही मुकुरूँगी अपने वेड से. बोलो मुझे क्या करना पड़ेगा.” शर्मा जी ने मुस्कुराते हुए कंदर अंकल की तरफ देखा. दोनो की आँखें मिली और संवादों का कुच्छ आदान प्रदान हुआ.

“तू बोल कंदर…… …..इसे क्या करने को कहा जाए.” शर्मा अंकल ने कंदर अंकल से कहा.

” नही तूने शर्त लगाया है शर्मा तू ही इसके इनाम की घोसना कर.”

शर्मा अंकल ने मेरी तरफ मुड़कर अपनी आवाज़ मे रहाश्यमयता लाते हुए कहा ” तुम हम दोनो को एक एक किस दोगि. फ्रेंच किस. तब तक जब तक हम तुम्हारे होंठों से अपने होंठ अलग नही करें.”

मुझे अपने चारों ओर पूरा कमरा घूमता हुआ सा लगा. मुझे समझ मे ही नही आ रहा थी कि क्या करूँ. मैं इन दोनो आदमियों के चंगुल मे फँस गयी थी. मैने कुच्छ देर तक अपनी नज़रें ज़मीन पर गड़ाए रखीं फिर धीरे से कहा, “सिर्फ़ किस”

दोनो ने एक साथ कहा, “ठीक है.” मैं उठ कर खड़ी हो गयी.

” ठहरो इस तरह नही. जिंदगी मे पहली बार इतना हसीन मौका मिला है तो इसका पूरा एंजाय करेंगे. ” शर्मा अंकल ने कहा “कांदार पहले ये मुझे किस देगी” कंदर अंकल ने सिर हिलाया.

शर्मा अंकल डाइनिंग टेबल के पास से एक कुर्सी खींच कर उस पर बैठ गये. बिना हत्थे वाली कुर्सी पर बैठ कर मुझ से कहा, ” आओ तुम मेरी गोद मे बैठ कर मुझे किस करो.”

मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी. ऐसी अवेकवर्ड सिचुयेशन मे अपने आप को पहली बार महसूस कर रही थी. एवेंटौग मेरे पति के अलावा भी मेरे एक और आदमी से संबंध थे और मैं शादी से पहले ही अपने बॉय फ़्रेंड से सेक्स का मज़ा ले चुकी थी, लेकिन इतने बुजुर्ग आदमियों के साथ इस तरह का मौका पहली बार ही आया था. बाकी सब केसस मे मेरे साथ का मर्द ही इनिशियेटिव लेता था लेकिन इस बार मुझे ही इन दोनो को किस देना था.

मैं आकर उनकी गोद मे बैठने लगी तो उन्हों ने मुझे रोकते हुए कहा, “ऐसे नही. अपने दोनो पैरों को फैला कर मेरी टाँगों के दोनो ओर अपने पैर रख कर मेरी गोद मे बैठो. मैने वैसा ही किया. स्कर्ट पहना होने की वजह से टाँगें चौड़ी करने मे किसी प्रकार की भी परेशानी नही हुई.

जैसे ही मैं उनकी गोद मे बैठी उन्हों ने मेरे कमर की इर्द-गिर्द अपनी बाहें डाल कर मुझे खींच कर अपने बदन से सटा लिया. मेरी तनी हुई चूचियाँ उनके सीने से दब गयी. मेरी पॅंटी मे छिपि योनि उसके लिंग से जा सटी. मैने महसूस किया की उनका लिंग तन चुका था. ये जानते ही मेरी नज़रें झुक गयी. मैने अपने काँपते हुए होंठ आगे बढ़ा कर उनके होंठों के सामने लाई. कुच्छ पल तक हम एक दूसरे के चेहरों को देखते रहे फिर मैने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. उन्हों ने अपने हाथों से मेरे चेहरे को सम्हाल रखा था. मैने भी अपने हाथों से उसके सिर को पीछे से पकड़ कर अपने होंठों पर दबा दिया. कुच्छ देर तक हम एक दूसरे के होंठों पर अपने होंठ फिराते रहे. शर्मा अंकल मेरे होंठों को हल्के हल्के अपने दन्तो से चबाते रहे. फिर मैने अपनी जीभ निकाली और उनके मुँह मे डाल दिया. मेरी जीभ वहाँ उनकी जीभ से मिली. उनके मुँह से फ्रेश मिंट का स्मेल आ रहा था. हम दोनो की जीभ एक दूसरे के साथ लिपटने खेलने लेगे. उनके हाथ मेरे पूरे पीठ पर फिर रहे थे. एक हाथ से उन्हों ने मेरे सिर को अपने मुँह पर दाब रहा था और दूसरा हाथ मेरी पीठ पर फिरते हुए नीचे की ओर गया. अचानक शर्मा अंकल के हाथ को मैने अपनी स्कर्ट के भीतर महसूस किया. उनके हाथ मेरी पॅंटी के उपर फिर रहे थे. मैं अचानक अपने दोनो बगलों के पास से दो हाथ को हम दोनो के बदन के बीच पहुँच कर मेरे बूब्स को थामते हुए महसूस किया. ये कंदर अंकल के हाथ थे. उनके हाथ मेरे बूब्स को सहलाने लगे.

मेरी योनि गीली होने लगी. मुझे लग गया कि आज इन बूढो से अपना दामन बचाकर निकलना मुश्किल ही नही नामुमकिन है. शर्मा जी अपने हाथों से मेरी पॅंटी को एक ओर सरका कर मेरे एक नितंब को सहलाने लगे. दोनो के मुँह एक दूसरे के साथ जीभ और थूक का आदान प्रदान कर रहे थे. शर्मा जी ने मेरे दोनो नितंब सहलाने और मसल्ने के बाद अब उंगलिया मेरी पॅंटी के भीतर डालने की कोशिश करने लगे. मैं उनके चंगुल से निकलने की जी तोड़ कोशिश कर रही थी. मुझे लग रहा था मानो उनका ये किस सारी जिंदगी ख़त्म नही होगा लेकिन उन्होने आख़िर मे मुझे आज़ाद कर्दिया. मैं उनकी गोद मे बैठे बैठे ही लंबी लंबी साँसे लेने लगी. अपने हार्ट बीट्स को कंट्रोल करने लगी जो कि किसी राजधानी एक्सप्रेस की तरह दौड़ा जा रहा था. दोस्तो कहानी अभी बाकी है
क्रमशः………



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